'बोलती किताबें' बुक्स और ऑडियो बुक्स के बारे में एक पोडकास्ट हैं जिसमें हम बतियाते हैं उन किताबों और क़िस्से कहानियों के बारे में जो आप स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं, और उनके बारे में भी जो स्टोरीटेल पर अभी नहीं हैं. अगर आपको किताबें पसंद हैं और कहानियों का जादुई संसार आपको खींचता है तो बतकही का यह अड्ड…
नेहा चावला ने कई मेंढकों को चूमा है लेकिन कोई भी ऐसा नहीं है जो उनके प्रिंस चार्मिंग में बदल गया हो। उसके 27वें जन्मदिन पर जब उसका वर्तमान प्रेमी उसे छोड़ देता है, तो वह 3 महीने के फ्लैट में शादी करने का संकल्प लेती है!
पागलखाने में ले जाने के दौरान, दोषी बुधराम पुलिस के चंगुल से बच निकलता है। दूसरी ओर, अनन्या अपने ताजा घावों से उबर रही है जब पुलिस उसे बुद्ध के बारे में सूचित करती है।
8 साल बाद माया आखिरकार जसवंत को ढूंढ लेती है। केवल वह ही उस व्यक्ति की पहचान कर सकता है जिसने माया के परिवार को मार डाला और उसे वेश्यावृत्ति में धकेल दिया।
लालगढ़ का माफिया डॉन रॉबिन दुनिया में फाइनेंशियल क्राइसिस पैदा करना चाहता है. उसका प्लान है कि वह इस क्राइसिस में बड़े शेयर बाजारों पर कब्जा कर ले. लालगढ़ में भारत के कायदे-कानून से अलग रॉबिन की अलग सत्ता चलती है. बचपन से अपने पहचान के संकट से जूझते रॉबिन है आज का रावण. तो फिर रॉबिन की लंका को ध्वस्त करने वाला राम कौन और कहां है? सुनिए रॉबिन की कहानी में!
पवन अपनी ग़ायब बहन की तलाश करने का फ़ैसला लेता है. जानिए क्या होगा आगे!
दुर्गा की वास्तविक शक्तियों को जानने के बाद, अश्वसुर अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसे मारने की घोषणा करता है। अब क्या होगा? क्या दुर्गा अकेले ही राक्षसों के राजा से युद्ध कर पाएगी?
एक Swedish Plane लॉस एंजिल्स से स्टॉकहोम के रास्ते में डालारना में रहस्यमय ढंग से लापता हो जाता है. उस बोईंग प्लेन में 200 से अधिक यात्री सवार हैं. इस घटना से स्वीडन में हड़कंप मच जाता है. वहां के प्रशासन को लगता है कि इस घटना के पीछे किसी terrorist group का हाथ है. वे लोग इस घटना की तह तक जाने और गायब प्लेन को ढ़ूंढ़कर लाने के लिए National Space Board की मेंबर, थाना 'मोंटी', पूर्व-एजेंट, हेनरी जैगर, डॉ हेमैन और एक पुलिस ऑफिसर को डालारना प्रांत भेजते हैं. लेकिन उनका जेट प्लेन भी गायब हो जाता है. क्या है इन प्लेनों के गायब होने का राज? कौन कर रहा है साजिश? इसके पीछे वाकई कोई आतंकी संगठन है या फिर दूसरे ग्रह के लोग? क्या ये टीम अपने मिशन में कामयाब हो पायेगी?
अमित यह जानकर चौंक जाता है कि उसके बड़े भाई धनुष ने उसके लिए होने वाली दुल्हन चुन ली है। उसी दिन वह रिहर्सल में रोहित से मिलता है और उसके लिए तत्काल आकर्षण महसूस करता है। जब अमित के साथ समानांतर भूमिका करने वाला अभिनेता नहीं आता है, तो रोहित, जो अभिनेता बनने का सपना देखता है, अमित के साथ प्रॉक्सी करने की पेशकश करता है। क्या इससे पता चलेगा अमित का गुप्त राज?
पीली छतरी वाली लड़की, उदय प्रकाश का एक हिंदी उपन्यास है। इसमें एक युवक व एक युवती के बीच प्रेम की कहानी पेश की गई है, जिसके रास्ते में जाति व्यवस्था, सामाजिक मूल्य और उपभोक्ता संस्कृति रुकावटें हैं। लेकिन यह उपन्यास उससे कहीं परे तक सामाजिक-राजनीतिक विमर्श में दख़लंदाज़ी करता है। राहुल के दिल में प्यार आता है और यह प्यार विद्रोह नहीं, लेकिन दो स्तरों पर भीतरघात करता है। पहली बात कि राहुल का मर्दवादी रुख़, जिसका परिचय हमें शुरु में ही उसके कमरे में माधुरी दीक्षित के पोस्टर के प्रकरण से मिलता है, टूट-टूटकर चूर हो जाता है। बाद में दोनों का प्यार मनुवादी मान्यताओं पर आधारित और आज़ादी के बाद भारत की उपभोक्ता संस्कृति में पनपी मान्यताओं को अंदर से तोड़ने लगता है। अंत में पलायन- और यह पलायन भी भीतरघात है, समाज में प्रचलित मान्यताओं को स्पष्ट रूप से ठुकराना है। कहानी के आरंभ में बॉलीवुड है, अंत भी बॉलीवुड की तरह सुखान्त है। लेकिन समूचे विमर्श में बॉलीवूड के विपरीत स्पष्ट तात्पर्य है।
जांबाज़ की कहानी आधारित है कश्मीर के आतंकवाद पर... समरप्रताप सिंह एक ज़िद्दी और जाँबाज़ आर्मी ऑफिसर है जिसका एक ही मिशन है कश्मीर को आतंकियों और आतंकवाद से मुक्त कराना. इस जंग में वो कई बार गंभीर रूप से घायल भी होता है लेकिन इससे उसके जुनून और हौसले में कोई कमी नहीं आती है. साथ ही है इसमें कुछ मुहब्बत के रंग, बेवफाई के दाग, थोड़ी हँसी और थोड़े आँसू...!
तुमने कभी उसे देखा है ?..... किसे ?.....दुख को... मैंने भी नहीं देखा, लेकिन जब तुम्हारी कज़िन यहाँ आती है, मैं उसे छिप कर देखती हूँ। वह यहाँ आकर अकेली बैठ जाती है। पता नहीं, क्या सोचती है और तब मुझे लगता है, शायद यह दुख है! निर्मल वर्मा ने इस उपन्यास में ‘दुख का मन' परखना चाहा है- ऐसा दुख, जो ज़िन्दगी के चमत्कार और मृत्यु के रहस्य को उघाड़ता है...मध्यवर्गीय जीवन-स्थितियों के बीच उन्होंने बिट्टी, इरा, नित्ती भाई और डैरी के रूप में ऐसे पात्रों का सृजन किया है, जो अपनी-अपनी ज़िन्दगी के मर्मान्तक सूनेपन में जीते हुए पाठक की चेतना को बहुत गहरे तक झकझोरते हैं। पारस्परिक सम्बन्धों के बावजूद सबकी अपनी-अपनी दूरियाँ हैं, जिन्हें निर्मल वर्मा की क़लम के कलात्मक रचाव ने दिल्ली के पथ-चौराहों समेत प्रस्तुत किया है। शीर्षस्थ कथाकार निर्मल वर्मा की अविस्मरणीय कृति, जो रचनात्मक स्तर पर स्थूल यथार्थ की सीमाओं का अतिक्रमण करके जीवन-सत्य की नयी सम्भावनाओं को उजागर करती है।
इस सीरीज़ में आप सुनेंगे परमवीर चक्र से सम्मानित हमारी सेना के इक्कीस शूरवीरों के उन आख़िरी लम्हों की दास्तान, जिसे देख और सुन कर दुनिया हैरान रह गयी थी.
अन्तिम अरण्य यह जानने के लिए भी पढ़ा जा सकता है कि बाहर से एक कालक्रम में बँधा होने पर भी उपन्यास की अन्दरूनी संरचना उस कालक्रम से निरूपित नहीं है। अन्तिम अरण्य का उपन्यास-रूप न केवल काल से निरूपित है, बल्कि वह स्वयं काल को दिक् में-स्पेस में-रूपान्तरित करता है। उनका फॉर्म स्मृति में से अपना आकार ग्रहण करता है- उस स्मृति से जो किसी कालक्रम से बँधी नहीं है, जिसमें सभी कुछ एक साथ है -अज्ञेय से शब्द उधार लेकर कहें तो जिसमें सभी चीज़ो का ‘क्रमहीन सहवर्तित्व' है। यह ‘क्रमहीन सहवर्तित्व' क्या काल को दिक् में बदल देना नहीं है?... यह प्राचीन भारतीय कथाशैली का एक नया रूपान्तर है। लगभग हर अध्याय अपने में एक स्वतन्त्र कहानी पढ़ने का अनुभव देता है और साथ ही उपन्यास की अन्दरूनी संरचना में वह अपने से पूर्व के अध्याय से निकलता और आगामी अध्याय को अपने में से निकालता दिखाई देता है। एक ऐसी संरचना जहाँ प्रत्येक स्मृति अपने में स्वायत्त भी है और एक स्मृतिलोक का हिस्सा भी। यह रूपान्तर औपचारिक नहीं है और सीधे पहचान में नहीं आता क्योंकि यहाँ किसी प्राचीन युक्ति का दोहराव नहीं है। भारतीय कालबोध-सभी कालों और भुवनों की समवर्तिता के बोध-के पीछे की भावदृष्टि यहाँ सक्रिय है।
नवंबर 2005, शिमला, गिरिजा की बेटी नर्मदा को लापता हुए दो साल हो चुके हैं. नर्मदा को खोजने की गिरिजा की अंतहीन खोज का कोई फायदा नहीं हुआ। वह 'राइजिंग-पॉइंट' के लिए अपना रास्ता बनाती है। एक ऐसा स्थान जो मां और बेटी दोनों के लिए विशेष महत्व रखता है। चारों ओर कोई गवाह न दिखाई देने के साथ, कोई कार नहीं गुजर रही है, और उसका मन यह सब खत्म करने के लिए तैयार है, वह एक खड़ी खड्ड में कूदने वाली है, जब अचानक उसे पता चलता है कि वह अकेली नहीं है। खून से लथपथ आँखों वाली एक रहस्यमयी आकृति उसकी ओर बढ़ रही है। यह व्यक्ति कौन है? वह क्या चाहता है?
वैशाली की नगरवधू' एक क्लासिक उपन्यास है जिसकी गणना हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में की जाती है। इस उपन्यास के संबंध में इसके लेखक आचार्य चतुरसेन जी ने कहा था: "मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूं और 'वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।"'वैशाली की नगरवधू' में आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व के भारतीय जीवन का एक जीता-जागता चित्र अंकित हैं। उपन्यास का मुख्य चरित्र है-स्वाभिमान और दर्प की साक्षात् मूर्ति] लोक-सुन्दरी अम्बपाली] जिसे बलात् वेश्या घोषित कर दिया गया था, और जो आधी शताब्दी तक अपने युग के समस्त भारत के सम्पूर्ण राजनीतिक और सामाजिक जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनी रही। उपन्यास में मानव-मन की कोमलतम भावनाओं का बड़ा हृदयहारी चित्रण हुआ है। यह श्रेष्ठ रचना अब अपने अभिवन रूप में प्रस्तुत है।
जुबिन को उसकी पत्नी जिया की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है। अयूब उससे पूछताछ करता है। जुबिन को पुख्ता सबूतों के अभाव में जमानत मिल गई है। इस बीच वह अपने साले जिमी को अपने घर के अंदर छुपा हुआ पाता है।
चित्रालेखा न केवल भगवतीचरण वर्मा को एक उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठा दिलानेवाला पहला उपन्यास है बल्कि हिंदी के उन विरले उपन्यासों में भी गणनीय है, जिनकी लोकप्रियता बराबर काल की सीमा को लाँघती रही है। चित्रालेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है। पाप क्या है ? उसका निवास कहाँ है ? -इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नांबर के दो शिष्य, श्वेतांक और विशालदेव, क्रमशः सामंत बीजगुप्त और योगी कुमारगिरि की शरण में जाते हैं। इनके साथ रहते हुए श्वेतांक और विशालदेव नितांत भिन्न जीवनानुभवों से गुजरते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नांबर की टिप्पणी है, संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है। हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं, हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है।
जादू अपने गांव की क्रिकेट टीम को बेहद से याद कर रहा है. साथ ही वो बड़े शहर और अपने नए अंग्रेजी माध्यम स्कूल में अपने नए जीवन के अनुकूल होने के लिए संघर्ष कर रहा है। एक दिन उसकी मुलाक़ात एक क्रिकेट टीम से होती है. लेकिन वे उसे अपनी टीम में स्वीकार करने से इनकार करते हैं। बेचारा जादू क्या करेगा?
राही मासूम रज़ा का क्लासिक उपन्यास जिस पर पंकज कपूर अभिनीत एक प्रसिद्ध टेलिविज़न धारावाहिक भी बना है, अब पहली बार ऑडियो में सुनिये. यह कथा है एक 'नौकर' बुधिया की और नीम के एक पेड़ की जो अपने और मुल्क की क़िस्मत के मालिकों को बदलते हुए देखते हैं.
ये एक 10 साल की लड़की कीनू की कहानी है, जो स्वभाव से मासूम, बुद्धिमान, प्यारी और मजाकिया है। वह बहुत सारे सवाल पूछती है। उसकी दुनिया दो चीजों के इर्द-गिर्द घूमती है, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और उसके पिता। वह अपने पिता सैम की तरह बनना चाहती है। किनू अपने पिता द्वारा बनाए गए विभिन्न गैजेट्स पर हाथ आजमाती है लेकिन ऐसा करने पर वह हमेशा मुसीबत में पड़ जाती है।
आज़ादी के पाँच दशक पूरे होने और आधुनिकता के तमाम आयातित अथवा मौलिक रूपों को भीतर तक आत्मसात् कर चुकने के बावजूद आज भी हम कहीं-न-कहीं सवर्ण और अवर्ण के दायरों में बँटे हुए हैं। सिद्धान्तों और किताबी बहसों से बाहर, जीवन में हमें आज भी अनेक उदाहरण मिल जाएँगे, जिनमें हमारी जाति और वर्णगत असहिष्णुता स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। ‘जूठन' ऐसे ही उदाहरणों की श्रृंखला है जिन्हें एक दलित व्यक्ति ने अपनी पूरी संवेदनशीलता के साथ ख़ुद भोगा है।इस आत्मकथा में लेखक ने स्वाभाविक ही अपने उस 'आत्म' की तलाश करने की कोशिश की है जिसे भारत का वर्ण-तंत्र सदियों से कुचलने का प्रयास करता रहा है, कभी परोक्ष रूप में, कभी प्रत्यक्षत:। इसलिए इस पुस्तक की पंक्तियों में पीड़ा भी है, असहायता भी है, आक्रोश और क्रोध भी और अपने आपको आदमी का दर्जा दिए जाने की सहज मानवीय इच्छा भी।
गिरि लापता लेखक युवराज ठाकुर के मामले को सुलझाने के लिए कोसरी नामक एक छोटे से गाँव में पहुँचता है। आगे जो होता है उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी! जानिए क्या हुआ!
धर्मवीर भारती के इस उपन्यास का प्रकाशन और इसके प्रति पाठकों का अटूट सम्मोहन हिन्दी साहित्य-जगत् की एक बड़ी उपलब्धि बन गये हैं। दरअसल, यह उपन्यास हमारे समय में भारतीय भाषाओं की सबसे अधिक बिकने वाली लोकप्रिय साहित्यिक पुस्तकों में पहली पंक्ति में है। लाखों-लाख पाठकों के लिए प्रिय इस अनूठे उपन्यास की माँग आज भी वैसी ही बनी हुई है जैसी कि उसके प्रकाशन के प्रारम्भिक वर्षों में थी।–और इस सबका बड़ा कारण शायद एक समर्थ रचनाकार की कोई अव्यक्त पीड़ा और एकान्त आस्था है, जिसने इस उपन्यास को एक अद्वितीय कृति बना दिया है. मशहूर कवि और इस पीढ़ी के लिए हिंदी के मशाल बने डॉ. कुमार विश्वास की आवाज़ का जादू इस उपन्यास को नया आकाश देता है!
बिहारी टाइगर्स' एक ऐसी सीरीज़ जो आपको ले जाती है उन लड़कों की दुनिया में जो पढ़ाई करने का ध्येय लेकर कोटा शहर गये थे. मगर कोटा शहर में पढ़ाई के अलावा उन्होंने लगभग सब कुछ किया! सुनिए क्या है इन लड़कों की कहानी!
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन' 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं।एक तरफ सुदीप है जिसने क्लास 12th के बाद पढ़ाई और घर दोनों छोड़ दिया था और मिलियनेयर बन गया। वहीं दूसरी तरफ चित्रा है, जो अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत आजकल हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है। बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है। हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है। उसके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में तब तक बहस होती रहती है जब तक कि उसका अगला आर्टिकल नहीं छप जाता।हमारी दो जिंदगियाँ होती हैं। एक जो हम हर दिन जीते हैं। दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं, अक्टूबर जंक्शन उस दूसरी ज़िंदगी की कहानी है। ‘अक्टूबर जंक्शन' चित्रा और सुदीप की उसी दूसरी ज़िंदगी की कहानी है।
थ्रिलर और रोमांच से भरी एक शानदार कहानी है काली रात!
निट्ठले की डायरी यह हरिशंकर परसाई की एक व्यंगात्मक रचना हैं. जहाँ उन्होंने आनंद को भी व्यंग का साध्य न बननेकी कोशोश की हैं. स्थितियोंकि भीतर छिपी विसंगतियोंको प्रकट करने में कई बार अतिरंजना का आश्रय लिया हैं. लेकिन हमें दिल खोलकर हसने की बजाय थोड़ा गम्भीर होकर सोचने की अपेक्षा लेखकने की हैं
मंदिरा का जीवन एक अनाथ के सपने के सच होने जैसा है - एक सुंदर मंगेतर जो उसे बेहद प्यार करता है, रहने के लिए एक नई सुंदर हवेली और वह सब कुछ जो वह चाहती है। लेकिन जैसे ही वह चंद्रताल में प्रवेश करती है, उसे महसूस होता है कि कुछ गड़बड़ है।
संजय को स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन जीतना है और रफ़ीक़ को उज़्मा का दिल। झुन्नू भइया के आशीर्वाद बिना कोई प्रत्याशी पिछले दस सालों से चुनाव नहीं जीता और झुन्नू भइया का आशीर्वाद संजय के साथ नहीं है। शहर की खोजी निगाहों के बीच ही रफ़ीक़ को उज़्मा से मिलना है और शहर प्रेमियों पर मेहरबान नहीं है। डॉक साब कौन हैं जो कहते हैं कि संजय मरहट्टा है और इस मरहट्टे का जन्म राज करने को नहीं राजनीति करने को हुआ है? शहर बलिया, जो देने पर आए तो तीनों लोक दान कर देता है और लेने पर उतारू हो तो... हँसते-हँसते रो देना चाहते हों तो सुनिए—बाग़ी बलिया...
डिटेक्टिव बाबली घोष सबसे जटिल अपराधों को सुलझाने के लिए लगातार खुद को जीवन के लिए खतरनाक घटनाओं में डाल रही है।
कहते हैं नई जनरेशन के युवा हिंदी लेखक गाँव के बारे में नहीं लिखते क्यूँकि वे गाँव के बारे में नहीं जानते. बेस्टसेलर लेखक नीलोत्पल मृणाल का पहला उपन्यास नई जनरेशन की नज़र से गाँव को देखते हुए एक ऐसी कहानी हमारे सामने रखता है जो किसी आउटसाइडर की कल्पना नहीं. यह उपन्यास गाँव को उसके भीतर से जानने वाले का कॉम्प्लेक्स और ऑथेंटिक आख्यान है. इसे आवाज़ दी है ख़ुद लेखक ने ताकि इसके पात्रों और उनकी भाषा को भी उतना ही ऑथेंटिक स्वर मिल सके
अनुजा का निशाना इतना शानदार है कि वो काफ़ी वक़त तक आर्मी में expert शूटर के तौर पर काम करती रही. बाद में उसने premature retirement ले लिया. आगे क्या हुआ?
कहानियों और संस्मरणों के चर्चित कथाकार काशीनाथ सिंह का नया उपन्यास है काशी का अस्सी । जिन्दगी और जिन्दादिली से भरा एक अलग किस्म का उपन्यास । उपन्यास के परम्परित मान्य ढाँचों के आगे प्रश्नचिह्न । जब इस उपन्यास के कुछ अंश ‘कथा रिपोर्ताज' के नाम से पत्रिकाओं में छपे थे तो पाठकों और लेखकों में हलचल–सी हुई थी । छोटे शहरों और कस्बों में उन अंक विशेषों के लिए जैसे लूट–सी मची थी, फोटोस्टेट तक हुए थे, स्वयं पात्रों ने बावेला मचाए थे और मारपीट से लेकर कोर्ट–कचहरी की धमकियाँ तक दी थीं । अब वह मुकम्मल उपन्यास आपके सामने है जिसमें पाँच कथाएँ हैं और उन सभी कथाओं का केन्द्र भी अस्सी है । हर कथा में स्थान भी वही, पात्र भी वे हीµअपने असली और वास्तविक नामों के साथ, अपनी बोली–बानी और लहजों के साथ । हर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे पर इन पात्रों की बेमुरव्वत और लट्ठमार टिप्पणियाँ काशी की उस देशज और लोकपरंपरा की याद दिलाती हैं जिसके वारिस कबीर और भारतेन्दु थे ! उपन्यास की भाषा उसकी जान हैµभदेसपन और व्यंग्य– विनोद में सराबोर । साहित्य की ‘मधुर मनोहर अतीव सुंदर' वाणी शायद कहीं दिख जाय ! सब मिलाकर काशीनाथ की नजर में ‘अस्सी' पिछले दस वर्षों से भारतीय समाज में पक रही राजनीतिक–सांस्कृतिक खिचड़ी की पहचान के लिए चावल का एक दाना भर है, बस !
अंकिता की ज़िंदगी अपने पति और उनके दो बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती रही थी. उसके पास बाकी दुनिया के लिए बिल्कुल वक़त नहीं था. लेकिन एक दिन उसने अपने पुराने दोस्त उदय का लिखा article अख़बार में पढ़ा. इस एक article को पढ़ने के बाद अंकिता ने फ़ैसला किया कि वो उदय से मिलेगी. दोनों की ये मुलाक़ात क्या रंग लाएगी?
इश्क़ नहीं आसां: मिताली और विकास के शादीशुदा रिश्ते की गर्मजोशी ग़ायब हो चुकी थी और उसमें खालीपन भर गया था ऐसे में एक फ़ॉरेन ट्रिप के दौरान मिताली की बिजनस टाइकून, रोनित से नजदीकियां बढ़ गई. लेकिन क्या विकास से दूर जाना मिताली के लिए आसान होगा?
Mil hi jayenge kissi khwab mein aate jaatey … Payal, the girl blessed with a voice as lilting as the sound of anklets on petite feet. Her rendition of songs perfect to each beat, her pitch unfailing, even at the highest notes. Sometimes, all it takes for a love story to unfold is a song.A perfect season to #listen to one of the most loved original #AudioDrama on #storytel.. enjoy the soulfully created music video and come to storytel for more "Phir Milenge Kabhi" Starring SehbanAzim and Nishka Raheja
हिंदी की प्रसिद्ध उपन्यासकार अणु शक्ति सिंह अपने ऑफ़िस से छुट्टी लेकर कोविड पीड़ितों की मदद के काम में पूरे कमिटमेंट और पैशन से जुटी हुई हैं. जिस तरह का काम वो कर रही हैं उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हम यह बातचीत उन सब लोगों के नाम करते हैं जो अणु की तरह बहादुरी और प्यार की इस प्रेरक वर्चुअल मानव शृंखला से जुड़े हुए हैं और जुड़ते जा रहे हैं.
इस पोडकास्ट में हम बात कर रहे हैं हमारे पहले ओरिजिनल ऑडियो ड्रामा 'फिर मिलेंगे की' जिसके ख़ास आकर्षण हैं सेहबान अज़ीम. इसकेलेखक दीपा गणेश और श्रीकांत अग्नीश्वरण बात कर रहे हैं एडिटर क्रियेटर सुरोमिता रॉय से इसकी कहानी, इसके संगीत और ऋषि-पायल की उस अद्भुत प्रेमगाथा की, कोलकाता से पेरिस और न्यूयॉर्क के उसके गुनगुनाते सफ़र की. ऋषि की कविता, पायल की आवाज़ यानि प्यार का संगीत. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए.
हम सब के जीवन में एक अप्रत्याशित आपदा की तरह कोरोना संक्रमण के आने से पहले हमने 'बोलती किताबें' में स्टोरीटेल इंडिया में पब्लिशर सुरोमिता रॉय और ऑडियो प्रोडक्शन मैनेजर राहुल पाटिल के साथ बातचीत की थी ताकि जो श्रोता लेखक या वायस आर्टिस्ट के रूप में हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं, उनके प्रश्नों का एक जगह जवाब उपलब्ध हो जाये। स्टोरीटेल इंडिया की मार्केटिंग हेड सुकीर्ति शर्मा के साथ यह बातचीत उसी सिलसिले में उन सवालों के बारे में है जो भारत में ऑडियोबुक्स के वर्तमान और भविष्य के बारे में सामान्यतः उठते हैं. सुकीर्ति एक स्वावलम्बी, स्वंतंत्र स्त्री हैं जिसकी झलक इस बातचीत में आपको मिलेगी. यह बातचीत फरवरी के सुहाने दिनों में हमारे मुंबई ऑफिस में रिकार्ड की गयी थी और तब यह नहीं पता था कि आने वाले दिनों में 'बोलती किताबें' के दस एपिसोड एक ग्लोबल महामारी के बारे में होंगे। आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. 1. कैसी आवाज़ें ढूँढ रहे हैं स्टोरीटेल के ऑडियो प्रोडक्शन मैनेजर राहुल पाटिल? https://audioboom.com/posts/7480055- 2. अगर आप अंग्रेज़ी, बांग्ला और हिंदी में ऑडियो सीरीज़ लिखना चाहते हैं तो स्टोरीटेल पब्लिशर सुरोमिता रॉय को सुनिये https://audioboom.com/posts/7463744-
यह पॉडकास्ट कोरोना वायरस के हम सब के जीवन में आने से पहले रिकार्ड किया गया था. पुराने नॉर्मल में - एक स्टूडियो में, आमने सामने बैठकर, शुरू करने से पहले चाय पीते हुए. साउथ डेल्ही के उस स्टूडियो में बैठे हुए हमें, 20 फरवरी को, चीन और योरोप के बारे में पता था लेकिन ख़ुद हमारा जीवन इस तरफ़ जाने वाल है इसका कोई आइडिया नहीं था, सच में. जाने माने मीडिया क्रिटिक विनीत कुमार ने हिंदी मनोरंजन चैनलों के प्राइम टाईम कंटेंट पर पी.एच डी की है. वे ब्लॉगिंग के ज़माने से हिंदी पब्लिक स्फीयर के डिजिटल फैलाव के एक सहभागी और गहन आलोचक दोनों रहे हैं. सोशल मीडिया के साथ साथ टेलिविज़न और रेडियो पर भी उन्होंने काम किया है. 'उनकी प्रकाशित किताबें हैं मंडी में मीडिया' और 'इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं'. इस बातचीत में वे हिंदी डिजिटल स्पेस की अब तक की यात्रा - मेल, ब्लॉग से फ़ेक न्यूज़ और अब्यूज़ तक - के विभिन्न पहलुओं पर बात कर रहे है. Vineet Kumar's Picture: Jai Pandya
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा दसवाँ पॉडकास्ट है. महामारी से सबसे ज्यादा हैरान परेशान वो गरीब मजूदर हैं जो शहरों से गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं. ऐसे मुश्किल वक्त में कुछ लेखक अपने सामाजिक सरोकारों को समझते हुए सामने आ रहे हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं. वे वालेंटियर बन कर उन तक राशन, दवाएं और दूसरी जरूरी चीजें उन तक पहुंचा रहे हैं. हिन्दी के बेस्ट सेलर राइटर और गीतकार नीलोत्पल मृणाल उनमें से एक हैं. इन दिनों नीलोत्पल अपने झारखंड स्थित अपने गांव, दुमका में लोगों की मदद कर रहे हैं. वे लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने, गांव में बाहर से आये लोगों को क्वारंटाइन सेंटर भेजने और उन लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही सरकार से मिलने वाली सुविधाओं को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे है. वो एक वालेंटियर के रूप में अपनी टीम के साथ जमीन पर मुस्तैदी से डटे हुए हैं. इन्होंने इस पॉडकास्ट में अपने काम, चुनौतियों और भविष्य पर इसके पड़ने वाले प्रभाव के बारे में खुलकर और बेहद दिलचस्प ढंग से बात की है. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना संकट के दौरान हमारे अन्य पॉडकास्ट: 9. कब तक बन सकता है कोरोना का वैक्सीन जानिये वैज्ञानिक सुषमा नैथानी से https://audioboom.com/posts/7577075- 8. सैकड़ों जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुँचा रहे हैं लेखक ललित कुमार https://audioboom.com/posts/7572101- 7. इंदौर के किसी सरकारी कर्मचारी ने छुट्टी का सोचा भी नहीं है: कैलाश वानखेड़े https://audioboom.com/posts/7569617- 6. मिलिये उस अभिनेत्री से जो मुंबई में कोरोना मरीज़ों की सेवा नर्स के रूप में कर रही है https://audioboom.com/posts/7559410- 5. सरकारी क्षेत्र किसी को बेलआउट करने जितना समर्थ नहीं रह जाएगा: डॉ. अवनींद्र ठाकुर https://audioboom.com/posts/7553275- 4. ख़बर के लिए बाहर सड़क पर जाने में कोई डर नहीं: राहुल कोटियाल https://audioboom.com/posts/7548910- 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा नौवाँ पॉडकास्ट है. जिस तेज़ी से वायरस का प्रसार हुआ है और जिस पैमाने पर मृत्यु हुई है, वैक्सीन मनुष्यता की सबसे बड़ी उम्मीद की तरह नज़र आ रहा है. हमने इस विषय पर मॉलीक्यूलर बायोलोजिस्ट और जीनोम विज्ञानी डॉक्टर सुषमा नैथानी से बात की. भारतीय मूल की सुषमा अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ बॉटनी एंड प्लांट पैथोलॉजी में एसिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. उनका चीन के शहर वुहान से रिश्ता रहा है जहां वे शोध के सिलसिले में जा चुकी हैं. सुषमा अंग्रेज़ी और हिंदी की सुपरिचित लेखक भी हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना संकट के दौरान हमारे अन्य पॉडकास्ट: 8. सैकड़ों जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुँचा रहे हैं लेखक ललित कुमार https://audioboom.com/posts/7572101- 7. इंदौर के किसी सरकारी कर्मचारी ने छुट्टी का सोचा भी नहीं है: कैलाश वानखेड़े https://audioboom.com/posts/7569617- 6. मिलिये उस अभिनेत्री से जो मुंबई में कोरोना मरीज़ों की सेवा नर्स के रूप में कर रही है https://audioboom.com/posts/7559410- 5. सरकारी क्षेत्र किसी को बेलआउट करने जितना समर्थ नहीं रह जाएगा: डॉ. अवनींद्र ठाकुर https://audioboom.com/posts/7553275- 4. ख़बर के लिए बाहर सड़क पर जाने में कोई डर नहीं: राहुल कोटियाल https://audioboom.com/posts/7548910- 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा आठवाँ पॉडकास्ट है.इस संकट में लेकिन सबसे ज्यादा हैरान परेशान गरीब और मज़दूर हैं जिनके घरों में दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पाना भी मुश्किल है. ऐसे कठिन वक्त में कुछ लेखकों ने नई जिम्मेदारी उठाई है उनकी मदद करने की, उन तक राशन पहुँचाने की उनके परिवार का हर तरह से ख्याल रखने की. "विटामिन ज़िंदगी" के लेखक, 'कविता कोश' और 'गद्य कोश' के संस्थापक ललित कुमार उन लेखकों में से हैं जो राहत कार्य में लगे हुए हैं. वे सोशल मीडिया के मार्फ़त दिल्ली से दूर, गांवों में रहने वाले जरूरतमंद परिवारों का भरण-पोषण कर रहे हैं, उन्हें आवश्यक सामग्री मुहैया करा रहे हैं. उनके इस काम में उनकी दिव्यांग लोगों की टीम ग्राउन्ड में डटी हुई है. इस बातचीत में वे बता रहे हैं इस काम के बारे में और हौसला बनाए रखने की अपनी तरकीब के बारे में. ललित को 2018 में दिव्यांग लोगों के रोल मॉडल के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. आप we capable नाम की वेबसाइट चलाते हैं, इसके अलावा दशमलव नामक ब्लाग भी है. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना संकट के दौरान हमारे अन्य पॉडकास्ट: 7. इंदौर के किसी सरकारी कर्मचारी ने छुट्टी का सोचा भी नहीं है: कैलाश वानखेड़े https://audioboom.com/posts/7569617- 6. मिलिये उस अभिनेत्री से जो मुंबई में कोरोना मरीज़ों की सेवा नर्स के रूप में कर रही है https://audioboom.com/posts/7559410- 5. सरकारी क्षेत्र किसी को बेलआउट करने जितना समर्थ नहीं रह जाएगा: डॉ. अवनींद्र ठाकुर https://audioboom.com/posts/7553275- 4. ख़बर के लिए बाहर सड़क पर जाने में कोई डर नहीं: राहुल कोटियाल https://audioboom.com/posts/7548910- 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा सातवाँ पॉडकास्ट है. इस बार हम बातचीत कर रहे हैं इंदौर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट और हिंदी के अग्रणी कथाकार कैलाश वानखेड़े से. इंदौर भारत के सर्वाधिक संक्रमित शहरों में से है और वहाँ प्रशासन के सम्मुख अन्य चुनौतियाँ भी रही हैं जिन्होंने इस लड़ाई को और भी मुश्किल बना दिया. कैलाश बता रहे हैं इंदौर प्रशासन कैसे इन सब चुनौतियों के साथ साथ अपने एक पुलिसकर्मी साथी के संक्रमण से देहांत के दुखद सदमे से उबरा और कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई को युद्ध समझकर फिर से कर्मठता से जुट गया. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना संकट के दौरान हमारे अन्य पॉडकास्ट: 6. मिलिये उस अभिनेत्री से जो मुंबई में कोरोना मरीज़ों की सेवा नर्स के रूप में कर रही है https://audioboom.com/posts/7559410- 5. सरकारी क्षेत्र किसी को बेलआउट करने जितना समर्थ नहीं रह जाएगा: डॉ. अवनींद्र ठाकुर https://audioboom.com/posts/7553275- 4. ख़बर के लिए बाहर सड़क पर जाने में कोई डर नहीं: राहुल कोटियाल https://audioboom.com/posts/7548910- 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा छठा पॉडकास्ट है. इस पॉडकास्ट में हमने एक्ट्रेस, शिखा मल्होत्रा से बात की जो इन दिनों बतौर नर्स कोरोना मरीजों को अपनी सेवाएं मुम्बई के एक अस्पताल में दे रही हैं और सुर्खियों में हैं. शिखा एक्ट्रेस के साथ-साथ सर्टिफाइड नर्स भी हैं. उनकी ये नि:स्वार्थ सेवा लोगों के लिए एक प्रेरणा है. शिखा ने हाल में कांचली फिल्म से बतौर लीड एक्ट्रेस, डेब्यू किया है. ये फिल्म महान साहित्यकार, विजयदान देथा की कहानी पर आधारित है. शिखा बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं, उन्होंने क्लासिकल संगीत और नृत्य भी सीखा है, साथ ही कविताएं भी लिखती हैं. उनका सफ़र भी काफी संघर्ष और चुनौतियों से भरा रहा है. उन्होंने इस पॉडकास्ट में न केवल नर्स के रूप में अपनी चुनौतियों को बताया है बल्कि कोरोना को लेकर कुछ टिप्स भी दिए हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना संकट के दौरान हमारे अन्य पॉडकास्ट: 5. सरकारी क्षेत्र किसी को बेलआउट करने जितना समर्थ नहीं रह जाएगा: डॉ. अवनींद्र ठाकुर https://audioboom.com/posts/7553275- 4. ख़बर के लिए बाहर सड़क पर जाने में कोई डर नहीं: राहुल कोटियाल https://audioboom.com/posts/7548910- 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा पाँचवा पॉडकास्ट है. इस एपिसोड में हम जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ़ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी में एसोसियेट प्रोफ़ेसर डॉ. अवनींद्र ठाकुर से बात कर रहे हैं ग्लोबल और भारतीय इकॉनमी पर कोरोना संकट के प्रभाव की. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना से सम्बंधित हमारे अन्य पॉडकास्ट: 4. ख़बर के लिए बाहर सड़क पर जाने में कोई डर नहीं: राहुल कोटियाल https://audioboom.com/posts/7548910- 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
कोरोना क्राइसिस के समय में यह हमारा चौथा पॉडकास्ट है. इससे पहले हमने नॉर्वे और भारत से दो डाक्टर्स से बात की है इसके प्रसार और बचाव के बारे में और अमेरिका में रह रहे एक भारतीय कलाकार दंपत्ति से. इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं युवा पत्रकार राहुल कोटियाल से जो दैनिक भास्कर के लिए दिल्ली में ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे हैं. राहुल हर बड़ी खबर के समय सड़क पर थे - नोयडा हाईवे पर प्रवासी मज़दूरों का महापलायन हो, निज़ामुद्दीन में तबलीगी मरकज़ से इवेक्युएशन हो या दिल्ली दंगो के बाद बने रीलीफ कैम्प से लोगों की निकासी. 33 साल के राहुल एक उदाहरण हैं उन बहुत सारे प्रेरणादायी पत्रकारों का जो इस समय बहादुरी और संजीदगी से अपना काम अंजाम दे रहे हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ. आप घर पर रहिए, अपना ख़याल रखिए, हो सके तो रोज़ कोई किताब सुनिए या पढ़िए. कोरोना से सम्बंधित हमारे अन्य पॉडकास्ट: 3. लॉकडाउन में कोरोना संक्रमण से कैसे बचें?: डॉ. स्कंद शुक्ल https://audioboom.com/posts/7542314- 2. अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे https://audioboom.com/posts/7539665- 1. यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा https://audioboom.com/posts/7536684-
डाॅक्टर स्कन्द शुक्ल, एमडी मेडिसिन , डीएम इम्यूनोलॉजी , लखनऊ में गठिया-रोग-विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं. वे हिंदी भाषा में सोशल मीडिया पर वैज्ञानिक चेतना के प्रसार और जनशिक्षण का काम करने वाले थोड़े-से लोगों में हैं. इस बातचीत में वे बता रहे हैं कि हम मनुष्य से मनुष्य को होने वाले संक्रमण के अलावा पार्सल, सब्ज़ियों और अन्य वस्तुओं के मार्फ़त होने वाले संक्रमण से कैसे बच सकते हैं. Cover Art: Mee Jey दोस्तो हम इस बीमारी को हरा सकते हैं. हमें ख़ुद का और दूसरों का ख़याल रखना होगा. संयम रखना होगा. निर्देशों का पालन करना होगा. यह जीवन एक अद्भुत उपहार है और हमें इसे नहीं खोना है. अपना ख़याल रखिये और जितना सम्भव हो दूसरों का भी. शरीर से दूर रहने की ज़रूरत है दिल से नहीं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.
मी और जे [मीनाक्षी और सुशील] कलाकार दम्पत्ति हैं जो अभी अमेरिका में रहते हैं. उनके लिए कला रोज़ की दैनिक, साझा गतिविधि है और वे 2013 से इसकी प्रस्तुतियाँ करते रहे हैं. दोनों मिलकर बरसों से एक कम्यूनिटी प्रोजेक्ट 'आर्टोलॉग' भी चलाते रहे हैं. जे ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और वे कुछ वर्षों तक बीबीसी के साथ सोशल मीडिया एडीटर और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम चुके हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के इन दिनों में जब हम घरों में क़ैद हैं, जे और मी का कला को एक रोज़मर्रा की गतिविधि की तरह प्रैक्टिस करने का बरसों का अभ्यास उन्हें इस असाधारण परिस्थिति का सामना करने में कैसे मदद कर रहा है और मनुष्य, दम्पत्ति, कलाकार और पेरेंट के रूप में वे दोनों यह किस तरह कर रहे हैं यह जानने के लिए हमने उनसे एक लॉंग-डिसटेंस पोडकास्ट के रूप में बातचीत की. उम्मीद यह बातचीत आपको अपने लिए उपयोगी लगेगी. अपना ख़याल रखिए. घर में रहिये. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.
कोरोना वायरस का संक्रमण पूरे संसार में फैलने और उसके द्वारा हज़ारों लोगों की मृत्यु के साये में अचानक हम सबकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गयी है. हम सबको अपने घरों में ख़ुद को सीमित करके इसकी रोकथाम करने की ज़रूरत है. इस महामारी के कारणों, इसके फैलने और इससे बचाव पर हमने नार्वे में रहने वाले भारतीय मूल के रेडियोलोजिस्ट और हिंदी लेखक डॉ. प्रवीण झा से बात की. डॉ. प्रवीण सम्प्रति नॉर्वे के कॉन्ग्सबर्ग (Kongsberg) में विशेषज्ञ चिकित्सक (रेडियोलॉजिस्ट, हेल्सेहुसे कॉन्ग्सबर्ग, Helsehuset Kongsberg) हैं. इसके पूर्व वह पुणे, अमरीका, दिल्ली, और बेंगलुरू में भिन्न-भिन्न अस्पतालों में कार्य कर चुके हैं. वह स्वास्थ्य और अन्य विषयों पर स्तंभ लिखते रहे हैं. उनकी पुस्तकें ‘कुली लाइन्स’ (वाणी प्रकाशन) और ‘वाह उस्ताद’ (राजपाल प्रकाशन) चर्चा में रही हैं. एक डॉक्टर के रूप में वे इसकी रोकथाम से सीधे जुड़े हुए हैं. अपना ख़याल रखिये. हम सब मिलकर इस आपदा को परास्त करेंगे. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.
रेडियो के स्वर्णिम युग से जुड़ा ये नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है बल्कि इनसे बात करते वक़्त असंख्य ऐसे रह्स्योदघाटन हुए कि आज की हमारी पीढ़ी के मुँह से बरबस ही "आह" या "वाह" निकलेगा. मनोहर महाजन ने रेडियो सिलोन और विविध भारती के लिए दशकों तक ऐसे कार्यक्रमों को बनाया और संचालित किया जिन्हें रेडियो सुनने वाले आज भी याद किया करते हैं. शशिकांत सदैव की ओशो रजनीश के जीवन पर लिखी किताब "मैं क्यों आया था" की ऑडियो बुक को अपनी आवाज़ देने वाले मनोहर महाजन बताते हैं कि रजनीश के ओशो बनने से पहले वो एक अध्यापक थे और ये एक बेहद ही सुखद संयोग भी रहा कि मनोहर जी उनके स्टूडेंट. कई हस्तियों के साक्षात्कार करने वाले, कई कार्यक्रमों की आवाज़ और कई कहानियों को रेडियो के दौर में आप तक पहुँचाने वाले मनोहर महाजन किताबों की दुनिया से जुड़े अपने अनुभव बताते हुए बेहद नोस्टैल्जिक होने लगते हैं तो आप भी इस नास्टैल्जिया का हिस्सा बन जाइये. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.