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किस्से-कहानियों का संसार अद्भुत है। इतिहास ऐसी रोचक कहानियों से भरा पड़ा है। कहानियों के इस सेक्शन में ऐसी ही पौराणिक कहानियां आपके के लिए लेकर आए हैं। पौराणिक कथाएं संस्कृति और मानवीय मूल्य दोनों से परिचय करवाती हैं। Watch Video at www.youtube.com/kathadarshan

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    • Jul 22, 2021 LATEST EPISODE
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    Latest episodes from KathaDarshan

    दान सौदा नहीं कहलाता है | दान की महिमा

    Play Episode Listen Later Jul 22, 2021 3:29


    दान की महिमा तभी होती है, जब वह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है अगर कुछ पाने की लालसा में दान किया जाए तो वह व्यापार बन जाता है। जब इस भाव के पीछे कुछ पाने का स्वार्थ छिपा हो तो क्या वह दान रह जाता है ? यदि हम किसी को कुछ दान या सहयोग करना चाहते हैं तो हमे यह बिना किसी उम्मीद या आशा के करना चाहिए, ताकि यह हमारा सत्कर्म हो, न कि हमारा अहंकार । #DharmikStory #kathaDarshan

    हनुमान चालीसा के दोहे का हिंदी अर्थ | Hanuman Chalisa Hindi Meaning

    Play Episode Listen Later Jul 13, 2021 6:31


    पवनतनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रुप । राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ।। आप संकट दूर करने वाले तथा, आप आनन्द मंगल के स्वरुप हैं । हे देवराज आप श्रीराम लक्ष्मण और सीताजी सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हनुमानजी ! आप राम लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए । इस बात के पीछे गहरा अर्थ छुपा हुआ है । यहाँ पर भक्त श्रेष्ठ के रुप में हनुमानजी है तथा राम, सीता और लक्ष्मण, ज्ञान भक्ति और कर्म के रुप में हैं । #HanumanChalisa #HanumanKatha #JaiShreeRam

    हनुमान चालीसा के 40 चौपाई का अर्थ हनुमान कथा : गुरु ज्ञान

    Play Episode Listen Later Jun 19, 2021 2:55


    तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥ हे नाथ हनुमानजी ! तुलसीदास सदा ही श्रीराम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए । हनुमान जी तुलसीदास जी के गुरु हैं। तुलसीदास जी ने हनुमानजी को अपना गुरु माना है। उनके मार्गदर्शन के अनुसार ही उन्हे भगवान श्रीराम के दश्‍​र्रन हुए । इसलिए तुलसीदासजी हनुमानजी से प्रार्थना कर रहे हैं कि, हे हनुमानजी । आप मेरे हृदय में निवास कीजिए । गुरु हो तो ज्ञान मिलता है, या सत्संग किया तो मार्गदर्शन मिलता है । #HanumanChalisa #HanumanKatha #JaiShreeRam

    हनुमान कथा : चालीसा की रचना | हनुमान चालीसा के 39 चौपाई का अर्थ

    Play Episode Listen Later Jun 12, 2021 2:50


    यह हनुमान चालीसा लिखवाया इसलिए वे साक्षी हैं कि जो इसे पढेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी । भगवान शिव का रुप गुरु का रुप है । ज्ञानराणा शिव है, जिनके मस्तिष्क से अविरत ज्ञानगंगा का प्रवाह प्रवाहित होता रहता है । भगवान शंकर इस हनुमान चालीसा के साक्षी हैं ऐसा इस चौपाई में उल्लेख है । भगवान शंकर की प्रेरणा से तुलसदासजी ने हनुमान चालीसा की रचना की है । हनुमान चालीसा में हनुमत चरित्र पर पूर्ण रुप से प्रकाश डाला गया है । गुरु का मस्तिष्क ज्ञान से भरा हुआ रहता है । जो यह पढै हनुमान चालीसा । होय सिद्ध साखी गौरीसा ॥ 39 ॥ #HanumanChalisa #HanumanKatha # JaiShreeRam

    हनुमान कथा : शब्दों की शक्ति | हनुमान चालीसा की अड़तीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | Hanuman Katha : Power of Words

    Play Episode Listen Later May 29, 2021 5:21


    जो शत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ 38 ॥ जो सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उसे सब बंधनो से मुक्ति मिलेगी तथा सुख की प्राप्ति होगी । यहाँ पर तुलसदासजी ने जो शत बार शब्द का प्रयोग किया है, शत बार यानी बार बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए यह अभिप्रेरित है । गोस्वामी तुलसीदासजी का अभिप्राय यह है कि हनुमान चालीसा में भक्त श्रेष्ठ हनुमानजी का जो चरित्र चित्रण है उसका स्वाध्याय बार बार करना चाहिए । #HanumanChalisa #HanumanKatha #jaiShreeRam

    हनुमान कथा : भगवान मिलन | हनुमान चालीसा के सैंतीसवीं चौपाई का अर्थ

    Play Episode Listen Later May 11, 2021 4:11


    हनुमान कथा : भगवान मिलन | हनुमान चालीसा के सैंतीसवीं चौपाई का अर्थ जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरु देव की नाईं ॥ 37 ॥ हे हनुमानजी आपकी जय हो ऐसा तीन बार उन्होने लिखा है, इसके पीछे गहरा अर्थ छुपा हुआ है । हम जब आपस में एक दूसरे से मिलते हैं तब जय रामजी की कहते हैं । इन में से कोई भी बोलो मगर भगवान की जय होनी चाहिए । #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा के छतीसवीं चौपाई का अर्थ | हनुमान कथा : मंगल का व्रत

    Play Episode Listen Later May 4, 2021 4:10


    हनुमान चालीसा के छतीसवीं चौपाई का अर्थ हनुमान कथा : मंगल का व्रत संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ 36 ॥ जो आपका स्मरण करता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीडा मिट जाती हैं

    हनुमान कथा : संकट में मदद | हनुमान चालीसा की पैंतीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ

    Play Episode Listen Later Apr 27, 2021 4:56


    और देवता चित्त न धरई । हनुमंत सेई सर्व सुख करई ॥ 35 ॥ शास्त्रीय पूजा का महत्व समझाते हैं । पूजा वैदिक ऋषियों के द्वारा मानव को दी हुई अनुपम भेंट है । विश्व का मानव चित्त शुद्धि कर अध्यात्मिक विकास कर सके, हमारे ऋषियों ने सरल, व्यावहारिक, बुद्धिगम्य एवं शास्त्रीय पूजा की आवश्यकता समझायी है । मन को पुष्ट करने के लिए सबेरे से शाम तक चलने वाली आज की पूजा क्या उपयोगी हो सकती है? #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान कथा : पुनर्जन्म | हनुमान चालीसा के 34 चौपाई का अर्थ | Hanuman Katha : Punarjanam

    Play Episode Listen Later Apr 13, 2021 11:24


    अंत काल रघुबर पुर जाई । जहां जन्म हरि भक्त कहाई ॥ 34 ॥ हमारा अन्तकाल होता ही नहीं है, प्रयाणकाल होता है । हम मरेंगे तो दूसरा जन्म लेंगे । अन्तकाल का अर्थ यह है कि अब दूसरा जन्म लेना नहीं है । जीवन मे मृत्यु है । मृत्यु होनी ही चाहिए। मृत्यु में काव्य खडा करने वाला, मृत्यु का काव्य बताने वाला गुरु है । मृत्यु है इसलिए जीवन है । मृत्यु को भगवान ने ही बनाया है ।

    हनुमान चालीसा के तैंतीसवीं चौपाई का अर्थ | हनुमान कथा : भक्त के भगवान

    Play Episode Listen Later Mar 23, 2021 5:22


    तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ 33 ॥ हनुमाजी का भजन करने से भगवान राम प्रसन्न होते हैं तथा सब प्रकार के दु:ख बिसरा कर सुख की प्राप्ति होती है ।यहाँ तुलसीदासजी का आग्रह है कि हमें संतो के भजन गाने चाहिए । भक्तो के भजन गाने चाहिए क्योंकि उसमें जीवन विषय तत्वज्ञान भरा हुआ होता है । जीवन समझाया गया होता है क्या होना है, क्या करना चाहिए तथा क्या बनाना चाहिए यह सब उन भजनों में होता है । #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की बतीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा अजर अमर

    Play Episode Listen Later Mar 1, 2021 6:05


    राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ 32 ॥ राम हनुमान से पूछते हैं, तुझे क्या चाहिए? तब हनुमान उत्तर देते हैं, आपके उपर से प्रेम भक्ति कम न हो, तथा राम के अतिरिक्त अन्य भाव निर्माण न हो, मुझे यही चाहिए। उन्होने मुक्ति अथवा स्वर्ग नही मांगा । राम उनको वैकुण्ठ नहीं ले गये, यहीं छोड गये, परन्तु उनके दिल में राम ही है । जहाँ तक राम कथा है वहाँ तक हनुमान अमर है । रामकथा जहाँ चलेगी वहाँ मारुतिराय की कथा चलेगी ही । #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की इकतीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा नो निधियाँ आठ सिद्धयाँ

    Play Episode Listen Later Feb 27, 2021 6:51


    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन्ह जानकी माता ॥ 31 ॥ हनुमानजी अपने भक्तो को आठ प्रकार की सिद्धयाँ तथा नऊ प्रकार की निधियाँ प्रदान कर सकते हैं | ऐसा सीता माता ने उन्हे वरदान दिया । भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को प्रसन्न होकर आलिंगन दिया और सीताजी ने उन्हे अष्ट सिद्ध नव निधि के दाता का वर प्रदान किया।सच्चे साधक की सेवा के लिए सिद्धियाँ अपने आप सदैव तैयार रहती है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की तीसवी चौपाई का हिंदी अर्थ

    Play Episode Listen Later Feb 26, 2021 3:30


    चौपाई:- साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥ 30 ॥ आप साधु और सन्तों तथा सज्जनों की रक्षा करतें हैं तथा दुष्टों का सर्वनाश करतें हैं । तुलसीदासजी कहते हैं कि हनुमानजी साधु पुरुषों का रक्षण करते हैं और दुष्टोका नाश करते हैं । भगवान धरतीपर अवतार लेकर आते है वहीं काम हनुमानजी भी करते हैं प्रभु का वचन है कि धर्म तथा मानवता का हास् होगा तब उनके पुनरुत्थान के लिए मैं जन्म लूँगा । #HanumanChalisa #HanumanKatha Subscribe And Watch More Video :: Katha Darshan https://www.youtube.com/c/kathaDarshan

    हनुमान चालीसा की उनतीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ

    Play Episode Listen Later Feb 25, 2021 7:58


    चारों जुग प्रताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ 29 ॥ हनुमानजी का यश चारों युग में फेला हुआ है तथा उनकी कीर्ति से सारा संसार प्रकाशमान हुआ है । जो कहने योग्य हो उसे कीर्ति कहते हैं । कीर्ति एक शक्ति है। प्रतिष्ठा कौन देगा ? एक बात सच है, जिसे भगवान के हृदयमें प्रतिष्ठा मिली उसे विश्व में प्रतिष्ठा मिलती है। मन की विविध आवश्यकताएं हैं। उनकी पूर्ति भक्ति से होगी, भगवान से होगी। Subscribe And Watch More Video :: Katha Darshan https://www.youtube.com/c/kathaDarshan

    हनुमान चालीसा की अट्ठाइसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा मेरा मनोरथ

    Play Episode Listen Later Feb 24, 2021 4:31


    और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥ 28 ॥ जिस पर आपकी कृपा हो, ऐसा जीव कोई भी अभिलाषा करे तो उसे तुरन्त फल मिल जाता है | जीव जिस फल के विषय में सोंच भी नहीं सकता वह फल मिल जाता है, अर्थात सारी कामनाएं पूरी हो जाती है।हम जो मनोरथ मन के संकल्प करते हैं भगवान उस अनुसार हमें जीवन में फल देते हैं । हमें भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि, भगवान मेरे मन के मनोरथ दिव्य और भव्य हो, संकल्प तेजस्वी हो । Subscribe & Watch More Video :: Katha Darshan https://www.youtube.com/c/kathaDarshan HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की सत्ताईसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - अनमोल रत्न

    Play Episode Listen Later Feb 23, 2021 6:28


    सब पर राम तपस्वी राजा, तिन के काज सकल तुम साजा ॥ 27 ॥ भगवान रामजी का चरित्र सर्वश्रेष्ठ है, रामचरित्र भावपूर्ण व ऐतिहासिक काव्य है। भारतीय संस्कृति को क्या बनना है यह रामचरित्र पढकर ध्यान में आता है। संसार का नैतिक स्तर ऊँचा करने के लिए प्रभु राम जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम चरित्रवान का अवतार इस संसार में लिया राम जी का चरित्र हजारों वर्षों के बाद, वर्षों तक लाखों-करोडों लोगों को प्रेरणा दे सकता है, उनको नमस्कार ही करना चाहिए। Watch More Video :: Katha Darshan https://www.youtube.com/c/kathaDarshan

    हनुमान चालीसा की छब्बीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - संकट में मदद

    Play Episode Listen Later Feb 22, 2021 4:20


    संकट ते हनुमान छुडावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ 26 ॥ हमें भगवान की मूर्ति में चित एकाग्र करने के लिए कहते हैं। ऐसी भगवान की मूर्ति लो हमारे मन में स्थापित हो भगवान की भक्ति दो प्रकार से करनी चाहिए, अन्तर्भक्ति और बहिर्भक्ति।अन्तर्भक्ति भगवान का मन और बुद्धि दोनों से ध्यान करना और भगवान के चरणों में मन और बुद्धि को एकाग्र करना | बहिर्भक्ति यानी जिस भगवान पर प्रेम है, उसका काम करना Subscribe & Watch More Video :: Katha Darshan https://www.youtube.com/c/kathaDarshan

    हनुमान चालीसा की पच्चीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा खल मूसल

    Play Episode Listen Later Feb 20, 2021 6:18


    नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥ 25 ॥ हनुमानजी का जप करने से रोग, भय विकार इत्यादि का नाश हो जाता है। रोग, भय विकार इन तीनों से जीवन त्रस्त बनता है, इसलिए इन तीनों से मुक्ति चाहिए।रोग मुक्ति यह शारीरिक मुक्ति का लक्षण है, भय और विकार मुक्ति मानसिक मुक्ति के लक्षण हैं। प्रत्येक व्यक्ति परेशान हैं, उसकी परेशानी कौन सी है दुख कुछ आये हुए है और कुछ आनेवाले है, उनकी विवंचना भ्रम यही व्यक्ति का दु:ख है। Watch More Video :: https://www.youtube.com/c/kathaDarshan

    हनुमान चालीसा की चौबीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा पंचमुखी अवतार

    Play Episode Listen Later Feb 19, 2021 5:24


    भूत पिसाच निकट नहिं आवैं, महाबीर जब नाम सुनावै ॥ 24 ॥ हे पवनपुत्र, आपका महावीर हनुमानजी का नाम सुनकर भूत-पिसाच आदि दुष्ट आत्माएँ पास भी नहीं आ सकती। जो बाहर के शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है उसे वीर कहते हैं तथा जो अंतर्बाह्य शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है उसे महावीर कहते हैं। इंद्रजीत जैसे बाह्य शत्रुओं को तो हनुमान जी ने जीता ही था परन्तु मन के अन्दर रहे हुए काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर आदि असुरों पर भी उन्होने विजय प्राप्त की थी इसीलिए वे महावीर हैं। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की तेइसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा शनि दृष्टि

    Play Episode Listen Later Feb 18, 2021 5:20


    आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै ॥ 23 ॥ आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं। तुलसीदासजी लिखते हैं कि हनूमानजी का जीवन गतिमान है, इसलिए उनमें तेज है तथा उनकी गति को कोई रोक नहीं सकता। तुलसीदासजी का अभिप्राय यह है कि मानव को अपनी गति, अपना आश्रय निचित करना चाहिए। मनुष्य को अपना सामथ्र्य निचित करना चाहिए, अपना मार्ग निश्चित करना चाहिए।

    हनुमान चालीसा की बाईसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - बाणों का सेतु

    Play Episode Listen Later Feb 17, 2021 5:11


    सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना ॥ 22 ॥ जो भी आपकी शरण में आते है उन सभी को आनन्द एवं सुख प्राप्त होता है और आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता। तुलसीदासजी यहाँ भगवान की शरण में जाने के लिए कह रहें। शरणागति एक महान साधन है, भगवान की शरण जाओ, भगवान का बन जाओ, उसके बिना जीवन में आनंद नहीं है, भगवान आधार है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की इक्कीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - महत्वपूर्ण कार्य

    Play Episode Listen Later Feb 16, 2021 4:24


    राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ 21 ॥ श्री रामचंद्रजी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा के बिना किसी को प्रवेश नहीं मिल सकता। श्रीराम कृपा पाने के लिए आपको प्रसन्न करना आवश्यक है। तुलसीदासजी कहते है कि यदि हमें भगवान तक पहुँचना है तो गुरु, संत और शास्त्रकारों की सेवा करनी चाहिए। संतो से ज्ञान मिलता है, यानी कि सत्संग किया तो मार्गदर्शन मिलता है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की बीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - मैं राम बन जाऊँगी

    Play Episode Listen Later Feb 15, 2021 4:33


    दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ 20 ॥ संसार में जितने भी कठीन से कठीन काम हैं, वे सभी आपकी पासे सहज और सुलभ हो जाते हैं । प्रभु के उपर अटूट विश्वास, पुरुषार्थ और पराक्रम साथ में मिल जाएंगे तो कोई भी काम असंभव नही रह जाएगा, रघुराजा ने अपने बाहुबल से संपत्ति प्राप्त करके कौत्स को दी। एकलव्य ने बन में जाकर तप करते हुए स्वप्रयत्न से विद्या प्राप्त की । उसी प्रकार हनुमानजी ने भी प्रभु पर अटूट विश्वास रखते हुए अपने पुरुषार्थ से कठिन से कठिन काम को भी सहजता से कर दीया। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की उन्नीसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - विश्वास पार लगाए

    Play Episode Listen Later Feb 13, 2021 3:05


    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥ 19 ॥ हनुमानजी ने भगवान श्री रामचन्द्रजी की दी हुई अँगुठी को मुहँ में रख कर सीतामाता की खोज करने समुद्र पर छलांग लगाई और उस पार लंका में पहुँच गये इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। गोस्वामी तुलसीदासजी का अभिप्राय यह है कि हमें हनुमानजी की तरह सुक्ष्म बनकर भीतर पडी हुई सुप्त शक्तियों को जागृत करना चाहिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की अठारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - शक्ति विलोपम

    Play Episode Listen Later Feb 12, 2021 3:50


    जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ 18 ॥ जो सूर्य इतने योजन दूरीपर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजारों युग लगें। उस हजारों योजन दूरीपर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया।उन्होने जन्म लिया तब प्रभात का उगता हुआ सूर्यबिम्ब देखा और उसे पकडने के लिए छलांग मारी। फल सोंचकर ही सहज स्वभाव के अनुसार कपि हनुमान कुदे थे। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की सत्रहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - बिभीषण मंत्र

    Play Episode Listen Later Feb 11, 2021 5:00


    तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥ 17 ॥ जब हनुमानजी लंका में सीता माता की खोज कर रहे थे तब लंका में तमोगुणी आचार व्यवहार के बीच श्री हनुमानजी को प्रभु कृपा से संत विभीषण का घर दिखलायी देता है। उसी समय विभीषण जाग उठते हैं राम राम का उच्चारण करते हैं। आपके उपदेश का विभीषण ने पूर्णत पालन किया, इसी कारण वे लंका के राजा बनें, इसको सब संसार जानता है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की सोलहवीं, चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा आधी शक्ति

    Play Episode Listen Later Feb 10, 2021 3:38


    हनुमान चालीसा की सोलहवीं, चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा आधी शक्ति तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥ 16 ॥ आपने सुग्रीवजी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया जिसके कारण वे राजा बने। भगवान श्रीराम सुग्रीव मैत्री के स्थापन में हनुमानजी की मुख्य भुमिका थी। यदि सुग्रीव को हनुमान जैसे कुशल, दूरदर्शी, मंत्री का सानिध्य प्राप्त नहीं होता कभी स्वप्न में भी बलशाली बालि के रहते सुग्रीव को किष्किन्धा का राज्य, अपहृत पत्नी और राज्य वैभव प्राप्त होता। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की पंद्रहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - बाण की खोज

    Play Episode Listen Later Feb 9, 2021 5:52


    हनुमान चालीसा की पंद्रहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - बाण की खोज यम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥ 15 ॥ तुलसीदासजी लिखते है कि स्वयं धर्मात्मा यमराज, कुबेर, सभी दिक्पाल, पंडित कवि ये सभी हनुमानजी के गुणों का तथा निर्मल यश का गुणगान करते हैं। इन सभी को हनुमत चरित्र सुंदर, आकर्षक, दिव्य एवं भव्य लगा तथा उन्होने हनुमानजी में अनन्त गुण देखे इसीलिए वे कहते हैं कि हम भी हनुमानजी के गुणों का पूरी तरह से वर्णन नहीं कर सकते।

    हनुमान चालीसा की चौदहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - बही खाता

    Play Episode Listen Later Feb 8, 2021 4:31


    हनुमान चालीसा की चौदहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - बही खाता सनकादिक ब्रम्हादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा ॥ 14 ॥ तुलसीदासजी यहाँ पर यह कहना चाहते हैं कि श्री हनुमानजी की प्रशंसा केवल भगवान राम ने ही नहीं की अपितु सृष्टि के ब्रम्हाजी द्वारा उत्पन्न मानस पुत्र सनकादिक मुनि भगवान के मन के अवतार श्री नारदजी तथा आदि शक्ति माता सरस्वती जी इत्यादि सभी हनुमानजी के गुणों का गुणगान करते हैं।

    हनुमान चालीसा की तेरहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा भ्रम टूट गया

    Play Episode Listen Later Feb 6, 2021 4:31


    हनुमान चालीसा की तेरहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा भ्रम टूट गया सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ 13 ॥ श्रीराम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। जिस प्रकार भगवान श्रीराम और भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लेकर इस सृष्टि में आकर इसकी महिमा बढायी। उसी प्रकार श्री हनुमानजी ने भक्ति की महिमा बढाई, इसीलिए ऐसे भगवान के परम भक्त के यश की सारा संसार प्रशंसा करता है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की बारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - केले का पता

    Play Episode Listen Later Feb 5, 2021 5:09


    हनुमान चालीसा की बारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा - केले का पता रघुपति कीन्ही बहुत बडाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ 12 ॥ तुलसीदासजी लिखते हैं कि हनुमान जी की प्रशंसा करते हुए भगवान कहते हैं कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो यानी तुम मेरे हो यह भगवान अपने मुख से भक्त के लिये कहना यह भक्ति का अन्तिम फल है। हनुमान जी भगवान का कार्य करने को हमेशा आतुर रहते हैं।भगवान, मै तुम्हारा हूँ इस स्थिति पर पहुँचना हो तो उसके लिये साधना कौन सी है? #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की ग्यारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - राम नाम

    Play Episode Listen Later Feb 4, 2021 4:28


    हनुमान चालीसा की ग्यारहवीं चौपाई का हिंदी अर्थ हनुमान कथा - राम नाम लाय सजीवन लखन जिवाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥ 11 ॥ हे हनुमानजी आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवित कर दिया | जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको अपने हृदय से लगा लिया। जिस प्रकार मनुष्य के साथ उसकी छाया का होना निश्चित है, उसी प्रकार रामजी के आते ही लक्ष्मण जी और का आना हनुमान जी का आना अनिवार्य ही है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की दसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा अमृत बूटी

    Play Episode Listen Later Feb 3, 2021 4:25


    हनुमान चालीसा की दसवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा अमृत बूटी भीम रुप धरि असुर संहारे। "रामचंद्र के काज संवारे ॥ 10 ॥ आपने विकराल रुप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्धेश्यों को सफल बनाने में सहयोग दिया। यहाँ पर तुलसीदासजी का लिखने का अभिप्राय यह है कि हनुमानजी भगवान का कार्य करते थे, तथा कार्य करते समय उसमें आसुरी वृत्ति के लोग बाधा उत्पन्न करते थे तो उनका उन्होने संहार किया। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की नौवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा लंका दहन

    Play Episode Listen Later Feb 2, 2021 4:21


    तुलसीदास जी लिखते है हनुमान जी ने सीता माता को अपना छोटा रुप दिखाया इसका तात्पर्य यह है कि जीव कितना ही बडा क्यों न हो परन्तु माता के सामने उसे छोटा ही होना चाहिए।तथा उन्होने आगे लिखा है बिकट रुप धरि लंक जरावा अर्थात जीव भले ही सूक्ष्म हो परंतु उसमें अपार शक्ति होती है तथा उस शक्ति का उपयोग भगवान का साधन बनकर बडे से बडा काम कर सकता है। सूक्ष्म रुप धरि सियहिं देखावा। बिकट रुप धरि लंक जरावा ॥ 9 ॥ #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की आठवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा राम दर्शन

    Play Episode Listen Later Feb 1, 2021 5:25


    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया ॥ 8 ॥ आप श्रीराम के चरित्र सुनने में आनन्द रस लेते हैं तथा श्रीराम सीता और लक्ष्मण आपके हृदय में बसते हैं। भगवान की कथा में प्रेम होना भक्ति का एक लक्षण है।हनुमानजी का श्री राम कथा नुराग पराकाष्ठा को प्राप्त है जिस की कोई सीमा नहीं है । सच तो यह है कि श्री हनुमानजी ने श्रीराम कथा को जीवन धारा ही बना लिया हैं।

    हनुमान चालीसा की सातवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा विद्या प्राप्ति

    Play Episode Listen Later Jan 30, 2021 5:58


    हनुमान चालीसा की सातवीं चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा विद्या प्राप्ति विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर ॥ 07॥ हे शंकर के अवतार, हे केशरी नन्दन, आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। श्री हनुमानजी के शंकर सुवन, रुद्रावतार या रुद के अंश से उत्पन्न होने के सम्बंध में अनेक कथाएँ मिलती है। एक बार शिवजी ने श्री रामचन्द्रजी की स्तुति की और यह वर मांगा कि हे प्रभो, मैं दास के भाव से आपकी सेवा करना चाहता हूँ , इसलिए कृप्या मेरे इस मनोरथ को पूर्ण किजिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की छठी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमद रामायण

    Play Episode Listen Later Jan 29, 2021 5:28


    हनुमान चालीसा की छठी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमद रामायण शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ 6॥ हे शंकर के अवतार, हे केशरी नन्दन, आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। श्री हनुमानजी के शंकर सुवन, रुद्रावतार या रुद के अंश से उत्पन्न होने के सम्बंध में अनेक कथाएँ मिलती है। एक बार शिवजी ने श्री रामचन्द्रजी की स्तुति की और यह वर मांगा कि हे प्रभो, मैं दास के भाव से आपकी सेवा करना चाहता हूँ , इसलिए कृप्या मेरे इस मनोरथ को पूर्ण किजिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की पांचवी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा उपनयन संस्कार |

    Play Episode Listen Later Jan 28, 2021 5:18


    हनुमान चालीसा की पांचवी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा उपनयन संस्कार | हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेउ साजै ॥5॥ आपके हाथ में बज्र और ध्वजा हैं तथा कांधे पर मूंज जनेऊ की शोभा है। तुलसीदासजी यहाँ हनुमानजी के स्वरुप का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि श्री हनुमानजी का हाथ वज्र के समान है तथा उनके हाथ में रामनाम की ध्वजा है। इसका संकेत यह है कि हमें भी हनुमानजी की तरह प्रभु कार्य के लिए वचनबद्ध प्रण लेकर प्रभु नाम और काम की ध्वजा हाथ मे लेनी चाहिए। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर

    Play Episode Listen Later Jan 27, 2021 5:29


    हनुमान चालीसा की चौथी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा हनुमान जी को क्यों पसंद हैं सिंदूर कंचन बरन बिराज सुवेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ॥4॥ तुलसीदासजी जैसे संत जब भगवान का ध्यान करते है, समाधी लगाते है | तब वे समाधी मे तल्लीन हो जाते है तथा उनको भगवान का शरीर, आभूषण, कुण्डल, केस इत्यादि सब सुन्दर लगते है। हमारे जैसे सामान्य इन्सान भी जब प्रेम करते है, उस वक़्त हमें भी उसकी आँख, नाक, कान, सुन्दर लगते हैं। यहाँ तुलसीदासजी वर्णन करते है कि हनुमान जी का शरीर सोने की तरह चमक रहा है |कानों मे कुण्डल शेभायमान है, तथा बल घुंघराले हैं। जिसका जीवन सरल और सुन्दर होता है | हो कुछ भी धारण करे वह सुन्दर ही लगता है।

    हनुमान चालीसा की तीसरी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा संगत का असर

    Play Episode Listen Later Jan 25, 2021 4:40


    महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी ॥3॥ तुलसीदासजी लिखते हैं हनुमानजी कैसे हैं महावीर बिक्रम बजरंगी हनुमानजी वीरता की साक्षात् प्रतीमा एवं शक्ति तथा बल पराक्रम की जीवंत मूर्ति है। भारतीय मल्लविद्या के ये ही परम इष्ट है, आप कभी अखाडों मे जायँ तो वहाँ आपको महावीर की प्रतीमा अवश्य मिलेगी। उनके चरणों का स्पर्श करके ही पहलवान अपना कार्य प्रारंभ करते है। जिसमें पांच प्रकार की वीरता हो उसे वीर कहते हैं #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की दूसरी चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा भगवान का कार्य

    Play Episode Listen Later Jan 23, 2021 7:00


    राम दूत अतुलित बल-धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ 2॥ अंजनी नन्दन श्री रामदूत आपके समान दूसरा कोई बलवान नहीं है। पवनपुत्र श्री हनुमान जी के लिये अनेक भक्तों और कवियों ने अनेक प्रकार के गुण सूचक नाम का प्रयोग किया है। उन्हे अतुलित बलधाम, स्वर्ण पर्वत के समान चमचमाते शरीर वाला, और वायु का पुत्र, ज्ञानियों मे सबसे प्रथम कहा गया है ।संपूर्ण गुणों के से युक्त , वानरों के राजा और श्रीराम का श्रेष्ठ दूत कहा गया है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा की पहली चौपाई का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा श्री राम दूत की पदवी

    Play Episode Listen Later Jan 22, 2021 5:25


    जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिंहुँ लोक उजागर॥1॥ श्री हनुमानजी आपका ज्ञान और गुण अथाह है।आपकी जय , तीनों लोकों स्वर्ग-लोक, भू-लोक, और पाताल-लोक में आपकी कीर्ति और यश फला हुआ है। भगवान और उनके भक्तों के गुणों का वर्णन कोई मनुष्य कैसे कर सकता है।जो महापुरुष हो गये हैं, उन्हे गुणों की भूख रहती थी, उन्हे ऐसा लगता था कि जब भगवान के पास जाऊँगा तब सभी अच्छे गुणों को धारण कर जाऊँगा। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा के दूसरा दोहा का हिंदी अर्थ | हनुमान कथा सफलता का कारण विनम्रता

    Play Episode Listen Later Jan 21, 2021 5:11


    बुद्धिहिन तनु जानिके सुमिरों पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेस विकार॥ हनुमान चालीया के प्रारंभ में गु़रू वन्दना करने के पश्चात् उन्होने हनुमानजी की वन्दना करते हुए राम चरित्र लिखने का संकल्प किया है। तुलसीदासजी ने अपना संकल्प हनुमानजी को बता चुके हैं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है, मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दु:ख व दोषों का नाश कर दीजिए।

    हनुमान चालीसा के पहले दोहा का हिंदी अर्थ हनुमान कथा गुरु की महिमा

    Play Episode Listen Later Jan 20, 2021 4:19


    श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारी। बरनऊं रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चारि॥ तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु वंदना से कि है, हमारी संस्कृति में गुरु को बहुत अधिक सम्मान दिया गया है। अज्ञान के अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश जलाने वाले गुरु होते है। जीवनहीन और पशुतुल्य बने मानव को देवत्व की ओर ले जाने के लिए जिस व्यक्ति की आवश्यकता रहती है वह गुरु ही है। #HanumanChalisa #HanumanKatha

    हनुमान चालीसा का हिंदी अर्थ | हनुमान जन्म कथा

    Play Episode Listen Later Jan 19, 2021 6:52


    हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं, सब रटा रटाया. क्या हमें चालीसा पढते समय पता भी होता है, कि हम हनुमानजी से क्या मांग रहे हैं? या फिर बस रटा रटाया बोलते जाते हैं. फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो. श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित

    शिव पुत्र जलंधर | तुलसी और शालिग्राम का विवाह

    Play Episode Listen Later Dec 7, 2020 4:46


    वृंदा ही तुलसी थी, जिसे भगवान गणेश ने असुर से शादी का श्राप दिया था. भगवान शिव के गणेश और कार्तिकेय के अलावा एक और पुत्र थे, जिनका नाम था जलंधर, वो सुर प्रवत्ति का था. वह खुद को सभी देवताओं से ज्यादा शक्तिशाली समझता था उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह विजयी बना हुआ था।

    क्यों गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है

    Play Episode Listen Later Nov 18, 2020 3:14


    भगवान् गणेश जो प्रत्येक कार्य में और प्रत्येक पूजा में सर्वप्रथम पूजे जाते है| जो तुलसी पत्र भगवान् विष्णु को अत्यंत प्रिय है , वही तुलसी पत्र भगवान् गणेश को इतनी अप्रिय क्यों है आखिर क्यों गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है. आइए जानते हैं इस की पौराणिक कथा

    करमा बाई रो खीचड़ो

    Play Episode Listen Later Nov 2, 2020 5:21


    जगन्नाथपुरी धाम में आज भी ठाकुर जी को सर्वप्रथम मारवाड़ की करमा बाई की रसोई का भोग लगता है। जगन्नाथपुरी रथयात्रा के रथ में ठाकुर जी की मूर्ति के साथ करमा बाईसा की मूर्ति विद्यमान रहती है बिना करमा बाईसा की मूर्ति रथ में रखे, रथ हिलता भी नहीं है

    अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम

    Play Episode Listen Later Oct 19, 2020 6:10


    अजगर एक विशालकाय और आलसी जानवर के रूप में जाना जाता है, जो कोई काम नहीं करता है,उसी तरह पंक्षी भी कोई काम नहीं करता है।क्योंकि उनके लिए ईश्वर हैं जो उनके जीवन यापन की व्यवस्था करते हैं। अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम, दास मलूका कह गए, सब के दाता राम !इस कथन के पीछे मलूका दास के नास्तिक से आस्तिक बनने की कहानी है,

    vidhi ka vidhan | विधि का विधान |

    Play Episode Listen Later Oct 12, 2020 4:39


    विधि शब्द अपने आप में ही विधाता से जुड़ा हुआ शब्द है। आध्यात्मिक जगत में जीवन एवं मृत्यु विधाता के द्वारा बनाया हुआ कानून है स्वयं मधुसूदन ने कहा है मैं विधाता होकर भी विधि के विधान को नही टाल सकता मेरी चाह राधा थी, चाहती मुझको मीरा थी, परंतु मेरा विवाह रुक्मणी से हुआ विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता |

    God is Listening | Law of Nature | भगवान सुन रहे है | Bhagwan Sunte Hai | प्रकृति के कड़वे नियम |

    Play Episode Listen Later Oct 5, 2020 4:04


    जब मीराबाई भगवान कृष्ण के लिए गाती थी | जब सूरदास जी भक्ति भाव में डूबकर करते थे उस वक्त भी भगवान उन्हें बड़े ध्यान से सुन रहे थे | यदि आपको लगता है की आपकी पुकार भगवान नहीं सुन रहे तो ये आपका वहम है | आइए इस कथा से समझते हैं

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