A very warm welcome to all of you. Purnima this side will try to entertain you with some of her hindi poetries written by herself.. She will try to do her best. Check her english podcast show name "Raw Poetry " for English poetries. Thank you for your valuable time. Connect her on Instagram Insta handle - author_purnimadevi
Tribute episode to Jaun Elia Shahab Recitation- Purnima
मेरे हिस्से कभी सच्चा प्रेम नहीं आया -purnima
एक दिन मौत तुमसे मिलने आयेगी - part 2 - Purnima
तुम किस समाज की बात करते हो - purnima
एक दिन मौत तुमसे मिलने आयेगी - purnima
तुम किस समाज की बात करते हो? -purnima
A poetry dedicated to all my friends out there - purnima
भीगी बरसात में मिट्टी की सोंधी सी महक हो तुम आखिर इश्क कैसे ना हो तुमसे, तुम फूल हो गुलाब का मगर रातरानी के पुष्प की कोमल सी मुस्कान हो तुम, -purnima
चेहरा जब भी देखूँ तेरा ये दिल इश्क करना चाहे मोहब्बत कहते है किस मर्ज को ये जानने को बेसब्र हुआ जाये -purnima
A poetry from my book Palash that is also available on amazon.in. If you love this poetry than do go through my book... Thank you for all your love and support.. https://www.amazon.in/dp/8194882281/ref=cm_sw_r_cp_apa_glt_fabc_NS1Z4Y14QKR73DVJ76CM
" मोहब्बत की रुसवाई लिख रहे हो अपने महबूब की तबाही लिख रहे हो " -purnima
Remembering Sushant Singh Rajput on his first death anniversary. We miss you Sushant ...
तुम्हारे प्रेम-पत्रों का इन्तिज़ार नहीं करना चाहिए था और पढ़कर फिर उनका जवाब नहीं भेजना चाहिए था कभी - कभी तो लगता है कि तुम्हारी बातों में आना ही नहीं चाहिए था -purnima
जैसा फिल्मों में दिखाते हैं ऐसा सच में होता है क्या? - purnima
On WORLD ENVIRONMENT DAY? अनुराग से भरकर उन्हें आलिंगन करते हैं आज श्रृंगार करते हैं, बाग में खिले फूलों का टहनियों से लताएँ लपेटकर अलकें इनकी उलझा देते हैं. - purnima
शान्त कर कमरें की हर आवाज को जब भी उठाता हूँ मैं कलम दो - चार पंक्तियाँ लिखने को कागज़ उठकर मुझसे मुँह मोड़कर झरोखो की ओर चले जाते है जाने ये बारिश क्यूं आये दिन दस्तक देने मेरे दहलीज़ पर चली आती है खिड़खियाँ हवाओं से धकेलकर मेरे मेज़ को झमाझम फूहारों से गीला कर देती हैं और उसको चरमराने पर मजबूर कर देती है - purnima
वो रुठा तो हम उसे मनाने गये हम रुठे तो हम खुद ही मान गये बताओं इस इश्क में हम कितने मगरुर हो गये कि मैं उसका हूँ या वो मेरा नहीं था इन बातों में फ़र्क नज़र ही नहीं आया
आँखें मेरी नींद के मारे झपकी सी जाती है, तुम्हें निहारते रहने के लिए अगर इन्हें मैं एक टक खोल कर रखूँ तो तुम अपनी नींद से उठकर मेरी इन आँखों को सुकून के दो-चार पल देने को आओगे क्या ?