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इस खास सेगमेंट में कविता के माध्यम हम गंभीर बातों को आप तक पहुंचाते है.

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    • Mar 5, 2018 LATEST EPISODE
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    Latest episodes from Masala Chai

    एक गोभक्त से भेंट

    Play Episode Listen Later Mar 5, 2018 18:19


    सुनिए परसाई के रचना संग्रह निठल्ले की डायरी का एक अंश

    बस एक बार मुझको सरकार बनाने दो

    Play Episode Listen Later Feb 19, 2018 10:34


    प्रधानसेवक के झकाझक भाषणों से देश की सारी समस्याएं हल हो जाने वाली हैं और कुछ करने की ज़रुरत ही नहीं है लोग मस्त रहें पकोड़े छानें

    लौटती बारात बहुत ख़तरनाक होती है भैया

    Play Episode Listen Later Feb 19, 2018 16:22


    सुनिए परसाई का व्यंग्य

    हम तो प्यार करते रहेंगे, तुम्हारी ऐसी की तैसी

    Play Episode Listen Later Feb 19, 2018 10:37


    आप चाहें तो प्रेम कर लीजिये, आप चाहें तो लव कर लीजिये प्रेम न भाषा देखता है न देशी-विदेशी देखता है, प्रेम सरहदें नहीं देखता, प्रेम धर्म नहीं देखता, प्रेम में सियासत घुसेड़ने वालों हम तप प्रेम करते रहेंगे तुम्हारी ऐसी की तैसी.

    इसका बजट से कोई लेना देना नहीं है

    Play Episode Listen Later Feb 12, 2018 16:29


    इब्ने इंशा की किताब 'उर्दू की आख़िरी किताब' के कुछ अंश

    जानवाधिकार आयोग

    Play Episode Listen Later Jan 24, 2018 14:40


     हरियाणा के सुप्रसिद्ध हास्य रचनाकार अरुण जैमिनी की मारक रचना सुनिये

    अजीब आदमी था वो मोहब्बतों की बात करता था

    Play Episode Listen Later Jan 12, 2018 10:45


    कई बार कुछ बातों का मतलब सिर्फ़ उतना ही नहीं होता जितना कि फ़ौरी तौर पर दिख रहा होता है कई बार कुछ बातों के मानी बहुत विशाल होते हैं यही खासियत है जावेद साहब की कलम में.

    ये चाल सियासत की है...

    Play Episode Listen Later Jan 8, 2018 10:03


    सियासत के खेल से पर्दा उठती जावेद साहब की ये रचना सुनिए.

    सारी हवाएं चलने से पहले बताएं...

    Play Episode Listen Later Jan 8, 2018 15:17


    सुनिए जावेद अख्तर साहब की बेहतरीन रचनाएं

    माँ मैं जोगी के साथ जाउंगी

    Play Episode Listen Later Jan 6, 2018 8:02


    तुमने बहुत सहा है / तुमने जाना है किस तरह स्त्री का कलेजा पत्थर हो जाता है / किस तरह स्त्री पत्थर हो जाती है / महल अटारी में सजाने लायक / मैं एक हाड़ मांस की स्त्री नहीं हो पाउंगी पत्थर / न ही माल असबाब / तुम डोली सजा देना / उसमें काठ की एक पुतली रख देना / उसे चूनर भी ओढ़ा देना / और उनसे कहना लो ये रही तुम्हारी दुल्हन / मैं तो जोगी के साथ जाउंगी माँ

    सिर्फ़ अच्छा अच्छा याद रखने से काम नहीं चलेगा

    Play Episode Listen Later Jan 2, 2018 11:34


    साल 2017 ख़त्म हो रहा है लोग आंकलन करेंगे कि क्या पाया क्या खोया लेकिन इस आंकलन में हम अक्सर अच्छा अच्छा याद करते रह जाते हैं जो बुरा और ग़लत हुआ उससे सबक लेना भूल जाते हैं.

    और कैलेण्डर बदल दिए जाएंगे

    Play Episode Listen Later Jan 2, 2018 9:38


    जाते साल को विदा है और आते साल का स्वागत है

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