जमशेद क़मर सिदà¥à¤¦à¥€à¤•ी के साथ चलिठकहानियों की उन सजीली गलियों में जहां हर नà¥à¤•à¥à¤•ड़ पर à¤à¤• नया किरदार है, नठक़िसà¥à¤¸à¥‡, नठà¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ के साथ ये कहानियां आपको कà¤à¥€ हसाà¤à¤‚गी, कà¤à¥€ रà¥à¤²à¤¾à¤à¤‚गी और कà¤à¥€ गà¥à¤¦à¤—à¥à¤¦à¤¾à¤à¤‚गी à¤à¥€ चलिà¤, गà¥à¤œà¤¼à¤°à¥‡ वकà¥à¤¤ की यादों को कहानियों में फिर जीते हैं, नठकी तरफ बढ़ते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ को समेटते हैं. सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं ज़िंदगी के चटख रंगों में रंगी, इंसानी रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के नरà¥à¤® और नà¥à¤•ीले à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ की कहानियां, हर इतवार, सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€à¤¬à¥‰à¤•à¥à¤¸ में. Jamshed Qamar Siddiqui narrates the stories of human relationships every week that take the listener on the rollercoaster of emotions, love, and laughter. Stories are written by Jamshed and by his fellow writers that talks about the various colors of life conflicts from father-son relationships to love triangle. Stories that let you be someone else for some time to see this world from a different angle.
मुल्क में हालात खराब थे. हर तरफ नफरत की आग धधक रही थी. सोशल मीडिया पर दोनों तरफ से नाराज़गी साफ दिख रही थी. और ऐसे समय में समर्थ को अंसारी साहब के दरवाज़े पहुंचना था, उस गली में जहां उसका बचपन गुज़रा था, पर अब वो इलाका उसका 'अपना' नहीं रहा था. सुनिए पूरी कहानी 'नफरत ऑनलाइन' स्टोरीबॉक्स में.
वो सात साल का बच्चा स्कूल के अकेले कमरे में किससे बातें करता था? वो कौन था जो हमेशा उसके साथ रहता था लेकिन और किसी को दिखाई नहीं देता था? सुनिए कहानी 'मुझे मरे हुए लोग दिखते हैं' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
जब जेब में आखिरी अठन्नी बची तो मैं बाज़ार से बैंगन खरीद लाया लेकिन बावर्ची खाने में जब बीवी ने बैंगन को काटा तो उसमें उसे कुछ अजीब सा निशान दिखाई दिया जिसे ग़ौर से देखो तो लग रहा था 'अल्लाह' लिखा है - सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी अल्लाह मियां का बैंगन
वो लड़का हर सवाल के सही जवाब देता था चाहे आप उससे इतिहास पर पूछिए या राजनीति पर, धर्म पर पूछिये या विज्ञान पर. उसे सब पता था लेकिन उस जीनियस लड़के की एक बचकानी ख्वाहिश भी थी जो कोई नहीं जानता था. सुनिये स्टोरीबॉक्स में कहानी - वो जीनियस लड़का
आशिक़ अली ने ईद का दिन चुना था अपनी मुहब्बत के इज़हार के लिए लेकिन क्या उन्हें मिल पाएगी मुहब्बत की ईदी? सुनिए स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
अजनबी शहर में उस अजनबी औरत ने अचानक मेरे कान के पास आकर कहा, "सच जानना है तो मेरे साथ आइये" पता नहीं मैं उसकी खूबसूरती से मुतास्सिर था या उसके अंदाज़ से मैं उसके पीछे चल दिया - सुनिए चतुर्सेन शास्त्री की कहानी 'कलकत्ता की एक रात' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
जिलानी साहब के बेटे की सगाई में बड़ी दावत का इंतज़ाम था लेकिन ऐन वक्त पर जब लोग खाने का लुत्फ़ ले रहे थे तो पता चला कि कुछ लोग बिन बुलाए दावत में घुस आए हैं - कैसे पकड़ेंगे उन बिन बुलाए लोगों को जिलानी साहब - सुनिए स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
नब्बे के दशक की एक उदास प्रेम कहानी जिसमें तृष्णा और केशव ने प्रेम की एक नई परिभाषा गढ़ी जो सदियों तक याद की जाएगी. सुनिए रश्मि कुलश्रेष्ठ की लिखी कहानी 'शेष रहेगा प्रेम' का एक हिस्सा स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से.
एक ज़मीन जो अपनों का खून मांगती थी और उसके बदले में देती थी लहलहाती फसल. ज़मीन से पैदावार निकालने के इस लालच भरे खेल में बहा बेइंतिहा खून और काट कर डाल दी गयी अपनों की लाशें - सुनिए पूरी कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से. साउंड मिक्सिंग: रोहन भारती
नफ़रत की आग में पूरा शहर जल रहा था. हर तरफ लाशों के ढेर लगे थे. कहीं से हर हर महादेव के नारे की आवाज़ आती थी कहीं से अल्लाह हुअकबर की. यूनुस खान नाम का बलोच अपने ट्रक से गुज़र रहा था कि उसे सड़क किनारे एक छोटी बच्ची खून से लथपथ दिखाई दी - सुनिए कृष्णा सोबती की लिखी कहानी 'मां कहां है' साउंड मिक्सिंग: रोहन भारती
उस दोपहर घर के कबाड़ वाले कमरे में कुछ ढूंढते हुए मेरी नज़र एक पुरानी किताब पर पड़ी. धूल से पटी वो किताब कोई नॉवेल थी. मैंने उसे खोला तो अंदर से एक कागज़ सरक कर नीचे गिरा. मैंने पढ़ा तो वो ख़त उनके प्रेमी का था. सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में. साउंड मिक्सिंग: सूरज सिंह
बहुत पुराने वक्त की बात है. एक शहर था जहां सब कुछ ठीक था. ठीक इसलिए था क्योंकि उस शहर में कोई किसी से शिकायत नहीं करता था. लोगों में ज़ब्त का बड़ा माददा था. उदास चेहरे , भूख और बेकारी तो थी लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक था. लोग अपने शहर के हुक्मरान से प्यार करते थे. क्रांति स्थगित थीं क्योंकि क्रांतिकारियों को दफ़्तर से छुट्टी नहीं मिलती थी लेकिन हां कुछ क्रांतिकारी वक्त निकालकर वीकेंड-वीकेंड पर क्रांति करते थे. सुनिए कहानी 'वीकेंड के क्रांतिकारी' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से. साउंड मिक्सिंग: सूरज सिंह
हम उस जेनरेशन से आते हैं जो इश्क़ करना फिल्मों से सीखती है जहां हर पल कुछ हो रहा होता है. कोई शरारत, कोई बात, कोई बातचीत. हम समझते हैं कि इश्क़ में ऐसा ही होता है और अगर ये नहीं है तो इश्क़ बोरिंग है लेकिन हकीकत ये है कि इश्क़ उन शादीशुदा पुराने लोगों के बीच भी होता है जो एक कमरे में बैठे बिना बात किये खामोशी से अपना अपना काम करते रहते हैं. उनका इश्क़ वक्त के साथ मैच्योर हो जाता है - सुनिये कहानी 'पहली सी मुहब्बत' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से. साउंड मिक्सिंग: रोहन भारती
हमारे मुहल्ले में एक साहब रहते हैं जिनके 6 बच्चे हैं और सारे के सारे बच्चे इतने शैतान कि जिस तरफ जाते हैं लगता है टिड्डी किसी खेत पर हमला करने जा रहे हैं. एक रोज़ वो साहब अपने सारे बच्चों और बीवी के साथ हमाए घर मोहल्लेदारी करने आ गए. बच्चों ने पूरे घर का जायज़ा इस तरह लेना शुरु कर दिया जैसे वो किसी कमरे में नहीं, किसी जंगल में आए हों. उसके बाद दो बच्चों ने टार्ज़न की तरह खौफनाक चीख अपने हलक से निकाली और रेडियो की तरफ लपके - सुनिये कृष्ण चंदर की कहानी का एक हिस्सा 'मुझे बच्चों से बचाओ' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
"दुनिया में औलाद और मां-बाप की ये कहानी हज़ारों बार दोहराई जा चुकी है पर ये कहानी है कि कभी पुरानी नहीं होती. ये कहानी तब तक दोहराई जाएगी जब तक औलादें उतनी मुहब्बत अपने मां-बाप से करना नहीं सीखेंगी. फिक्र मत करो, घर तुम्हारे नाम कर दिया है बेटा" - सुनिये उम्र के आखिरी मोड़ पर खड़े एक शख्स की आखिरी मुहब्बत और उसके बेटे की नाराज़गी की कहानी - चलो एक बार फिर से - स्टोरीबॉक्स में जमशेद कमर सिद्दीक़ी से
उनकी हर बात 'नहीं' से शुरु होती थी. मान लीजिए आप उनसे कहें कि आज बड़ी सर्दी है, वो कहेंगे "नहीं, कल ज़्यादा पड़ेगी" आप कहिए, "मैं कल सड़क पर फिसल कर गिर गया" वो फौरन कहेंगे, "नहीं, ये तो कुछ भी नहीं, मैं तो एक दफ़ा ऐसा फिसला था कि क्या बताऊं, हुआ यूं कि..." और फिर किस्सा शुरु कर देंगे. हमेशा चूड़ीदार पैजामा पहनते थे औक मूंछों पर ताव देते थे. पैजामा के इज़ारबंद में चाबियों का गुच्छा बंधा रहता था. उस गुच्छे में पुराने-पुराने ताले की चाबियां थी जिनके ताले खो चुके थे - वो कोई और नहीं बशारत अली ख़ान यानि मेरे ससुर साहब थे. सुनिए पूरा किस्सा स्टोरीबॉक्स में
निज़ामुद्दीन एक्सप्रेस में मिले दो अजनबी खेलते हैं ट्रेन में कौन सा ख़तरनाक खेल? सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी की नई थ्रिलर कहानी - दा निज़ामुद्दीन एक्सप्रेस
वो नए साल की रात थी... चैपल स्ट्रीट से घर लौटते एक शख्स को एक औरत की लाश पड़ी मिली... लाश का सर धड़ से अलग था. और उसे बेरहमी से मारा गया था. जिस्म के सारे नाखून खींच लिये गए थे और सर से सारे बाल नोच लिये गये थे. पुलिस को ख़बर की गयी लेकिन जबतक पुलिस पहुंची तब तक इलाके में एक और कत्ल हो गया. दो रोज़ के बाद पुलिस को एक खत मिला जिसमें कातिल ने कहा था कि कत्ल का ये सिलसिला अब तब ही रुकेगा जब इस दुनिया से आखिरी बेवफ़ा औरत भी खत्म हो जाएगी - सुनिए इतिहास के सबसे खूंखार सीरियल किलर की सच्ची घटना स्टोरीबॉक्स में, जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
"तुम कहना क्या चाहती हो, क्या ये कह रही हो कि मैं नहाता नहीं हूं, मैं तो रोज़ नहाता हूं बल्कि दिन में दो बार नहाता हूं" - "देखिए, दो डोंगा पानी डाल कर पोछ लेने को नहाना नहीं कहते, कभी बाथरूम में रखी वो लाल रंग की टिकिया देखी है उसे साबुन कहते हैं, कभी इस्तेमाल की है वो" - "नहीं, मैं साबुन नहीं लगाता क्योंकि साबुन में तेज़ाबी चीज़ें होती हैं और उससे स्किन ख़राब हो जाती है" - सुनिए मंटो के लिखी एक कहानी का हिस्सा 'मेरे पति की पतलून' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
सर्द रात में उसकी बेटी बुखार से बुरी तरह से तप रही थी लेकिन उसकी जेब में इतना पैसा भी नहीं था कि एक चादर ख़रीद सकता. बेटी अपनी कंपकपी छुपा रही थी ताकि बूढ़ा बाप अपनी बेबसी पर कम शर्मिंदा हो लेकिन उसके कांपते हुए होंठ उसका साथ नहीं दे रहे थे. बाप उठा और कब्रिस्तान की तरफ चल दिया - सुनिए कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
चुगलखोर चाचा जब मर कर दूसरी दुनिया में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वो तो दोज़ख में भेज दिये गए हैं। वहां उन्होंने क्या किया कि उन्हें वापस जन्नत भेजा गया और आखिर क्यों उन्हें जन्नत रास नहीं आई - सुनिए पूरी कहानी स्टोरबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
बात सिर्फ एक ग्लास पानी की थी लेकिन घर में रखा पानी बदबूदार था. उसका गला इस क़दर सूख गया था कि बस मरने ही वाला था और पूरे गांव में सिर्फ एक कुआं था जहां पानी मिल सकता था और वो था ठाकुर साहब का कुआं. उस कुएं से पानी पीना उसके लिए मना था लेकिन उसकी पत्नी ने फैसला किया कि वो आधी रात को जाएगी पानी लेने के लिए - सुनिए कहानियों के बादशाह मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी 'ठाकुर का कुआं' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीकी से
उस रात मानव इतिहास में पहली बार एक अनोखा काम होने जा रहा था। एक आदमी जिसे खुद एक काम नहीं आता था वो आदमी वही काम दूसरे को सिखाने जा रहा था. वो काम था स्कूटर चलाना सिखाना. हमने सोचा था कि सिखाने में क्या मुश्किल है बस यही तो कहना है - सामने देखो-सामने देखो, बैलेंस बनाओ-बैलेंस बनाओ... चलाने वाला सीखता तो खुदी है... पर हम ग़लत थे उस रात कुछ ऐसा हो गया कि भुलाए नहीं भूलता - स्टोरीबॉक्स में सुनिए कहानी जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
एक शायर साहब किसी सरकारी दफ्तर से बाहर आ रहे थे कि तभी तेज़ आंधी चलने लगी. आंधी में एक पेड़ टूटकर गिरा और शायर साहब उसके नीचे दब गए. शायर साहब चिल्लाए कि कोई मुझे बचाओ, ये पेड़ हटाओ. तभी वहां से एक अधिकारी का चपरासी गुज़र रहा था. उसने कहा आप कौन हैं, वो दबा हुआ शख्स बोला, मैं शायर हूं, शेर सुनाता हूं। - सुनिए स्टोरीबॉक्स में मशहूर राइटर कृष्ण चंदर की लिखी कहानी 'जामुन का पेड़' का एक हिस्सा
कॉफी का रंग घुलने लगा था। बावर्ची खाने में आंखों के कोरों पर ग़म को पोंछते हुए ज़ैनब चाय की पत्ती का डिब्बा ढूंढने लगी। दूसरी शादी का पहला दिन था वो। सब कुछ कितना अजनबी लग रहा था वहां। वो दीवारें, वो शेल्फ़, वो बर्तन... जैसे वो किसी अंजानी सड़क से गुज़र रही हो और तमाम अजनबी आंखें घूर रही हों। एक मां के तौर पर भी उसे खुद से शिकवा था, इस रिश्ते के लिए उसने अपने बच्चे को छोड़ दिया था - सुनिए पूरी कहानी 'कभी मैं, कभी तुम' जमशेद कमर सिद्दीक़ी से
मीरपुर के उस जलसे में मुझे स्टेज पर भेज दिया गया और दर्जनों लोग स्टेज पर आकर मुझसे गले लग कर जा रहे थे तभी मुझे मेरी जेब हलकी महसूस हुई. देखा तो कोई मेरा बटवा मार गया था. पैसे खोने का अफसोस नहीं था, डर इस बात का था कि बटुवे में रखा मेरे भाषण वाला पर्चा भी चला गया. सामने पांच हज़ार लोग थे। समझ नहीं आ रहा था कि अब बोलूं तो बोलूं क्या - सुनिए पतरस बुखारी की लिखी एक कहानी का हिस्सा - 'मीरपुर के पीर' जमशेद कमर सिद्दीक़ी से
पत्नी का गुज़रे कुछ साल हुए थे कि मंशी जी बिल्कुल ज़िंदगी से अलग हो गए थे. किसी चीज़ में मन नहीं लगता था. कोई भूला भटका घर आ जाए तो उसे अपनी पत्नी के क़िस्से सुनाते रहते थे. पर एक रोज़ मैंने देखा कि वो सुबह सवेरे बन ठन कर कहीं निकल रहे हैं मैंने पीछा किया और जो देखा वो देख कर हैरान रह गया. पार्क में एक मोहतरमा उनका इंतज़ार कर रही थीं - सुनिये मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'स्मृति का पुजारी' से एक खास हिस्सा स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीकी से
रातें सर्द होने लगी थीं और उसके पास रहने का कोई इंतज़ाम नहीं था. उसने बहुत सोचा और फिर इस नतीजे पर पहुंचा कि उसके लिए अगले तीन महीने के लिए जेल से अच्छी जगह कोई नहीं है. उसे वहां मुफ्त खाना भी मिलेगा और कंबल भी. लेकिन सवाल ये था कि जेल जाने के लिए क्या किया जाए. उसने एक प्लान बनाया - सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
वो गुड़गांव के दफ्तर में होने वाली गरबा नाइट थी। फालगुनी पाठक उसमें चीफ गेस्ट थीं। हर तरफ डांडिया थामे सजे-धजे लोग और माहौल में म्यूज़िक गूंज रही थी लेकिन इस भीड़ में एक लड़का था इशान.. जिसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं क्योंकि उसे गरबा खेलते-खेलते करना था ब्रेकअप... सुनिए पूरी कहानी स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
मुझे ये क्यों लग रहा था कि मैं उस घर में अकेला नहीं हूं. कोई और भी है जो मेरे आसपास खड़ा मुझे देख रहा है. बिजली तेज़ से कौंधी और तभी मैंने वो देखा जो मैं अपनी मौत तक कभी नहीं भूल पाऊंगा. सुनिए स्टोरीबॉक्स में हॉरर कहानी 'उस घर में कौन था?'
एक शायर साहब ने कुत्ता पाला और न सिर्फ पाला बल्कि उस कुत्ते को शायरी के आदाब भी सिखा दिये. कुत्ता इतना शायरी का पारखी हो गया कि न सिर्फ पूंछ उठा के बता देता था कि शेर अच्छा है या ख़राब बल्कि नए शायरों की गज़ल की इस्लाह भी कर देता था. एक बार मेरा उन शायर साहब के घर में जाना हुआ और वो किस्सा भुलाए नहीं भूलता. सुनिए स्टोरीबॉक्स में पतरस साहब की कहानी 'शायर साहब का कुत्ता' जमशेद क़मर सिद्दीकी के साथ
मेरे सामने बैठी उस ग़रीब महिला ने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू हटाते हुए कहा, "डॉक्टर साहब, पति ने बहुत मारा है" उसके कंधे का ज़ख्म गहरा था और उस पर दांत के निशान थे। सुनिए स्टोरीबॉक्स में कहानी 'अस्पताल की एक सुबह' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
दूसरी दुनिया से आई उस लड़की ने प्रोफ़ेसर से क्यों कहा कि वो उनके बारे में ऐसा राज़ जानती है जो दुनिया में औऱ कोई नहीं जानता. भेड़िये के बारे में प्रोफेसर ने जो कुछ नैना को बताया उसमें कितना सच था और कितना झूठ? क्या हुआ था मुर्तज़ा के साथ? और क्या था उसकी मौत का असली राज़? सुनिए स्टोरीबॉक्स में भेड़िया कहानी का दूसरा और आखिरी पार्ट - जमशेद क़मर सिद्दीकी से
उस लड़की ने कहा कि वो तीन सौ साल बाद की दुनिया से आई है. वो एक टाइम ट्रैवलेर है और प्रोफ़ेसर तबस्सुम के बेटे मुर्तज़ा जिसके बारे में मशहूर था कि उसे भेड़िये उठा कर ले गए थे, वो उस हादसे की हक़ीकत जानती थी. क्या थी हक़ीकत और क्या वो वाकई भविष्य से आई थी? सुनिए जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से स्टोरीबॉक्स की नई कहानी 'भेड़िया'
ठाकुर साहब ने उसे कभी भी अपने सगे बेटे से कम नहीं माना था और इसीलिए जब सगे बेटे की शादी हुई तो शादी की सारी खरीद फ़रोख्त की ज़िम्मेदारी उसे ही दे दी. लाखों का लेन देन उसी के हाथों हो रहा था यहां तक कि शादी के ज़ेवर भी उसी ने ख़रीदे. कभी उसकी नीयत नहीं ख़राब हुई लेकिन एक रोज़ रात के वक्त उसके ज़मीर ने करवट बदली और उसने ज़ेवरों से भरे उसे डिब्बे को चुराने का फैसला कर लिया. सुनिए मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी 'ज़ेवर का डिब्बा' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
शहर में खबर उड़ी की एक बड़े इंतकाल फ़र्मा गए हैं. और थोड़ी देर बाद पता चला कि ख़बर अफवाह है. पर इस अफ़वाह ने मोहल्ले के फ़र्ज़ी शायर शुक्ला जी 'ज़ालिम' का नुकसान कैसे कर दिया. किस चक्कर में फंस गए शुक्ला जी 'ज़ालिम' सुनिए स्टोरीबॉक्स में.
वो शहर मेरे लिए नया था, वहां की दीवारें अजनबी थीं. उस शहर की सबसे अजीब बात ये है कि वहां घरों में बालकनी नहीं होती थी, बस एक खिड़की जिससे अपने हिस्से का आसमान ताकते रहो. उस घर में रहते हुए मुझे याद आई अपने घर की वो बड़ी सी बालकनी जहां मैं शाम को खड़े होकर चाय पीता था. और मैंने तय किया कि मैं लौट जाऊंगा. लेकिन उसी शाम मेरी कागज़ात की फाइल से एक पुराना ख़त सरक कर ज़मीन पर गिरा... सुनिए कहानी 'बिना बालकनी वाला मकान' स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
वो रात जब सिर्फ मुंबई दहल उठी थी। होटल ताज में छुपे आतंकवादियों के निशाने पर थे आम लोग। कई बेगुनाहों की मौत हो चुकी थी और कई उनके निशाने पर थे। ऐसे वक्त में सामने आई नेवी के कमांडोज़ की एक ख़ास टुकड़ी जिसने अंधेरे कमरे में छुपे आतंकवादियों का निशाना सिर्फ आवाज़ों के सहारे किया। 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुनिए स्टोरीबॉक्स की ख़ास कहानी '26/11: मुंबई की वो रात' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से
स्टोरीबॉक्स ने पूरे कर लिये हैं 100 शानदार एपिसोड्स। इस सफ़र में यहां तक साथ देने के लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया। इंसानी जज़्बात की ये ख़ूबसूरत कहानियां चलती रहेंगी। - जमशेद क़मर सिद्दीक़ी
नवाब साहब का वो घोड़ा मशहूर इसलिए था क्योंकि माना जाता था कि अगर किसी ने घोड़े की पूंछ का बाल सूंघ लिया तो उसे मनचाहा प्यार मिल जाएगा। हर इतवार घोड़े के पीछे लाइन लग जाती थी लेकिन एक रोज़ जब नवाब साहब की बेटी को मोहल्ले के बब्लू से प्यार हो गया तब घोड़ा काम नहीं आया - सुनिए पूरी कहानी 'स्टोरीबॉक्स' में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी साउन्ड मिक्सिंग: कपिल देव सिंह
परवेज़ भाई वो आदमी थी कि जो सालभर तो ठीक रहते थे लेकिन फरवरी का महीना आते ही उनके अंदर एक अजीब सा गुस्सा आ जाता था. वो उन आशिकों की पिटाई के मौके ढूंढने लगते थे जो अपनी महबूबा के साथ बन ठन के घूमने निकलते थे. पर तब क्या हुआ जब परवेज़ भाई को ही इश्क़ की हवा लग गयी. जब मोहल्ले में रहने वाली उनकी पुरानी इकतरफ़ा मुहब्बत आफ़रीन ने लिख दिया उनके नाम पर ही मुहब्बत का एक ख़त - सुनिये स्टोरीबॉक्स में जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से पुराने ज़मानों की मुहब्बत की एक मज़ेदार कहानी - पुराने मुहल्लों का प्यार साउन्ड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदी
रात के सन्नाटे में एक कैब ड्राइवर को मिली एक ऐसी सवारी जिसके साथ किया हुआ सफर वो हमेशा याद रखेगा। ढाई साल पहले दिल्ली के एक इलाके में हुई लड़की की हुई मौत से उस सवारी का क्या रिश्ता था और क्यों शहर के एक ख़ास चौराहे पर कैब्स का एक्सीडेंट हो जाता था? इन हादसों के पीछे की ख़ौफनाक हक़ीकत सुनिए 'स्टोरीबॉक्स' में जमशेद कमर सिद्दीक़ी से