Baat - Mulakaat

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जैसा की नाम से जाहिर हे, इस पॉडकास्ट सीरीज में होंगी बातें और मुलाकातें। बातें उन मुद्दों पे जो ज़रूरी हैं लेकिन जिस पर अक्सर बातें नहीं होती या होती हैं तो न के बराबर। बातें उन मुद्दों और विषयों पर भी जिनके बारें में आप जानना चाहते हैं, लेकिन आपको पता नहीं किससे पूछे और किससे बात करें। सुनो इंडिया के इस सीरीज़ "बात-मुलाक़ात" में हम आपकी करवाएंगे मुलाकात ऐसे एक्सपर्ट्स और जानकारों से जो दे सकें आपके सवालों का जवाब और जिनके साथ हो सके ज्वलंत और ज़रूरी मुद्दों पर बातचीत। (As the name suggests, this podcast series will feature conversations and meetings. Conversations on issues which are important but not discussed often. Conversations on topics that you want to know more about, but are not sure about whom/where to ask.  Do tune in to Baat MulaKaat, where you will get to meet and hear experts who can answer these questions and clarify your doubts.)

Suno India


    • Jun 13, 2024 LATEST EPISODE
    • monthly NEW EPISODES
    • 30m AVG DURATION
    • 32 EPISODES


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    कामगारों को कैसे निराश कर रही है भारत की गिग इकॉनमी?

    Play Episode Listen Later Jun 13, 2024 38:24


    भारत में गिग इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन गिग वर्कर्स को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जनपहल नाम की संस्था ने गिग वर्कर्स पर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की है जिसमें उनके काम के प्रति दृष्टिकोण को दिखाया गया है। यह रिपोर्ट इन प्रमुख समस्याओं पर विशेष रूप से बात करती है: - दिन भर में लंबे समय तक काम, - कम कमाई, - प्लेटफॉर्म्स द्वारा आईडी की मनमानी ब्लॉकिंग, - सालों काम करने के बाद भी कर्मचारी का दर्जा न होना और शारीरिक व मानसिक तनाव। इन समस्याओं को गहराई से समझने के लिए, बात मुलाकात के इस एपिसोड में स्नेहा रिछारिया ने इस रिपोर्ट की लीड ऑथर वंदना वासुदेवन से बात की। वह इस बारे में बात करती हैं कि कैसे देश में शिक्षित युवा आजीविका के विकल्प के रूप में केवल गिग वर्क पर निर्भर हैं।  See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    'पढ़ने की आदत भी एक अधिकार है'

    Play Episode Listen Later Apr 29, 2024 29:39


    2024 लोक सभा चुनाव के पहले फ्री लाइब्रेरीज़ नेटवर्क ने 'द पीपल्स नेशनल लाइब्रेरी पॉलिसी 2024' का एक ड्राफ्ट जारी किया है। इसका मकसद पुस्तकालयों के लिए मानक निर्धारित करना है। फ्री लाइब्रेरीज़ नेटवर्क पूरे दक्षिण एशिया में 250 से अधिक लाइब्रेरीज का एक नेटवर्क है। इस ड्राफ्ट में पुस्तकालयों तक निःशुल्क पहुँच की बात की गयी है। लाइब्रेरीज को बनाना और मेन्टेन करना वर्तनाम में स्टेट लिस्ट का हिस्सा है। जिला स्तर पर पब्लिक लाइब्रेरीज चलती हैं लेकिन इस ड्राफ्ट में पढ़ने की आदत को अधिकार आधारित दृष्टिकोण से देखा गया है। जतिन ललित उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने लगभग तीन साल पहले अपने गाँव में 'बाँसा कम्युनिटी लाइब्रेरी' की शुरुआत की थी। जतिन पेशे से वकील हैं और फ्री लाइब्रेरीज़ नेटवर्क के महासचिव भी हैं। बात मुलाक़ात के इस एपिसोड में स्नेहा रिछारिया ने पीपल्स नेशनल लाइब्रेरी पॉलिसी ड्राफ्ट के साथ-साथ जतिन से 'बाँसा लाइब्रेरी' की शुरुआत, गाँव में पढ़ने की आदत और भारत के वर्तमान लाइब्रेरी परिदृश्य पर बात की।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड जंगल में विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं ये आदिवासी?

    Play Episode Listen Later Feb 1, 2024 20:55


    21 और 22 दिसंबर 2023 को, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अधिकारियों ने हसदेव अरंड जंगल में कोयला खदानों के दूसरे चरण के विस्तार के लिए सैकड़ों हेक्टेयर ज़मीन में हजारों पेड़ों को काट दिया। पिछले एक दशक से आदिवासी छत्तीसगढ़ में 1,500 किमी से अधिक क्षेत्र में फैले हसदेव अरंड जंगलों को बचाने के संघर्ष का हिस्सा रहे हैं। यह क्षेत्र भारत के आदिवासी समुदायों का घर है, जहां घने जंगलों के नीचे अनुमानित पांच अरब टन कोयला दबा हुआ है।  "बात मुलाकात" के इस एपिसोड में, सुनो इंडिया की स्नेहा रिछारिया आलोक शुक्ला से बात करती हैं, जो छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक हैं और एक दशक से हसदेव आंदोलन से जुड़े हुए हैं।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    फोर्टिफाइड चावल - क्यों आदिवासी किसान सरकार द्वारा प्रचारित इस नए चावल को स्वीकार क्यों नहीं कर र

    Play Episode Listen Later Dec 27, 2023 18:26


    सरकार राशन के चावल में अब उन्हें “फ़ॉर्टिफ़ायड चावल" मिला कर दे रही हैं। सराकर का दावा है की यह चावल विटामिन और आयरन का पाउडर के चूरे को मिला कर फ़ैक्टरी में तैय्यार किया गया हे। यह चावाल खून की कमी और कुपोषण को ठीक करने में मदद करेगा। डॉक्टर और वैज्ञानिको में अभी तक इस पर सहमति नहीं हैं। यह तीन हज़ार करोड़ के बजट की नयी नीति कितनी कामगार होगी, इस पर लोगों में अभी संदेह हे।“बात मुलाक़ात” के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अनुमेहा यादव ने उड़ीसा व झारखंड के किसानों से बातचीत की। गाँव में आदिवासी किसान जो खुद सदियों से धान उगाते आए हैं बताते हैं की वह इस तरीके से पोषण को ठीक करने का सही तरीका नहीं मानते। वह कहते हैं “फ़ॉर्टिफ़ायड चावल" में खाने के गुण, जैसे की पकाने पर चावाल का गाच (स्वाभाविक गोंद) और उसका स्वाद सामान्य चावाल जैसा नहीं ह। गाओं के लोग इस तरह के चावल को पसंद नहीं करते और इसे बाकि खाने से अलग कर देते हैं।     धान व अन्य खाने में पोषण कम होने का कारण तेज़ी से लुप्त होती बीज विविधता और धान को फ़ैक्टरी में सफ़ेद से सफ़ेद बानाने की औद्योगिक क्रम और जल वायु परिवर्तन है। जहां रासायनिक खाद आदि से खेती बदल रही है, वहीं कुछ आदिवासी किसान सूनो इंडिया को बताते हैं की वह पारम्परिक भोजन व बीज बचाने की कोशश भी कर रहें हैं, ताकि पोषण, स्वाद और पर्यावरण बने रहें। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    कृषि के असंगठित क्षेत्र में महिलाओं पर कैसी होती है हिंसा?

    Play Episode Listen Later Oct 17, 2023 18:15


    कार्यस्थल पर महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण के लिए 2013 में Protection of Women from Sexual Harassment Act, 2013 (PoSH) अधिनियम बनाया गया। PoSH अधिनियम कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नियोक्ताओं पर कानूनी दायित्व डालता है। लेकिन असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए यह कारगर साबित नहीं होता। बात मुलाक़ात के इस एपिसोड में हम भारतीय कृषि क्षेत्र में महिला श्रमिकों पर हो रही हिंसा की बात कर रहे हैं। फेमिनिस्ट पॉलिसी कलेक्टिव और महिला किसान अधिकार मंच (MAKAAM) ने ग्रामीण महिला श्रमिकों के खिलाफ होने वाली हिंसा का अध्ययन किया। ये स्टडी कृषि क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी और महिलाओं के लिए कार्यस्थल की परिभाषा पर कुछ बुनियादी सवाल खड़े करती है। खेतों में काम करते वक्त महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा के क्या स्वरूप हैं? इसके छोटी और लंबी अवधि में क्या मायने हो सकते हैं? इसे समझने के लिए स्नेहा रिछारिया ने नारीवादी कार्यकर्ता सेजल दंड से बात की।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    मणिपुर में डॉक्टरों ने राहत शिविरों की स्वास्थ सुविधाओं पर क्यों जताई गंभीर चिंता?

    Play Episode Listen Later Sep 7, 2023 18:23


    मणिपुर पिछले चार महीनों से सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में है, जिसके चलते हज़ारों मैतेई और कुकी राहत शिविरों में है। गैर सरकारी संगठन इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेवलपमेंट (IDPD) के डॉक्टरों की एक टीम ने 1 से 3 सितम्बर के बीच मैतेई और कुकी क्षेत्रों में राहत शिविरों का दौरा किया। राहत शिविरों का दौरा करने वाले डॉक्टरों के इस समूह ने इनमे रहने वाले लोगों के पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और सामान्य स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बेहद गंभीर रूप से चिंता व्यक्त की हे। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल उपाय नहीं किए गए तो राहत शिविरों में महामारी फैल सकती है। रिपोर्टर स्नेहा रिछारिया ने इन हालातों की गंभीरता और इसके उपायों को समझने के लिए डॉ. शकील-उर-रहमान से बात की। डॉ. शकील इस फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे और वर्तमान में IDPD के जनरल सेक्रेटरी भी हैं। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    भारत में किसान-मज़दूरों को कैसे प्रभावित करती है इंटरनेट बंदी?

    Play Episode Listen Later Jun 27, 2023 32:10


    2018 के बाद से, दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में सबसे अधिक बार इंटरनेट बंद किया गया. विरोध प्रदर्शनों से लेकर परीक्षा में नक़ल रोकने तक, भारत में इंटरनेट बंदी होती रहती है. जाहिर है की कई कारणों से सरकारें इंटरनेट बंद करती हैं. लेकिन इंटरनेट का अचानक बंद हो जाना आम लोगों के दैनिक जीवन पर क्या प्रभाव डालता है? ह्यूमन राइट्स वॉच और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा की इंटरनेट का बंद हो जाना विशेष रूप से निचले तबके के लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है.. कारण है सरकारी योजनाओं का डिजिटलीकरण. बात मुलाक़ात के इस एपिसोड में स्नेहा रिछारिया ने इस रिपोर्ट के सह-लेखक से बात की.See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    बिहार में क्यों उठ रही है शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग?

    Play Episode Listen Later May 16, 2023 22:16


    बिहार में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्वी चंपारण जिले के पांच थाना क्षेत्रों में जहरीली शराब से अप्रैल महीने में के तीसरे सप्ताह में कम-से-कम 30 लोगों की मौत हुई. इसके पहले December 2022 में सारण जिले और इसके पड़ोस में हए जहरीली शराब कांड में कम-से-कम 40 लोगों की मौत हुई थी. बिहार में रह-रह कर होने वाली ऐसी घटनाएं बताती हैं कि बिहार में शराबबंदी का एक समय चक्र पूरा हो चुका है. एक तरफ सरकार शराबबंदी कानून का और कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने की बात दोहराती है तो दूसरी ओर विपक्ष इसकी समीक्षा से लेकर या इसे खत्म किए जाने की भी मांग करता है। बात-मुलाकात के इस एपिसोड में होस्ट मनीष शांडिल्य शराबबंदी के कई परिदृश्य से आपको रूबरू करवायेंगे। इस एपिसोड में ये सीनियर जर्नलिस्ट सोरूर अहमद, भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार और सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक महेंद्र सुमन से बात करके शराब बंदी के पुरे परिप्रेक्ष्य को समझने की कोशिश करेंगे। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    राजस्थान का Right to Health Bill डॉक्टरों और मरीजों के लिए क्या मायने रखता है?

    Play Episode Listen Later Apr 8, 2023 31:55


    राजस्थान Right to Health Bill 21 मार्च, 2023 को पास किया गया। ये बिल मरीजों के अधिकारों पर जोर देता है और इन् अधिकारों के उचित कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है। हालाँकि, 5 अप्रैल को अपनी हड़ताल वापस लेने से पहले 2 सप्ताह से अधिक समय तक निजी डॉक्टरों ने इस विधेयक का विरोध किया है। उन्होंने ने कहा की उनका सरकार के साथ समझौता हो गया हे। बात मुलाकात के इस एपिसोड में सुनो इंडिया की कंसल्टिंग एडिटर मेनका राव ने छाया पचौली से बात की। छाया राजस्थान की एक स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता और जन स्वास्थ्य अभियान की प्रतिनधि है। जन स्वास्थ्य अभियान देश भर में स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों का एक नेटवर्क है।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    हल्द्वानी: भारत में निष्कासन और विध्वंस की राजनीति

    Play Episode Listen Later Feb 22, 2023 23:50


    इस एपिसोड में, स्नेहा रिछारिया और सुहेल भट हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में 20 दिसंबर को उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निष्कासन आदेश को समझने के लिए हल्द्वानी जाते हैं। इस एपिसोड के ज़रिये हम भारत में निष्कासन और विध्वंस की राजनीति को गहराई से समझने की कोशिश करते हैं. हम यह भी समझने की कोशिश करते हैं कि क्या यह विध्वंस की राजनीति अल्पसंख्यकों को दबाने का एक ज़रिय बन गयी  है? हम इसके पीछे की राजनीति और वैधानिकता को समझाते हुए इस सब को परिपेक्षय में रखते हैं। हम यह भी देखते हैं कि यहां के लोग रोज़गार, आवास और शिक्षा जैसे मूल भूत मसलों पर क्या सोचते हैं! इस एपिसोड में स्थानीय निवासियों, वकीलों, याचिकाकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक विशेषज्ञों और अन्य लोगों के साथ बातचीत शामिल है।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    मानगढ़ नरसंहार: राजस्थान चुनाव से पहले क्यों सुर्खियां बटोर रहा है 'आदिवासी जलियांवाला बाग'?

    Play Episode Listen Later Jan 20, 2023 50:55


    नवंबर 1913 के मानगढ़ नरसंहार में भील जनजाति के लगभग 1,500 लोगों की मौत हुई थी। वे अंग्रेजों और क्षेत्र में रियासतों के शासकों द्वारा आदिवासी लोगों के शोषण के विरोध में वहां एकत्रित हुए थे। ब्रिटिश और भारतीय सेना ने प्रदर्शनकारियों पर हमला किया।इस घटना को आमतौर पर 'आदिवासी जलियांवाला बाग' के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह उतना प्रसिद्ध नहीं है। हालाँकि, यह घटना राजस्थान में होने वाले आगामी चुनावों के चलते चर्चा का विषय बानी हुई हे। पिछले साल प्रधानमंत्री ने मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया था। जबकि राज्य की कांग्रेस सरकार ने मानगढ़ धाम में आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाया हे।  इस घटना के ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व को समझने के लिए बात मुलाकात के इस एपिसोड में होस्ट सूर्यतापा मुखर्जी ने डॉ. जितेंद्र मीणा से बात की। डॉ. जितेंद्र मीणा दिल्ली विश्वविद्यालय के श्याम लाल कॉलेज में इतिहास के प्रोफेसर हैं।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    Gambia में बच्चों की मौत भारतीय दवा उद्योग के बारे में क्या कहती है?

    Play Episode Listen Later Oct 31, 2022 39:36


    Gambia में भारत में बने कफ सिरप पीने के बाद करीब 70 बच्चों की मौत हो गई | WHO ने अलर्ट जारी कर कहा है कि हरयाणा के Maiden Pharmaceuticals Limited में बने कफ सिरप की गुणवत्ता का स्तर काफी ख़राब था | इन samples के laboratory analysis से पता चला है कि चारों उत्पादों में दूषित पदार्थ diethylene glycol  और ethylene glycol बहुत अधिक मात्रा में है | भारत सरकार ने  इस मामले की जांच शुरू कर दी है और Maiden Pharmaceuticals Limited से सभी उत्पादन को रोक दिया है | ऐसा नहीं है कि इस तरह की यह घटना पहली बार हुई हो | जम्मू में 2020 में cough syrup पीने के बाद 19 बच्चों की मौत हो गई थी। बाद में पता चला कि हिमाचल प्रदेश में Digital Vision नामक कंपनी द्वारा बनाए गए इन सिरपों में Diethylene Glycol बहुत अधिक मात्रा में मौजूद था। 1986 में मुंबई के जेजे अस्पताल में भी ऐसी ही चूक देखने को मिली थी, जिसमें तब 14 मरीजों की मौत हो गई थी। बात मुलाकात के इस एपिसोड में मेनका राव ने एस श्रीनिवासन से बात की। एस श्रीनिवासन गुजरात के वडोदरा में LOCOST, एक कम लागत वाली drug manufacturing कंपनी  के सह-संस्थापक हैं। वह  All India Drug Action Network से भी जुड़े हैं, यह NGOs का एक स्वतंत्र नेटवर्क है जो आवश्यक दवाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ाने की दिशा में काम करता है।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    मितानिन प्रोग्राम ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी (Mitanin program changed my life)

    Play Episode Listen Later Sep 30, 2022 43:20


    नवगठित राज्य छत्तीसगढ़ में, मितानिन कार्यक्रम नामक सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता कार्यक्रम ने राज्य के स्वास्थ्य स्तर में सुधार करने में मदद की।  मितानिन कार्यक्रम की शुरुआत, पूरे देश में आशा कार्यकर्ताओं को रखने के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के फैसले से पहले की गई है। बात मुलाकात के इस एपिसोड में मेनका राव ने राज्य के वरिष्ठ मितानिनों में से एक मितानिन मुक्ता कुजूर के साथ बातचीत की। वह छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में रहती हैं और उन्हें मितानिन के रूप में काम करते हुए लगभग 20 साल हो  चुके हैं | उन्होंने अपने काम के बारे में विस्तार से बात की ,और बताया कि कैसे कार्यक्रम ने  उनके जीवन को बदल दिया।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    काम की ज़िंदगी: जब Urban Company, Salon और Spa महिला "गिग वर्कर्स" ने विरोध जता कर हक़ माँगे

    Play Episode Listen Later Aug 30, 2022 55:30


    कंपनियों व विशेषज्ञों का मानना है की इंटरनेट अग्ग्रेगेटर कंपनियों के "गिग वर्क" में "फ़्लेक्सिबिलिटी”, या अपनी मर्ज़ी के घंटे उपलब्ध होने के कारण, यह महिलाओं को ख़ास आकर्षित करेगा, और जो महिलायें पहले से घर का ज़्यादातर कार्यभार सम्भालती हों, वह भी इस से आमदनी कमाने के नए अवसर पाएँगी पुरुषों के मुताबिक आज भी महिलायें गिग वर्क में कम संख्या में हैं। जो महिलाएं "प्लाट्फ़ोर्म" या गिग वर्क में आ रही हैं, आज भी सब कार्य क्षेत्रों में बराबरी के बजाय, सफ़ाई, सलोन, ब्यूटी पार्लर आदि, कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित हैं। "काम की ज़िंदगी" के तीसरी एपिसोड में अनुमेहा यादव ने पैंतीस वर्षीय सीमा सिंह से बातचीत की, जो एक अनुभवी ब्यूटिशन हैं जिन्होंने खुद सलोन का काम सीख कर, 8-10 साल सवंतंत्र काम कर के, अर्बन कम्पनी से एक पार्ट्नर की तरह जुड़ी।अर्बन कम्पनी आज भारत के सब से बड़े सर्विस प्लाट्फ़ोर्म में हैं। यह घर के काम की सुविधाएँ जैसे की सफ़ाई, बिजली का काम आदि, और घर आ कर सलोन जैसी सुविधा ग्राहकों को देती हैं। October 2021 में सीमा और उनके साथ क़रीब सौ ब्यूटिशन व स्पा महिला वर्कर्स एक ऐतिहासिक सार्वजनिक प्रोटेस्ट का हिस्सा बनी। उन्होंने कम्पनी द्वारा 20 प्रतिषित से ज़्यादा कमीशन काटने का विरोध, महीने कुछ बुकिंग बिना किसी दंड के मना करने की आज़ादी, वह उनकी सुरक्षा वह स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा की माँग ले कर अर्बन कम्पनी के हरियाणा में गुरुग्राम ऑफिस पर धरना दिया। सीमा पूछती हैं की “पार्ट्नर" नाम के इस्तेमाल के बावजूद कमिशन, फ़ीस, और कमाई आदि के नियम जब जब कम्पनी बदलती है, तो "पार्ट्नर" से कोई सहमति क्यूँ नहीं लेती? महिला गिग वर्कर्स द्वारा एक प्लाट्फ़ोर्म कंपनी की नीतियों पर सवाल, वह इस स्तर पर खुला विरोध, भारत के किसी शहर में शायद पहली बार दर्ज किया गया। 22 अगस्त 2022 को एक प्रश्नावली का ईमेल पर जवाब देते हुए अर्बन कम्पनी प्रवक्ता मोमिता मजूमदार ने "सुनो इंडिया" को बताया की पहले के मुताबिक़ कयी नियम जैसे की कमिशन, पेनल्टी, बीमा आदि पर सुधार वह बदलाव किए जा चुके हैं और इस वह अलग विषयों पर निम्न ब्लॉग साझा किए: कंपनी द्वारा 29 अगस्त 2022 भेजे गए स्वास्थ्य पर किए गए खर्च राशि के विवरण में पार्ट्नर्ज़ को प्रदान किए – जिस में उन्होंने लिखा है रुपये 20 करोड़ के ब्याज-मुक्त उधार, रुपये 2 करोड़ "कोविड बीमा", रुपये 41 लाख कोविड बीमारी के कारण काम से छुट्टी के एवज में, 32 लाख रुपये कोविड में पार्ट्नर्ज़ की मृत्यु के वियोग में सहायता, वह 13 लाख रुपये आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधा में पार्ट्नर्ज़ पर खर्च किए। इस के अलावा: Urban Company announces INR 150 Cr. Partner Stock Ownership Plan (PSOP)Meet our 15 PSOP awardee partners!Partner Earnings up 11% q-o-q | UC Earnings Index (Q3 FY22)See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    Independence Day: कैसे एक पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल ने बंटवारे से अलग हुए 200 से अधिक परिवारों को फिर से जोड़ा

    Play Episode Listen Later Aug 14, 2022 27:00


    कुछ अनुमानों के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे के दौरान 20 लाख  लोग मारे गए और 2 करोड़ से जायदा विस्थापित हुए। इसे मानवता के इतिहास में सबसे बड़े शरणार्थी संकटों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है, केवल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही स्थिति इससे बदतर थी। बात-मुलाक़ात के इस एपिसोड में, होस्ट सूर्यतपा मुखर्जी यूट्यूब चैनल पंजाबी लहर के पीछे नासिर ढिल्लों से बात करते हैं। नासिर पाकिस्तान के फैसलाबाद के रहने वाले हैं, लेकिन इनके वीडियो सीमा के दोनों ओर वायरल होते रहते है।  वह अब तक विभाजन से अलग हुए 200 से अधिक परिवारों को फिर से मिला चुके हैं। इस स्वतंत्रता दिवस पर, आइए उन सभी विभाजन परिवारों का जश्न मनाएं, जो इंटरनेट की शक्ति के कारण फिर से मिल पाए हैं। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    आंगनबाड़ियों में बच्चों से आधार कार्ड मांगना उनके अधिकारों के खिलाफ क्यों है?

    Play Episode Listen Later Jul 26, 2022 25:15


    केंद्र सरकार आंगनवाड़ी सेवाओं के डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रही है। इसका मतलब है कि आंगनवाड़ी सेवाओं से लाभान्वित होने वाले 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आधार कार्ड की आवश्यकता होगी या उनके माता-पिता को अपना आधार कार्ड प्रदान करना होगा।  बात मुलाकात की इस कड़ी में, हमारे रिपोर्टर सूर्यतापा मुखर्जी ने अंजलि भारद्वाज से इस बारे में बात की।  अंजलि ने हमे बताया कि इससे बच्चों के भोजन के अधिकार में क्या बाधा आ सकती है। अंजलि सतर्क नागरिक संगठन की संस्थापक और भोजन के अधिकार अभियान की प्रमुख सदस्य हैं। Additional read: Centre focuses on access to anganwadi services for migrants | India News,The Indian ExpressWhen Aadhaar-related problems lead to denial of rations and benefits: what the data show | Explained News,The Indian ExpressAadhaar Authentication for Govt Services Fails 12% of Time: UIDAIAadhaar Failures: A Tragedy of Errors | Economic and Political WeeklyUIDAI should review issue of Aadhaar to children below 5 years, mull alternates to establish unique ID: CAG – Times of IndiaSee sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    काम की ज़िंदगी: Uber में महिला चालक - नयी आत्मनिर्भरता, और कुछ नए तनाव

    Play Episode Listen Later Jun 30, 2022 52:00


    भारत में सब से पहले "गिग वर्क" शुरू करने वाले कम्पनियों में नाम आता है ऊबर, ओला का । यह “मोबिलिटी अग्गरेगटर” कम्पनी टैक्सी ऐप के माध्यम से एक टैक्सी चालक और एक यात्री को जोड़ती हैं, जिस में हर राइड के पैसे में से कंपनी एक कमिशन लेती है। ड्राइवर प्रति राइड कमा सकते हैं, और कम्पनी उन्हें अपना कर्मचारी नहीं बल्कि स्वनियोजित कारोबार , या आत्मनिर्भर फ़्रीलांसर का दर्जा देती है। भारत सरकार के नीति आयोग के एक रिपोर्ट के मुताबिक प्लाट्फ़ोर्म कम्पनियों टैक्सी ऐप  ने 2010 और 2018 के बीच राइड्ज़  द्वारा बीस लाख रोजगार के मौके उपलब्ध कराए हैं। लेकिन इस तेज़ी से तरक्की पर चलने वाले व्यापार में आज इन कंपनियों में ड्राइवर जिन्हें कम्पनी “ड्राइवर पार्ट्नर” या साथी कह के बुलाती है, खुद को इस काम से लाभ, इसके नियम, तरीकों में कितना सहभागी बन पाते हैं? इन सब के अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पे हम इस एपिसोड में चर्चा करेंगे की इन मोबाइल की इन मोबाइल  टैक्सी अग्ग्रेगेटर में महिलाओं की भागीदारी कितनी है, उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें कम्पनी कितना सहयोग देती है? “काम की ज़िंदगी" मिनी - सीरीज के दूसरे एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने रुक्मिणी  से बातचीत की, जो की ऊबर के साथ ड्राइवर साथी के तौर पर पिछले चार साल से दिल्ली में गाढ़ी चला रहीं हैं।See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    काम की ज़िंदगी – तकनीकीकरण में मिला नया काम, लेकिन पुराने दिहाड़ी मजदूर जैसे अधिकार: फ़ूड डिलिव्री

    Play Episode Listen Later May 25, 2022 40:53


    आज के तकनीकीकरण के दौर में हम "Gig Work" या "Platform Work " जैसे नाम बहुत सुनते हैं। इस तरह का काम बहुत सारी एग्रीगेटर कम्पनीज के द्वारा मोबाइल एप्लीकेशन की सहायता से संचालित किया जाता हे। इन् कम्पनीज में "फ़ूड या खाद्य एग्रीगेटर कम्पनी"  जैसे की Zomato, Swiggy, Big Basket के नाम काफी प्रचलित हैं। इस तरह के "Gig Work" के तहत लोगों को लघु या दीर्घ अवधि के लिए काम दिया जाता हे और इन् लोगों का काम एक दिहाड़ी मजदूर के सामान ही होता हे।  इस तरह के कम्पनियों के आने से रोज़गार के अवसर तो बढ़ें हैं, लेकिन क्या तकनीकीकरण की इस दौड़ में पारदर्शिता या काम करने वाले श्रमिक के अधिकार भी बढ़े हैं? क्या श्रमिक इस तरह के रोज़गार में एक स्थायी नौकरी और एक अच्छा जीवन जीने की चाह को पूरा कर पाते हैं? क्या वह अपनी मज़दूरी या काम के हालात खुद सुधार पाते हैं? उनकी क्या अपेक्षायें हैं? इन्ही प्रशनो के उत्तर और "Gig Work" या "Platform Work" के बारे में विस्तार से जानने के लिए हम लाये हैं "काम की ज़िंदगी" एक नयी  मिनी - सीरीज।  बात मुलाकात की इस नयी मिनी - सीरीज के पहले एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने एक फ़ूड डिलीवरी वर्कर अहमद से बात की, जो कि यह काम पिछले दो साल से कर रहे हैं और करोना महामारी आने के बाद भी अपनी पढ़ाई के साथ साथ भी इन्होने ये काम जारी रखा हे।  सुनो इंडिया ने इन मुद्दों पर Zomato को 17 मई को ई मेल पर लिखित सवाल भेज कर और जानकारी माँगी। एपिसोड लाइव होने तक उनका इस पर कोई जवाब नहीं आया था। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    बिहार में शराबबंदी: अपने मकसद में कितना कामयाब है यह कानून? (Liquor Prohibition in Bihar: How successful is this law in its purpose)

    Play Episode Listen Later Mar 30, 2022 23:37


    2016 में बिहार ने शराब के सेवन और वितरण दोनों को अपराध बनाते हुए शराब पर प्रतिबंध लगा दिया जिसका उल्लंघन करने पर जुर्माने से लेकर कठोर सजा तक का प्रावधान है। हालांकि शराबबंदी के बावजूद प्रदेश में अवैध रूप से अधिक कीमत पर शराब बेची जा रही है, जिससे उपभोक्ता को ज्यादा खतरा है। दूसरी ओर जहरीली शराब से होने वाली मौतों के सिलसिले ने कई लोगों को हैरान कर दिया है और ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि शराबबंदी कानून कितना सफल है। बात मुलाकात की इस कड़ी में, होस्ट मनीष शांडिल्य ने शराब की लत से पीड़ित लोगों से बात की और ये जानने की कोशिश कि शराबबंदी ने उन्हें कैसे प्रभावित किया। उन्होंने राज्य में शराबबंदी के प्रभाव को समझने के लिए पटना में दिशा नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र की सीईओ राखी शर्मा और क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह से भी बात की। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    मज़दूरी थर्ड डिग्री, कहानी शिव कुमार की

    Play Episode Listen Later Jan 31, 2022 41:24


    दलित संघठनकर्ता शिव कुमार जिन्होंने बाल मज़दूरी करते हुए पढ़ाई पूरी की हरयाणा के औद्योगिक क्षेत्र् में मज़दूरी, और क़ानूनी व्यवस्था में मज़दूर हक़ों के संघर्ष के घटते दायरे का ज्वलंत विवरण करते है।  सोनीपत के देवरू गाँव के एक भूमिहीन परिवार में जन्मे शिव कुमार की नयी किताब मेहनतकश वर्ग द्वारा पिछले दो सालों में झेली गयी अनेको तरह की हिंसा का एक व्यक्तिगत खाता है – सामाजिक सुरक्षा का आभाव, जान बचाने के नाम पर लगाए गए सरकारी लाक्डाउन में इस क्षेत्र के दिहाड़ी मज़दूरों के परिवारों को दिनों तक भूखा छोढ़ दिया जाना, वह आठ से दस घंटे खड़े हो कर काम करने के बावजूद भी सामान्य हो चुकी न्यूनतम मज़दूरी की चोरी। बात मुलाकात के इस एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने शिव कुमार से उनकी किताब और उनके निजी जीवन के बारे में चर्चा की।  See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    Doctors' Strike: क्या कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी होगी?

    Play Episode Listen Later Dec 27, 2021 19:14


    NEET PG काउंसलिंग में देरी का विरोध कर रहे हैं रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार, 27 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट तक मार्च करने की कोशिश की।  जिसके चलते रेजिडेंट डॉक्टरों के कुछ नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया है। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) इंडिया ने रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग पूरी नहीं होने पर सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है। NEET PG काउंसलिंग में देरी को लेकर मुख्य रूप से राजधानी दिल्ली के डॉक्टर हफ्तों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। National Eligibility cum Entrance Test (Postgraduate) में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में विवाद चल रहा है। जिसके चलते NEET PG काउंसलिंग अनिश्चित काल के लिए रोक दी गई है। बात मुलाकात के इस एपिसोड में रिपोर्टर सूर्यतापा मुखर्जी ने दिल्ली के आरडीए सफदरजंग अस्पताल के महासचिव और फोर्डा इंडिया के सचिव डॉ अनुज अग्रवाल से बात की। डॉ अनुज बताते हैं कि कैसे कोरोना के बढ़ते मामले और NEET PG काउंसलिंग में देरी डॉक्टरों को प्रभावित कर रही है। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    किसान आंदोलन: देश की मौजूदा राजनीति और समाज पर इसका प्रभाव

    Play Episode Listen Later Nov 25, 2021 30:53


    पहले एपिसोड में हमने किसान आंदोलन के अब तक के सफर को समझने के लिए बात की थी स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पुनिया से। उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए हम, इस एपिसोड में हम बात करेंगे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता कॉमरेड हन्नन मुल्ला और वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह से। और उनसे इस किसान आंदोलन के राजनैतिक और सामाजिक महत्व के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    किसान आंदोलन: पिछले एक साल का सफ़र और महत्वपूर्ण घटनाएं

    Play Episode Listen Later Nov 20, 2021 25:07


    19 नवंबर, 2021 गुरुनानक जी के जन्मदिन और प्रकाश पर्व पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा की जिसकी सांवैधानिक कार्यवाही आगामी संसद सत्र में की जाएगी।  फिलहाल इस घोषणा को किसान आंदोलन की एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा सकता है लेकिन 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर एक साल पूरे करने जा रहे किसान आंदोलन की एक ऐतिहासिक यात्रा रही है। जिसे हमें याद रखना चाहिए।  किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने के अवसर पर हम आपके लिए लेकर आए हैं बात मुलाक़ात के दो एपिसोड्स की एक श्रंखला। इन दो भागों में हम किसान आंदोलन की मुख्य घटनाओं और तारीखों के साथ साथ इस आंदोलन की आंतरिक पहलुओं और इसके व्यापक राजनैतिक प्रभाव पर बात करेंगे। इस पहले एपिसोड में सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार सत्यम श्रीवास्तव बात कर रहे हैं स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पुनिया से जो शुरुआत से ही इस आंदोलन को कवर कर रहे हैं। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    क्यों घट रहा हे भारतीय नागरिकों का कद?

    Play Episode Listen Later Oct 26, 2021 16:02


    PLOS One में हाल के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय वयस्कों की औसत ऊंचाई में गिरावट आ रही है।  बात-मुलाक़ात की इस कड़ी में, Suno India की मेनका राव ने इस पेपर के मुख्य लेखक कृष्ण कुमार चौधरी से बात की। कृष्ण कुमार ने हमे बताया कि कैसे दशकों से समुदाय में अच्छे स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता और साफ़ सफाई के संकेतक के रूप में ऊंचाई का उपयोग किया जाता रहा है, और औसत भारतीय ऊंचाई में गिरावट चिंता का कारण क्यों है| See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    plos one suno india
    Online Education: कोरोना काल में कैसे पिछड़े स्कूल जाने वाले बच्चे

    Play Episode Listen Later Sep 30, 2021 27:15


    Road scholars ने August 2021 में देश के 15 राज्यों के 1362 परिवारों के सर्वे में  पाया  की  सिर्फ  8% ग्रामीण छात्र  और  19% शहरी  छात्रों ने  नियमित तौर से online classes अटेंड करी हैं। बात मुलाकात की इस मिनी सीरीज के दूसरे एपिसोड में हमने Road Scholars के इस  सर्वे  के  बारे उनकी  शोधकर्ता रीतिका खेरा से बात की।  See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    Online Education: कैसे मेरठ के तीन भाई-बहनो के लिए ऑनलाइन पढ़ाई बनी चुनौती

    Play Episode Listen Later Sep 30, 2021 16:45


    कोरोना महामारी के कारण जहां एक तरफ हमारे देश में स्कूल्ज और कॉलेज पिछले एक साल से जायदा समय तक बंद रहे हैं, वही दूसरी और मोबाइल, लैपटॉप के  साथ इंटरनेट कनेक्टिविटी का ना होना, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए एक दोहरी मार की तरह था।  बात मुलाकात की इस मिनी सीरीज के पहले एपिसोड में हमने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों और उनके परिजनों से कोरोना महामारी के दौरान उनकी पढाई को जारी रखने में हुई परेशनियों को बारीकी से समझने की कोशिश की। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    कोरोना वायरस के विभिन्न प्रकारों और उनके बदलावों पे चर्चा

    Play Episode Listen Later Aug 31, 2021 36:03


    दिसंबर 2020 में, भारत में कोविड -19 वायरस के एक अत्यधिक संक्रामक रूप की पहचान की गई थी। जिसे वैज्ञानिक ने Delta Variant का नाम दिया। भारत सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए कोरोना वायरस के delta वैरिएंट को जिम्मेदार ठहराया है। हाल ही में, भारत सरकार ने Delta Variant में mutation की भी पहचान की है जिसका नाम उन्होंने डेल्टा प्लस रखा हे। अभी हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने एक और नए कोरोनवायरस के Variant का पता लगाया है।  इस म्युटेशन को अभी C.1.2 का नाम दिया गया हे और इसका अध्ययन अभी किया जा रहा है।  कोरोनवायरस के इन् Variants और mutations के बारे में अधिक जानने के लिए, सुनो इंडिया के सह-संस्थापक तरुण निर्वाण ने डॉ वसुंधरा रंगास्वामी जी से बात की। डॉ वसुंधरा पेशे से एक Microbiologist, और primary care physician हैं।  See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    युवाओं ने कैसे शुरू किया #SaveBuxwahaForest अभियान

    Play Episode Listen Later Jul 11, 2021 25:25


    बात – मुलाकात के इस एपिसोड में पिछले महीने चर्चा में रहे बकस्वाहा के जंगल और हीरा खनन के मुद्दे को समझने की कोशिश की गयी है।  बकस्वाहा, मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले की एक तहसील है। यहाँ हीरा का एक भण्डार मिला है। अनुमान है कि यहाँ 3.4 करोड़ कैरेट के हीरे हैं। लेकिन इस हीरे को पाने के लिए कम से कम 2.15 लाख छोटे-बड़े पेड़ काटे जाने की ज़रूरत होगी।  हीरे के इस भण्डार को बंदर डायमंड ब्लॉक कहा जाता है। 2019 में हुई एक नीलामी के तहत यह डायमंड ब्लॉक बिरला समूह की एक कंपनी एसेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड को खनन लीज़ पर मिला है। इससे पहले यहाँ रियो टिंटों जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी हीरे की खोज कर रही थी।  पेड़ों की कटाई से संबंधित खबरों ने प्रमुखता से मध्य प्रदेश के अखबारों में जगह पाई। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोगों को ऑक्सीज़न के लिए परेशान होते देखा गया। इन खबरों ने बकस्वाहा और उसके आस-पास के युवाओं को परेशान किया। उन्हें ऐसा लगा कि ऑक्सीज़न के प्राकृतिक स्रोतों यानी पेड़ों की रक्षा की जाना चाहिए। इसी सोच से सेव बकस्वाहा फॉरेस्ट नाम के यह अभियान अचानक सुर्खियों में आ गया।  इस एपिसोड में हमने उन युवाओं से बात की जो इस अभियान में शुरुआत से जुड़े हैं। संकल्प जैन और निदा रहमान से बात चीत करके हम इस अभियान के कुछ पहलुओं को जानने की कोशिश की।  स्थानीय लोगों और स्थानीय पत्रकार से भी बात चीत की ताकि इस अभियान को लेकर जमीनीन स्थिति का जायजा लिया जा सके। शिवेन्दा शुक्ला, जगदीश यादव ने हमें इस बारे में बताया।  लेकिन इस अभियान के अलावा इस परियोजना और नीलामी पर भी कई सवाल हैं। ये सवाल कानूनी हैं। जिस जंगल को नीलाम किया गया है उसकी कानूनी स्थिति क्या है? इसके बारे में हमने एडवोकेट अनिल गर्ग से बात की और इससे जुड़े कई पहलुओं को समझा।  बकस्वाहा का मामला राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी में भी उठाया गया है। इस संबंध में हमने एक याचिकाकर्त्ता पुष्पराग से भी बात की।  इस परियोजना के कई अन्य पहलुओं और इसके खिलाफ चल रहे अभियान को मुकम्मल तौर पर समझने के लिए छतरपुर वन मण्डल के वन अधिकारियों से भी बात की लेकिन उन्होंने अपना आधिकारिक पक्ष रखने से इंकार कर दिया।  इस शो का संचालन, सत्यम श्रीवास्तव ने किया जो पंद्रह सालों से सामाजिक आंदोलनों से जुड़े हैं और सामयिक विषयों पर लिखते हैं। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर COVID-19 का प्रभाव

    Play Episode Listen Later Jun 23, 2021 21:45


    United Nations Population Foundation के द्वारा जमा किये गए आकंड़ों के अनुसार 2020 में 120 लाख महिलाओं को गर्भ निरोधक प्राप्त नहीं हुए हैं और उसके कारण 14 लाख अनियोजित गर्भ धारणाऐं देखी गई हैं। Linkedin द्वारा किये गई के Opportunity Index Survey अनुसार 89% महिलाओं को रोज़गार ढूढ़ने में कठिनाई हुई हैं। इस एपिसोड में हमने महिलाओं की स्तिथि पर कोरोना महामारी के दुष्प्रभाव समझने के लिए हमने संघमित्रा सिंह से बात की। संघमित्रा जी एक स्वास्थ्य वैज्ञानिक हैं और पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के लिए काम करती है। इस एपिसोड में हम महिलों के आर्थिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पे भी चर्चा करेंगे। See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    विशेषज्ञों से जानिए कि कोरोना के खिलाफ टीका क्यों लगवाना चाहिए, और उसके क्या प्रभाव होते हैं।

    Play Episode Listen Later Jun 11, 2021 26:56


    जहाँ एक और कोरोना की दूसरी लहर में हमारे देश में मौत का कुल आकंड़ा 3.5 लाख से ऊपर पंहुचा दिया हे वही दूसरी और देश में कोरोना की रोकथाम के लिए चल रहे टिकाकरन अभियान को भी बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हे। इन् मुश्किलों में एक प्रमुख टीकाकरन के इर्दगिर्द फैली गलतफमियों और लोगों के मन टिका लगवाने को लेके झिझक हे।  The Suno India Show के इस एपिसोड में आप जन स्वस्थ्य अभियान की संयोजिका सुलक्षणा नंदी और उनकी सहकर्मी दीपिका जोशी को डॉ टी सुंदररमन से कोरोना टिकाकरन से जुड़े कई मुद्दों जैसे की टिका क्यों लगवाना जरुरी हे, उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव क्या हैं और टीकाकरन के इर्दगिर्द  फैली गलत फमियों पर बात करते सुनेंगे।  Dr T Sundararaman, जन स्वाथ्य अभियान के वैश्विक समन्वयक हैं । ये एपिसोड जन स्वाथ्य अभियान, All India People's Science Network और भारत ज्ञान विज्ञानं समिट द्वारा आयोजित Facebook Live का एक भाग हे जिसे इस पॉडकास्ट एपिसोड के रूप में आप सुन रहे हैं | See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    IT Rules 2021 का मीडिया की आज़ादी पर क्या असर पड़ेगा?

    Play Episode Listen Later Apr 2, 2021 61:21


    केंद्रीय सरकार ने कहा है कि उसने 'डिजिटल मीडिया' को रेगुलेट के लिये कुछ नये नियम बनाये हैं और इसे 'इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021' का नाम दिया है। लेकिन डिजिटल मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के संगठन DIGIPUB News India Foundation का कहना है कि इन नियमों की कोई ज़रुरत नहीं है और ये नियम “लोकतंत्र में समाचार के मूल सिद्धांत और उसकी भूमिका के खिलाफ जाते हैं.” ऐसे में सवाल उठता है कि ये रूल्स क्या हैं और क्यों इसका विरोध हो रहा है ? साथ ही, क्या भारत में 'डिजिटल मीडिया' को रेगुलेट करने के लिए अभी तक कोई नियम नहीं है जो इसकी ज़रुरत पड़ गयी? हम ये भी देख रहे हैं कि हाल दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर हमले तेज़ हुए हैं, पत्रकारों गिरफ्तारियां भी हुयी हैं या फिर उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश हुई है जिसकी वजह से स्वतंत्र पत्रकारिता दिन ब दिन मुश्किल होता होता जा रहा है। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से भी सैकड़ों मीडियाकर्मियों की नौकरी चली गयी है। आख़िर सवाल उठता है कि इन सब समस्याओं का कारण और हल क्या है ? इन्हीं सवालों और मुद्दों पर 'बात-मुलाक़ात' के इस एपिसोड में होस्ट महताब आलम ने वरिष्ठ पत्रकार गीता शेषु और वकील अपार गुप्ता के साथ बातचीत की। (The central government has introduced a new set of rules namely the Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules 2021. According to the government, the rules aim to  address the concerns around lack of transparency, accountability and rights of users related to digital media.  However, as per DIGIPUB News India Foundation, which is a collective of independent journalists and digital media organisations, the rules in “some places appear to go against the fundamental principle of news and its role in a democracy”. In this episode of Baat Mulaqat, we discuss the features of the rules, their impact on media freedom and ordinary citizens. We also talk about the growing attacks on media freedom and journalists.   We are joined by senior journalist Geeta Seshu and lawyer Apar Gupta in this discussion.) See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

    बात-मुलाक़ात

    Play Episode Listen Later Mar 26, 2021 1:11


    जैसा की नाम से जाहिर हे, इस पॉडकास्ट सीरीज में होंगी बातें और मुलाकातें। बातें उन मुद्दों पे जो जरुरी हे और जिस पर अक्सर बातें नहीं होती।  बातें उन मुद्दों और विषयों पर भी जिनके बारें में आप जानना चाहते हैं, लेकिन आपको पता नहीं किससे पूछे और किससे बात करें।  सुनो इंडिया के इस सीरीज "बात - मुलाकात" में हम आपकी मुलाकात करवाएंगे ऐसे जानकरों से जो आपके सवालों का जवाब दे सके और जिनके साथ हम वर्तमान के ज्वलंत और जरुरी मुद्दों पर बात कर सकें।   See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.

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