वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...अफ़ग़ानिस्तान में भीषण भूकम्प से हुई व्यापक बर्बादी के बाद, ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने में जुटी यूएन एजेंसियाँ.ग़ाज़ा में इसराइली सैन्य कार्रवाई हुई तेज़, लोग फिर विस्थापित होने के लिए मजबूर, मानवीय सहायता प्रयासों के लिए बढ़ी मुश्किलें.भारत के उत्तरी राज्यों में आई बाढ़ से जान-माल की भीषण हानि पर गहरा दुख.दुनियाभर में 75 करोड़ से अधिक वयस्क निरक्षर, सभी के लिए शिक्षा सुनिश्चित करने के लक्ष्य की राह अभी कितनी दूर…जानेंगे एसडीजीनामा में.और, महिलाएँ, वैश्विक आबादी का आधा हिस्सा, लेकिन समाचार जगत में उनकी महज एक-चौथाई उपस्थिति.
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...ग़ाज़ा में भयावह हालात का अन्त नहीं, व्यापक अकाल की आशंका भी, यूएन महासचिव ने फिर दोहराई युद्धविराम, मानवीय सहायता और बन्धकों की रिहाई की अपील.लड़कियों की शिक्षा पर तालेबान की पाबन्दियों के बावजूद, उनकी पढ़ाई लिखाई के लिए अफ़ग़ान नागरिकों में विशाल समर्थन.विश्व खाद्य कार्यक्रम और भारत के बीच समझौते से, संकटग्रस्त इलाक़ों में पोषण और अन्न की आपूर्ति में सुधार की उम्मीद.प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से गहरा रहा है झीलों के लिए संकट. इस प्राकृतिक धरोहर को बचाने के प्रयास हैं ज़रूरी.सतत विकास लक्ष्य 3: बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण से कैसे पड़ेगी मज़बूत समाज और अर्थव्यवस्था की नींव.
विश्व खाद्य संगठन (WFP) और भारत ने वैश्विक भूख से लड़ने के लिए एक नया समझौता किया है. इस साझेदारी के तहत भारत, WFP को पोषक तत्वों में समृद्ध चावल उपलब्ध कराएगा. यह चावल संकटग्रस्त देशों में ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँचाया जाएगा ताकि कुपोषण से बचाव हो सके.भविष्य में चावल के अलावा, अन्नपूर्ति मशीनें, जन पोषण केन्द्र, स्मार्ट वेयरहाउसिंग और विशाल अनाज भंडारण तम्बू जैसी तकनीकों पर भी मिलकर काम किया जाएगा.यह समझौता क्या है और क्यों इतना अहम माना जा रहा है, इस पर विस्तार से जानकारी के लिए, नई दिल्ली में हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने बात की, भारत में विश्व खाद्य कार्यक्रम के संचार व मीडिया प्रमुख, परविन्दर सिंह से.
भारत में संयुक्त राष्ट्र सूचना केन्द्र (UNIC) ने 1M1B (1Million for 1Billion) संस्थान के साथ साझेदारी में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जहाँ भारत के कोने-कोने से आए युवा परिवर्तनकर्ता, अपने सपनों और संघर्षों की कहानियाँ लेकर आए. ये युवा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी नई तकनीक को केवल किताबों से आगे बढ़ाकर, ज़मीनी वास्तविकता में बदल रहे हैं - गाँवों की समस्याओं से लेकर शहरों की चुनौतियों तक. उनके विचार और नवाचार न केवल जीवन बदल रहे हैं, बल्कि समाज की हर परत को छू रहे हैं. नई दिल्ली में हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने 1M1B के संस्थापक, मानव सुबोध से बातचीत करके, यह जानना चाहा कि एआई को गाँव-गाँव, शहर-शहर ले जाने के लिए वो किस तरह से काम कर रहे हैं.
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...यूएन एजेंसियों ने, लगभग 23 महीनों के युद्ध से त्रस्त ग़ाज़ा में की अकाल की पुष्टि. लगभग पाँच लाख लोग भुखमरी की चपेट में.दुनिया भर में हर दिन भोजन की अरबों थालियों के बराबर खाना कर दिया जाता है बर्बाद, जबकि दूसरी तरफ़ करोड़ों लोग रह जाते हैं भूखे पेट. सतत विकास लक्ष्य-2, इसी भूख के संकट को ख़त्म करने पर नज़र टिकाता है. जानेंगे विस्तार से एसडीजी-नामा में.दक्षिण एशिया में बारिश और बाढ़ का क़हर. पाकिस्तान और भारत में सैकड़ों लोगों की मौतें, और सम्पत्तियों का भारी नुक़सान.बच्चों को अनुशासित करने के लिए अक्सर घरों और स्कूलों में दिया जाता है शारीरिक दंड, मगर WHO के अनुसार, ऐसा दंड, जीवन भर उनके दिलो-दिमाग़ और विकास को करता है प्रभावित.पश्चिम बंगाल में, कुछ महिलाओं ने संभाली, अपने गाँवों को खुले स्थानों में शौच करने के चलन से छुटकारा दिलाने की ज़िम्मेदारी, कैसे हो रहा है ये सम्भव.
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...ग़ाज़ा में युद्ध और बेदख़ली ने बढ़ाई लोगों की पीड़ा, विकलांगों और बच्चों पर गहरा असर. इस बीच भुखमरी और गहराई.वर्ष 2024 में, 4 हज़ार से अधिक लोग अशान्ति में यौन हिंसा के शिकार, अफ़ग़ान महिलाओं की स्थिति भी चिन्ताजनक.प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के उपायों पर नहीं बन सकी अन्तरराष्ट्रीय सहमति.श्रीलंका को अतीत के साए से निकलकर, बेहतर भविष्य के लिए काम करने का सुझाव.दुनिया भर में, 80 करोड़ लोग अब भी निर्धनता के अँधेरे में, कैसे मिलेगा छुटकारा...चर्चा एसडीजीनामा में....AI के बढ़ते प्रयोग के मद्देनज़र, महिलाओं को, इस तकनीक में सक्षम बनाने के लिए, यूएन वीमेन का एक AI स्कूल.
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...ग़ाज़ा में मानवीय संकट और गहराया, 12 हज़ार से अधिक बच्चे कुपोषण से पीड़ित, उधर ग़ाज़ा पर इसराइल के पूर्ण सैन्य क़ब्ज़े की ख़बरों पर गहरी चिन्ता.अवाज़ा सम्मेलन में, 32 भूमिबद्ध देशों के लिए व्यापार व विकास रणनीति पर चर्चा, और जिनीवा में वैश्विक प्लास्टिक सन्धि वार्ता.एशिया-प्रशान्त में बाघों की वापसी के बारे में, संरक्षण प्रयासों ने किस तरह जगाई नई उम्मीद.माहवारी निर्धनता का व्यापक संकट, इस साल भी, करोड़ों महिलाएँ स्वच्छता उत्पादों से क्यों हैं वंचित.संयुक्त राष्ट्र की एक युवा स्वयंसेविका शिखा श्रीकान्त के साथ ख़ास बातचीत - धरती बचाने में मदद करने की उनकी मुहिम के बारे में.
दुर्लभ प्रजातियों को बचाना हो या सतत जीवनशैली को बढ़ावा देना - एक स्वस्थ धरती ही समृद्ध समाज की नींव है. पेड़ लगाना, सफ़ाई करना या जागरूकता बढ़ाना - हर छोटा क़दम मायने रखता है, और जब ये क़दम युवाओं के हों, तो असर और भी गहरा होता है. 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस था और 12 अगस्त को अन्तरराष्ट्रीय युवा दिवस. इस उपलक्ष्य में हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने बात की भारत में UNV की युवा स्वयंसेवक, शिखा श्रीकान्त से, जो अपने जुनून व अनुभव से धरती की रक्षा में विशेष योगदान दे रही हैं.
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...ग़ाज़ा में कस रहा है भुखमरी और अकाल का शिकंजा, भोजन पाने की आस में अभी तक 1400 लोगों की मौत.कई वर्षों से चल रही है संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की बात, उन सुधारों के लिए UN80 पहल के तहत आज पेश की गईं सिफ़ारिशें.हर रात करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर, तो उसी दुनिया में, हर दिन एक अरब थालियों के बराबर, भोजन कर दिया जाता है बर्बादशिशु के लिए माँ का दूध है अमृत समान, इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व स्तनपान सप्ताह. स्तनपान क्यों है एक सामाजिक निवेश.भारत के शहरों में भविष्य में रोज़गार अवसर, तो बहुत होंगे मगर होंगे बहुत तरह के बोझ और ख़तरे भी.
यूएन मुख्यालय में आयोजित 2025 के उच्च स्तरीय राजनैतिक मंच (HLPF) में, दुनिया भर में, सतत विकास लक्ष्यों यानि SDGs की प्राप्ति के लिए हो रही प्रगति की समीक्षा की गई है. वैश्विक स्तर पर तो यह प्रगति काफ़ी पिछड़ी हुई है. ऐसे में, भारत की जनसंख्या को देखते हुए, देश की एसडीजी प्रगति, वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभाती है. हमने इसी सन्दर्भ में, भारत के नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बैरी के साथ बातचीत की और जानना चाहा कि भारत की एसडीजी स्थिति क्या है...
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...'ग़ाज़ा युद्ध, तानाशाही और जलवायु न्याय, दुनिया नैतिक संकट से दो-चार', ऐसा क्यों कहा यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने.जानेंगे ग़ाज़ा के ताज़ा हालात की जानकारी, जहाँ इसराइली हमलों में मौतें और व्यापक विनाश जारी, सहायता आपूर्ति पर भी पाबन्दी जारी.बहुत से अफ़ग़ान लोग, स्वदेश वापिस तो लौटे, मगर उनके सामने हैं नई मुसीबतें.विश्व स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भारत की प्रगति-यात्रा है किस पड़ाव पर, सुनियेगा, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बैरी के साथ एक ख़ास बातचीत.और, कुछ बात बिहार की जहाँ यूनीसेफ़ ने, किस तरह खेलों को बना दिया है, बच्चों की सेहत और ख़ुशी का मंत्र.
इस सप्ताह के बुलेटिन में:ग़ाज़ा के ताज़ा हालात की जानकारी, जहाँ बीते सप्ताह भी अनेक लोगों की मौत हुई और सुरक्षा परिषद में भी गूंजी युद्धविराम व मानवीय सहायता की पुकारें.जानेंगे कि युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों में, 23 करोड़ से अधिक बच्चे, क्यों स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, और यूनीसेफ़ क्या कर रहा है - एक “खोई हुई पीढ़ी” को बचाने के लिए.बात - उच्च स्तरीय राजनैतिक मंच यानि HLPF के मौजूदा सत्र में - सतत विकास लक्ष्यों की प्रगति पर हो चर्चा की. विकास के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर, सूर्य देव, इस बारे में क्या कहते हैं.भारत की एक और सांस्कृतिक विरासत को मिली, विश्व धरोहर की सूची में जगह. कौन से हैं ये स्थान और क्यों अहम हैं.और जानलेवा - रेबीज़ बीमारी के ख़तरे को किस तरह टाला जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र का उच्चस्तरीय राजनैतिक मंच HLPF हर साल न्यूयॉर्क में आयोजित होता है, जहाँ दुनिया भर की सरकारें और विशेषज्ञ, 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति की समीक्षा करते हैं. यूएन न्यूज़ हिन्दी के महबूब ख़ान ने, विकास के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर सूर्य देव से कुछ इन्हीं मुद्दों पर बातचीत की... क्या 2030 तक ग़रीबी, असमानता और संघर्ष समाप्त होंगे? और क्या सभी के लिए एक बेहतर जीवन सुनिश्चित हो पाएगा...
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या पुरस्कार (2025) से सम्मानित भारत की महिला अधिकार कार्यकर्ता वर्षा देशपांडे का कहना है कि ये केवल किसी एक व्यक्ति को मिला हुआ सम्मान नहीं है. इस अवार्ड से नागरिक समाज के उन सभी कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा मिलेगी, जो दुनिया भर में लिंग आधारित हिंसा, महिलाओं के साथ भेदभाव के विरुद्ध लड़ाई का हिस्सा हैं.वर्षा देशपांडे, दलित महिला विकास मंडल नामक संगठन की संस्थापक, सचिव हैं, और पिछले साढ़े तीन दशकों से महिलाओं के अधिकारों व लैंगिक न्याय के लिए प्रयासरत हैं.वर्षा देशपांडे ने यूएन न्यूज़ हिन्दी को बताया कि यह पुरस्कार एक विशाल दायित्व का एहसास होने के साथ-साथ, देशों की सरकारों के लिए एक सन्देश भी है कि लैंगिक हिंसा व भेदभाव जैसे मुद्दों को और अधिक गम्भीरता से लिया जाना होगा.
इस साप्ताहिक पॉडकास्ट में शामिल हैं...ग़ाज़ा में खाद्य सहायता के इन्तज़ार में हो रही लगातार मौतें, संयुक्त राष्ट्र ने जताया गहरा क्षोभ.वर्षा देशपांडे और जनसंख्या वैज्ञानिक अध्ययन संघ को मिला यूएन जनसंख्या पुरस्कार.दक्षिण एशिया में एनीमिया का बढ़ता स्वास्थ्य संकट, निर्धन महिलाएँ अधिक प्रभावित.मध्य प्रदेश में नाव बनी बदलाव की दिशा, महिलाओं ने संभाली पर्यटन की कमान.और इनसान के पुराने साथी घोड़े की याद में शुरू हुआ विश्व अश्व दिवस.
इस साप्ताहिक पॉडकास्ट में शामिल हैं...विकास के लिए वित्त सम्मेलन, सेविया में हुआ सम्पन्न, ‘दस वर्षों में एक बार मिलने वाला अवसर'ग़ाज़ा में अत्यन्त गम्भीर होते हालात पर अति गम्भीर चिन्ता, आम फ़लस्तीनियों की मौत की कड़ी निन्दा, यूएन प्रमुख ने दोहराई युद्धविराम की अपील भी.टैक्नॉलॉजी के बढ़ते प्रयोग के बीच, अकेलेपन से हर घंटे हो जाती है 100 लोगों की मौत.प्लास्टिक से निकला पक्का रास्ता, पश्चिम बंगाल केमयनागुड़ी की सड़कों पर बिछी है नवाचार की ज़मीन.विश्व बैंक की मदद से, तमिलनाडु में 16 लाख महिलाओं के लिए बेहतर रोज़गार की उम्मीदें.
इस साप्ताहिक बुलेटिन में शामिल हैं...यूएन प्रमुख ने ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की लगाई फिर पुकार. भोजन हासिल करने की आस में लोगों की मौत पर गहरी चिन्ता भी.संयुक्त राष्ट्र चार्टर के 80 साल, शान्ति और इंसाफ़ की अनमोल विरासत.विकास के लिए धन निवेश कोई दान नहीं, बल्कि है कई गुना फ़ायदे का सौदा, अगले सप्ताह सेविया सम्मेलन में कुछ इन्हीं मुद्दों पर होगा ज़ोर.चाँद पर समय तय करना बड़ी पहेली, इस सम्बन्ध में संयुक्त राष्ट्र की एक अहम पहल.राजस्थान की सास-बहुओं से शुरु हुई ख़ामोश क्रान्ति, जिसमें महिलाओं ने परम्पराओं को पीछे छोड़, चुनी सेहत की राह.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ईरान और इसराइल के बीच धधकते टकराव पर, सुरक्षा परिषद की आपात बैठक, यूएन महासचिव ने शान्ति को अवसर देने की लगाई पुकारग़ाज़ा में गहराता भूख संकट, ईंधन की क़िल्लत की वजह से अहम सेवाओं के ठप होने का जोखिमअफ़ग़ानिस्तान में हर 10 में से आठ महिलाएँ, शिक्षा, रोज़गार अवसरों के दायरे से बाहर, भेदभाव व सख़्त पाबन्दियों से पीड़ितविश्व शरणार्थी दिवस पर अपने घर से दूर जीवन फिर शुरू करने वाली आबादी के साथ एकजुटता का आहवानऔर अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, यूएन मुख्यालय में योग सत्र का आयोजन, एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के सन्देश की गूंज
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ईरान के परमाणु केन्द्रों पर इसराइली हमलों के बाद, मध्य पूर्व में भड़का तनाव, यूएन महासचिव ने संयम बरते जाने का किया आग्रहग़ाज़ा में युद्धविराम लागू करने, बन्धकों की रिहाई और मानवीय सहायता की आपूर्ति के लिए महासभा में भारी बहुमत से प्रस्ताव पारितभारत के अहमदाबाद से लन्दन जा रहे एयर इंडिया विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर गहरा शोकपरिवारों के घटते आकार, प्रजनन दर में गिरावट के पीछे छिपी हैं सामाजिक व आर्थिक विवशताएँऔर बाल श्रम के उन्मूलन का वादा अब भी अधूरा, 13 करोड़ से अधिक बच्चे अब भी बाल श्रम का शिकार
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ग़ाज़ा में भोजन का अभाव, फ़लस्तीनी आबादी को धकेल रहा है भुखमरी की ओरपूर्व जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक, 80वें सत्र के लिए महासभा अध्यक्ष निर्वाचितसुरक्षा परिषद में पाँच नए सदस्य देशों का चुनाव, 1 जनवरी 2026 से होगा कार्यकाल शुरूपृथ्वी, नदियों, महासागरों, पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य पर प्लास्टिक कचरे का बढ़ता प्रहार, समाधान ढूंढने की कोशिशें भीमानवता के लिए जल व आजीविका के अहम स्रोत हैं, ग्लेशियरएक रिपोर्ट, टिकाऊ परिवहन के सरल, भरोसेमन्द, पर्यावरण अनूकूल साधन साइकिल पर
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ग़ाज़ा में हिंसक युद्ध के 600 दिन, फ़लस्तीनी आबादी सामूहिक विस्थापन व भरपेट भोजन नहीं मिल पाने की शिकार.यूक्रेनी शहरों पर रूसी सैन्य बलों के सिलसिलेवार हमलों से शान्ति उम्मीदों को लगा बड़ा झटका.हिमनदों से जुड़ा है मानवता का भविष्य, ग्लेशियर संरक्षण के लिए अहम सम्मेलन का आयोजन.यूएन शान्तिरक्षक दिवस के अवसर पर सुनिएगा दक्षिण सूडान में तैनात एक भारतीय शान्तिरक्षक का सन्देश.तम्बाकू के लुभावने स्वाद के जाल में फँसती जा रही है युवा पीढ़ी.आलू सिर्फ़ एक फ़सल नहीं, बल्कि एक इतिहास, एक संस्कृति और भविष्य की सुरक्षा का साधन भी.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ग़ाज़ा की, जहाँ युद्ध और भुखमरी से त्रस्त लोगों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ने अपनी योजना को अपनाए जाने का इसराइल से किया आग्रह, उधर बीते सप्ताह इसराइली हमलों में 629 लोगों की मौत.कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में मचाई थी भीषण उथल-पुथल, मगर क्या दुनिया फिर ऐसी किसी अन्य महामारी का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है. इसी उद्देश्य से हुआ है एक महामारी तैयारी समझौता.शान्ति निर्माण और राजनैतिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागेदारी से बढ़ती है शान्ति और स्थिरता, कुछ ऐसी ही प्रक्रिया, यूएन की मदद से चल रही है दक्षिण सूडान में.जैव विविधता हमारे जीवन और पृथ्वी के संरक्षण के लिए है बहुत ज़रूरी, मगर फिर भी मानवता को इसकी क़द्र और फ़िक्र नहीं.इन सबके अलावा सुनिएगा एक विशेष इंटरव्यू - भारत की एक शान्तिरक्षक मेजर लिश्मिथा बारिक अय्यप्पा के साथ, जो दक्षिण सूडान में शान्ति स्थापना में सक्रिय योगदान कर रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय शान्ति रक्षक दिवस पर मिलिए भारत की एक शान्तिरक्षक मेजर लिश्मिथा बारिक अयप्पा से, जो दक्षिण सूडान में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में तैनात हैं. उन्होंने यूएन हिन्दी की पूजा यादव के साथ ख़ास बातचीत में ना केवल अपनी ज़िम्मेदारियों और अनुभवों के बारे में जानकारी साझा की, बल्कि यह भी बताया कि वो कैसे वहाँ की स्थानीय जनता और समुदायों की मदद कर रही हैं — जागरूकता फैलाकर, शिक्षा के ज़रिए बदलाव लाकर...
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ग़ाज़ा में बीती रात, एक और इसराइली हमले में कम से कम 64 लोगों के मारे जाने की ख़बरें. साथ ही, मानवीय सहायता सामग्री के हमास की तरफ़ जाने के आरोपों का ज़ोरदार खंडन.यूएन शान्तिरक्षा अभियानों के लिए और अधिक समर्थन व धन सहायता का आग्रह.कोविड-19 के कारण सम्पन्न देशों में भी बच्चों की शिक्षा पर पड़ा गहरा असर, बहुत से बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ा.कोविड-19 के दौरान लोगों ने क्या सबक़ सीखे, और उन्हें भविष्य में इसी तरह की महामारियों से बचने के लिए किस तरह किया जा सकता है इस्तेमाल.भारत में विकलांगता समावेशन पर आयोजित हुआ एक फ़िल्मोत्सव, सुनिएगा भारत में WFP के संचार प्रमुख परमिन्दर सिंह के साथ एक विशेष इंटरव्यू.
दुनिया को कोविड-19 जैसी महामारियों का मुक़ाबला करने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से, हाल ही में देशों के बीच एक वैश्विक महामारी तैयारी समझौते के मसौदे को, अन्तिम रूप दिया गया था. इसे सोमवार 19 मई से आयोजित हो रही विश्व स्वास्थ्य सभा में पारित किए जाने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. भारत में संयुक्त राष्ट्र की स्वेच्छा सेवा संस्था UNV के UNDP में कार्यरत यूथ मोबिलाइज़र निखिल गुप्ता ने, कोविड -19 महामारी के दौरान एक स्वयंसेवक के रूप में व्यापक स्तर पर काम किया था. यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने उनसे कोविड - 19 के दौरान उनके कामकाज, उससे मिले सबक़ और विश्व स्वास्थ्य सभा से जुड़ी उम्मीदों पर बातचीत की...
फ़िल्में माध्यम होती हैं - कहानियाँ सुनाने का – ख़ुशी और ग़म, प्यार और दर्द, जीत और हार की कहानियाँ. भारत में संयुक्त राष्ट्र ने इस सप्ताह, यूनेस्को व ब्रदरहुड जैसे भागीदारों के साथ मिलकर, We Care फ़िल्मोत्सव का आयोजन किया. इस फ़िल्मोत्सव में, एक दृष्टिहीन व्यक्ति की कहानी पर बनी भारत की फ़िल्म ‘श्रीकान्त' से लेकर, विकलांगता के कई आयामों को छूती रूस, इसराइल व ईरान जैसे देशों की कई फ़िल्मों को पुरस्कार से नवाज़ा गया. कार्यक्रम में विकलांग समावेशन पर पैनल चर्चाएँ भी हुईं, जिनमें सिनेमा जगत में विकलांगजन के प्रतिनिधित्व वाली अधिक फ़िल्मों को प्रोत्साहन देने पर बल दिया गया, जिससे समाज में इन मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ सके. पैनल चर्चा के बाद यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने बात की, संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) में संचार प्रमुख परविन्दर सिंह के साथ जो ख़ुद एक विकलांग व्यक्ति होने के नाते, वर्षों से विकलांगजन के अधिकारों व समावेशन के क्षेत्र में काम करते रहे हैं...
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...भारत और पाकिस्तान से तनाव कम करने और सैन्य टकराव से बचने की पुरज़ोर अपील.यूएन मानवीय एजेंसियों ने, ग़ाज़ा में सहायता आपूर्ति पर नियंत्रण के लिए, इसराइल की योजना को किया रद्द.AI, लाखों-करोड़ों लोगों की भलाई के लिए साबित हो सकती है एक शक्तिशाली उपाय.मानव विकास के सूचकांक में, भारत की स्थिति हुई कुछ बेहतर, UNDP-भारत में एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री अमी मिश्रा के साथ विशेष इंटरव्यू.भारत में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में आई ऐतिहासिक गिरावट.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रिपोर्ट (HDR) में कहा गया है कि इस क्षेत्र में वैश्विक मन्दी बरक़रार है, जो वैश्विक प्रगति के लिए ख़तरा है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत मानव विकास सूचकाँक में 130वें स्थान पर, मध्यम विकास श्रेणी में बना हुआ है. भारत का एचडीआई मूल्य 1990 की तुलना में, 53% अधिक बढ़ गया है, जो वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से ज़्यादा है. जीवन प्रत्याशा 1990 में 58.6 वर्ष से बढ़कर 2023 में 72 वर्ष हो गई है, जो सूचकाँक शुरू होने के बाद की सर्वाधिक वृद्धि है. मानव विकास रिपोर्ट में भारत के सन्दर्भ में जारी इन आँकड़ों के क्या मायने हैं, यह जानने के लिए यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने बात की, भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री, अमी मिश्रा से.
इस साप्ताहिक समाचार बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...यूएन प्रमुख, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के मद्देनज़र, जल्द ही कर सकते हैं दीगर बातचीत.ग़ाज़ा पट्टी में सहायता सामग्री के प्रवेश पर दो महीने से लगी इसराइली पाबन्दी से, भुखमरी की आशंका.दुनिया भर में, सहायता धनराशि में कटौती से, लाखों लोगों की जान को ख़तरा, कहा OCHA प्रमुख टॉम फ़्लैचर ने.हाल ही में यूएन मुख्यालय में हुए युवा ECOSOC मंच, में शिरकत करने वाले कुछ युवाओं से बातचीत की झलकियाँ.भारत के मध्य प्रदेश में, रीवा ज़िले में कुछ महिलाओं ने, नवीन तकनीक के प्रयोग पर मिली चुनौतियों को कैसे किया ग़लत साबित.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...जम्मू - कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की, सुरक्षा परिषद द्वारा तीखी निन्दा.यूएन प्रमुख ने, पहलगाम में आतंकी हमले के बाद, भारत-पाकिस्तान से अधिकतम संयम बरते जाने की अपील भी की.इसराइल द्वारा ग़ाज़ा में सहायता सामग्री के प्रवेश पर कई सप्ताहों की पाबन्दी से हालात हुए भीषण.यूक्रेन में रूस के हालिया हमलों में अनेक शहर आए चपेट में, अनेक लोग हताहत भी.डिजिटल सार्वजनिक ढाँचा (DPI) तैयार करने में, भारत के अग्रणी प्रयासों की सराहना.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...म्याँमार में घातक भूकम्प के कई सप्ताहों बाद भी लोग, आपदा हालात में जीने को मजबूर.ग़ाज़ा में भीषण युद्ध के साथ-साथ, दुस्सूचना का युद्ध भी है जारी, कहना है UNRWA के प्रमुख का.दक्षिण सूडान में यूएन मिशन कमांडर लैफ़्टिनेंट जनरल मोहन सुब्रमण्यन की चेतावनी – देश में गृह युद्ध फिर भड़कने के हालात.कोविड-19 जैसी महामारी से निपटने की तैयारी के लिए एक समझौते के मसौदे पर सहमतियूएन मुख्यालय में युवा फ़ोरम में शिरकत करने वाली सोनल गुप्ता के साथ ख़ास बातचीत.यूनीसेफ़ ने, बिहार के विद्यालयों में लड़कियों के लिए माहवारी के दिनों में देखभाल व आराम के लिए स्थापित किए सहेली कक्ष.
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में, बीते सप्ताह 'यूथ ECOSOC फ़ोरम' आयोजित हुआ जिसमें दुनियाभर से युवा भागीदारों ने शिरकत करके, वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार और समाधान पेश किए. इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम में भारत से भी अनेक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें सोनल गुप्ता भी शामिल थीं.सोनल गुप्ता ने, यूएन न्यूज़ हिन्दी की पूजा यादव के साथ विशेष बातचीत में बताया कि आज की युवा पीढ़ी साइबर सुरक्षा और डिजिटल अधिकारों जैसे महत्वपूर्ण विषयों को किस तरह से समझती है और उनके समाधान में सक्रिय भूमिका निभा रही है...
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...म्याँमार में भूकम्प से प्रभावित समुदायों तक मदद पहुँचाने के लिए 24 करोड़ डॉलर की सहायता अपीलग़ाज़ा में इसराइली बमबारी और जगह छोड़ कर जाने के आदेशों के बीच, भोजन व दवाओं की क़िल्लत से जूझ रही है फ़लस्तीनी आबादीसूडान में गृहयुद्ध का ख़ामियाज़ा भुगत रही हैं 60 लाख विस्थापित महिलाएँ व लड़कियाँ, यौन हिंसा मामलों पर गहरी चिन्तायुद्धग्रस्त यूक्रेन में आम नागरिकों के लिए घातक साबित हुआ मार्च का महीनागर्भावस्था व प्रसव के दौरान मातृत्व मौतों की रोकथाम में प्रगति की सुस्त रफ़्तार, वित्तीय समर्थन में कटौती से बढ़ा जोखिम
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...म्याँमार में भूकम्प से हुई बर्बादी के बाद, ज़रूरतमन्द आबादी के लिए राहत अभियान में जुटी यूएन एजेंसियाँ, बेरोकटोक मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराने की मांगग़ाज़ा में युद्धविराम टूटने के बाद से अब तक एक हज़ार से अधिक फ़लस्तीनियों के मारे जाने की निन्दा, सहायताकर्मियों की सुरक्षा की पुकारअगले कुछ सालों में, एआई बन सकता है हज़ारों अरब डॉलर का बाज़ार, मगर डिजिटल दरारें गहरी होने का जोखिम भीलड़ाई ख़त्म होने के बाद भी, दुनिया भर में करोड़ों लोगों पर बारूदी सुरंगों की चपेट में आने का जोखिमऑटिज़्म की अवस्था में जीवन गुज़ार रहे लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की अपील
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...शक्तिशाली भूकम्प से दहला म्याँमार, थाईलैंड भी चपेट में, बड़े पैमाने पर जान-माल के नुक़सान की आशंका, राहत कार्य में जुटी यूएन सहायता एजेंसियाँग़ाज़ा पट्टी में बमबारी के बीच खाद्य सामग्री समेत ज़रूरी सामान की क़िल्लत, मगर सहायता क़ाफ़िलों के प्रवेश पर इसराइली पाबन्दी बरक़रारगम्भीर राजनैतिक, आर्थिक व मानवीय संकट से जूझ रहे दक्षिण सूडान के लिए, यूएन महासचिव ने लगाई समर्थन की पुकारफ़ैशन की होड़ में, दुनिया भर में बढ़ रहा है कचरे का संकटट्रांस-अटलांटिक दास व्यापार व दासता के लिए ज़िम्मेदार नस्लवादी विचारधाराओं को ख़ारिज करने का आग्रह
इस सप्ताह के बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...ग़ाज़ा पट्टी में इसराइल के नए सिरे से सैन्य हमलों और मानवीय सहायता पर पाबन्दी जारी रहने से, हालात और भी बदतर.यूएन प्रमुख ने यूक्रेन में युद्धविराम और न्यायसंगत शान्ति स्थापना की ज़रूरत पर दिया ज़ोर.हिमनदों का, बहुत तेज़ रफ़्तार से पिघलना, गम्भीर चिन्ता की बात, मौसम वैज्ञानिकों की चेतावनी.महिलाओं की स्थिति पर आयोग का 69वाँ सत्र वैश्विक चर्चाओं के साथ सम्पन्न.संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश के साथ, महिला सशक्तिकरण और यूएन सुधारों के बारे में एक विशेष इंटरव्यू.
विश्व भर में हिमनद (ग्लेशियर) की अहमियत पर जागरुकता प्रसार और बचाव उपायों के उद्देश्य से 21 मार्च को पहली बार ‘विश्व हिमनद दिवस' का आयोजन हो रहा है और 2025 को ग्लेशियर संरक्षण का वर्ष घोषित किया गया है.बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण, हिमनद के पिघलने की रफ़्तार में अभूतपूर्व तेज़ी आ रही है, और यदि उनका पिघलना इसी दर से जारी रहा तो अगले कुछ दशकों में कई क्षेत्रों में, इन महत्वपूर्ण जल स्रोतों के लिए ख़तरा पैदा हो जाएगा और प्रभावित आबादी विस्थापित होने के लिए मजबूर हो सकती है. यूएन मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर सुलग्ना मिश्रा ने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ एक बातचीत में बताया कि ग्लेशियर का पिघलना समुद्री जलस्तर में वृद्धि और मौसमी बदलावों की भी एक बड़ी वजह है, और निचले क्षेत्रों में रहने वाले करोड़ों लोगों के लिए, इसके विनाशकारी परिणाम होने की आशंका है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजदूत पी हरीश ने, बदलते वैश्विक वातावरण के मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधारों की पुरज़ोर हिमायत की है. उन्होंने यूएन न्यूज़ हिन्दी के महबूब ख़ान के साथ विशेष बातचीत में, महिला सशक्तिकरण के लिए हो रहे प्रयासों के साथ-साथ, मानवाधिकारों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने में भारत की डॉक्टर हंसा मेहता के अहम योगदान की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया है. राजदूत पी हरीश ने शान्तिरक्षा अभियानों में भारत के सक्रिय योगदान का ब्यौरा भी दिया है.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश, अपनी वार्षिक रमदान एकजुटता यात्रा में, इस वर्ष पहुँचे बांग्लादेश, रोहिंज्या शरणार्थियों के लिए जताया समर्थन.क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइली बलों द्वारा यौन व लिंग आधारित हिंसा को, युद्ध के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के आरोप.इस साल यूएन हो रहा है 80 वर्ष का, इस विश्व संगठन में सुधारों की मुहिम.सहायता धनराशि में भारी कटौती से अनेक स्थानों पर जीवनरक्षक अभियानों में कटौती.न्यूयॉर्क मुख्यालय में, महिला सशक्तिकरण व लैंगिक समानता की पुकारें.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर, लैंगिक मज़बूती की पुरज़ोर पुकारें.युद्ध से तबाह ग़ाज़ा में, मानवीय सहायता प्रवेश पर इसराइली रोक पर गहरी चिन्ताएँ.सिंथेटिक ड्रग्स के बढ़ते उत्पादन और व्यापार से स्वास्थ्य संकट बढ़ने का जोखिम.अफ़ग़ानिस्तान में क़रीब 1.5 करोड़ लोगों के उच्च खाद्य असुरक्षा से पीड़ित होने की आशंका.और भारत की मानवाधिकार पैरोकार डॉक्टर हंसा मेहता की याद में, यूएन मुख्यालय में व्याख्यान.
इस साप्ताहिक बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा, मानवीय सहायता व विकास कार्यों के लिए वित्तीय समर्थन में कटौती की घोषणा, पर यूएन महासचिव की गहरी चिन्ता.ग़ाज़ा पट्टी में नाज़ुक युद्धविराम को जारी रखने और संकट के समाधान के लिए एकजुट रुख़ अपनाने की अपील.यूक्रेन में रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के तीन वर्ष, पुनर्निर्माण कार्यों के लिए 524 अरब डॉलर की दरकार.2050 तक दुनिया भर में स्तन कैंसर के मामलों में 40 फ़ीसदी की वृद्धि का अनुमान.महिला शान्तिरक्षकों के लिए पहली बार सम्मेलन, नई दिल्ली में आयोजित, एक विशेष रिपोर्ट.
भारत की राजधानी नई दिल्ली में, 24 और 25 फ़रवरी को महिला शान्तिरक्षक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 'वैश्विक दक्षिण' क्षेत्र के देशों के 35 सैनिक योगदानकर्ता देशों की महिला शान्तिरक्षकों ने भाग लिया. संयुक्त राष्ट्र की पहली महिला पुलिस सलाहकार, भारत की डॉक्टर किरण बेदी ने भी इस सम्मेलन में शिरकत की. यूएन न्यूज़ की अंशु शर्मा ने, किरण बेदी से, एक शान्तिरक्षक के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में उनके सफ़र के बारे में विस्तार से बातचीत की और पूछा कि शान्तिरक्षा के लिए उनका चुनाव किस तरह हुआ व उनके लिए यह अनुभव कैसा रहा? किरण बेदी ने बताया कि वर्ष 2000 में, जब सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 के तहत, सभी शान्ति और सुरक्षा प्रयासों में, महिलाओं की भागेदारी बढ़ाने का प्रावधान किया गया, तब भारत के विदेश मंत्रालय से आए एक फ़ोन ने उनके करियर की दिशा ही बदल दी.