तुझे सुनना मेरी इबादत, तेरी याद बंदगी है; तुझे कैसे भूल जाऊं, तूं तो मेरी ज़िंदगी है!
लाख पढ़ लो किताबें नहीं कुछ असर,जब तक न हो गुरु की करुणा नज़र; पास बैठो तो आती है याद ए खुदा, ऐसे सतगुरु की सोहबत बड़ी चीज़ है अपने मुर्शिद की उल्फत बड़ी चीज़ है . . .
जो बात दवा से हो न सके वो बात दुआ से होती है, जब काबिल मुर्शीद मिलता है तो बात खुदा से होती है। _ Explore more at https://soundcloud.com/braj-rasik-vinod-agarwal
हरि-नाम रूपी जल वर्षा कर, हरि-प्रेम बगीचा लगा दिया . . ."सतगुरु के हों सब बलि जाइया, प्रगट मार्ग जिन कर दिखयाया। 'नानक' सोहे सिमरत वेद, पारब्रह्म गुरु नहीं 'भेद'।।"
"निगाह ए मस्त मिलाई तो मय पिला के उठे;जहां वो बैठ गए, मयकदा बना के उठे!” _"सर दीने जो बूंद मिले इक, तो भी जानूं सस्ती। पिला दे ओ साकी! हरि नाम की मस्ती।।"
साधु! हरि गुरू अंतर नाही।मो मन एक रहाई।हरि ही गुरू, गुरू में हरि कहिएगुरू में हरि समाई।हरि गुरू में जो अंतर समझेते नर नरक गिराई।साधु! हरि गुरू अंतर नाही।हरि ही गुरू होए अवतरेहै जीव जगावन आई।चेतन देव सदा शुद्ध कहिएछिन्न-भिन्न कुछ नाही,साधु! हरि गुरू अंतर नाही।जो जाने सो जाने यह गति,निज निश्चय यह मन भाई।आपा छोड़ आप में परखेतो भ्रम ग्रन्थि मिट जाई।साधु! हरि गुरू अंतर नाही।‘देवनाथ' है शुद्ध सन्यासीजिन यह बूटी पाई।‘मानसिंह' सपने नहीं दूजाएक रूप दरसाई।साधु! हरि गुरू अंतर नाही।
Guru is required at the stage when we seriously intend to enter into the waters of bliss. He only trains us to first swim and then dive deep inside. अगर है शौक़ मिलने का तो शरण ले संत सत्गुरु की, तरीका यार से मिलाने का इन्हें खूब आता है . . .
You have granted me an inner joy which stays intact, no matter I get anything of the world or not. मेरी तनख्वाह भी कुछ कम नहीं . . .कुछ मिले न मिले गम नहीं...
जितना भी कुछ सुकून सा था आता चला गया,उतना ही बेकरार बनाती चली गई;आई जो उनकी याद तो आती चली गई . . .
खुदा को रास्ता है मुरशिद और मुरशिद का रास्ता है इश्क . . . True love for one's Sadguru is the straight route to God.
Link to hear 'Hari ki baat' podcast- https://open.spotify.com/show/5XpizszundhT02Dr21LQUe _ Link to watch 'Hari ki baat' videos- https://www.youtube.com/playlist?list=PLHr66H3V6-gQBgrBokUQJy5u9oo0ad17z
तेरा मुस्कुराना, इशारों से बुलाना,सीने से लगाना और फिर...अचानक यूं चले जाना;यही है शायद मोहब्बत का अफसाना,अपना बनाए रखने का अनोखा बहाना।