Kalam Bolti Hai

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Hamare aaspaas bahut si kahaniyaan hain . Kahi mulyon se jodti to kahi bikhrav se jhanjhorti hain ye kahaniyan... Jo Dil Ko chho jaye....vahi hai meri Kalam ka prayas ...

Paramjit kaur


    • Aug 2, 2021 LATEST EPISODE
    • infrequent NEW EPISODES
    • 11m AVG DURATION
    • 31 EPISODES


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    Latest episodes from Kalam Bolti Hai

    दोस्ती.. एक अहसास! written and narrated by Paramjit kaur

    Play Episode Listen Later Aug 2, 2021 2:43


    इस भागती -दौड़ती ज़िंदगी में बहुमूल्य है दोस्ती, जो अकेले में भी चेहरे पर मुस्कान ले आए, वही तो है दोस्ती...!

    ईदगाह -मुंशी प्रेमचंद

    Play Episode Listen Later Jul 22, 2021 33:24


    अमर कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी ने इस कहानी में एक बच्चे की भावनाओं को जिस प्रकार पेश किया है.. वह बेमिसाल है। हर बार यह कहानी नई अनुभूति देती है।

    एक सफ़र -मजरूह सुल्तानपुरी के साथ Poets & Poetries with Paramjit kaur

    Play Episode Listen Later Jul 2, 2021 11:25


    रुक जाना नहीं ..तू कहीं हार के कांटों पे चल के.. मिलेंगे साये बहार के कलम की स्याही से गीत, गज़ल और शेर-ओ-शायरी की दुनिया में राज करने वाले .. मजरूह सुल्तानपुरी जिनके गीत आज भी फिज़ा में बिखरते हैं, गाए-गुनगुनाए जाते हैं।

    मैं ही कश्ती हूं, मुझी में है समुंदर मेरा! निदा फ़ाज़ली

    Play Episode Listen Later Jun 22, 2021 8:20


    Poet & Poetries with Paramjit kaur

    कविता-तुम मुझको कब तक रोकोगे..!

    Play Episode Listen Later Jun 17, 2021 50:59


    राजेश तेलंग जी द्वारा रचित यह कविता जीवन में हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

    संतुलन

    Play Episode Listen Later Jun 11, 2021 3:07


    जो तबाही हमें रुलाती है, उसकी आहट पर प्रकृति उदास हो जाती है। बाढ़, सूखा, तूफ़ान देख कर भी क्यों हम समझ नहीं पाते..? वर्ष भर उसका दोहन कर, पर्यावरण के नाम पर एक दिवस मना अपना अधिकार जताते हैं। ज़रूरी है विकास के साथ पर्यावरण में संतुलन बनाना।

    पुरूषत्व की परिभाषा..!

    Play Episode Listen Later May 16, 2021 3:12


    अपने अंदर अनगिनत रंगों को समेटकर भी, क्यों आज भी वह सिमट जाती है...? परमजीत कौर

    कविता -ज़िंदगी हार नहीं मानती..! परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Apr 28, 2021 3:02


    जीवन में परिस्थितियाँ कैसी भी हों, ज़रूरी है अपना संयम न खोना! जीवन में हारता वही है, जो सामना नहीं करता।

    मिट्टी की पहचान (कविता) -परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Jan 1, 2021 5:34


    इस कविता में सड़कों पर खड़े किसान का दर्द बयां करने का प्रयास किया है।

    वीर (कविता)- रामधारी सिंह दिनकर। वाचन- परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Dec 27, 2020 4:22


    जीवन के संघर्ष ही हमें , हमारी स्थिति का अहसास कराते हैं । कायरता और बहादुरी दोनों हमारे अंदर ही हैं । यह हम पर निर्भर है कि हम किसे चुनते हैं। राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा लिखी , कविता 'वीर 'सभी वीरों को समर्पित है ।

    दूरी (लघु कथा)- परमजीत कौर(लेखन व वाचन)

    Play Episode Listen Later Dec 26, 2020 4:11


    यह जीवन रंगमंच है । हम देखते है , अपने किरदार के साथ ,ऐसे बहुत से पात्र, जो ,इस रंगमंच का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद सीमाओं में बंधे हैं या बांध दिये गए हैं । समाज को परिभाषित करती , यह हकीकत है , ये दूरियाँ , ये फ़ासले , कुछ लुटाते हैं , खुशियाँ मनाने में , वे लुटते हैं , पेट की भूख मिटाने में ! ©परमजीत कौर

    सत्य विचलित नहीं होता (कविता)- परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Dec 20, 2020 4:40


    अक्सर ,जो दिखता है, वह पूरा सत्य नहीं होता, क्योंकि ,सत्य विचलित नहीं होता ! ऐसा ही होता आया है, यह सोच कर , गलत होते देख कर भी ,मुँह मोड़ लेना ! कितना सही है ? बहाव में बह जाना और प्रश्न करने से कतराना -2 बिना सोचे समझे किसी के साँचे में ढल जाना !-2 आज ज़रूरत है , अपने आप से सवाल करने की ।

    गजानन माधव मुक्तिबोध -मुझे कदम कदम पर वाचन- परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Dec 13, 2020 29:53


    गजानन माधव मुक्तिबोध नई कविता के सशक्त कवि हैं। उनके अनुसार, आज के रचनाकार की समस्या विषयों की कमी नहीं है। विषय अनेक हैं, मगर उनका सही चुनाव अपने आप में गंभीर और चुनौती पूर्ण है।

    महाकवि दुष्यंत कुमार -"मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ.. स्वर परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Dec 6, 2020 10:20


    "मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ।" ग़ज़ल सम्राट दुष्यंत कुमार जी पहले ऐसे ग़ज़लकार हैं, जिन्होंने ग़ज़ल को हिंदी में स्थापित करने का न केवल सफल प्रयास किया बल्कि युग की धड़कनों से जोड़ा । दुष्यंत जी के काव्य में शब्दों के प्रयोग और सोच दोनों ही में असाधारण नवीनता थी। इस एपिसोड में उनकी ग़ज़ल के कुछ पहलुओं की झलक दिखाने का प्रयास किया है।

    उषा प्रियंवदा -वापसी स्वर -परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Dec 2, 2020 10:20


    लेखिका ने इस कहानी में गजाधर बाबू के रूप में नौकरी से सेवानिवृत्त हो कर घर लौटे पुरुष मन की व्यथा का चित्रण किया है। परिवार से जुड़ कर जीने की इच्छा को मन में लिए ,घर लौटे तो हैं फिर भी परिवार के बीच अकेले जीने पर विवश हैं । मजबूरी में उन्हें दूसरी नौकरी के लिए जाना पड़ा |

    अवतार सिंह 'पाश' की कविता -मेहनत की लूट

    Play Episode Listen Later Nov 28, 2020 4:56


    अवतार सिंह 'पाश' सत्तर के दशक में पंजाबी काव्य जगत के रौशन सितारा थे। वह अपने समाज और अपनी ज़मीन से सीधे जुड़े कवि थे। इस कविता के अनुसार मानव जीवन में सबसे बुरा तब होता है जब वह बिना सपनों, आकांक्षाओं के जीवन जीता रहे।

    भीष्म साहनी- फ़ैसला Storytelling and podcast - Paramjit

    Play Episode Listen Later Nov 25, 2020 15:42


    हिंदी साहित्य में सशक्त अभिव्यक्ति और बेहद सादगी पसंद रचनाकार भीष्म साहनी की रचना फ़ैसला' यह सीख देती है- समाज में व्यवहार के नाम पर अपने अस्तित्व का सौदा करें या नहीं, यह हम पर निर्भर है।

    मुंशी प्रेमचंद -( कहानी )कायर स्वर- परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Nov 20, 2020 22:07


    प्रेमचंद जी की कहानी- कायर उस सोच को उजागर करती है,जहाँ, प्यार के बड़े -बड़े तर्क वास्तविकता का सामना करने से कतराते हैं।

    मुंशी प्रेमचंद (लेखक) -कहानी-स्त्री और पुरुष स्वर- परमजीत कौर

    Play Episode Listen Later Nov 17, 2020 13:45


    मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी कहानी 'स्त्री और पुरुष 'न केवल एक सोच को उजागर करती है बल्कि वास्तविक सुंदरता से भी परिचित करवाती है।

    अमृता प्रीतम अक्षरों के साये भाग-6

    Play Episode Listen Later Nov 11, 2020 9:48


    अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना। यह एक प्रयास है, उनकी आत्मकथा 'अक्षरों के साये' एक अंतर्यात्रा के ज़रिए, न केवल उनकी शख्सियत से रूबरू करवाना है, बल्कि उनके शब्दों की गहराई को महसूस करना है। दिल से दिल तक के इस सफ़र को परमजीत कौर ने अपनी आवाज़ दी है।

    अमृता प्रीतम की आत्मकथा -अक्षरों के साये (भाग-5)

    Play Episode Listen Later Nov 6, 2020 11:11


    अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना।

    अमृता प्रीतम- अक्षरों के साये (भाग-4)

    Play Episode Listen Later Nov 3, 2020 12:57


    अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना।

    अमृता प्रीतम-अक्षरों के साये'- भाग-3

    Play Episode Listen Later Oct 31, 2020 16:45


    'अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। मुहब्बत की दुनिया में आज भी अमृता प्रीतम का नाम अमर है। प्यार में डूबी अमृता की कलम से उतरे शब्द ऐसे हैं जैसे चांदनी को अपनी हथेलियों के बीच बांध लेना।

    अमृता प्रीतम-'अक्षरों के साये' (भाग-2)

    Play Episode Listen Later Oct 28, 2020 13:55


    'अक्षरों के साये'-साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत 'अमृता प्रीतम जी 'की आत्मकथा है। '

    अक्षरों के साये -अमृता प्रीतम

    Play Episode Listen Later Oct 27, 2020 13:48


    'अक्षरों के साये' साहित्य जगत की रूमानी शख्सियत की आत्मकथा की अंतर्यात्रा है।

    जीवन नहीं मरा करता है-(श्री गोपाल दास नीरज)

    Play Episode Listen Later Oct 23, 2020 4:24


    यह कविता जीवन में कभी हार न मानने का हौंसला देती है।

    [कहानी -जामुन का पेड़ (लेखक -कृष्ण चंदर)

    Play Episode Listen Later Oct 21, 2020 14:43


    'जामुन का पेड़ ' प्रसिद्ध कथाकार कृष्ण चंदर जी द्वारा लिखी गई एक हास्य -व्यंग्य रचना है।

    इंसानों की भीड़ में इंसान

    Play Episode Listen Later Oct 20, 2020 6:20


    कई बार हमारे आस -पास ऐसी कुछ घटनाएँ होती हैं ,जो हमें इंसानियत से रूबरू करवा दिल को भिगो देती हैं यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है , जहाँ कुछ लोगों ने अपनी समझदारी से इंसानियत को गौरवान्वित किया । जिसे मेरी कलम ने पंक्तिबद्ध किया है ।

    पानी के बुलबुले से शब्द..!

    Play Episode Listen Later Oct 18, 2020 2:54


    हम अक्सर अपने शब्दों पर पाबंदियां लगा, उन्हें ख़ामोश कर देते हैं, बाद में अहसास होता है, यदि पहले सुन लेते तो अच्छा था।

    कोई हमें पढ़ाने क्यों नहीं आता?

    Play Episode Listen Later Oct 14, 2020 3:02


    यह कहानी गाँव के उन बच्चों की है जो इस महामारी के दौर में स्कूल खुलने की आस लगाए बैठे हैं। आज हर जगह वर्चुअल क्लासेज़ की चर्चा है... मगर हकीकत में हम कहाँ हैं..?

    प्रश्न नहीं, परिभाषा बदलनी होगी!

    Play Episode Listen Later Oct 13, 2020 1:44


    जिसके विशाल ह्रदय में जज़्बातों का अथाह सागर ! जैसे संपूर्ण सृष्टि की भावनाओं का प्रतिबिंब! उसके व्यक्तित्व की गहराई में कुछ रंग बिखर गए हैं। सदियों से आज भी जूझती है, वह अपने आत्मसम्मान के लिए!

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