Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

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Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Samskrita Bharati


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    Latest episodes from Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

    01-47

    Play Episode Listen Later Jul 5, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-47-SBUSA-BG.mp3 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वाऽर्जुनः संख्ये रथोपस्थ उपाविशत्। विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः।।1.47।।

    01-46

    Play Episode Listen Later Jun 28, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-46-SBUSA-BG.mp3 यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः। धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्।।1.46।।

    01-45

    Play Episode Listen Later Jun 21, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-45-SBUSA-BG.mp3 अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्। यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यताः।।1.45।।

    01-44

    Play Episode Listen Later Jun 14, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-44-SBUSA-BG.mp3 उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन। नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम।।1.44।।

    01-43

    Play Episode Listen Later Jun 7, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-43-SBUSA-BG.mp3 दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसङ्करकारकैः। उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः।।1.43।।

    01-42

    Play Episode Listen Later Jun 5, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-42-SBUSA-BG.mp3 सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च। पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः।।1.42।।

    01-41

    Play Episode Listen Later May 31, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-41-SBUSA-BG.mp3 अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः। स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः।।1.41।।

    01-40

    Play Episode Listen Later May 24, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-40-SBUSA-BG.mp3 कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः। धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत।।1.40।।

    01-39

    Play Episode Listen Later May 17, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-39-SBUSA-BG.mp3 कथं न ज्ञेयमस्माभिः पापादस्मान्निवर्तितुम्। कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन।।1.39।।

    01-38

    Play Episode Listen Later May 10, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-38-SBUSA-BG.mp3 यद्यप्येते न पश्यन्ति लोभोपहतचेतसः। कुलक्षयकृतं दोषं मित्रद्रोहे च पातकम्।।1.38।।

    01-37

    Play Episode Listen Later May 3, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-37-SBUSA-BG.mp3 तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्। स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिनः स्याम माधव।।1.37।।

    01-36

    Play Episode Listen Later Apr 26, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-36-SBUSA-BG.mp3 निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन। पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः।।1.36।।

    01-34-35

    Play Episode Listen Later Apr 19, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-34-35-SBUSA-BG.mp3 आचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः। मातुलाः श्चशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बन्धिनस्तथा।।1.34।। एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन। अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतोः किं नु महीकृते।।1.35।।

    01-31-33

    Play Episode Listen Later Apr 12, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-31-33-SBUSA-BG.mp3 निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव। न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।1.31।। न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च। किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा।।1.32।। येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च। त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च।।1.33।।

    01-30-31

    Play Episode Listen Later Apr 5, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-30-31-SBUSA-BG.mp3 गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्त्वक्चैव परिदह्यते। न च शक्नोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः।।1.30।। निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव। न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।1.31।।

    01-28-29

    Play Episode Listen Later Mar 29, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-28-29-SBUSA-BG.mp3 अर्जुन उवाच कृपया परयाऽऽविष्टो विषीदन्निदमब्रवीत्। दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्।।1.28।। सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति। वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते।।1.29।।

    01-27

    Play Episode Listen Later Mar 22, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-27-SBUSA-BG.mp3 श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि। तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।।1.27।।

    01-26-27

    Play Episode Listen Later Feb 15, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-26-27-SBUSA-BG.mp3 01-26 तत्रापश्यत्स्थितान्पार्थः पितृ़नथ पितामहान्। आचार्यान्मातुलान्भ्रातृ़न्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा।।1.26।। 01-27 श्वशुरान्सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि। तान्समीक्ष्य स कौन्तेयः सर्वान्बन्धूनवस्थितान्।।1.27।।

    01-23-25

    Play Episode Listen Later Feb 8, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-23-25-SBUSA-BG.mp3 01-23 योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः। धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।।1.23।। 01-24 सञ्जय उवाच एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत। सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्।।1.24।। 01-25 भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम्। उवाच पार्थ पश्यैतान्समवेतान्कुरूनिति।।1.25।।

    01-21-22

    Play Episode Listen Later Feb 1, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-21-22-SBUSA-BG.mp3 01-21 सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥ 01.21॥ पदच्छेतः सेनयोः, उपयोः, मध्ये, रथम्, स्थापय, मे, अच्युत। पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् सेनयोः आ. स्त्री. ष. द्विव. उपयोः आ. स्त्री. ष. द्विव. मध्ये अ. पुं. स. एक. रथम् अ. पुं. द्वि. एक. स्थापय स्था-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक. मे अस्मद्-द. सर्व. ष. एक. अच्युत अ. पुं. सम्बो. […]

    01-19-20-B

    Play Episode Listen Later Jan 25, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-19-20-B-SBUSA-BG.mp3 01-19 स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्। नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्॥ 01-20 अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः। प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः॥ हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते। 01-19 स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्। नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्॥ पदच्छेतः सः, घोषः, धार्तराष्ट्राणाम्, हृदायानि, व्यदारयत्। नभः, च, पृथिवीम्, च, एव, तुमुलः, व्यनुनादयन्॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् […]

    01-19-20-A

    Play Episode Listen Later Dec 29, 2016


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-19-20-A-SBUSA-BG.mp3 01-19 स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्। नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्॥ 01-20 अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः। प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः॥ हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते। 01-19 स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत्। नभश्च पृथिवीं चैव तुमुलो व्यनुनादयन्॥ पदच्छेतः सः, घोषः, धार्तराष्ट्राणाम्, हृदायानि, व्यदारयत्। नभः, च, पृथिवीम्, च, एव, तुमुलः, व्यनुनादयन्॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् […]

    01-15-18

    Play Episode Listen Later Dec 22, 2016


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-15-18-SBUSA-BG.mp3 01-15-16 पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जयः। पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः।।1.15।। अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः। नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ।।1.16।। पदच्छेतः पाञ्चजन्यम्, हृषीकेशः, देवदत्तम्, धनञ्जयः। पौण्ड्रम्, दध्मौ, महाशङ्खम्, भीमकर्मा, वृकोदरः॥ अनन्तविजयम्, राजा, कुन्तीपुत्रः, युधिष्ठिरः। नकुलः, सहदेवः, च, सुघौषमणिपुष्पकौ॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् पाञ्चजन्यम् अ. पुं. द्वि. एक. हृषीकेशः अ. पुं. प्र. एक. देवदत्तम् अ. पुं. द्वि. […]

    01-14-B

    Play Episode Listen Later Dec 15, 2016


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-14-B-SBUSA-BG.mp3 01-14-B ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ। माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।।1.14।। पदच्छेतः ततः, श्वेतैः, हयैः, युक्ते, महति, स्यन्दने, स्थितौ। माधवः, पाण्डवः, च, एव, दिव्यौ, शङ्खौ, प्रदध्मतुः॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् ततः अव्ययम् श्वेतैः अ. पुं. त्रि. बहु. हयैः अ. पुं. त्रि. बहु. युक्ते अ. नपुं?. स. एक. महति अ. नपुं?. स. एक. स्यन्दने […]

    01-14-A

    Play Episode Listen Later Dec 8, 2016


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-14-A-SBUSA-BG.mp3 01-14-A ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ। माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः।।1.14।। पदच्छेतः ततः, श्वेतैः, हयैः, युक्ते, महति, स्यन्दने, स्थितौ। माधवः, पाण्डवः, च, एव, दिव्यौ, शङ्खौ, प्रदध्मतुः॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् ततः अव्ययम् श्वेतैः अ. पुं. त्रि. बहु. हयैः अ. पुं. त्रि. बहु. युक्ते अ. नपुं?. स. एक. महति अ. नपुं?. स. एक. स्यन्दने […]

    01-11-13

    Play Episode Listen Later Dec 1, 2016


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-11-13-SBUSA-BG.mp3 01-11 अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः। भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि।।1.11।। पदच्छेतः अयनेषु, च, सर्वेषु, यथाभागम्, अवस्थिताः। भीष्मम्, एव, अभिरक्षन्तु, भवन्तः, सर्वे, एव, हि॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् अयनेषु अ. नपुं. स. बहु. च अन्वयम् सर्वेषु अ. पुं. सर्व. स. बहु. यथाभागम् अन्वयम् अवस्थिताः अ. पुं. प्र. बहु. भीष्मम् अ. पुं. द्वि. एक. एव […]

    01-10

    Play Episode Listen Later Nov 24, 2016


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-10-SBUSA-BG.mp3 अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्। पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्।।1.10।। 01-10 अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्। पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्।।1.10।। पदच्छेतः अपर्याप्तम्, तत्, अस्माकम्, बलम्, भीष्माभिरक्षीतम्। पर्याप्तम्, तु, इदम्, एतेषाम्, बलम्, भीमाभिरक्षितम्॥ पदपरिचयः पदम् विवरणम् पदम् विवरणम् अपर्याप्तम् अ. नपुं. प्र. एक. तत् तद्-द. सर्व. नपुं. प्र. एक. अस्माकम् अस्मद्-द. सर्व. ष. बहु. बलम् अ. नपुं. प्र. […]

    01-08-09

    Play Episode Listen Later Nov 17, 2016


    भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः। अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च।।1.8।। अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः। नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः।।1.9।।

    01-07

    Play Episode Listen Later Nov 10, 2016


    अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम । नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥1.7॥

    01-04-06

    Play Episode Listen Later Nov 3, 2016


    अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि। युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।1.4।। धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्। पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः।।1.5।। युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्। सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।।1.6।।

    01-02-03

    Play Episode Listen Later Oct 27, 2016


    सञ्जय उवाच दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा। आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।। पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्। व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।1.3।।

    01-01

    Play Episode Listen Later Oct 20, 2016


    धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।

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