Naami Giraami is a Hindi podcast by Aaj Tak Radio on biographies of influential and powerful people. Audio packages on Stories and life journeys of famous personalities of India and around the world. Catch up with a new episode every Monday. नायक और खलनायक. विद्वान और महारथी. कला के ऐसे सितारे जो अब भी आसमान में चमकते हैं. और ऐसी हस्तियां जो इतिहास में अमर हैं. उजले व्यक्तित्व के धनी भी. और स्याह पहलुओं वाले लोग भी. ये वो लोग हैं जो मशहूर हैं. ये हैं, नामी गिरामी. सुनिए, हर सोमवार आज तक रेडियो पर.
आज़ादी के आंदोलन से निकले, बहुआयामी प्रतिभा के धनी राममनोहर लोहिया पक्के कांग्रेसी हुआ करते थे. फिर वह गैर-कांग्रेसवाद के पर्याय कैसे बने? पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनकी राजनीतिक कशमकश क्यों चलती थी? नामी गिरामी में इस बार समाजवाद की एक नायाब परिभाषा गढ़ने वाले प्रखर चिंतक राम मनोहर लोहिया की कहानी सुनिए अमन गुप्ता से.
उमर शरीफ़ पाकिस्तान के जाने माने कमेडियन थे और उनके चाहने वाले पूरे उपमहाद्वीप में मिल जाएंगे. उनके मज़ाकिया अंदाज़ को आज के कमेडियन फॉलो करते हैं. कहते हैं वो पाकिस्तान में चुटकुला कहते थे और कहकहे भारत में लगते थे. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ सुनिए कॉमेडी किंग उमर शरीफ़ का सफ़रनामा.
सत्ता के बेहद करीब रहकर भी व्यक्तिगत तौर पर हमेशा ईमानदार रहे के कामराज यानी कुमारस्वामी कामराज भारतीय राजनीति में एक अद्भुत घटना थे. कोई उन्हें पॉलिटिकल मैनेजमेंट का उस्ताद कहता है, कोई उन्हें किंगमेकर कहता है. देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले कामराज ने नेहरू युग के बाद भारतीय राजनीति की दशा और दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता से सुनिए उनकी कहानी. प्रोड्यूसर: शुभम तिवारी साउंड मिक्सिंग: अमृत रेगी
आज़ादी की लड़ाई में मैडम भीकाजी कामा का नाम एक ऐसी महिला क्रांतिकारी के रूप में दर्ज है, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूती दिलाई. वो खुलकर हिंसक आंदोलन की हिमायत करती थीं. सुनिए 'नामी गिरामी' में उनका सफ़रनामा अमन गुप्ता के साथ.
'काका हाथरसी' ऐसे जनकवि हैं,जो व्यवस्था और उसे चलाने वालों पर कविता की चाशनी में लिपटे ऐसे तीखे व्यंग्य बाण छोड़ते थे कि जिस पर निशाना साधा जा रहा था, उसको भी मुस्कुराना ही पड़ता था. आम से लेकर ख़ास आदमी किसी को वो नहीं छोड़ते थे. काका हिंदी विधा में व्यंग को लाने वाले पहले कवि माने जाते हैं. इस नामी गिरामी में अमन गुप्ता लेकर आए हैं उन्हीं का सफ़रनामा.
नूर जहां पाकिस्तान की वो फ़नकारा का थीं जो भारत में रहतीं तो लता मंगेशकर की जगह होतीं. वे ऐसी साहसी कलाकार भी थीं जिन्होंने सरकार के कार्यक्रम में फ़ैज़ की नज़्म सुनाने की हिम्मत की जिनसे सरकार नफ़रत करती थीं. और गाने के साथ-साथ उन्होंने अपने अभिनय से भी लोगों को मुरीद बना लिया. सुनिए उन्हीं नूर जहां का सफ़रनामा अमन गुप्ता के साथ.
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और विचारक थे. उन्हें भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त है. उनके जीवन से जुडे़ प्रसंग 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में लेकर आए हैं अमन गुप्ता. प्रोड्यूसर: शुभम तिवारी साउंड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदी
16वीं शताब्दी में राजस्थान के शाही परिवार में जन्मी मीरा बाई सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहस्यवादी कवयित्री थीं. उन्होंने हिंदी साहित्य के स्वर्णिम युग को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया और जिस श्रद्धा-प्रेम से भगवान कृष्ण की भक्ति की वैसी न किसी ने उनसे पहले की और न उनके बाद. नामी गिरामी के इस एपिसोड में अमन गुप्ता लेकर आए हैं कहानी कृष्ण को भगवान से बढ़कर मानने वाली मीराबाई की.
13वीं सदी की शुरुआत में उत्तर-पश्चिमी एशिया में छोटे से कबीले से निकले चंगेज़ ख़ान को दुनिया एक क्रूर शासक के तौर पर जानती है. उसने लाशों के ढेर पर चढ़कर विजय पताकाएं फ़हराईं और दुनिया के कम से कम पांचवे हिस्से तक अपना कब्ज़ा कर लिया. उसके सामने चीन के बड़े बड़े वंश तक झुक गए थे. अमन गुप्ता से सुनिए उसी चंगेज़ ख़ान की कहानी जिसे कोई शैतान मानता है तो कोई मसीहा. प्रोड्यूसर: शुभम तिवारी साउंड मिक्सिंग: अमृत रेगी
अरविंद घोष को उनके पिता 'अंग्रेज़' बना देना चाहते थे. लेकिन उनसे देशवासियों का दर्द देखा नहीं गया. देश सेवा के लिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की सबसे सम्मानित नौकरी ठुकरा दी और क्रांतिकारी बन गए. लेकिन कालांतर में इस गरम मिज़ाज के क्रांतिकारी ने अध्यात्म की राह क्यों चुनी और उनके नाम से महर्षि कैसे जुड़ गया, 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में सुनिए अमन गुप्ता से.
शिवमंगल सिंह सुमन हिंदी साहित्य में एक जाना-माना नाम है. प्रगतिशील लेखन के अग्रणी कवि सुमन स्वतंत्रता, देशभक्ति और स्वाभिमान पर काफी ओजस्वी रहे हैं. उन्हें दिनकर, नागार्जुन जैसे कई नामचीन और बड़े कवियों के समकक्ष खड़ा किया जाता है. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता लेकर आए हैं उन्हीं का सफ़रनामा.
वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने श्रीलंका में तमिलों की आवाज़ उठाई लेकिन इस आवाज़ की आड़ में जमकर आतंक का शोर भी मचाया. उसके संगठन LTTE ने भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी, श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा समेत न जाने कितने ही लोगों की हत्या की है, बावजूद इसके श्रीलंकाई तमिलों में उसे एक शहीद के रूप में देखा जाता है, लेकिन ज्यादातर आलोचक उसे कुख्यात और परिष्कृत विद्रोही ही मानते हैं. नामी गिरामी के इस एपिसोड में अमन गुप्ता से सुनिए प्रभाकरन और उसके संगठन के उत्थान-पतन की कहानी.
28 जनवरी, 1865 को पंजाब के फिरोज़पुर ज़िले के धुडीके गांव में पैदा हुए लाला लाजपत राय ने स्वंत्रता की लड़ाई में अहम योगदान दिया था. वे कांग्रेस के गरम दल के अहम नेता थे और उन्होंने आज़ादी के हमेशा उग्र रवैया अपनाने की हियामत की. 1928 में साइमन कमीशन का विरोध करने पर अंग्रेज़ों की लाठियों से आई गंभीर चोटों के बाद उनकी मौत हुई. और उन्हीं की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने सांडर्स की हत्या कर दी थी. सुनिए अमन गुप्ता के साथ लाला लाजपत राय पर ये ख़ास पेशकश.
98 साल का लंबा जीवन जीने के बाद बॉलीवुड का सबसे दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार 7 जुलाई को इस दुनिया से रुख़सत हो गया. उन्हें मेथड एक्टिंग का माहिर और अभिनय का स्कूल कहा जाता है. इस बार 'नामी गिरामी' में अमन गुप्ता लेकर आए हैं फ़नकार दिलीप कुमार का सफ़रनामा.
26 दिसंबर 1976 को जन्मे कैप्टन विजयंत थापर आर्मी की 2 राजपूताना राइफल रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट तैनात हुए थे. विजयंत की बटालियन ने जब 13 जून 1999 को तोलोलिंग जीता, तो वो कारगिल में हिंदुस्तानी फौज की पहली जीत थी. सुनिए उस जीत और कैप्टन विजयंत थापर के जज़्बे की कहानी अमन गुप्ता के साथ.
जॉन मैकेफ़ी, दुनिया का सबसे पहला कमर्शियल एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर बनाने वाला शख़्स. उसने बेशुमार दौलत बनाई, अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी भी ठोंकी और फिर नशे और तमाम ग़ैर क़ानूनी-ग़लत कामों के सहारे खुद को और अपने बने बनाए नाम और शोहरत को बर्बाद कर लिया. 23 जून 2021 को स्पेन के बार्सिलोना की एक जेल में जॉन मैकेफ़ी ने ख़ुदकुशी कर ली. नामी गिरामी में अमन गुप्ता से सुनिए टेक टायकून जॉन मैकेफ़ी की कहानी.
'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर रहे एथलीट मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं रहे. पाकिस्तान में पैदा हुए मिल्खा सिंह का जीवन मुश्किलों से भरा रहा. बंटवारे के दंगों में उन्होंने अपने मां-बाप खोए, जीवनयापन के लिए जूते पालिश किए, यहां तक कि ट्रेनों में चोरी की. मगर जिस पाकिस्तान ने उनसे सबकुछ छीना, उसी ने उन्हें नई पहचान भी दी. तो 'नामी गिरामी' का यह एपिसोड समर्पित है 'रफ़्तार के सरदार' मिल्खा सिंह को, जिसमें उनके जीवन के क़िस्से-कहानियां समेट कर लाए हैं अमन गुप्ता.
सुरिंदर कौर पंजाबी संगीत की दुनिया में दूसरी लता मंगेशकर कही जाती हैं. लोग उन्हें पंजाब की कोयल के नाम से जानते हैं. सुनिए उनका सफ़रनामा 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ.
शास्त्रीय गायन की दुनिया में राजन-साजन की जोड़ी को कोरोना संक्रमण ने तोड़ दिया. पं. राजन मिश्रा का 24 अप्रैल 2021 को निधन हो गया. उनके छोटे भाई साजन मिश्रा को तो ये दुख उम्र भर सालता ही रहेगा लेकिन उनके शानदार सहगायन के रसिकों जनों के लिए भी ये बहुत उदास क्षण है. वे अब इस जोड़ी को मंच पर कभी नहीं दे पाएंगे. आज नामी गिरामी में शास्त्रीय संगीत के इन दोनों ही दिग्गज़ों की बात करेंगे क्योंकि किसी एक की बात करने से बात पूरी हो ही नहीं सकती. सुनिए अमन गुप्ता की पेशकश.
कैप्टन मनोज पांडे, यूपी का 24 साल का लड़का, जो जन्म से गोरखा नहीं था लेकिन जब भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में बतौर कैप्टन पोस्टेड हुआ तो मौत का खौफ़ भी ग़ायब हो गया. कैप्टन मनोज ने कारगिल युद्ध में खालोबार पोस्ट से दुश्मनों को खदड़ने में अपनी जान की बाजी लगा दी थी. आज नामी गिरामी में अमन गुप्ता लेकर आए हैं परमवीर चक्र मनोज पांडे की कहानी.
चिपको आंदोलन के नेता और प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे. वो अपने पीछे सामाजिक संघर्षों की कई गाथाएं छोड़ गए हैं. गांधीवादी विचारों वाले बहुगुणा का जीवन समाज और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर काम करते हुए बीता और देशभर के सामाजिक कार्यकर्ता उनसे प्रेरणा पाते रहे. नामी गिरामी के इस एपिसोड में उन्हें याद कर रहे हैं अमन गुप्ता.
करुणानिधि का जन्म 3 जून 1924 को हुआ था. राजनीति में आने से पहले वे एक फिल्म पटकथा लेखक रहे. लेकिन फिल्मों की यह दुनिया उन्हें ज्यादा दिनों तक रास नहीं आई और वे दक्षिण भारत के बड़े सामाजिक प्रभाव वाले नेता बन गए. 8 दशक तक तमिल राजनीति में उनके लंबे करियर के दौरान तमाम उतार चढ़ाव आए. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता एम. करुणानिधि की कहानी लेकर आए हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह बागपत से 7 बार सांसद रहे और केंद्र में कई मंत्री पद संभाले. उनकी छवि एक कद्दावर जाट नेता की रही. सुनिए उनका सफ़रनामा नामी गिरामी के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ.
3 अप्रैल 1948 को भोपाल में जन्मे मंजूर एहतेशाम साहित्य जगत की मशहूर शख़्सियत रहे हैं. उन्होंने पांच उपन्यास समेत कई कहानियां और नाटक लिखे हैं. उन्हें साल 2003 में पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया था. अमन गुप्ता इस बार 'नामी गिरामी' में लेकर आए हैं उन्हीं का सफ़रनामा.
दुनिया भर में नर्सिंग के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए जिस महिला को याद किया जाता है. उसका नाम है फ्लोरेंस नाइटिंगेल. फ्लोरेंस संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों की ओर ध्यान दिलाकर साफ़ सफाई की महत्ता को समझाया और मार्डन नर्सिंग की नींव रखी. क्रीमियन युद्ध के बाद उन्हें सबसे ज्यादा ख्याति मिली और वे 'लेडी विद द लैंप' के नाम से मशहूर हुईं. इस 'नामी गिरामी' में 'अमन गुप्ता' लेकर आए हैं उन्हीं का सफ़रनामा.
99 साल की लंबी ज़िंदगी के बाद प्रिंस फिलिप दुनिया छोड़कर चले गए. उनकी ज़िंदगी में बहुत रंग थे. कई उतार चढ़ाव भी. नाकुछ से होकर वो बहुत कुछ हो गए. ब्रिटेन की जिस शाही पंरपरा के अस्तित्व पर दुनिया हैरान होती है वो उसकी नींव में छिपे पत्थर जैसे थे.. लेकिन इस पत्थर को जीवन की चोटों ने कैसे तराशा, सुनिए नामी गिरामी में नितिन ठाकुर से.
12 अप्रैल 1937 को पंजाब के गांव शेख़ुपुरा में गुलशन बावरा पैदा हुए. उन्हें जीवन में विभाजन की त्रासदी का ऐसा दर्द मिला जिसमें मां-बाप दोनों को खो दिया लेकिन इसे उन्होंने कभी ज़ाहिर नहीं होने दिया. उन्होंने भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री को क़रीब 250 गाने दिए और इनमें से बड़ी संख्या में सुपरहिट रहे. नामी गिरामी के इस एपिसोड में सुनिए गीतों के गुलशन को महकाने वाले बावरे गीतकार का सफ़रनामा अमन गुप्ता के साथ.
शिवाजी अपने समय से कहीं आगे की सोच रखते थे. उन्होंने स्वराज का झंडा तो बुलंद किया ही भारत की धरती पर हिंदू धर्म की पताका फ़हराई. लेकिन सच ये भी है कि शिवाजी ने कभी किसी ग़ैर धर्म का अपमान नहीं किया. नामी गिरामी के इस एपिसोड में अमन गुप्ता लेकर आए हैं मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले महान योद्धा छत्रपति शिवाजी की कहानी.
बैरकपुर में अंग्रेज़ी सेना में तैनात रहे मंगल पांडे का योगदान 1857 की क्रांति के लिए बेहद अहम माना जाता है. उनकी गोली से ही इस क्रांति को हवा मिली थी. दरअसल सेना में उन्होंने विद्रोह उस वक़्त इस्तेमाल होने वाले एक कारतूस को लेकर किया था. इसके बाद उन्हें फांसी की सज़ा सुनाई गई और 8 अप्रैल 1857 को उन्होंने वीरगति प्राप्त की. तो मंगल पांडे की जयंती पर 'नामी गिरामी' में सुनिए उनकी कहानी अमन गुप्ता के साथ.
दाग़ अपने समय और आज भी बेहद मशहूर शायर तो हैं ही पर साथ ही एक बेहतरीन आशिक़ भी. एक ऐसे आशिक़ जिसकी शायरी में दर्द और सुकून दोनों ही हैं. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के दर्दों को शायरी और ग़ज़लों में गूंथ दिया. आज 'नामी गिरामी' में अमन गुप्ता लेकर आए हैं कहानी दिल्ली के महबूब शायर, दाग़ देहलवी की.
मेजर ध्यान चंद ने कुल मिलाकर तीन ओलंपिक के 12 मैचों में 37 गोल किए और तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते. अपने पूरे हॉकी करियर में उन्होंने 1000 से भी ज्यादा गोल दागे. उन जैसा भारतीय हॉकी के इतिहास में न कोई हुआ है और न होगा. 'नामी गिरामी' में इस बार अमन गुप्ता लेकर आए हैं 'हॉकी के जादूगर' का सफ़रनामा.
साहिर लुधियानवी, वो शायर जिसे किसी ने मुहब्बत का शायर कहा तो किसी ने बग़ावत का परचम. किसी ने उसकी नज़्मों को इंक़लाब की तहरीर माना तो किसी ने रूमानियत का झोंका लेकिन हर शक्ल में साहिर लुधियानवी का रंग अपने हमवक़्त शायरों से अलग रहा. ज़ाती ज़िंदगी की तल्ख़ियों को ग़ज़ल ओ नज़्म में पिरोकर दुनिया के नाम कर देने वाले साहिर की 100वीं सालगिरह पर सुनिए 'नामी-गिरामी' का ये ख़ास एपिसोड, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
हिंदुस्तान में हास्य और व्यंग्य के सबसे बड़े हस्ताक्षरों में से एक है- कॉमेडी किंग जसपाल भट्टी का नाम. 'फ़्लॉप-शो; और 'फुल-टेंशन' जैसे शानदार धारावाहिक बनाने वाले जसपाल भट्टी की ज़िंदगी का सफ़र कैसा था? क्यों एक बार वो संसद भवन के गेट के बाहर काला सूटकेस लेकर खड़े हो गए थे? 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में सुनिए कहकहों के कलंदर जसपाल भट्टी की ज़िंदगी के कुछ सुने-अनसुने क़िस्से, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
मधुबाला बॉलीवुड की बड़ी नामचीन अभिनेत्री रहीं. एक ज़माना था जब उनकी खूबसूरती के दाद देने वालों और उनकी मुस्कुराट पर फिदा होने वालों की कमी नहीं थी. मगर दिल्ली में जन्मीं मुमताज़ जहां देहलवी के मधुबाला बनने की कहानी क्या है? उनके बारे में जिस तिलिस्म की बात की जाती है, क्या वो वाक़ई थी और निजी ज़िंदगी में वह अकेली क्यों रहीं, उनकी पुण्यतिथि पर नामी गिरामी में सुनिए कुलदीप मिश्र से.
गैलीलियो को कैथोलिक चर्च की सूर्य और अन्य ग्रहों की स्थिति को लेकर धारणाओं की खिलाफत के लिए भी जाना जाता है. गैलीलियो की खोज ने निकोलस कॉपरनिकस के तब से 100 साल पहले की गईं खोजों को सिद्ध किया था. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में सुनिए उन्हीं की कहानी अमन गुप्ता के साथ.
8 फरवरी, 1941 को जन्मे जगजीत सिंह किसी के लिए ग़ज़ल के रॉकस्टार हैं तो किसी के लिए ग़ज़ल-गायकी की रवायत से छेड़छाड़ करने वाले महज़ गायक. तो बचपन में किस तरह शरारतें करते थे जगजीत, संगीत से कैसे हुआ इनका वास्ता, इनकी श्रीगंगानगर से मुंबई वाया जालंधर की यात्रा, चित्रा सिंह से मिलने की कहानी और कुछ दिलचस्प क़िस्से और ग़ज़लें, 'नामी-गिरामी' में लेकर आए हैं अमन गुप्ता. प्रोड्यूसर: शुभम तिवारी साउंड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदी
रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के शहरबन्नी में हुआ था. उन्होंने DSP की नौकरी छोड़कर सियासत में आना चुना और 1969 में होने वाले मध्यावधि चुनावों में जीत दर्ज कर अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत की. आजीवन रामविलास दलित मुद्दों को लेकर मुखर रहे. नामी गिरामी में आज उन्हीं की कहानी सुना रहे हैं अमन गुप्ता.
उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान का पिछले दिनों इंतकाल हो गया. वह एक ऐसे संगीतकार हुए जिनसे कई आलातरीन फ़नकारों को संगीत की समझ मिली. तो कैसे मिली इन्हें संगीत की शुरुआती तालीम, अपनी गायकी में निखार लाने के लिए ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान ने क्या क्या किया, कृष्ण जन्माष्टमी से उनका क्या जुड़ाव रहा और उन्होंने संगीत में क्या नया जोड़ा, 'नामी-गिरामी' में उस्ताद ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान के कुछ क़िस्सों और गाए हुए गीतों के साथ उन्हें याद कर रहे हैं अमन गुप्ता.
पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले एक लड़के ने बतौर शायर बहुत ही कम उम्र में एक ऐसी ग़ज़ल लिख दी जो उसके नाम का पर्याय बन गयी. एक लड़का जिसकी शायरी को लेकर कभी उर्दू के हस्ताक्षर जोश मलीहाबादी ने कहा था, "मुझे इस लड़के से बड़ी उम्मीद है". हैदराबाद में पैदा हुआ वो लड़का आगे चलकर नामचीन शायर बना और नसीर तुराबी के नाम से मक़बूल हुआ. 10 जनवरी, 2021 को कराची में 75 वर्ष की उम्र में नसीर तुराबी का इंतकाल हो गया. नामी-गिरामी में उन्हें याद कर रहे हैं अमन गुप्ता.
लाल बहादुर शास्त्री 18 महीने ही देश प्रधानमंत्री रहे और इसी पद पर रहते हुए दुनिया से रुख़सत हो गए. तो कैसा रहा उनका शुरूआती जीवन, उनके नाम में "शास्त्री" कैसे जुड़ा? आज़ादी के आंदोलन में लाल बहादुर कैसे कूदे और जब देश की बागडोर संभालने की नौबत आई तो कैसे उन्होंने एक सच्चे और काबिल राजनेता की जि़म्मेदारी निभाई, सुनिए 'नामी गिरामी' में अमन गुप्ता से.
आज से ठीक अठारह साल पहले इराक में सद्दाम हुसैन की सत्ता का पतन हो गया था. 30 दिसंबर 2006 को इस तानाशाह को फांसी दे दी गई. अमेरिका ने इसकी पूरी पटकथा लिखी थी. लेकिन आज तक ये सवाल कायम है कि क्या सद्दाम पर हमला बोलने के लिए अमेरिका ने झूठा बहाना बनाया था, तो असल में खलनायक कौन था? कभी अमेरिका के लाड़ले रहे सद्दाम हुसैन को ये सब क्यों भुगतना पड़ा और आख़िर क्यों उसे उसकी चुनी हुई मौत भी नहीं नसीब नहीं हुई, नामी गिरामी में सुनिए नितिन ठाकुर से.
निर्मल वर्मा ऐसे हिंदी लेखक हैं जिनकी कहानियों के पात्र देशी और विदेशी दोनों हैं. ना सिर्फ भारतीय बल्कि यूरोपीय जीवन को भी उन्होंने करीने से काग़ज़ों पर उतारा. नामी गिरामी में हिंदी साहित्य जगत के इस मूर्धन्य लेखक को उनके जन्मदिन पर याद कर रहे हैं नितिन ठाकुर.
पी.वी. नरसिम्हा राव देश के उन प्रधानमंत्रियों में हैं, जो संयोग से इस कुर्सी पर बैठे, लेकिन अपनी छाप छोड़ गए. एक राजनेता होने के साथ-साथ बहुभाषी विद्वान रहे पी.वी. नरसिम्हा राव का राजनीतिक सफ़र कैसा रहा, वह कांग्रेस पार्टी में शीर्ष तक कैसे पहुंचे और राजनीति के पंडित उन्हें 'आधा शेर' क्यों कहते थे, नामी गिरामी में नितिन ठाकुर से सुनिए इस कद्दावर नेता के कुछ अनसुने क़िस्से.
फ़ारुक़ शेख भारतीय सिनेमा की आर्ट फ़िल्मों का एक बहुत बड़ा नाम. तक़रीबन 40 साल के अपने करियर में उन्होंने रुपहले पर्दे पर कई यादगार किरदार निभाए. पैरेलल सिनेमा के इस दमदार अभिनेता का करियर कैसा रहा? ज़मींदार घर से ताल्लुक़ रखने वाले फ़ारुक़ शेख फिल्मों में कैसे आए, नामी गिरामी के इस अंक में उनके कुछ दिलचस्प क़िस्से सुनिए नितिन ठाकुर से.
अपने लाजवाब संगीत से दुनियाभर में मशहूर हुए रॉक बैंड बीटल्स (The Beatles) की क्या कहानी है? जॉन लेनन ने कैसे बनाया था ये बैंड, इसके कलाकार शांति की तलाश में ऋषिकेश क्यों आए और जॉन लेनन को उनके फैन ने क्यों मार दी थी गोली, सुनिए नामी गिरामी के इस अंक में नितिन ठाकुर से.
तानाशाह एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 में हुआ था. दूसरे विश्व युद्ध के लिए उसे ही ज़िम्मेदार माना जाता है. मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध जिसमें करोड़ों लोगों की जान गई थी. इसके अलावा 60 लाख यहूदियों की बेरहमी से हत्या जिसमें न बच्चे बख्शे गए न बूढ़े. अंत में जब उसे हार सिर पर नज़र आने लगी तो 30 अप्रैल 1945 को उसने आत्महत्या कर ली. सुनिए उसके आख़िरी दिन का किस्सा अमन गुप्ता से.
अल्बर्ट आइंस्टाइन जितने महान वैज्ञानिक थे उतने बड़े दार्शनिक. विज्ञान में उनका योगदान अतुलनीय है लेकिन एक समाज को कैसा होना चाहिए, इस पर भी उनकी राय बड़ी स्पष्ट थी. इस नामी गिरामी में अमन गुप्ता से सुनिए उनके कई अनसुने किस्से.
कोलंबियाई लेखक गैब्रियल गार्सिया मार्केज़ को जादुई यथार्थ का लेखक कहा जाता है. उनकी अनूठी शैली ऐसी थी कि असल घटनाएं भी जादुई होने का भरम पैदा करती थीं. उनकी कहानियों के मुरीद साहित्य के पुरोधा भी हुए और आम पाठक भी. क्या ख़ास था उनके लेखन में, नामी गिरामी में उन्हें याद कर रहे हैं नितिन ठाकुर.
'सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा', यह वही गीत है जिसे आपने बचपन में स्कूल असेम्बली में गाया होगा. यह वही गीत है जिसे आप देश के राष्ट्रीय पर्वों पर गाते हैं और यह वही गीत है जब आपसे कोई पूछता है कि भारत के बारे में आप क्या सोचते हैं तो आप जवाब में बस इसे गुनगुना भर देते हैं. लेकिन इस गीत को लिखने वाले शायर, दार्शनिक मोहम्मद इक़बाल को कितना जानते हैं आप? आज का 'नामी गिरामी' इक़बाल के जीवन पर, पेश कर रहे हैं : अंजुम शर्मा साउंड मिक्सिंग की है, सचिन द्विवेदी ने
भारत की समृद्ध परंपरा को आधुनिक समय में जिस तरह अमर्त्य सेन दर्शन और अर्थशास्त्र की नज़र से देखते हैं, उसकी गिरहें खोलते हैं वह विरले देखने को मिलता है. बंगाल में जन्मे और वहीं शुरूआती शिक्षा हासिल करने वाले अमर्त्य सेन अपने तर्क और इंटेलिजेंस के दम पर न केवल कैम्ब्रिज और हार्वर्ड तक पहुंचते हैं बल्कि अपने ज्ञान के दम पर नोबेल पाने वाले एशिया के पहले अर्थशास्त्री भी बनते हैं. सुनिए, अमर्त्य सेन पर आज का नामी गिरामी, पेश कर रहे हैं: अंजुम शर्मा. कार्यक्रम की साउंड मिक्सिंग की है सचिन द्विवेदी ने.
मार्च 1931 की बात है, देश में दो घटनाएं घटीं. पहली 23 मार्च को जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गयी और दूसरी 25 मार्च को जब कानपुर में भड़के दंगों को एक पत्रकार ने केवल कलम के दम पर नहीं बल्कि सशरीर सड़क पर उतरकर शांत करवाने की कोशिशें की और अमृतलाल नागर के शब्दों में वह पत्रकार अपने ही घर में शहीद हो गया: गणेश शंकर विद्यार्थी. नामी गिरामी में अंजुम शर्मा के साथ सुनिए, क्यों ज़रूरी है निडर, साहसी और पत्रकारिता के मूल्य गढ़ने वाले शख़्स गणेश शंकर विद्यार्थी को आज याद रखना. साउंड मिक्सिंग- सचिन द्विवेदी.