This Program in Hindi is to preach the everlasting Gospel of the Lord Jesus Christ. “For God so loved the world that He gave His only begotten Son, that whoever believes in Him should not perish but have everlasting life”. Jesus Christ is Coming soon यह कार्यक्रम हिन्दी में प्रभु येशू के सनातन सुसमा…
जब हम प्रकृति में होते हैं, तो हम उनकी सृष्टि की भव्यता को देखकर और उनकी वाणी को हमसे बात करने देकर ईश्वर के और करीब आ सकते हैं।
आदम और हव्वा के पतन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में मृत्यु ने इस ग्रह पर पहली बार प्रवेश किया।
हम परमेश्वर के वचन पर भरोसा रख सकते हैं जिस में सृष्टि और जलप्रलय की कहानी भी शामिल है।
परमेश्वर पवित्रशास्त्र में अपने वचनों और प्रकृति में अपने कार्यों के माध्यम से पतित मानवता से संवाद करता है।
त्रिएक परमेश्वर, जो था, है, और आने वाला है, ने पुत्र के द्वारा पवित्र आत्मा से सभी चीजों को बनाया, बनाए रखा, और पूर्ण करेगा।
स्वर्ग का मार्ग संकरा है। उस संकरे मार्ग पर सुरक्षित रूप से यात्रा करने के लिए, हमें पाप को अलग रखना और अपनी आँखें यीशु पर टिकाए रखना है।
धरती के नमक के जैसा, मसीहियों की ज़िम्मेदारी है कि वे सुसमाचार के उद्धारकारी सत्यों को बाँटें, प्रेम करें और दूसरों की सेवा करें।
मसीह अपने शिष्यों को कहते हैं कि जब वे उनके कारण सताए जाएँ तो खुश रहें। वह हमारे संग रहेंगे और स्वर्ग की आशीषें देंगे।
परीक्षणों और उत्पीड़न के माध्यम से, परमेश्वर की महिमा और चरित्र उसके चुने हुए लोगों में प्रकट होता है।
जब परमेश्वर हमें शांति देता है, तो कोई भी इसे हमसे छीन नहीं सकता। वह हमें मसीह के माध्यम से परमेश्वर से जोड़े रखता है, चाहे हमारी परिस्थितियाँ कैसी भी हों।
हृदय से शुद्ध वे लोग हैं जो पूरे हृदय से परमेश्वर की खोज करते हैं, और परमेश्वर ऐसे लोगों से स्वयं को प्रकट करने का वादा करता है।
परमेश्वर की इच्छा है कि हम भी उसकी तरह दूसरों पर दया दिखाएँ, और ऐसा करके हम दया प्राप्त करेंगे।
आत्मा की भूख और प्यास, धार्मिकता की लालसा, केवल ईश्वर ही संतुष्ट कर सकता है।
विनम्रता आंतरिक श्रृंगार है, जिसे परमेश्वर बहुत मूल्यवान समझता है। यह सोने, मोतियों या कीमती आभूषणों से भी अधिक उत्कृष्ट और मूल्यवान हैं।
धन्य वचनों में ( मत्ती 5: 3-12) जो यीशु का पहाड़ी उपदेश (मत्ती 5-7) का अंश है, उसने सच्ची खुशी के लिए नुस्खे दी है।
स्वर्ग का राज्य किसी एक भौगोलिक क्षेत्र, राजनीतिक इकाई, वर्ग या जाति से ज़्यादा लोगों की एक किस्म या गुणवत्ता या स्थिति को संदर्भित करता है।
जल्द ही एक दिन पूरा ब्रह्मांड हमारे राजाओं के राजा की अंतिम विजय और धार्मिकता के शाश्वत शासन के उद्घाटन का आनन्दपूर्वक जश्न मनाएगा।
परमेश्वर की असीमित शक्ति हमारी मदद करने, हमारी रक्षा करने, और सभी परिस्थितियों में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए उपलब्ध है।
स्वर्गदूत, जो निःस्वार्थ भाव से परमेश्वर की सेवा करते हैं, हमारे रोज़मर्रा के जीवन में, और हमारे उद्धार के लिए महत्त्वपूर्ण रूप से काम करते हैं।
समस्त सृष्टि का परमेश्वर हमारे निमंत्रण का इंतजार कर रहा है कि वह हमारा सबसे प्रिय मित्र और निकटतम साथी बने, ताकि हम उसके विशेष लोग बन सकें।
मनुष्य के विद्रोह का सामना करने के लिए, परमेश्वर ने मसीह में मेलमिलाप का एक ऐसा माध्यम प्रदान किया जो प्रत्येक पापी के लिए उसके प्रेम को प्रमाणित करता है।
अपने बच्चों के प्रति प्रेम के कारण, परमेश्वर उन सभी को लाभदायक सलाह देता है जो उसकी ओर देखते हैं।
हमारे परमेश्वर ने यह व्यवस्था की है कि जो कोई मसीह को स्वीकार करता है और आत्मा की आज्ञा मानता है, वह कल्पना से परे शांति और संतुष्टि का अनुभव करेगा।
प्रकृति और शास्त्रों में प्रकट और उसके पुत्र के जीवन में पूरी तरह से प्रदर्शित मानवजाति के लिए परमेश्वर का प्रेम सभी तक पहुँचता है।
ब्रह्मांड का प्रभु, अपनी पूर्णता, शक्ति और महिमा के कारण, सबसे अलग है - अर्थात, पवित्र - बाकी सब से ऊपर।
परमेश्वर एक “खुली” सरकार चलाते हैं। महान विवाद के अंत में उनके आत्म-त्याग, भलाई, न्याय, प्रेम और व्यवस्था के विषय सब सवाल खत्म हो जाएंगे।
ब्रह्मांड का प्रभु, अपनी पूर्णता, शक्ति और महिमा के कारण, सबसे अलग है - अर्थात, पवित्र - बाकी सब से ऊपर।
ईश्वरत्व में से एक मनुष्य बनने को तैयार हुआ कि हमें अपना प्रतिस्थापन और ज़मानत प्रदान की जा सके और हमें हमारे पाप-पूर्व पूर्णता में वापस लाया जा सके।
ईश्वरत्व अस्तित्व और प्रकृति में तीन दिव्य सत्ताओं से मिलकर बना है, जो उद्देश्य और कार्य में एकीकृत हैं, किन्तु व्यक्तित्व में भिन्न हैं।
अपने सृजित प्राणियों के सृष्टिकर्ता, न्यायाधीश और उपकारकर्ता के रूप में, परमेश्वर समस्त ब्रह्माण्ड पर प्रभुता रखता है।
हमारा परमेश्वर सदाकाल से सदाकाल तक का परमेश्वर है। उसे छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं है। वे हमें सबसे कठिन परिस्थिति में भी बचा सकते हैं।
जैसे प्रकाशितवाक्य के सात कलिसियायों को महान संघर्ष में यीशु के चेतावनी और प्रोत्साहन हैं, वैसे हमें भी हैं।
पतरस के लेखन में महान-विवाद विषय की भरमार है जैसे कि वह इस वास्तविक संघर्ष से वकिफ था और हमें सचेत रहने की चेतावनी दी है।
पौलुस परमेश्वर का शक्तिशाली सेवक था। उसके लेखन में महान-विवाद विषय की भरमार है।
यीशु को अपने अनुयायियों के सामने सबसे बड़ी बाधा उनकी पूर्वधारणाएँ थीं। दस दिनों की प्रार्थना और परमेश्वर की उपस्थिति में घनिष्ठ संगति इसमें बदलाव लायीं।
यीशु की शक्ति शैतान से अधिक शक्तिशाली है, और यदि उसके अनुयाई उससे चिपके रहेंगे तो शैतान उन्हें पराजित नहीं कर सकता है।
यीशु की शिक्षा द्वारा हम महान विवाद को समझ सकते हैं।
यीशु ने जंगल में शैतान पर विजय पाने के लिए पवित्रशास्त्र का इस्तेमाल किया। और हम भी पवित्र शास्त्र का इस्तेमाल करके शैतान पर जीत प सकते हैं।
न्यायियों का समय पवित्र इतिहास में एक अराजक काल था। फिर भी, परमेश्वर अपने बच्चों को बचाने के लिए उद्धारकर्ता भेजता जब वे उसे पुकारते।
विद्रोह और पाप परमेश्वर द्वारा बनाई गई हर चीज़ को नष्ट कर देते हैं। पर, परमेश्वर की विश्वासयोग्यता, अपने परेशान बच्चों को बचाने में जारी रहती है।
मनुष्य को कभी भी मरने के लिए नहीं बनाया गया था; हमें परमेश्वर की योजना में भरोसा करना है।
पाप की शुरुआत एक रहश्य है। प्रेम का परमेश्वर अपने सब सृजे प्राणियों को स्वतंत्र चुनाव दिया है, और उनसे स्वेच्छा आज्ञाकारी चाहता है।
उसकी ज्योति को चमकाएँ, जिस तरह बुद्धिमान कुवारियों ने तेल के साथ अपने दीयों के द्वारा दूल्हा के सम्मान के लिए उसके राह को उंजियाला की।
बुद्धिमान कुवारियाँ अ पने दिये और अपने साथ अतिरिक्त तेल भी लीं। मूर्ख कुवारियाँ अपने दिये लिए परन्तु अपने साथ पर्याप्त तेल नहीं लीं।
दस कुवारियाँ सफेद वश्त्र पहने और दिये लेकर दूल्हा से मिलने के लिए तैयारी कर रहीं थीं।