Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

Follow Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
Share on
Copy link to clipboard

Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati) ॥ भगवद्गीतायाः व्याख्यानं भगवद्भाषया श्रोतुं सुवर्णावसरः ॥ अध्यापकः - Dr. पद्मकुमारमहोदयः श्लोकपठनम्, पदच्छेदः, पदसंस्कारः, प्रतिपदार्थः, आकाङ्क्षापद्धत्या अन्वयक्रमः, तात्पर्यं च । सरलसंस्कृतेन संस्कृतपठनं गीतापठनं च ।…

Samskrita Bharati


    • Oct 18, 2017 LATEST EPISODE
    • infrequent NEW EPISODES
    • 48 EPISODES


    More podcasts from Samskrita Bharati

    Search for episodes from Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati) with a specific topic:

    Latest episodes from Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

    02-16-17

    Play Episode Listen Later Oct 18, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-16-17-SBUSA-BG.mp3 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।2.16।। अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य न कश्िचत् कर्तुमर्हति।।2.17।।

    02-15-16

    Play Episode Listen Later Oct 11, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-15-16-SBUSA-BG.mp3 यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ। समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते।।2.15।। नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः। उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।2.16।।

    02-13-14

    Play Episode Listen Later Oct 4, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-13-14-SBUSA-BG.mp3 देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा | तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ||२- १३|| मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः | आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ||२- १४||

    02-11-12

    Play Episode Listen Later Aug 16, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-11-12-SBUSA-BG.mp3 श्रीभगवानुवाच | अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे | गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ||२- ११|| न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः | न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् ||२- १२||

    02-09-10

    Play Episode Listen Later Aug 9, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-09-10-SBUSA-BG.mp3 सञ्जय उवाच | एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप | न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ||२- ९|| तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं वचः ||२- १०||

    02-08

    Play Episode Listen Later Aug 2, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-08-SBUSA-BG.mp3 न हि प्रपश्यामि ममापनुद्याद् यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् | अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम् ||२- ८||

    02-07

    Play Episode Listen Later Jul 26, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-07-SBUSA-BG.mp3 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ||२- ७||

    02-04-06

    Play Episode Listen Later Jul 19, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-04-06-SBUSA-BG.mp3 अर्जुन उवाच | कथं भीष्ममहं सङ्ख्ये द्रोणं च मधुसूदन | इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ||२- ४|| गुरूनहत्वा हि महानुभावान् श्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके | हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव भुञ्जीय भोगान् रुधिरप्रदिग्धान् ||२- ५|| न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः | यानेव हत्वा न जिजीविषामस्- तेऽवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ||२- ६||

    02-01-03

    Play Episode Listen Later Jul 12, 2017


    https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/02-01-03-SBUSA-BG.mp3 सञ्जय उवाच | तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् | विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ||२- १|| श्रीभगवानुवाच | कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् | अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन ||२- २|| क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते | क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ||२- ३||

    02-71-72

    Play Episode Listen Later Oct 3, 2016


    विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः। निर्ममो निरहंकारः स शांतिमधिगच्छति।।2.71।। एषा ब्राह्मी स्थितिः पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति। स्थित्वाऽस्यामन्तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति।।2.72।।

    02-70

    Play Episode Listen Later Sep 26, 2016


    आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं समुद्रमापः प्रविशन्ति यद्वत्। तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे स शान्तिमाप्नोति न कामकामी।।2.70।।

    02-69

    Play Episode Listen Later Sep 19, 2016


    या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी। यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः।।2.69।।

    02-68

    Play Episode Listen Later Sep 12, 2016


    तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः। इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.68।।

    02-67

    Play Episode Listen Later Sep 5, 2016


    इन्द्रियाणां हि चरतां यन्मनोऽनुविधीयते। तदस्य हरति प्रज्ञां वायुर्नावमिवाम्भसि।।2.67।।

    02-65

    Play Episode Listen Later Aug 29, 2016


    प्रसादे सर्वदुःखानां हानिरस्योपजायते। प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते।।2.65।।

    02-64

    Play Episode Listen Later Aug 22, 2016


    रागद्वेषवियुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्चरन्। आत्मवश्यैर्विधेयात्मा प्रसादमधिगच्छति।।2.64।।

    02-62-63

    Play Episode Listen Later Aug 15, 2016


    ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।। क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः। स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।2.63।।

    02-61

    Play Episode Listen Later Aug 8, 2016


    तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः। वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2.61।।

    02-60

    Play Episode Listen Later Aug 1, 2016


    यततो ह्यपि कौन्तेय पुरुषस्य विपश्िचतः। इन्द्रियाणि प्रमाथीनि हरन्ति प्रसभं मनः।।2.60।।

    02-59

    Play Episode Listen Later Jul 25, 2016


    विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः। रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते।।2.59।।

    02-56

    Play Episode Listen Later Jul 18, 2016


    दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।2.56।।

    02-54-55

    Play Episode Listen Later Jul 11, 2016


    स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव। स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।।2.54।। श्री भगवानुवाच प्रजहाति यदा कामान् सर्वान् पार्थ मनोगतान्। आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते।।2.55।।

    02-53

    Play Episode Listen Later Jul 4, 2016


    श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला। समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।2.53।।

    02-52

    Play Episode Listen Later Jun 27, 2016


    यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति। तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।2.52।।

    02-51

    Play Episode Listen Later Jun 20, 2016


    कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः। जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।।2.51।।

    02-50

    Play Episode Listen Later Jun 13, 2016


    बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।।2.50।।

    02-47-48

    Play Episode Listen Later Jun 6, 2016


    योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय। सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।2.48।।

    02-47

    Play Episode Listen Later May 30, 2016


    कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।

    02-46

    Play Episode Listen Later May 23, 2016


    यावानर्थ उदपाने सर्वतः संप्लुतोदके। तावान्सर्वेषु वेदेषु ब्राह्मणस्य विजानतः।।2.46।।

    02-41

    Play Episode Listen Later May 2, 2016


    व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम्।।2.41।।

    02-40

    Play Episode Listen Later Apr 25, 2016


    नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।।2.40।।

    02-39

    Play Episode Listen Later Apr 18, 2016


    एषा तेऽभिहिता सांख्ये बुद्धिर्योगे त्विमां श्रृणु। बुद्ध्यायुक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि।।2.39।।

    02-38

    Play Episode Listen Later Apr 11, 2016


    सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।2.38।।

    02-37

    Play Episode Listen Later Apr 4, 2016


    हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्। तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः।।2.37।।

    02-35

    Play Episode Listen Later Mar 21, 2016


    भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथाः। येषां च त्वं बहुमतो भूत्वा यास्यसि लाघवम्।।2.35।।

    02-34

    Play Episode Listen Later Mar 14, 2016


    अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्। संभावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।।2.34।।

    02-33

    Play Episode Listen Later Mar 7, 2016


    अथ चैत्त्वमिमं धर्म्यं संग्रामं न करिष्यसि। ततः स्वधर्मं कीर्तिं च हित्वा पापमवाप्स्यसि।।2.33।।

    02-32

    Play Episode Listen Later Feb 29, 2016


    यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम्। सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम्।।2.32।।

    02-31

    Play Episode Listen Later Feb 22, 2016


    स्वधर्ममपि चावेक्ष्य न विकम्पितुमर्हसि। धर्म्याद्धि युद्धाछ्रेयोऽन्यत्क्षत्रियस्य न विद्यते।।2.31।।

    02-30

    Play Episode Listen Later Feb 15, 2016


    देही नित्यमवध्योऽयं देहे सर्वस्य भारत। तस्मात्सर्वाणि भूतानि न त्वं शोचितुमर्हसि।।2.30।।

    02-29

    Play Episode Listen Later Feb 8, 2016


    आश्चर्यवत्पश्यति कश्िचदेन माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः। आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्िचत्।।2.29।।

    02-28

    Play Episode Listen Later Feb 1, 2016


    अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत। अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना।।2.28।।

    Claim Bhagavad Gita Class (Ch2) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)

    In order to claim this podcast we'll send an email to with a verification link. Simply click the link and you will be able to edit tags, request a refresh, and other features to take control of your podcast page!

    Claim Cancel