Padhaku Nitin is a casual and long conversation-based podcast where Aaj Tak Radio host Nitin talks to experts and discuss a wide range of topics like history, war, politics, policy, ideologies, cinema, travelling, sports, nature and everything that is interesting. A single episode of the show can be as enriching as reading four books. As we say in the podcast,Chaar kitaabe padhne jitna gyaan milega Padhaku Nitin mein. कब कोई हक़ीक़त से मिथक बन जाता है? क्यों कोई कहानी सदियाँ पार करके हमारे सिरहाने आ बैठती है? कुछ नाम तो इंसानों की कलेक्टिव मेमोरी का हमेशा के लिए हिस्सा बन जाते हैं लेकिन पूरी की पूरी सभ्यता चुपचाप कैसे मिट जाती है? भाषा के ग्रामर से मिले कब, क्यों, कैसे, कहां, किसने ऐसे शब्द हैं जो सेंटेंस में जुड़ जाएँ तो सवाल पैदा करते हैं और सवालों के बारे में आइंस्टीन ने कहा था- The important thing is not to stop questioning. पढ़ाकू नितिन ऐसा ही पॉडकास्ट है जिसमें किसी टॉपिक का रेशा रेशा खुलने तक हम सवाल पूछने से थकते नहीं.
वो लोग जो बरसों पहले काम, अवसर या शिक्षा की तलाश में अपने गाँवों को छोड़ शहरों की ओर चले गए या किसी और मजबूरी के कारण उन्होंने आज भी अपने भीतर गांव को बचाए रखने की कोशिशें नहीं छोड़ीं. टीवीएफ़ की 'पंचायत' भी ऐसी ही एक कोशिश है. इसे देखने वाला हर शख़्स फुलेरा में कहीं न कहीं अपना गाँव तलाशता है. गलियों में, शादियों में, पंचायत भवन में या प्रधानी के चुनाव में. फुलेरा में रहने वाले हर किरदार को लोग अपना सा मान लेते हैं. ऐसे ही एक प्यारे किरदार हैं हमारे उप-सचिव विकास और इनका असली नाम है चंदन रॉय, सुनिए ‘पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
एक समय था जब दुनिया दो ध्रुवों में बंटी हुई थी. एक ओर था अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिम और दूसरी ओर सोवियत संघ. फिर वक्त बदला, दीवारें गिरीं, पुराने गठबंधन टूटे और नए गठबंधन बनते गए. जो जहां हित साधता दिखा, वहीं जुड़ता चला गया, चाहे वो आर्थिक हित हों या सामरिक. इसी दौर में चार देशों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया — BRIC: ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन. फिर साउथ अफ्रीका जुड़ा और बन गया BRICS. बाद में और देश जुड़े, पर नाम वही रहा. इस समूह का मक़सद था अमेरिकी डॉलर की सर्वोच्चता को चुनौती देना. कभी जो साझेदारी एक सपना लगती थी आज वही अमेरिका की आंखों में चुभ क्यों रही है, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
अमेरिका में चुनाव होता है तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. इस बार राष्ट्रपति चुनाव नहीं, न्यूयॉर्क में मेयर का चुनाव है और डेमोक्रेटिक पार्टी से ज़ोहरान ममदानी का उम्मीदवार बनना लगभग तय है. 2018 में नागरिक बने ममदानी, आज अमेरिका की राजनीति के चर्चा में हैं. अपने कैंपेन, रैप और डेटिंग ऐप से हुई शादी तक की वजह से. वो न्यूयॉर्क जैसे शहर में फ्री सुविधाओं की बात कर रहे हैं. जो कि कैपिटलिज़्म की राजधानी माना जाता है. इस एपिसोड में हमारे साथ हैं प्रो. डॉ. मुक्तदर खान, जो बताएंगे कि ममदानी कैसे उभरे, ट्रंप ने उन्हें "Communist Lunatic" क्यों कहा और मोदी से वो दूरी क्यों बनाए रखना चाहते हैं, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
1984 में जब राकेश शर्मा से पूछा गया कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो जवाब था — 'सारे जहां से अच्छा'. वो लम्हा इतिहास बन गया. अब चार दशक बाद, एक और आवाज़ आई है — “Namaskar from space!” ये थे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला. अमेरिका की प्राइवेट कंपनी Axiom Space ने भेजा है. फिर भी ये भारत के लिए बड़ी बात है, क्योंकि आगे है मिशन गगनयान, भारत अब अपने दम पर इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में है. तो सवाल ये है: शुभांशु की उड़ान क्या गगनयान की तैयारी का हिस्सा है? ISS का भविष्य क्या है? भारत इस दौड़ में कहां है, और चीन कितना आगे निकल चुका है? क्या भविष्य प्राइवेट स्पेस कंपनियों का होगा? इन सब सवालों के जवाब आज पढ़ाकू नितिन में तलाशेंगे, हमारे साथ हैं वरिष्ठ साइंस जर्नलिस्ट दिनेश सी. शर्मा. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
जी-7 मीटिंग के बीच ट्रंप उठकर चले गए और जाते-जाते बोले – अब सिर्फ़ शांति नहीं, कुछ बड़ा होगा. कुछ घंटे बाद अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला कर दिया. टेल अवीव में बैनर लगे – “Mr. President, Finish The Job.” इज़राइल चाहता है आर-पार की लड़ाई, ट्रंप ने दे दिया ‘रेजीम चेंज' का इशारा. अब सवाल ये है: ईरान का जवाब क्या होगा? क्या अमेरिका वाकई अजेय है? और भारत की चुप्पी दुनिया को क्यों चुभ रही है?, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में प्रो. मोहसिन रज़ा के साथ हुई इस बातचीत को. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
जून 1969 में न्यूयॉर्क के स्टोनवॉल इन में हुई एक पुलिस रेड ने LGBTQ+ आंदोलन को जन्म दिया. एक साल बाद, दुनिया की पहली प्राइड परेड निकली, एक ऐसा मार्च जिसने बताया कि अपने अस्तित्व पर गर्व करना चाहिए. ये आंदोलन अब पूरी दुनिया में फैल चुका है. भारत के छोटे-छोटे शहरों तक और आज हम बात कर रहे हैं उस आवाज़ से, जिसने खुद के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के लिए रास्ता बनाया ट्रांसजेंडर मॉडल और एक्टिविस्ट, रुद्राणी छेत्री के साथ 'पढ़ाकू नितिन' में हुई इस बातचीत में सुनिए. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
क्या आपने 'पिज़्ज़ा इंडेक्स' सुना है? कहते हैं, जब पेंटागन में देर रात पिज़्ज़ा की डिलिवरी बढ़ जाए तो दुनिया के किसी कोने में जंग शुरू होने वाली होती है. 12 जून को यही हुआ और अगले दिन इज़राइल ने ईरान पर सीधा हमला किया: Operation Rising Lion — 200+ जेट्स, 300+ मिसाइलें, न्यूक्लियर साइट्स पर हमला ईरान ने भी पलटवार किया — True Promise 3, दर्जनों मिसाइलें, ड्रोन और तेल अवीव में रेड अलर्ट अमेरिका ने भी F‑35 और F‑22 जेट्स भेज दिए। यानी अब ये लड़ाई सिर्फ दो देशों की नहीं, एक ग्लोबल टकराव बन चुकी है. इज़राइल ये सब मैनेज कैसे कर रहा है? ईरान के पास क्या चालें बची हैं? और रूस-चीन, भारत—सबकी भूमिका क्या होगी? सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में
चंद्रयान, मंगलयान और आगामी गगनयान जैसे मिशन से इंडिया स्पेस में भले ही सफलता की नई कहानियां लिख रहा है. लेकिन ये सब शुरू कैसे हुआ था, ISRO की नींव कैसे आज़ादी से पहले पड़ गई थी, केरल में देश का पहला रॉकेट लॉन्च कैसे हुआ, Cold War के बीच विक्रम साराभाई ने कैसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को संवारा, होमी जहांगीर भाभा की मौत की सच्चाई क्या है, भारत के पहले सेटेलाइट आर्यभट का नाम कैसे रखा गया, नेहरू ने यूरी गागरिन का भारत में स्वागत कैसे करवाया, ISRO के लॉन्च प्रोग्राम में राजीव गांधी के पहुंचने की कहानी, क्रायोजेनिक इंजन बनाना भारत के लिए बड़ी उपलब्धि कैसे साबित हुई, क्या चांद पर सच में बस्ती बसाई जा सकती है, अंतरिक्ष में जाने के लिए किसी का चयन कैसे होता है, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा और भारत के आगामी स्पेस मिशन पर दिलचस्प चर्चा, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' के इस एपिसोड में सीनियर साइंस जर्नलिस्ट और ऑथर दिनेश सी. शर्मा और नितिन ठाकुर के साथ. प्रड्यूसर: कुमार केशव साउंड मिक्सिंग: सूरज सिंह
हमारी दादी-नानी की कहानियों में अक्सर राजाओं और रानियों का ज़िक्र आता रहा है. आज आधी से ज़्यादा दुनिया के लिए भी राजशाही हिस्ट्री है, कहानी है. लेकिन ख़बरें बताती हैं कि भारत के पड़ोस में एक देश ऐसा है जहां राजशाही आकांक्षा है, कम से कम एक वर्ग के लिए तो है. नेपाल. जहां मई 2025 ख़त्म होते होते लोग सड़कों पर उतर आए. मांग थी केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को हटाया जाए. राजशाही वापस लाई जाए. नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए. लेकिन इस पर चर्चा क्यों ज़रूरी है? क्योंकि बारिश में नेपाल भीगता है, छींक भारत को आती है. भारत-नेपाल का रिश्ता ही ऐसा नज़र आता है. या कहिए कि आता था. क्योंकि एक एंगल चीन भी है. तो पढ़ाकू नितिन के इस एपिसोड में नेपाल की राजशाही की मांग और उसकी Complexity को खोलेंगे. समझेंगे कि नेपाल दरअसल चाहता क्या है? अपने आप से और दुनिया से? क्या वाकई नेपाल एक हिंदू राष्ट्र बनना चाहता है? यानि इन शोर्ट भारत-नेपाल-चीन के तिकोने रिश्ते की पेचीदगियां. और इस सफ़र में हमारे साथ हैं डॉ. महेंद्र पी. लामा. जेएनयू में इंटरनेशनल रिलेशंस के सीनियर प्रोफेसर, सिक्किम सरकार के चीफ़ इकोनॉमिक एडवाइज़र, NSA बोर्ड के पूर्व सलाहकार सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ सिक्किम के फाउंडिंग वाइस चांसलर और भारत-नेपाल के साझा Eminent Persons Group के अहम सदस्य. इतना ही नहीं—ऐतिहासिक नाथू ला ट्रेड रूट को दोबारा खोलने का श्रेय भी इन्हें ही जाता है. मतलब डॉ. महेंद्र पी. लामा ने नेपाल को नज़दीक से देखा, समझा और जिया है. समझिए नेपाल की ये नई-पुरानी चाह, उसकी जड़ें, उसका भूगोल और उसकी राजनीति पढ़ाकू नितिन के साथ. In our grandmother's stories, we often heard tales of kings and queens. For more than half the world today, monarchy is just that—a story, a thing of the past. But news coming from India's neighborhood tells a different tale. In Nepal, as May 2025 drew to a close, people took to the streets. Their demands? The removal of the KP Sharma Oli-led coalition government, the restoration of the monarchy, and the declaration of Nepal as a Hindu nation. Why is this discussion important? Because when it rains in Nepal, India catches a cold. That's how closely tied the two countries have been—or perhaps, were. And now, there's also a Chinese angle. In this episode of Padhaku Nitin, we unpack the demand for monarchy in Nepal and its many complexities. What does Nepal really want—from itself and from the world? Does it truly aspire to become a Hindu nation? In short, we dive deep into the triangular relationship between India, Nepal, and China. Joining us on this journey is Dr. Mahendra P. Lama—senior professor of International Relations at JNU, former Chief Economic Advisor to the Government of Sikkim, ex-advisor to the NSA Board, founding Vice Chancellor of the Central University of Sikkim, and a key member of the India-Nepal Eminent Persons Group. He also played a pivotal role in reopening the historic Nathu La Trade Route. Which means—Dr. Lama has not just studied Nepal, he has lived it, shaped it, and understood its soul. So join us in Padhaku Nitin as we decode Nepal's old-new aspirations—its roots, its geography, and its politics. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Air Chief Marshal Amar Preet Singh ने दिल्ली के मंच से HAL पर सीधा निशाना साधा और कहा- HAL से नहीं हो पा रहा है. ये सिर्फ टेक्निकल नहीं, एक नीतिगत चेतावनी है. इस एपिसोड में बात होगी, HAL की सुस्ती, अधूरे प्रोजेक्ट्स, भरोसे की गिरती साख और भविष्य के ड्रोन युद्ध की तैयारी पर. हमसे जुड़ रहे हैं वरिष्ठ रक्षा पत्रकार संदीप उन्नीथन। पढ़ाकू नितिन में हमने उनसे पूछा- HAL की धीमी रफ्तार का बोझ क्या सैनिक उठा रहे हैं, भारत ड्रोन रेस में क्यों पिछड़ रहा है और क्या प्राइवेट प्लेयर्स सेना को नई रफ्तार दे सकते हैं? सुनिए, 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
बांग्लादेश में संसद खत्म, सड़कों पर सेना और सत्ता एक ऐसे शख्स के हाथ में, जिसे जनता ने चुना ही नहीं, नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस. शेख़ हसीना नज़र नहीं आ रहीं. तो क्या यूनुस सत्ता में लाए गए हैं? अगर हां, तो अमेरिका, चीन या किसी और के इशारे पर? भारत क्यों चुप है लेकिन बेचैन भी? इस एपिसोड में जानिए बांग्लादेश की मौजूदा राजनीति, अमेरिका-चीन की चालें और भारत की चिंता, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
अनुज धर — वो नाम जिन्होंने नेताजी की मौत के रहस्य को अपनी ज़िंदगी का मिशन बना लिया. बीते 25 सालों में उन्होंने नेताजी पर कई किताबें लिखीं — ‘What Happened to Netaji', ‘Conundrum', ‘The Bose Deception' — जिनमें हैं दस्तावेज़, सबूत और वो सवाल जो अब तक अनसुने रहे. उनका मानना है कि 18 अगस्त 1945 को नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी. आज हमने अनुज धर को अपने पॉडकास्ट में बुलाया और उनसे सीधे सवाल किए — सरकारी कहानी पर उन्हें शक क्यों है, असल में उस दिन हुआ क्या था और वो कौन लोग हैं जो नेताजी का सच छुपा रहे हैं, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.
एक वक्त था जब तुर्की भारत का करीबी माना जाता था, व्यापार, पर्यटन और संस्कृति—हर मोर्चे पर रिश्ते मज़बूत हो रहे थे. वही तुर्की भारत के लिए एक कूटनीतिक और वैचारिक चुनौती बनता जा रहा है. चाहे कश्मीर का मुद्दा हो या संयुक्त राष्ट्र का मंच—तुर्की अक्सर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखता है. एर्दोगान अब सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक ऐसी विचारधारा के प्रतिनिधि हैं जो 'खिलाफ़त' को नई ज़मीन देना चाहती है, दक्षिण एशिया तक. तो सवाल ये है— क्या तुर्की का ये रुख सिर्फ डिप्लोमेसी है या कोई गहरा एजेंडा? क्या तुर्की-पाकिस्तान-चीन की तिकड़ी भारत के लिए नई चुनौती बन रही है? आज पढ़ाकू नितिन में हमारे साथ हैं वरिष्ठ पत्रकार और विदेश मामलों के जानकार प्रकाश के रे. बात करेंगे एर्दोगान की रणनीति, तुर्की की वैचारिक राजनीति और इसके असर पर भारत, पाकिस्तान और इज़रायल जैसे देशों के साथ, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में
इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विलियम ग्लैडस्टन ने कहा था—“Justice delayed is justice denied.” यानि अगर न्याय मिलने में देर हो जाए, तो समझिए वो मिला ही नहीं, अब भारत की हकीकत देखिए—हाई कोर्ट में औसतन 5 से 6 साल लगते हैं फैसले में और ज़िला अदालतों में तो 10 साल तक भी. पटना हाई कोर्ट में एक केस को सुनने का औसत समय? सिर्फ़ दो मिनट! ऐसे में आम आदमी की ज़िंदगी अदालतों के चक्कर लगाते ही बीत जाती है. 'पढ़ाकू नितिन' के इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं न्याय में देरी की उस गंभीर समस्या की, जो लोगों का सिस्टम से भरोसा तोड़ रही है. हमारे साथ हैं ‘तारीख़ पर जस्टिस' किताब के लेखक प्रशांत रेड्डी और चित्राक्षी जैन, जो बताएंगे जजों की कमी और उनकी बढ़ती उम्र क्यों है चिंता की बात, ज़िला अदालतों के जज किससे डरते हैं, और न्यायपालिका में पारदर्शिता की इतनी कमी क्यों है, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
भारत ने बोलने का नहीं, दिखाने का रास्ता चुना, पहलगाम में हुआ हमला सिर्फ एक आतंकी हरकत नहीं थी, वो एक साजिश थी, भारत को उकसाने की और भारत ने इसका जवाब दिया ऑपरेशन सिंदूर से, ये ऑपरेशन खास था, 9 आतंकी अड्डों पर एक साथ हमला और उनमें से कई जगहें वो थीं जिनका नाम आप सालों से सुनते आए हैं- मुरीदके, बहरावल. जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के गढ़. रिपोर्ट्स कहती हैं कि करीब 100 आतंकवादी मारे गए, लेकिन असल कहानी इससे कहीं आगे की है…पाकिस्तान आगे क्या करेगा? भारत की रणनीति क्या होगी ये सवाल लगातार पूछे जा रहे हैं और इनके जवाब तलाशने की कोशिश चल रही है. हमारे साथ हैं डॉ. अभिनव पांड्या, जैश-ए-मुहम्मद और आतंकवाद पर इनका गहन अध्यन है, किताबें भी लिखी हैं, पढ़ाकू नितिन में भी पहले आ चुके हैं. आज के एपिसोड में हमने पांड्या से पूछा- पाकिस्तान की आवाम क्यों आतंकवाद पर चुप है, भारत को किस हद तक पाकिस्तान को पीछे घकेलना चाहिए, तुर्किए ने क्यों पाकिस्तान का हाथ थामे रखा है और भारत की विदेश नीति क्या सही दिशा में आगे बढ़ रही है, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.
पहलगाम की शांत वादियों में हुआ हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं, एक बयान था — ज़ख़्म कुरेदने की कोशिश. जवाब मिला ऑपरेशन सिंदूर से, जो सीमित दिखा पर गहरा संदेश लेकर आया. भारत-पाक तनाव नया नहीं है लेकिन अब लड़ाई ड्रोन, साइबर और सोशल मीडिया के मोर्चे पर भी हो रही है. ऐसे दौर में सबसे बड़ा सवाल है — क्या हम तैयार हैं? आज हमारे साथ हैं मेजर एल. एस. चौधरी — कीर्ति चक्र विजेता, जिन्होंने कश्मीर में आतंक के ख़िलाफ़ कई सफल ऑपरेशन लीड किए. एक हमले में पांच आतंकियों को ढेर किया, खुद घायल हुए। आज वो युवाओं को सिखा रहे हैं- Warrior Mindset, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन पूरे हो चुके हैं और अब वक्त है ये परखने का कि क्या उन्हें सिर्फ मज़ा आ रहा है या वो जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं. उधर, अमेरिका के पड़ोसी कनाडा में चुनाव हुए और नतीजों ने सबको चौंका दिया. अमेरिका चुनावी मुद्दा था लेकिन वहां की जनता ने ट्रंप के विरोध में खड़े हुए मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री बना दिया—एक ऐसा नाम जो अब तक सिर्फ अर्थशास्त्र और बैंकिंग की दुनिया में जाना जाता था. ‘पढ़ाकू नितिन' में बात होगी ट्रंप और कार्नी की शुरुआती पारी की और इस नई वैश्विक राजनीति का भारत पर क्या असर पड़ सकता है. इस बातचीत के लिए हमारे साथ हैं वॉशिंगटन डीसी से वरिष्ठ पत्रकार रोहित शर्मा. हमने उनसे जाना कि ट्रूडो की भारत से टकराव की कीमत उन्हें कैसे चुकानी पड़ी, कार्नी ने कनाडा का मूड कैसे बदला, ट्रंप अपनी बात सबसे कैसे मनवाते हैं और आखिर मस्क ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन में क्यों नहीं फिट हो पा रहे, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में.
जब सरहद पार से गोलियां चलती हैं, तो उनकी गूंज हमारे रिश्तों और रणनीतियों तक पहुँचती है. पहलगाम के ताज़ा हमले ने फिर सवाल उठाया है — भारत-पाकिस्तान के बीच अब बातचीत की गुंजाइश है या टकराव तय है? भारत ने अब पाकिस्तान से निपटने का तरीका बदल दिया है — कूटनीति, अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नए सधे हुए कदम उठाए जा रहे हैं. खासतौर पर पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर अलग-थलग करने की रणनीति पर चर्चा हो रही है. सवाल है — क्या यह रणनीति काम कर रही है? या तनाव पूरे दक्षिण एशिया को संकट में धकेल रहा है? इन्हीं मुद्दों पर आज हमारे साथ हैं प्रोफेसर मोहसिन रज़ा खान — अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा मामलों के जानकार. हमने उनसे पूछा — पहलगाम के बाद भारत की रणनीति कैसी बदली? पाकिस्तान की कौन सी कमजोरी उसके लिए ताकत बन सकती है? दोनों देश अब तक परमाणु टकराव के कितने करीब आए हैं? और भारत सरकार किन दबावों के बीच फैसले ले रही है?
22 अप्रैल, पहलगाम. बर्फीली वादियाँ, शांत घाटियाँ — लेकिन उस दिन वहाँ सिर्फ़ चीखें थीं.बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 28 लोग मारे गए — 24 पर्यटक, 2 स्थानीय, 2 विदेशी. 20 से ज़्यादा लोग घायल हुए. इस हमले की ज़िम्मेदारी ली दी रेजिस्टेंस फ्रंट ने — जिसे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जाता है. प्रधानमंत्री ने विदेश दौरा बीच में छोड़ा, गृहमंत्री मौके पर पहुँचे. चार साल में सात गुना बढ़े टूरिज़्म पर अब ब्रेक लग गया है. कश्मीर जितना हसीन है, उतना ही संवेदनशील भी. शांति यहाँ इतनी मुश्किल क्यों है? इन्हीं सवालों पर बात करने के लिए हमारे साथ हैं डॉ. अभिनव पांड्या — कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए, Usanas Foundation के संस्थापक, और सुरक्षा विषयों पर तीन किताबों के लेखक. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ़ वॉर शुरू हो गया. ट्रंप का सपना था – “Make America Great Again”, यानी अमेरिका फिर से मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बने. उन्हें खल रहा था कि चीन से तीन गुना ज़्यादा सामान मंगवाकर अमेरिका व्यापार घाटा झेल रहा है. उनके लिए ये सिर्फ आर्थिक नहीं, “इगो” का भी मामला था. इसलिए 2 अप्रैल को ट्रंप ने 90 देशों के सामान पर भारी टैक्स लगा दिए और इस दिन को Liberation Day कहा – विदेशी माल से आज़ादी का दिन. चाहे चीन के मोबाइल पार्ट्स हों, यूरोप की कारें, भारत की दवाइयाँ या मैक्सिको की मशीनें – सब महंगे हो गए हैं. लक्ष्य है: विदेशी कंपनियाँ हटें, अमेरिकी कंपनियाँ बढ़ें. लेकिन सवाल ये है – क्या अमेरिकी लोग महंगे लोकल सामान को चुनेंगे? क्या अमेरिका फिर से उत्पादन में अग्रणी बन पाएगा? इन्हीं सवालों पर बात करेंगे अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रकाश के रे से. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
भारत के 28वें सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे हमारे साथ हैं, उनका सफर एक कैडेट से लेकर सेना प्रमुख बनने तक और अब लेखक के रूप में एक नई भूमिका में प्रवेश करना, कई ऐतिहासिक पड़ावों से होकर गुज़रा है. इस एपिसोड में हमने बात की गलवान संकट, ऑपरेशन स्नो लेपर्ड, LAC पर चीन से तनाव, अग्निवीर योजना, श्रीलंका में भारत की रणनीति और पाकिस्तान की सेना से हमारी तुलना पर. साथ ही चर्चा की उनकी नई किताब "The Cantonment Conspiracy", जो एक रोमांचक मिलिट्री थ्रिलर है. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं—विभाजन से लेकर युद्धों और कारगिल तक और उसके बाद भी. 'पढ़ाकू नितिन' में हमारे साथ हैं पूर्व राजनयिक शरत सभरवाल, जिन्होंने पाकिस्तान में भारत के डिप्टी और फिर हाई कमिश्नर के रूप में काम किया. वे हमें बताते हैं कि भारत-पाक संबंध क्यों सामान्य नहीं हो सकते, कैसे उन्होंने पाकिस्तान के जासूसों को चकमा दिया और बलूचिस्तान की आज़ादी की मांग कैसे पाकिस्तान के लिए चुनौती बनती जा रही है. हम बलूच आंदोलन के इतिहास, नवाब बुगती की हत्या और भारत की भूमिका पर भी चर्चा करते हैं, सुनिए ये बातचीत जो पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति, जासूसी तंत्र और अलगाववाद को गहराई से समझने में मदद करेगी. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
12वीं सदी में मोहम्मद गोरी ने जब भारत में सत्ता स्थापित की, तो वक्फ़ की परंपरा भी शुरू हुई. आज वक्फ़ सिर्फ़ एक धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि भारत की तीसरी सबसे बड़ी ज़मीन की मालिक है — करीब 9.4 लाख एकड़. अब वक्फ़ क़ानून में बदलाव हो चुका है — Waqf (Amendment) Act, 2025 पास हो गया है और इसके साथ कई सवाल भी उठ रहे हैं. क्या ये संशोधन धार्मिक आज़ादी पर असर डालेगा? क्या इससे मुसलमानों की ज़मीनें ख़तरे में पड़ेंगी? इन्हीं सवालों पर बात करने हमारे साथ हैं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट संजय घोष. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
बलूचिस्तान की आज़ादी की गूंज दुनिया भर में सुनाई दे रही है और ऐसी ही एक बुलंद आवाज़ हैं मुमताज़ बलोच. तुरबत से ताल्लुक रखने वाले मुमताज़ फिलहाल जर्मनी में निर्वासन का जीवन बिता रहे हैं. छात्र जीवन से ही आज़ादी की तहरीक से जुड़े, पहले बलूच स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन फ्रीडम के सदस्य रहे और अब फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट का हिस्सा हैं. इस पॉडकास्ट में हमने मुमताज़ से पूछा – ईरान से आज़ादी की मांग क्यों उतनी ज़ोर से नहीं उठती जितनी पाकिस्तान से? बाग़ियों को हथियार कहां से मिलते हैं? उन्हें पाकिस्तान से भागने की नौबत क्यों आई? और बलूचिस्तान को दुनिया से कैसी मदद की उम्मीद है?
पाकिस्तान को बने अभी सौ साल भी नहीं हुए, लेकिन बलूचिस्तान का इतिहास हज़ारों साल पुराना है. आज की हकीकत यह है कि बलूचिस्तान पाकिस्तान का हिस्सा है, लेकिन 1947 से ही वहां के लोग आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे हैं. बलूचिस्तान नेशनल मूवमेंट इसी संघर्ष का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य हर हाल में एक स्वतंत्र बलूचिस्तान है. इस संगठन के सीनियर ज्वाइंट सेक्रेटरी, कमाल बलोच, जो सुरक्षा कारणों से अपनी लोकेशन उजागर नहीं कर सकते उन्होंने पढ़ाकू नितिन से वर्चुअल बातचीत में बताया कि वे बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग क्यों मानते हैं और जिन्ना ने कैसे उन्हें धोखा दिया. इस एपिसोड में हमने जाना कि इस आंदोलन की फंडिंग कैसे होती है, चीन की मौजूदगी ने इसे कितना मुश्किल बना दिया है, और क्यों कमाल बलोच, भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस को अपना हीरो मानते हैं. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
इस बार हमने बात की राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा से—जिनकी आवाज़ संसद में गूंजती है तो लोग ध्यान से सुनते हैं और सोशल मीडिया पर लाखों लोग देखते हैं. उनके घर पहुंचे तो राजनीति पर चर्चा की उम्मीद थी लेकिन सैकड़ों किताबों और फिल्मी पोस्टरों से घिरे कमरे ने हमें चौंका दिया। बातचीत राजनीति, सिनेमा और किताबों के बीच घूमती रही. मज़ाक और हंसी के बीच हमने तीखे सवाल भी पूछे—गरीबों से जुड़े मुद्दों पर जनता क्यों नहीं जुड़ती, राजनीतिक दलों में लोकतंत्र क्यों नहीं है और संसद में समोसे कितने के मिलते हैं? Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
हमारी खास बातचीत हुई इतिहासकार विक्रम संपत से, जिन्होंने Tipu Sultan: The Saga of Mysore's Interregnum लिखी है. यह सिर्फ़ टीपू सुल्तान नहीं, बल्कि उनके पिता हैदर अली की कहानी भी बताती है. हमने इस पर दो एपिसोड रिकॉर्ड किए और यह दूसरा भाग है. पहले भाग में हैदर अली की चर्चा हुई थी, अब पूरी बातचीत टीपू पर केंद्रित होगी. इस एपिसोड में हमने विक्रम से पूछा—टीपू ने फ्रांस को क्यों चुना? वे मुग़लों से तमगा क्यों चाहते थे? 'राम नाम' की अंगूठी का सच क्या है? और एक समुदाय दीवाली क्यों नहीं मनाता? Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
टीपू सुल्तान: हीरो या खलनायक? टीपू सुल्तान का म्यूज़िकल टाइगर टॉय क्या खेल था या चेतावनी? वह वीर योद्धा था या निर्दयी शासक? चार युद्ध, ब्रिटिशों से संघर्ष, और 1799 में वीरगति. लेकिन कोडागु के लोग उसे अत्याचारी क्यों मानते हैं? क्या उसने जबरन धर्म परिवर्तन करवाया? इस पर चर्चा करेंगे इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत, जिनकी किताब ‘टीपू सुल्तान: द सागा ऑफ मैसूर' चर्चा में रही, देखिए पूरा एपिसोड ‘पढ़ाकू नितिन' में. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
अमेरिका आज भी दुनिया की अकेली महाशक्ति है और डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद वहां बड़े फैसले लिए जा रहे हैं—इमिग्रेंट्स पर सख्त कदम, रूस से बातचीत, और भी बहुत कुछ। इन्हीं मुद्दों पर चर्चा के लिए हमारे साथ हैं प्रोफेसर मोहसिन रज़ा खान, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सुरक्षा नीति के विशेषज्ञ हैं. वह ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और वॉशिंगटन डीसी में इंडिया रिसर्च ग्रुप के सीनियर फेलो हैं. उन्होंने अमेरिका और यूरोप में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और वैश्विक राजनीति पर गहन शोध किया है. पढ़ाकू नितिन में बात होगी ट्रंप की नई नीतियों और उनके वैश्विक प्रभावों पर 'नितिन ठाकुर' के साथ.Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
भाषा सिर्फ़ शब्दों का सेट नहीं, बल्कि एक जीती-जागती दुनिया होती है, जो समय के साथ विकसित होती रहती है. मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो ने कहा था कि ज़बान बनाई नहीं जाती, वो ख़ुद बनती है. इन्हीं पहलुओं पर बात करने के लिए आज हमारे साथ हैं लिंग्विस्ट, लेखक और शोधकर्ता पेगी मोहन, अपनी किताबों Wanderers, Kings, Merchants और Father Tongue, Motherland में उन्होंने दिखाया है कि भारतीय भाषाएँ सिर्फ़ संस्कृत या फ़ारसी का विस्तार नहीं, बल्कि एक गहरे और मिश्रित भाषा तंत्र का हिस्सा हैं. उनसे जानते हैं—भाषाओं का असली DNA क्या है? माइग्रेशन और जेंडर का भाषा निर्माण पर क्या असर होता है? क्या हिंदी, बंगाली, तमिल जैसी भाषाएँ किसी प्राचीन ज़बान का नया रूप हैं? और भाषा कब ‘मदर टंग' बनती है, कब इसमें गालियां जुड़ जाती हैं, सुनिए 'पढ़ाकू नितिन' में नितिन ठाकुर के साथ.
हर चुनाव में नेता अपना सोचते हैं, लेकिन वोटर सिर्फ़ अपना फ़ायदा देखता है. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे चौंकाने वाले रहे—27 साल बाद बीजेपी की वापसी, AAP विपक्ष में, और कांग्रेस स्थिर. अब सवाल ये है कि बीजेपी बिना CM फेस के कैसे जीती? AAP के वोटर्स क्यों खिसक गए? केजरीवाल की कौन सी चाल फेल हुई? और बीजेपी के लिए आगे का रास्ता कितना मुश्किल? इन्हीं सवालों पर चर्चा के लिए हमारे साथ हैं सीनियर जर्नलिस्ट राजदीप सरदेसाई. ‘पढ़ाकू नितिन' में आज होगी गहरी पड़ताल! Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
Video Episode- https://youtu.be/AjcfY2ZD8Us जादू को हमने कई रूपों में महसूस किया है—लता मंगेशकर की आवाज़, सचिन तेंदुलकर के कवर ड्राइव, या निर्मल वर्मा की लेखनी में. आज हमारे साथ एक ऐसे ही ‘जादूगर' हैं, जो एक हिप्नोथैरेपिस्ट भी हैं. ये लोगों सिर्फ़ लोगों को हैरान करते हैं, बल्कि उनकी भावनात्मक चोटें भी भरते हैं और पर्चा बनाने वाले ‘दिव्य आत्माओं' की सच्चाई उजागर करते हैं. इस एपिसोड में हमने रविंद्र से जाना कि सम्मोहन को लेकर कौन-कौन सी ग़लतफ़हमियाँ हैं, किसे सम्मोहित किया जा सकता है और किसे नहीं, साथ ही ये थैरेपी की तरह कैसे काम करता है. खास बात ये है कि पहली बार पढ़ाकू नितिन में लाइव ऑडियंस भी इसका अनुभव ले रही है! Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
पिछले एपिसोड में डॉ. मिनाक्षी जैन ने बताया कि सती प्रथा, बाबरी मस्जिद के नीचे मिले प्रमाण और हिंदवी भाषा को कैसे बदला गया. इस एपिसोड में वे गुजरात के व्यापारी की कहानी बताती हैं, जिसने मंदिर पर हमले के विरोध में शाहजहाँ से टक्कर ली और उन इतिहासकारों का ज़िक्र करती हैं जिन्होंने भारतीय इतिहास को गलत दिशा दी. साथ ही, हमने पूछा कि क्या औरंगज़ेब ने मंदिर निर्माण के लिए धन दिया था, धार्मिक विवादों का समाधान क्या है, और NCERT की किताबों में उन्होंने क्या बदला गया अगर पिछला हिस्सा नहीं सुना, तो ज़रूर सुनें. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
जब पढ़ाकू नितिन पॉडकास्ट की शुरुआत हुई, हमारा उद्देश्य था इतिहास जैसे जटिल विषयों को सरल और निष्पक्ष रूप से आप तक पहुंचाना. इतिहास की खूबी यह है कि वह समय के साथ बदलता रहता है—नई जानकारियां और बदलते नज़रिए पुरानी धारणाओं को चुनौती देते हैं. आज के एपिसोड में हमारे साथ हैं जानी-मानी इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन. राम, अयोध्या, सती, और कृष्ण जैसे विषयों पर उनकी साक्ष्य-आधारित किताबों ने इतिहास की नई समझ दी है. 2020 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. हमने उनसे सवाल किए—सती प्रथा का सच क्या है? मंदिर तोड़ने की शुरुआत कब हुई? क्या बौद्ध स्तूपों को तोड़कर मंदिर बनाए गए? और उर्दू का विकास कैसे हुआ? इन सवालों के जवाब जानने के लिए सुनिए पूरा एपिसोड Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
भारत में बहुत कम लोग हैं जिनके नाम के साथ IIT, IPS, और बेस्टसेलर लेखक जैसी उपलब्धियां जुड़ती हैं और उनमें से एक हैं आलोक लाल. 35 साल पुलिस फोर्स को सेवा देने वाले, दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित और True Crime जॉनर में बेस्टसेलर The Barabanki Narcos के लेखक. उनकी किताबें केवल घटनाओं का विवरण नहीं, बल्कि एक कला प्रेमी के दिल से लिखी कहानियां हैं. सेवा के दौरान पेंटिंग प्रदर्शनियां लगाने वाले आलोक लाल ने यूपी के बाराबंकी से अफीम के धंधे का सफाया किया, कई बड़े केस सुलझाए और जानलेवा हमलों का सामना किया. पढ़ाकू नितिन में उन्होंने बताया कि क्यों मुलायम सिंह यादव ने उनके लिए विधायकों को डांटा और किस गिल्ट ने उन्हें अब तक नहीं छोड़ा. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
नए साल की देरी से ही सही, शुभकामनाएं! 2025 में भी इतिहास और मिथकों के बीच की खाई को समझना उतना ही मुश्किल है. इसी पर चर्चा के लिए हमारे आज के एपिसोड में हैं डॉ. रुचिका शर्मा, जो मध्यकालीन भारतीय इतिहास की विशेषज्ञ हैं. JNU से PhD, कई भाषाओं की जानकार और अपने अनोखे अंदाज़ में इतिहास पर बात करने वाली रुचिका से हमने धार्मिक स्थलों के विवाद, मंदिरों के विध्वंस, सोमनाथ मंदिर, और अकबर से जुड़े मिथकों पर चर्चा की, आराम से सुनें और इतिहास की परतें खोलें! Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
बीते साल हमने कई विषयों पर चर्चा की, मशहूर लेखकों, कलाकारों, राजनयिकों और विशेषज्ञों से बातचीत की. इस विशेष एपिसोड में हमने अलग-अलग जॉनर के उन हिस्सों को समेटने की कोशिश की है, जिन्हें आपने सबसे ज़्यादा पसंद किया और सराहा. हमने शेर सिंह राणा से तिहाड़ में अफ़जल गुरू के साथ बिताए उनके अनुभवों के बारे में पूछा. मानव कौल से जाना कि उन्होंने एक किताब के कवर के लिए कपड़े क्यों उतार दिए. कृष अशोक ने वेज, नॉन वेज और वीगन खानों के बीच के फ़र्क को स्पष्ट किया. दीपक वाधवा ने इन्वेस्टमेंट के फंडे दिए. अक्षत गुप्ता ने हमें नागाओं की अनोखी दुनिया से परिचित कराया. सुनिए पढ़ाकू नितिन का ये स्पेशल एपिसोड.
सोना इतना क़ीमती क्यों है, सोने को समृद्धि से जोड़कर क्यों देखा जाता है, भारत कितना सोना आयात करता है और सोना खरीदने को लेकर लोग इतने उतावले क्यों रहते हैं, सोना या उससे बने गहने ख़रीद कर रखना क्या घाटे का सौदा है, धर्मों में सोने को इतनी अहमियत क्यों, सोना इतना महंगा क्यों है, साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा सोने की खदानें हैं, लेकिन क्या वो सोना भी अमूल्य हीरे की तरह लैब में बनाया जा सकता है, मिडिल ईस्ट में सोने का क्रेज़ इतना क्यों है, सोने का कहां-कहां इस्तेमाल हो रहा है, सोने के दाम कैसे तय होते हैं, विदेशों से सोना देश में कैसे आता है, बाजार तक कैसे पहुंचता है, कैरेट में इसकी शुद्धता कैसे तय होती है, इन्वेस्टमेंट के लिहाज से सोना कैसे खरीदें और डिजिटल गोल्ड क्या बला है? समझिए सोने का इतिहास, भूगोल और इकोनॉमिक्स समझिए 'पढ़ाकू नितिन' के इस एपिसोड में MyGold के Founder अमोल बंसल से. प्रड्यूसर: कुंदन कुमार साउंड मिक्सिंग: सचिन द्विवेदी
कुछ ही महीनों पहले हमने इज़रायल-फिलिस्तीन संकट और अफ़गानिस्तान में तालिबान की वापसी पर बात की थी. अब साल के अंत में, एक और बड़ा अंतरराष्ट्रीय संकट सामने है—सीरिया में विद्रोहियों ने तख़्तापलट कर राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल कर दिया है. पचास वर्षों से सत्ता में काबिज़ असद परिवार इस बार विद्रोहियों के सामने टिक नहीं पाया. इस जटिल स्थिति को समझने के लिए हमने जियोपॉलिटिक्स विशेषज्ञ और सीनियर जर्नलिस्ट प्रकाश के रे को आमंत्रित किया है. इस एपिसोड में चर्चा करेंगे—बशर अल-असद की विफलता, सीरिया के टूटने से संभावित लाभार्थी, मिडिल ईस्ट में अस्थिरता, और इस घटना का भारत पर प्रभाव. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
हम सबको लगता है कि हमारा सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है, लेकिन दोस्तों को हंसाना और अनजान लोगों को हंसाना दो अलग बातें हैं. स्टैंड-अप कॉमेडी मेहनत, टेक्निक और स्किल का काम है. हमारे साथ हैं संदीप शर्मा—स्टैंड-अप कॉमेडी का बड़ा नाम. उनके जुमले मीम बन जाते हैं, और उनकी आवाज़ कंटेंट के हर फॉर्म में गूंजती है. हम उनसे जानेंगे कि कॉमेडी फनी से फूहड़ कब बनती है, स्टैंड-अप का इतिहास और वर्तमान क्या है, और क्या गाली दिए बिना कॉमेडी हो सकती है. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
हमने पढ़ाकू नितिन के इतिहास में अब तक का सबसे लंबा एपिसोड रिकॉर्ड किया है, और वो भी शेर सिंह राणा के साथ! जिस इंसान की ज़िंदगी पर फ़िल्म बन रही हो, उसका पॉडकास्ट तो खास होगा ही. पिछले एपिसोड में राणा ने फूलन देवी हत्या कांड की वो बातें बताईं, जो पुलिस जांच से बाहर थीं। तिहाड़ में उनके 13 साल, अफ़ज़ल गुरु से बातचीत, और स्पेशल सेल के अंदर की कहानियां – सब कुछ डीटेल में था. इस एपिसोड में हमने तिहाड़ से भागने की माइन्यूट डीटेल्स, रॉ एजेंट लकी बिष्ट की जेल की मुश्किलें, और पप्पू यादव के जेल जिम का राज़ पूछा. अंत तक सुनेंगे तो जानेंगे कि अफ़गानिस्तान से पृथ्वीराज की अस्थियां लाने में राणा कितनी बार मरते-मरते बचे, ये एपिसोड भी लंबा है, तो इसे 1.5x पर सुनने का सुझाव है! Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.
आज का एपिसोड खास है, क्योंकि हमारे मेहमान शेर सिंह राणा हैं. कोर्ट ने उन्हें फुलन देवी की हत्या का दोषी पाया, उन्होंने तिहाड़ जेल में 13 साल बिताए और जेल तोड़कर भागने वाले दूसरे व्यक्ति बने. अफगानिस्तान जाकर पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां लाने, अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने और ‘जेल डायरी: तिहाड़ से काबुल कंधार तक' नामक किताब लिखने जैसे कारनामे उनके नाम हैं. शेर सिंह राणा को कुछ लोग नायक मानते हैं, तो कुछ खलनायक. आज, हम उनसे उनके जीवन के अनछुए पहलुओं, जेल के अनुभवों, अफजल गुरु से हुई बातचीत, और विवादों पर उनके हिस्से का सच जानेंगे. Disclaimer: इस पॉडकास्ट में व्यक्त किए गए विचार एक्सपर्ट के निजी हैं.