Padhaku Nitin is a casual and long conversation-based podcast where Aaj Tak Radio host Nitin talks to experts and discuss a wide range of topics like history, war, politics, policy, ideologies, cinema, travelling, sports, nature and everything that is interesting. A single episode of the show can be as enriching as reading four books. As we say in the podcast,Chaar kitaabe padhne jitna gyaan milega Padhaku Nitin mein. कब कोई हक़ीक़त से मिथक बन जाता है? क्यों कोई कहानी सदियाँ पार करके हमारे सिरहाने आ बैठती है? कुछ नाम तो इंसानों की कलेक्टिव मेमोरी का हमेशा के लिए हिस्सा बन जाते हैं लेकिन पूरी की पूरी सभ्यता चुपचाप कैसे मिट जाती है? भाषा के ग्रामर से मिले कब, क्यों, कैसे, कहां, किसने ऐसे शब्द हैं जो सेंटेंस में जुड़ जाएँ तो सवाल पैदा करते हैं और सवालों के बारे में आइंस्टीन ने कहा था- The important thing is not to stop questioning. पढ़ाकू नितिन ऐसा ही पॉडकास्ट है जिसमें किसी टॉपिक का रेशा रेशा खुलने तक हम सवाल पूछने से थकते नहीं.

भारत ने हाल ही में अपनी राजधानी दिल्ली में एक भयानक विस्फोट देखा। आप सभी ने इसकी खबरें जरूर सुनी-पढ़ी होंगी। इसके मात्र एक-दो दिन बाद पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में भी एक घातक बम धमाका हुआ जिसमें 12 लोग मारे गए और 20 घायल हो गए। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस हमले का जिम्मेदार सीधे काबुल को ठहराया और कहा कि अब अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच जंग सिर्फ डूरंड लाइन तक सीमित नहीं रही। इस हमले का समय भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि ठीक कुछ दिन पहले ही इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति वार्ता असफल हो चुकी थी। याद कीजिए, जब अफगान तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत आए थे, उसी दौरान भी खबरें थीं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान पर बम बरसा रहा है। तो आज के पढ़ाकू नितिन World Affairs में हमारा पूरा फोकस पाकिस्तान-अफगानिस्तान तनाव पर रहेगा। हम समझेंगे कि दोनों इस्लामिक देशों के बीच बॉर्डर पर हालात इतने बिगड़े क्यों हैं? असल विवाद क्या है? हाल ही में अफगानिस्तान ने ईरान के साथ जिस तरह की ट्रेड डील की है, उससे भी पाकिस्तान काफी बौखलाया हुआ है। हम साउथ एशिया में इन दोनों पड़ोसियों के बीच बदलते समीकरण को भी डीकोड करेंगे। और ये भी जानेंगे कि आखिर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस धमाके को भारत से क्यों जोड़ा? चूंकि पूरा मसला बॉर्डर का है, इसलिए हमारे साथ हैं साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशंस और खासतौर पर बॉर्डर स्टडीज पढ़ाने वाले प्रोफेसर धनंजय त्रिपाठी। एपिसोड को अंत तक सुनिए और Aajtak Radio को सब्सक्राइब करना न भूलें। प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: अमन पाल

असमिया सिंगर और म्यूज़िशियन ज़ुबिन गर्ग की मौत को लेकर जनता के दिल में सिर्फ़ शोक नहीं, क्षोभ भी है. कारण है वो रहस्यमयी हालात जिनमें उनकी मृत्यु हुई और वो Questionable तरीका जिस तरह से उनकी मृत्यु की Investigation की गई. 19 सितंबर 2025 में हुई ज़ुबिन की मौत जहां पहले हादसा लगी, फिर साज़िश और अब इस साज़िश में शामिल हो चुकी हैं कई और परतें. इन्हीं परतों को आज खोलेंगे. समझेंगे कि आखिर Zubeen Garg असम के लिए कौन थे, 19 सितंबर 2025 को सिंगापुर में Exactly हुआ क्या था? क्या कुछ लोग हैं जो इस केस के सॉल्व होने में बाधा बन रहे हैं? वहीं ज़ुबिन जिन्होंने गाया पॉलिटिक्स नोकोरिबा बोन्धू…. उन्हीं की मौत पर राजनीति क्यों हो रही है? इस एपिसोड में हमारे साथ हैं India Today NE को संभालने वाले… साथ ही India Today Magazine के Managing Editor Kaushik Deka.. जिन्होंने न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी के कई साल ज़ुबिन गर्ग के साथ बिताए.. बल्कि वो उन चंद लोगों में से हैं जो ज़ुबिन के जाने के बाद भी लगातार उनके केस पर लिख रहे हैं. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: रोहन भारती

New York City.. अगर आप अमेरिकी Sitcoms के शौकीन रहे हैं तो इस नाम और इसकी लंबी लंबी इमारतों से वाकिफ़ होंगे. इस बड़े से शहर में Times Square से लेकर Wall Street भी है, लेकिन पिछले हफ़्ते ये शहर अपने Mayoral Elections के लिए चर्चाओं में रहा. इसी Election में जीत दर्ज की Indian Filmmaker Mira Nair के बेटे ज़ोहरान ममदानी ने. अब इंडियन जड़ों वाले ममदानी ने न सिर्फ़ अपनी विनिंग स्पीच में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कोट किया, आखिर में धूम मचाले धूम के संगीत पर झूमे. बल्कि उसी मंच से उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी ललकारा. भारत में उनकी वीडियोज़ खूब वायरल हो रही हैं. उन पर एक एपिसोड हम पहले भी कर चुके हैं. लेकिन इस पॉडकास्ट में बात करेंगे कि जिन मुद्दों पर ज़ोहरान जीत पाए, उन्हें अंजाम तक पहुंचाना कितना Practical है? ट्रंप, ज़ोहरान ममदानी से चिढ़ते क्यों है? और आखिर New York City में पिछले 100 सालों में एक भी Republican क्यों नहीं जीत पाया? हमने पूछे ये सभी सवाल Washington DC में रहने वाले Journalist Rohit Sharma के साथ. पूरा पॉडकास्ट सुनिएगा. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह

Padhaku Nitin के इस एपिसोड में हमने खोला Bihar Election 2025 की परतों को … समझा कि आखिर बिहार चुनाव 2025 में कौन से मुद्दे सबसे ज़्यादा अहम साबित हो सकते हैं ग्राउंड पर? जनता के लिए क्या है Non-negotiable? आपसी गठबंधन में अंदरखाने क्या Insecurities हैं? तीन बड़े फोर्सेज़ जो नज़र आ रहे हैं, वो कहां कहां मात खा रहे हैं? बात की बिहार के Socio Economic Structure की भी, ताकि मुद्दों को बेहतरी से समझ पाएं और बात की जंगलराज और बाहुबल की राजनीति की भी. बिहार से जोड़े गए दो लोग. पहले, Political Economist Pushpendra और दूसरे India Today Magazine के लिए लिखने वाले और बिहार की राजनीति पर पकड़ रखने वाले Pushyamitra. दोनों ही ग्राउंड पर हैं. लगातार लोगों से मिल रहे हैं, रैलियां देखकर रहे हैं. तो बिहार चुनाव में हमारे संजय तो यहीं हैं. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह

9 अक्टूबर, 2025 को फ़िलिस्तीन इज़रायल के बीच Egypt में Ceasefire deal साइन हुई. अगले ही दिन इज़रायली कैबिनेट ने इसे पास किया. हालांकि वो अलग बात है, कि उसके बाद भी वहां Israeli Airstrike की ख़बरें फिर आईं. अब गाज़ा से ऐसी तस्वीरें आ रही हैं, जहां लोग बड़ी संख्या में अपने घर लौट रहे हैं. लेकिन घरों के नाम पर वहां बचा है मलबा. बड़ी दिक्कत ये है कि उन्हें इसी मलबे को पहचानकर पता लगाना है, कि हां यहां उनका घर था. यहां उनका पड़ोस. कईयों को तो उसी मलबे में दबे अपने परिवार भी ढूंढने पड़ रहे हैं.. ये दृश्य सोचने पर मजबूर तो करते हैं कि आखिर ये मसला यहां तक पहुंचा कैसे? ज़रूरत महसूस होती है गाज़ा के पूरे Crisis की तरफ़ दो कदम पीछे हटकर देखने की और क्या ये सीज़फायर जो इससे पहले भी इतनी दफ़ा हुआ, फिर ब्रेक हुआ. क्या वो अब Survive कर पाएगा? लेकिन इस बार फिलिस्तीन के मुद्दे पर बात करने के लिए कोई प्रोफेसर या कोई डिप्लोमेट नहीं आए हैं. इस बार पढ़ाकू नितिन World Affairs में हमारे मेहमान हैं, KC Tyagi. जिन्हें ज़्यादातर लोग समाजवादी आंदोलन के बड़े नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद के तौर पर जानते हैं. लेकिन वो फिलिस्तीन के हक में बात करने वाले International Institution League of Parliamentarian for Al-quds and Palestine के मेंबर भी हैं. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: अमन पाल

जिस देश की Navy जितनी ताकतवर होगी, उसका सागरों पर जितना कंट्रोल होगा. यही है मेहैनियन डोक्टरीन. इसी डोक्टरीन पर चलता नज़र आ रहा है हमारा पड़ोसी चीन. जिसने 2010 के बाद से अपनी नेवी की ताकत बढ़ाने की रफ्तार इस कदर पकड़ी की आज चीन हर पांच साल में उतनी बड़ी नेवी खड़ी कर सकता है, जितनी भारत के पास मौजूदा वक्त पर है. चिंता वाली बात ये है- कि इतनी बड़ी नेवी के साथ वो सिर्फ़ साउथ चाइना सी तक तो महदूद नहीं रहने वाला? क्या उसका Influence Indian Ocean में भी बढ़ रहा है? या बढ़ेगा? तो हमने सोचा कि आपके चहीते Senior Defence Journalist Sandeep Unnithan को फिर दावत दी जाए. और उनसे समझा जाए कि Indian Ocean के Power Dynamics फिलहाल किस तरह के हैं? भारतीय नेवी चीन के सामने कहां स्टैंड करती हैं? Indian Ocean में आधिपत्य बनाने के लिए भारत क्या कर रहा है? अगर Indian Navy ताकतवर है तो क्या कारण हैं? अगर कमज़ोर है तो क्या कारण हैं? क्या पानी में लड़ने की Tactics बदल जाती हैं? हथियार किस तरह बदल जाते हैं? और Indian Ocean में भविष्य में क्या खेल देखने को मिल सकता है? आप जल्दी से आजतक रेडियो को Subscribe कर लीजिए. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: अमन पाल

यूं तो हर बीतते पल के साथ देश-दुनिया में कुछ न कुछ घटता है. मगर इन्हीं में कुछ घटनाएं ऐतिहासिक तब बन जाती हैं जब उनसे प्रभावित होने वालों का आंकड़ा सैंकड़ों में हो. इन्हीं में से एक घटना थी 9/11. दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक. एक तरफ़ जहां इस घटना ने मानवता को झंझोड़ा, दूसरी तरफ़ ये घटना Geopolitics के लिहाज़ से काफ़ी निर्णायक साबित हुई. इस हमले के आरोपी ओसामा बिन लादेन के सिर पर 25 मिलियन यानि करीब 210 करोड़ का इनाम रखा गया था. लेकिन हाल ही में अमेरिका ने एक देश के राष्ट्रपति के सिर पर इससे दोगुना इनाम रखा, 420 करोड़ या कहें कि 50 मिलियन डॉलर. इतना ही नहीं, अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रंप ने CIA को इस देश में Covert Operation Conduct करने की परमिशन दी. दूसरी ओर दुनिया का सबसे बड़ा Aircraft Carrier USS Gerald Ford भी इस देश की दहलीज़ पर खड़ा कर दिया है. ये देश न तो दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है. न सबसे बड़ा हथियारों का सप्लायर. न ही इस देश पर आतंकवादियों को शरण देने का आरोप है. लेकिन फिर भी इस देश में अमेरिका अपनी फौज़ उतारने पर उतारू है. ये देश है Venezuela. Padhaku Nitin World Affairs के इस एपिसोड में बात इसी पर होगी. हमारे साथ हैं प्रतिष्ठित Think Tank Observer Research Foundation से जुड़े Geopolitical Analyst Vivek Mishra. जिनसे हमने पूछा कि आखिर Venezuela में घट क्या रहा है? ट्रंप इस देश के राष्ट्रपति से इतने चिढ़े हुए क्यों है? अमेरिका कैरिबियन सी में सितंबर से अबतक 10 नावों को क्यों बम से उड़ा चुका है? और वेनेज़ुएला के इस राष्ट्रपति को अमेरिका 2019 के बाद से राष्ट्रपति न कहकर Drug Kingpin क्यों कहता है? Subscribe कर लीजिए आजतक रेडियो के यूट्यूब चैनल को ताकि ऐसे और मज़ेदार एपिसोड आप तक तुरंत पहुंचे. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: अमन पाल

ताज महल को लेकर एक विवाद फिर उठा है. जब एक फिल्म का ट्रेलर सामने आया. फिल्म एक बारगी देखने पर कोर्टरूम ड्रामा मालूम होती है, मगर इस फिल्म का केंद्र दरअसल ताज महल है और फिल्म का नाम The Taj Story. एक लाइन में कहें तो फिल्म वो सवाल उठाती है जो कई सालों के ताज महल के संदर्भ में उठता रहा है. क्या ताज महल दरअसल तेजो महालय था? यानि एक शिव मंदिर? क्या हमें पढ़ाया गया इतिहास झूठा है? इस तेजो महालय वाली थ्योरी के सेंटर में कौनसे तर्क हैं? क्या है उन 22 कमरों का रहस्य जो ताज महल के नीचे मौजूद हैं? इतने सारे दावों के बीच एक दावा पक्का है- इन सवालों के जवाब देने के लिए जो प्रोफेसर साहब हमारे मेहमान हैं, वो ताज महल पर बात करने के लिए सबसे मुफ़ीद नाम हैं. मध्यकालीन इतिहास पर लेक्चर देने के लिए लंदन से पेरिस तक बुलाए जाने वाले, 50 से ज़्यादा Research papers और 2 किताबें लिखने वाले, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के Centre of Advanced Studies, History Department के चेयरमैन रह चुके और इससे पहले हमारे एपिसोड नंबर 44 में शिरकत करने वाले Professor सैयद अली नदीम रिज़वी. एपिसोड दो पार्ट में रिलीज़ कर रहे हैं. ये दूसरा वाला है. प्यार भी दोगुना दीजिएगा. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह

ताज महल का अगर Architectural पहलू हटा दें. तो उसकी दो इमेज हैं. एक शकील बदायूंनी का शेर है- एक शहंशाह ने बनवा के ताज महल… पूरी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है. जबकि दूसरी तरफ़ साहिर लुधियानवी लिखते हैं कि- ये चमन-ज़ार ये जमुना का किनारा ये महल….ये मुनक़्क़श दर ओ दीवार ये मेहराब ये ताक़… इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर….हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़…मेरी महबूब कहीं और मिला कर मुझ से... इसी ताज महल को लेकर एक विवाद फिर उठा है. जब एक फिल्म का ट्रेलर सामने आया. फिल्म एक बारगी देखने पर कोर्टरूम ड्रामा मालूम होती है, मगर इस फिल्म का केंद्र दरअसल ताज महल है और फिल्म का नाम The Taj Story. एक लाइन में कहें तो फिल्म वो सवाल उठाती है जो कई सालों के ताज महल के संदर्भ में उठता रहा है. क्या ताज महल दरअसल तेजो महालय था? यानि एक शिव मंदिर? क्या हमें पढ़ाया गया इतिहास झूठा है? इस तेजो महालय वाली थ्योरी के सेंटर में कौनसे तर्क हैं? क्या है उन 22 कमरों का रहस्य जो ताज महल के नीचे मौजूद हैं? इतने सारे दावों के बीच एक दावा पक्का है- इन सवालों के जवाब देने के लिए जो प्रोफेसर साहब हमारे मेहमान हैं, वो ताज महल पर बात करने के लिए सबसे मुफ़ीद नाम हैं. मध्यकालीन इतिहास पर लेक्चर देने के लिए लंदन से पेरिस तक बुलाए जाने वाले, 50 से ज़्यादा Research papers और 2 किताबें लिखने वाले, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के Centre of Advanced Studies, History Department के चेयरमैन रह चुके और इससे पहले हमारे एपिसोड नंबर 44 में शिरकत करने वाले Professor सैयद अली नदीम रिज़वी. एपिसोड दो पार्ट में रिलीज़ कर रहे हैं. प्यार भी दोगुना दीजिएगा. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह

सोशल मीडिया पर कुछ दिन से अचानक अफ़ग़ानिस्तान Trend करने लगा है. कारण? तालिबान सरकार के Acting Foreign Minister Amir Khan Muttaqi का भारत दौरा. यूं तो इस दौरान कई चर्चाओं ने जन्म लिया. मगर गौर करने वाली बात ये है कि वो यूपी के एक शहर देवबंद गए. जहां एक बहुत बड़े हुजूम ने उनका स्वागत किया. ये शहर देवबंद था. मगर देवबंद और तालिबान के बीच में कनेक्शन क्या है? और उससे भी ज़रूरी बात ये देवबंद में ऐसा ख़ास क्या है? पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में हमने इन्हीं सवालों के जवाब मांगे असद मिर्ज़ा से. देवबंद पर किताब- Demystifying Madrasah And Deobandi Islam लिखने वाले असद मिर्ज़ा साहब. दुबई के खलीज टाइम्स, BBC Urdu में सेवाएं दे चुके हैं. और इस एपिसोड में हमने उनसे देवबंद.. वहां पनपे इस्लाम और उसके तालिबान से रिश्ते पर बात की. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: अमन पाल

अफ़ग़ानिस्तान… एक ऐसा देश जो हमेशा से रणनीति और ताक़त के खेल का मैदान रहा है. चार साल पहले जब तालिबान ने सत्ता संभाली, भारत ने उसे मान्यता तो नहीं दी, लेकिन रिश्तों के दरवाज़े भी पूरी तरह बंद नहीं किए और अब, वही तालिबान दिल्ली में कूटनीति की मेज़ पर बैठा है. क्या ये बातचीत सिर्फ़ एक ज़रूरी कदम है या भारत के रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा हितों के लिए एक बड़ा मोड़? इसी बीच, अफ़ग़ान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताक़ी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एक भी महिला पत्रकार को जगह नहीं मिली, जिससे लोकतंत्र और समानता के हमारे मूल्यों पर भी सवाल उठे. बाद में एक दूसरी प्रेस कॉन्फ़्रेंस रखी गई, जिसमें महिला पत्रकारों को आगे बैठाया गया, इन्हीं में से एक थीं गीता मोहन, इंडिया टुडे ग्रुप की फॉरन अफ़ेयर्स एडिटर जो इस बार 'पढ़ाकू नितिन' की मेहमान हैं.

इस साल जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल पूरे हुए. साथ ही भारतीय समाजवादी आंदोलन के भी 90 साल पूरे हुए. समाजवादी विचारधारा से उपजे आंदोलन ने भारत को इतना कुछ दिया है कि उंगलियों पर गिन पाना शायद मुश्किल हो. इसी आंदोलन ने भारत को वो नेता भी दिए जिन्होंने आगे चलकर केंद्र और राज्यों की राजनीति में अहम रोल निभाया. तो हमने सोचा कि ज़रा ठहर कर समझते हैं कि ये विचारधारा जिसे दुनियाभर के कई देशों ने अपनाया. उसे भारत ने किस तरह आत्मसात किया? क्यों Socialist शब्द संविधान की मूल प्रति में शामिल नहीं था? और क्यों इमरजेंसी के दौर में इसे संविधान में शामिल किया गया? सवाल कई सारे उठते हैं- क्या नेहरू समाजवादी थे? क्या भगत सिंह समाजवादी थे? या जेपी-लोहिया के हिसाब से समाजवाद का विचार कैसा था? समझेंगे कि आज़ादी और आज़ादी के इतने सालों बाद आज समाजवाद भारतीय राजनीति में कहां खड़ा मिलता है? पूछेंगे कि बिहार-यूपी जो समाजवादी नेताओं का गढ़ रहे, उनमें ग्रोथ का ग्राफ़ किस हद तक समाजवाद के कारण था? ये सब जानने के लिए हम पहुंचे पूर्व राज्यसभा सांसद, जेडीयू नेता और वरिष्ठ समाजवादी नेता KC Tyagi के पास. हमें तो Padhaku Nitin का ये एपिसोड रिकॉर्ड करने में बहुत आनंद आया, उम्मीद करते हैं सुनने-देखने में आपको भी आएगा. अगर आए तो तारीफ़ें सुझाव भेजिएगा, कमेंट बॉक्स खुला है.

दो साल से जलती ज़मीन... गाज़ा. जहां हर सुबह राख से उठती है और हर रात धमाके में खत्म होती है. अब उसी राख पर रखी गई है, एक नई “Peace Deal” की पर्ची. वादा है कि जंग रुकेगी, बंधक लौटेंगे, गाज़ा फिर से जिएगा. लेकिन क्या शांति बस एक दस्तावेज़ से लौट आती है? क्या ये डील अमन का रास्ता है या बस पुरानी जंग का नया नाम, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.

हज़ारों सालों से इंसान कबीलों, सल्तनतों और अब राष्ट्र-राज्य में जी रहा है. लेकिन सवाल वही है सबसे सही शासन व्यवस्था कौन-सी है? राज्य कानून और संस्थाओं का ढांचा है, जबकि राष्ट्र पहचान और भावनाओं का जाल, अक्सर हम दोनों को गड़बड़ा देते हैं. फिर आता है लोकतंत्र जो बराबरी और आवाज़ का वादा करता है, लेकिन साथ ही populism और polarisation भी लाता है. तो क्या लोकतंत्र ही सबसे बेहतर विकल्प है या कोई और मॉडल उससे आगे निकल सकता है? इन्हीं सवालों पर बातचीत होगी JNU के असोसिएट प्रोफ़ेसर अजय गुडावर्ती से, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

भारत-चीन रिश्ते दशकों से उतार-चढ़ाव से गुज़रते रहे हैं. गलवान घाटी की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और भी गहरा हुआ. आखिर चीन की महत्वाकांक्षा क्या है? शी जिनपिंग किस तरह की राजनीति कर रहे हैं? और भारत इन चुनौतियों से निपटने के लिए कैसी रणनीति बना रहा है? इन्हीं सवालों पर हमने विस्तार से बात की पूर्व राजनयिक अशोक कंठ, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

27 सितंबर 2025—ये तारीख सिर्फ़ कैलेंडर का पन्ना नहीं, बल्कि एक सदी की कहानी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) आज अपने 100 साल पूरे कर रहा है। इस सफ़र में RSS ने सबकुछ देखा— आज़ादी की गूंज, गांधी की हत्या का साया, इमरजेंसी की कड़वाहट, बाबरी मस्जिद का तूफ़ान, और वो मोड़, जब “अराजनीतिक” कहे जाने वाले संघ से दो प्रधानमंत्री निकले. सवाल उठे, आरोप लगे, तीन बार बैन भी झेला. लेकिन हर बार संघ और मज़बूत होकर लौटा. अब, 100 साल बाद, सबसे बड़ा सवाल— RSS की असली यात्रा कैसी रही? क्या ये उतार-चढ़ावों से भरी रही या अपनी विचारधारा की मज़बूती से टिके रहने की कहानी? इन्हीं सवालों पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ हैं वरिष्ठ पत्रकार और लेखक निलांजन मुखोपाध्याय, जिन्होंने दशकों तक हिंदू संगठनों और राजनीति को क़रीब से कवर किया है और अपनी किताब The RSS: Icons of Indian Right में इन्हें दर्ज किया है. देखिए और समझिए, RSS के सौ सालों की ताक़त, आलोचनाएँ और जटिलताएँ. और हाँ, Aajtak Radio को Subscribe करना न भूलें.

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने नया डिफ़ेंस पैक्ट किया है अगर एक पर हमला होगा तो दोनों मानेंगे लेकिन क्या इसका असर भारत तक पहुंचेगा? सऊदी भारत का बड़ा ट्रेड पार्टनर है और पाकिस्तान हमारा विरोधी. तो इस समझौते से पाकिस्तान मज़बूत होगा या ये सिर्फ़ काग़ज़ी एलान है? और भारत को अब वेस्ट एशिया पॉलिसी नए सिरे से सोचना पड़ेगा, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

15 अगस्त को लाल किले से दी जाने वाली पीएम स्पीच देश के लिए एक बड़ा इवेंट होता है. सबकी नज़र रहती है कि इस भाषण में कौनसा शब्द कितनी बार बोला गया? इस साल इसी भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि “भारतीय फाइटर जेट्स को ज़रूरत है भारतीय इंजन की.” और फिर से सोशल मीडिया पर बात होने लगी कि यार… था तो सही एक स्वदेशी इंजन जिसकी दुहाई देकर अक्सर कहा जाता था कि भारत जेट बनाने के मामले में भी स्वदेशी बन जाएगा. ये नाम है- कावेरी इंजन. 1986 में इसे बनाने की शुरुआत हुई मगर अब तक कोई भारतीय जेट ऐसा नहीं उड़ा जिसका इंजन पूर्णत: भारतीय हो. तो कब होगा ये सपना पूरा? पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में हमने बात की कावेरी इंजन पर और डिफेंस एक्सपर्ट संदीप उन्नीथन से समझा कि आखिर कावेरी इंजन को पूरा करने में दिक्कत क्या है? क्या फैक्टर्स हैं जो इसे अब भी नहीं बनने दे रहे. ये इतना ख़ास क्यों है और कुछ बेसिक सवाल भी कि आखिर एक जेट इंजन काम कैसे करता है. प्रड्यूसर: मानव देव रावतसाउंड मिक्स: रोहन भारती

दोहा में अरब और इस्लामिक देशों का बड़ा सम्मेलन हुआ. इसी दौरान मिस्र ने फिर से "Arab NATO" का प्रस्ताव रखा यानि 22 अरब देशों की संयुक्त सेना! लेकिन क्या ये मुमकिन है, जब इतिहास गवाह है कि यही देश आपस में लड़ते रहे हैं? इज़रायल ने क़तर पर हमला कर दिया क़तर जो अमेरिका का बड़ा सहयोगी है. अब सवाल ये है कि क़तर अपनी सुरक्षा के लिए कब तक अमेरिका पर निर्भर रहेगा? क्या वो चीन का साथ लेगा? और क्या अरब NATO कभी हक़ीक़त बन पाएगा, प्रो. मोहसिन रज़ा के साथ 'पढ़ाकू नितिन' में हुई इस बातचीत को सुनिए.

धनबाद, झारखंड—देश का कोल कैपिटल. कोयले ने जहाँ इंडस्ट्री को ताक़त दी, वहीं जन्म दिया माफ़िया, गैंगवार और करप्शन की अंधेरी दुनिया को. फ़िल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ने इसकी झलक दिखाई लेकिन असली कहानी उससे कहीं ज़्यादा डरावनी है. इन्हीं सचाईयों पर लिखी है किताब “Dhanbad – The Economics of Coal – The Mafia”, जिसके लेखक हैं प्रमोद कुमार गुप्ता पूर्व प्रिंसिपल चीफ़ कमिश्नर ऑफ़ इनकम टैक्स. उन्होंने कोल माफ़िया को अपनी आँखों से देखा, उनसे टक्कर ली और अपने अनुभवों को किताब में दर्ज किया, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.

अंग्रेज़ी में कहते हैं Straw that broke the camel's back और हिन्दी में इसके करीब है ताबूत की आख़िरी कील. नेपाल में सरकार ने अचानक लगभग सभी बड़े सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स बैन कर दिए. इसके बाद हज़ारों लोग, ख़ासकर जेन-ज़ी यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी सड़कों पर उतर आई सरकार ने शुरुआत में सख़्ती दिखाई, लेकिन हालात इतने बिगड़े कि मंत्री सड़क पर पिट गए सरकारी इमारतों को आग लगा दी गई और आखिरकार प्रधानमंत्री के.पी. ओली को इस्तीफ़ा देकर देश छोड़ना पड़ा।तो क्या ये सब सिर्फ़ सोशल मीडिया बैन की वजह से हुआ? या फिर ये पहले से जमा गुस्से का फट पड़ना था, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.

अडॉल्फ हिटलर, इतिहास का वो किरदार, जिसके बिना modern world history अधूरी है. पिछली सदी की लगभग हर बड़ी कहानी में जर्मनी के इस नेता का नाम किसी न किसी तरह सामने आता है. आज हमारे साथ हैं किताब Hitler: The Proclaimed Messiah of the Palestinian Cause के लेखक आभास मालदहियार, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.

जहां American President Donald Trump के Impulsive Decisions से पूरी दुनिया में उथल पुथल है. एशिया में कुछ कंपन सा महसूस हो रहा है. क्योंकि चीन में हुई है एक बड़ी बैठक. एससीओ की शुरुआत 2001 में हुई थी. तब इसमें चीन और रूस मुख्य किरदार निभाते थे. लेकिन इस बार की समिट में रूस-चीन के अलावा भारत भी स्पॉटलाइट में था. SCO की ये समिट कई मामलों में अहम है, उसके Structure में भी बदलाव हुए हैं. Pakistan-Armenia ने भी आपस में वादा किया है कि- आप हम Diplomatic Relations आगे बढ़ाएंगे. लेकिन एक ज़रूरी बात और है… जैसी तस्वीरें और बातें सामने आई हैं, इससे अमेरिका की चिंताएं बढ़ती दिख रही हैं, ट्रंप ने सोचा नहीं होगा कि रूस जो अब तक अलग-थलग पड़ा था, उसके समर्थन में भारत और चीन एक साथ खड़े हो जाएंगे. उसका पुराना साथी जापान भी अपनी लकीर खींच रहा है… एक साथ बहुत कुछ हो रहा है… और इसे समझाने के लिए पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में हमारे मेहमान हैं, मोनीश टूरंगबाम. Geopolitical expert हैं, CRF (Chintan Research Foundation) नाम की रिसर्च फाउंडेशन में Senior Research Consultant हैं. पूरा एपिसोड सुनना और आजतक रेडियो को Subscribe करना न भूलें. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: रोहन भारती

इस बार पढ़ाकू नितिन पॉडकास्ट में हमारी मुलाक़ात हुई पूर्व राज्यसभा सदस्य और जाने-माने पत्रकार शाहिद सिद्दिक़ी से। उनसे हमने ढेर सारी बातें कीं, दिल्ली के पुराने किस्सों से लेकर देश की राजनीति और बड़े नेताओं तक। उन्होंने अपने अनुभव शेयर किए कि कैसे उन्होंने क़रीब से नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी जैसे नेताओं को देखा। साथ ही लालकृष्ण आडवाणी, वीपी सिंह, मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह जैसी हस्तियों के बारे में भी दिलचस्प बातें बताईं। दिल्ली की राजनीति के उतार-चढ़ाव और देश की दिशा पर भी खुलकर चर्चा हुई। अगर आपको भारतीय राजनीति की कहानियां और नेताओं के अंदरूनी किस्से सुनना अच्छा लगता है, तो ये एपिसोड आपको ज़रूर पसंद आएगा।

July 2022 का श्रीलंका. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, वहां से भागे और लोग उनके घर में घुसे. उनके स्विमिंग पूल में नहाए. घर में आग भी लगाई. राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद पदभार संभाला, रानिल विक्रमसिंघे ने. हाल ही में विक्रमसिंघे का नाम फिर से चर्चा में आया. क्योंकि वो श्रीलंका में गिरफ्तार किए गए. उन पर लगा है सरकारी शक्तियों को दुरुपयोग करने का आरोप. Padhaku Nitin World Affairs के इस एपिसोड में Focus Sri Lanka पर करते हैं. समझते हैं कि ये मामला क्या है? Sri Lanka जो कुछ साल पहले तक Economically इतने बड़े Crisis में था. अब उसकी हालत क्या है? और ये कि भारत के साथ उसका रिश्ता अब किस हद तक बदला है? Sri Lanka भारत के साथ SAARC का मेंबर है. तो हमने भी दिल्ली में स्थित SAARC Sponsored साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के Professor Dr. Dhananjay Tripathi को न्यौता दिया. जो इंटरनेशनल स्टडीज़ पढ़ाते हैं. एसोसिएट प्रोफेसर हैं और एक किताब भी लिखी है- Re-imagininJuly 2022 का श्रीलंका. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, वहां से भागे और लोग उनके घर में घुसे. उनके स्विमिंग पूल में नहाए. घर में आग भी लगाई. राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद पदभार संभाला, रानिल विक्रमसिंघे ने. हाल ही में विक्रमसिंघे का नाम फिर से चर्चा में आया. क्योंकि वो श्रीलंका में गिरफ्तार किए गए. उन पर लगा है सरकारी शक्तियों को दुरुपयोग करने का आरोप. Padhaku Nitin World Affairs के इस एपिसोड में Focus Sri Lanka पर करते हैं. समझते हैं कि ये मामला क्या है? Sri Lanka जो कुछ साल पहले तक Economically इतने बड़े Crisis में था. अब उसकी हालत क्या है? और ये कि भारत के साथ उसका रिश्ता अब किस हद तक बदला है? Sri Lanka भारत के साथ SAARC का मेंबर है. तो हमने भी दिल्ली में स्थित SAARC Sponsored साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के Professor Dr. Dhananjay Tripathi को न्यौता दिया. जो इंटरनेशनल स्टडीज़ पढ़ाते हैं. एसोसिएट प्रोफेसर हैं और एक किताब भी लिखी है- Re-imagining Border Studies in South Asia. एपिसोड पूरा सुनिएगा. लाइक, शेयर, सबस्क्राइब करना न भूलिएगा. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैंg Border Studies in South Asia. एपिसोड पूरा सुनिएगा. लाइक, शेयर, सबस्क्राइब करना न भूलिएगा.

साल 2019. X तब Twitter हुआ करता था. और इसी Twitter पर Writer-Journalist Aatish Taseer से उनकी नागरिकता छीनी गई. भारत सरकार ने कहा कि Aatish ने अपने Pakistani पिता Salman Taseer से अपने रिश्ते को छुपाया. जबकि Taseer ने कहा कि ये सब सिर्फ़ इसलिए हुआ क्योंकि सरकार उनसे नाराज़ थी. लेकिन ये किस्सा कई मामलों में आतिश की कहानी में एक turning Point भी साबित हुआ. क्योंकि वो कुछ ऐसी यात्राओं पर निकले जिनमें उनके कई सवाल छिपे थे. Padhaku Nitin के इस एपिसोड में यही Aatish Taseer हैं हमारे मेहमान. हमने उनसे की उनकी नागरिकता, उनके पिता Salman Taseer, उनकी मां तवलीन सिंह और सबसे ज़रूरी उनकी नई किताब The Return to Self पर बात. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

साल 2019. X तब Twitter हुआ करता था. और इसी Twitter पर Writer-Journalist Aatish Taseer से उनकी नागरिकता छीनी गई. भारत सरकार ने कहा कि Aatish ने अपने Pakistani पिता Salman Taseer से अपने रिश्ते को छुपाया. जबकि Taseer ने कहा कि ये सब सिर्फ़ इसलिए हुआ क्योंकि सरकार उनसे नाराज़ थी. लेकिन ये किस्सा कई मामलों में आतिश की कहानी में एक turning Point भी साबित हुआ. क्योंकि वो कुछ ऐसी यात्राओं पर निकले जिनमें उनके कई सवाल छिपे थे. Padhaku Nitin के इस एपिसोड में यही Aatish Taseer हैं हमारे मेहमान. हमने उनसे की उनकी नागरिकता, उनके पिता Salman Taseer, उनकी मां तवलीन सिंह और सबसे ज़रूरी उनकी नई किताब The Return to Self पर बात. प्रड्यूसर: मानव देव रावतसाउंड मिक्स: सूरज सिंहDisclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

आजकल एक चलन है, लोग अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर अपने Pronouns लिखते हैं. He, She, Them. Trump का बस चले तो वो अपने Pronouns में Dealmaker लिख दें. उन्हें Deal करवाने की चाहत ही नहीं, Addiction सा है. इससे हम सब वाकिफ़ हैं. उनकी इसी चाहत के चलते पिछले 5 दिनों में Geopolitics के लिहाज़ से दो बड़ी मीटिंग्स हुईं. दोनों अमेरिका में. मगर एक दूर अलास्का के पास और दूसरी Washington DC में. दोनों मीटिंग्स में Common थे Donald Trump जिनका ज़ोर आजकल Russia-Ukraine war को रुकवाने की ओर है. हमने पिछले एपिसोड में Prof. Amitabh Singh से पूछा भी था कि Alaska Meeting में क्या हो सकता है तो उन्होंने कहा था कि युद्ध रोकने की तरफ प्रयास तो होता दिख रहा है. और फिर ये मीटिंग हो गई. आपने भी देखी हैं ट्रंप-पुतिन की वो तस्वीरें जिनमें वो गर्मजोशी से मिलते नज़र आए. ट्रंप वादा करके गए थे कि Ceasefire करवाकर लौटूंगा. लेकिन किस हद तक अपने दावे पर अमल कर पाए. ये कहना मुश्किल है. क्योंकि इसके बाद कल हुई Washington DC में Zelensky और Trump की मीटिंग, जिसमें Zelensky European Leaders की पलटन लेकर पहुंचे. तो करेंगे इन दोनों मीटिंग्स और इनके Consequences को Decode Padhaku Nitin World Affairs के इस एपिसोड में. जहां हमारे साथ हैं. Dr. Manish Dhabade, Associate Professor हैं JNU के Centre for International Politics, Organisation & Disarmament में. Diplomacy की बात आप हम समय समय पर करते रहते हैं. मगर मनीष जी की PhD ही Diplomacy और Disarmament पर है. Like, Share, Comment के साथ साथ Subscribe करना भी न भूलें. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: रोहन भारती Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2025 को आवारा कुत्तों की समस्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को 8 सप्ताह में शेल्टर होम में ट्रांस्फर करने का आदेश दिया. कहा कि वहां उनकी नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए. साथ ही चेतावनी भी दी कि कुत्तों को सड़कों पर वापस न छोड़ा जाए. दरअसल, कोर्ट ने 28 जुलाई को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या और इससे जुड़े डॉग बाइट एवं रेबीज से होने वाली मौतों के बढ़ते आंकड़ों पर स्वतः संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले पर सोशल मीडिया दोफाड़ हुआ. जहां कुछ लोगों ने इस फैसले को सराहा, वहीं दूसरी ओर पशु प्रेमी-पशु कल्याण संगठन इसका जमकर विरोध करने लगे. इस पूरे मामले की कई परतें हैं. कई जटिलताएं. जिनका जवाब दे रही हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के साथ मिलकर देश का सबसे बड़ा पशु कल्याण NGO चलाने वाली Animal Protection Laws की Expert Gauri Maulekhi.

भारतीय समय के मुताबिक 9 अगस्त की अल सुबह एक ख़बर हर जगह फ्लैश हुई. ये ख़बर जुड़ी थी एक Peace Deal से. Peace Deal जिसका मकसद था करीब 30 साल पहले शुरू हुई लड़ाई को सुलझाना. लेकिन ये Armenia-Azerbaijan Peace Deal का सिर्फ़ एक पहलू है. इसमें कई और भी पक्ष हैं, कई और Complexities साथ में हैं एक Nobel Cause. वही, Nobel जिसकी चाहत में US President Donald Trump ने दुनियाभर के झगड़ों को सुलझाने का बीड़ा उठा रखा है. Padhaku Nitin के इस एपिसोड में JNU Professor Amitabh Singh से हमने समझीं Armenia-Azerbaijan Conflict की बारीकियां, South Caucasus का Significant इतिहास, Armenia का Kannauj Connection और Trump-Putin की Alaska Meeting की संभावनाएं. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

आज से करीब 600 साल पहले एक कवि हुए जो आज तक लोगों के दिलो-दिमाग पर राज करते हैं. नाम है कबीर. कबीर के बारे में यूं तो कई बाते प्रचलित हैं. कुछ का प्रमाण है. कुछ का नहीं. मगर एक बात सौ फीसदी प्रमाणित है कि उनकी बातें अब भी उतनी ही रेलेवेंट हैं. लेकिन कबीर के अलावा और भी कई कवि हुए, जिन्हें अलग अलग कारणों से कबीर जितनी ख़्याति नहीं मिली. इनमें से एक प्रमुख नाम है राजस्थान के संत दादू दयाल का. इन की ख़्याति को यूं समझिए कि उनके समकालीन रहे बादशाह अकबर ने उन्हें उस दौर का कबीर कहा. 40 दिन तक उनसे धार्मिक चर्चा की. मगर ये सब सिर्फ Tip of The Iceberg है. दादू के बारे में जानने को बहुत कुछ है. इसलिए पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में हमने बात की JNU के पूर्व प्रोफेसर, UPSC के पूर्व मेंबर, न जाने कितनी यूनिवर्सिटियों में पढ़ा चुके और कबीर पर ऑथोरिटी माने वाले Professor Purushottam Agrawal से. प्रोफेसर साहब ने लिखी है दादू के जीवन का समग्र विश्लेषण करती So says Jan Gopal नाम की किताब. उम्मीद है आपको एपिसोड पसंद आएगा. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

इस साल के शुरुआत में जब US में चुनाव हो रहे थे तो कई भारतीय इस बात की उम्मीद लगा रहे थे कि- काश Trump वापस सत्ता में आ जाएं. उनकी दुआएं कबूल भी हुईं. मगर Partially, क्योंकि Trump अब वो ट्रंप नहीं रहे जो मोदी के ग्रेट फ्रेंड थे. इस बार उनके एजेंडे Business Centric ज़्यादा है. हालांकि ये Business किसके लिए कितना फायदेमंद है. ये भी किसी को नहीं मालूम. दुनियाभर में अलग अलग देशों पर Tariff लगाने के बाद आखिरकार Trump ने ये ऐलान किया कि US India पर न सिर्फ़ 25% का भारी Tariff लगाएगा, साथ ही 25% Penalty भी. क्योंकि वो Russia के साथ अपना Oil Trade सीमित नहीं कर रहा. पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में डॉक्टर मुक्तदर ख़ान के साथ उधेडे़ंगे US-India Relations की परतें, टटोलेंगे Trump का दिमाग-आकांक्षाएं और मजबूरियां. साथ ही समझेंगे उन Complexities के बारे में जो अभी भारतीयों के लिए खड़ी हो सकती है. प्रड्यूसर: मानव देव रावत साउंड मिक्स: सूरज सिंह Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

Geopolitics आजकल दो बड़े ध्रुवों के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है. एक अमेरिका दूसरा चीन. दोनों सिर्फ़ दिशाओं में ही नहीं. धारा में भी एक दूसरे से उल्टे ही नज़र आते हैं. चीन का नाम अब हर बार एशिया और दुनियाभर के उन देशों में लिया जाने लगा है जो Geopolitics और World Trade को अपने हिसाब से चलाना चाहती हैं. मगर इस फेहरिस्त में शामिल होने के बावजूद भी China पूरी तरह निरंकुश नहीं है. उसकी भी कुछ दुखती रगें हैं. जिन्हें दबा दबा कर वेस्ट की ताकतें उसे समय समय पर काउंटर करती हैं. पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में टटोलेंगे चीन की सबसे ज़्यादा दुखने वाली नब्ज़ को Taiwan. जानेंगे कि Taiwan से क्यों है पूरी दुनिया को इतनी उम्मीदें? Taiwan-China Conflict का इतिहास और भविष्य क्या है? जानेंगे कि बार बार 2027 में Taiwan को ख़त्म करने के बावजूद भी Chinese President Xi Jinping की दिक्कतें क्या क्या हैं? जिसके लिए हमारे साथ है Taiwan पर किताब लिखने वाले Gaurav Sen.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ़ कहा है कि भारत से 25% टैरिफ़ वसूला जाएगा और अगर रूस से दोस्ती ऐसे ही चलती रही, तो इसकी भी कीमत चुकानी होगी भारत हमेशा से कोशिश करता रहा है कि उसे रूस और अमेरिका में से किसी एक को न चुनना पड़े. लेकिन अब लग रहा है कि फैसला करना पड़ सकता है या फिर अमेरिका का दबाव भारत को उल्टा रूस के और क़रीब ले जाए? क्या हम ग्लोबल राजनीति में नए दोस्त और दुश्मन बनते देख रहे हैं? और भारत की आम जनता पर इसका असर क्या होगा? इन तमाम सवालों पर बात करने के लिए हमारे साथ हैं जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार, ट्रंप ने कैसे टैरिफ़ को हथियार बना दिया है? भारत क्यों झुक नहीं सकता? और आगे क्या विकल्प बचे हैं? सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ़ कहा है कि भारत से 25% टैरिफ़ वसूला जाएगा और अगर रूस से दोस्ती ऐसे ही चलती रही, तो इसकी भी कीमत चुकानी होगी भारत हमेशा से कोशिश करता रहा है कि उसे रूस और अमेरिका में से किसी एक को न चुनना पड़े. लेकिन अब लग रहा है कि फैसला करना पड़ सकता है या फिर अमेरिका का दबाव भारत को उल्टा रूस के और क़रीब ले जाए? क्या हम ग्लोबल राजनीति में नए दोस्त और दुश्मन बनते देख रहे हैं? और भारत की आम जनता पर इसका असर क्या होगा? इन तमाम सवालों पर बात करने के लिए हमारे साथ हैं जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार, ट्रंप ने कैसे टैरिफ़ को हथियार बना दिया है? भारत क्यों झुक नहीं सकता? और आगे क्या विकल्प बचे हैं? सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' मेंDisclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

इस दुनिया में आज जो कुछ घट रहा है — क्या वो मेरे कारण घट रहा है, या इसलिए क्योंकि मैं उसे घटने दे रहा हूं? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शायद यह बात कभी सीधे शब्दों में न कही हो, लेकिन उनके बयानों और फैसलों को देखकर ऐसा जरूर लगता है कि वो खुद को इसी तरह सोचते हैं। मगर अब उनके अपने ही देश में — अमेरिका में — एक नाम है जो लगातार चर्चा में है। एक ऐसा नाम, जिसे ट्रंप अब सुनना भी पसंद नहीं करते: जेफ्री एपस्टीन। हैरानी की बात ये है कि यही व्यक्ति, जिसे ट्रंप आज "creep" कहकर नापसंद करते हैं, उसे करीब 23 साल पहले वो "terrific guy" बुलाते थे। तो आखिर अब ऐसा क्या बदल गया है? Padhaku Nitin के इस एपिसोड में हम समझेंगे — Jeffrey Epstein का नाम अमेरिका में फिर क्यों चर्चा में है? Trump को इससे क्या परेशानी है? और क्यों अब खुद उनके समर्थक भी उनसे खफा नज़र आ रहे हैं? हमारे साथ हैं प्रोफेसर विनीत प्रकाश, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। अमेरिकी राजनीति और नीति पढ़ाने का उनके पास दो दशकों का अनुभव है। Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं

20 जुलाई 2025 को जापान में Upper House के लिए चुनाव हुए और नतीजे इतने चौंकाने वाले नहीं रहे, लेकिन एतिहासिक ज़रूर थे. प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी यानी LDP और उसके सहयोगी कोमेतो गठबंधन बहुमत से पीछे रह गए। उन्हें सिर्फ़ 47 सीटें मिलीं, जबकि ज़रूरत थी कम से कम 50 की. इस बार महंगाई, खासकर चावल की बढ़ती क़ीमतें और देश में विदेशी मज़दूरों को लेकर चिंता बड़ी बहस का मुद्दा रही। और इसी माहौल में उभरी एक नई ताक़त Sanseito पार्टी, जिसके नेता सोहेई कामिया ने “Japanese-First” जैसे नारों के साथ बड़ा असर डाला. ऐसे ही नारे हमने अमेरिका में राष्ट्रपती ट्रंप की रैली में भी सुन चुके हैं. ट्रंप ने जैसे बाहर से आकर अमेरिका की राजनीति के केंद्र में पहुंच गए, क्या जापान में भी ऐसा होता दिख रहा है… क्या इशिबा सरकार बच पाएगी? जापान की आर्थिक और विदेश नीति का क्या होगा? और भारत जैसे साझेदार देशों के लिए इसका क्या मतलब है? सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है. अगर पुतिन ने यूक्रेन के साथ शांति नहीं की, तो रूस और उसके साथियों को भारी कीमत चुकानी होगी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, अमेरिका यूक्रेन को एडवांस हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें देगा लेकिन इनकी क़ीमत यूरोपीय देश मिलकर चुकाएंगे और इसी के साथ NATO फिर से चर्चा में है, वही NATO, जिससे इस जंग की शुरुआत जुड़ी थी. तो क्या 50 दिन बाद जंग थमेगी या और भड़केगी? क्या अमेरिकी हथियार यूक्रेन के लिए गेम चेंजर बनेंगे या रूस और आक्रामक हो जाएगा? और भारत के लिए क्या अब तटस्थ रह पाना मुश्किल हो जाएगा? सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

2 अक्टूबर 1904 को मुग़लसराय में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री भारतीय राजनीति की मिसाल हैं सादगी, ईमानदारी और नेतृत्व के प्रतीक. 1965 के भारत-पाक युद्ध में "जय जवान, जय किसान" का नारा देने वाले शास्त्री जी ने देश को मुश्किल समय में संभाला. 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते पर दस्तखत हुए, लेकिन उसी रात खबर आई “प्रधानमंत्री नहीं रहे”. कहा गया दिल का दौरा पड़ा, लेकिन आज भी कई सवाल ज़िंदा हैं. हमारे साथ हैं लेखक अनुज धर, जिनकी किताब Your Prime Minister is Dead शास्त्री जी की मौत पर सवाल उठाती है, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

वो लोग जो बरसों पहले काम, अवसर या शिक्षा की तलाश में अपने गाँवों को छोड़ शहरों की ओर चले गए या किसी और मजबूरी के कारण उन्होंने आज भी अपने भीतर गांव को बचाए रखने की कोशिशें नहीं छोड़ीं. टीवीएफ़ की 'पंचायत' भी ऐसी ही एक कोशिश है. इसे देखने वाला हर शख़्स फुलेरा में कहीं न कहीं अपना गाँव तलाशता है. गलियों में, शादियों में, पंचायत भवन में या प्रधानी के चुनाव में. फुलेरा में रहने वाले हर किरदार को लोग अपना सा मान लेते हैं. ऐसे ही एक प्यारे किरदार हैं हमारे उप-सचिव विकास और इनका असली नाम है चंदन रॉय, सुनिए ‘पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

एक समय था जब दुनिया दो ध्रुवों में बंटी हुई थी. एक ओर था अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिम और दूसरी ओर सोवियत संघ. फिर वक्त बदला, दीवारें गिरीं, पुराने गठबंधन टूटे और नए गठबंधन बनते गए. जो जहां हित साधता दिखा, वहीं जुड़ता चला गया, चाहे वो आर्थिक हित हों या सामरिक. इसी दौर में चार देशों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया — BRIC: ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन. फिर साउथ अफ्रीका जुड़ा और बन गया BRICS. बाद में और देश जुड़े, पर नाम वही रहा. इस समूह का मक़सद था अमेरिकी डॉलर की सर्वोच्चता को चुनौती देना. कभी जो साझेदारी एक सपना लगती थी आज वही अमेरिका की आंखों में चुभ क्यों रही है, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.

अमेरिका में चुनाव होता है तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. इस बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं, न्यूयॉर्क में मेयर का चुनाव है और डेमोक्रेटिक पार्टी से ज़ोहरान ममदानी का उम्मीदवार बनना लगभग तय है. 2018 में नागरिक बने ममदानी, आज अमेरिका की राजनीति के चर्चा में हैं. अपने कैंपेन, रैप और डेटिंग ऐप से हुई शादी तक की वजह से. वो न्यूयॉर्क जैसे शहर में फ्री सुविधाओं की बात कर रहे हैं. जो कि कैपिटलिज़्म की राजधानी माना जाता है. इस एपिसोड में हमारे साथ हैं प्रो. डॉ. मुक्तदर खान, जो बताएंगे कि ममदानी कैसे उभरे, ट्रंप ने उन्हें "Communist Lunatic" क्यों कहा और मोदी से वो दूरी क्यों बनाए रखना चाहते हैं, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.