This Constitutional Dialogue aims to increase constitutional literacy and broaden the reach of the Indian Constitution. Under this dialogue we discuss various topics of Constitution and Constitutional Theories in Hindi with Professor Tarunabh Khaitan (Professor Oxford University and University of Melbourne). The hosts of this series are Surbhi Karva and Rajesh Ranjan. Surbhi is a law researcher and writes on constitution and gender issues and Rajesh is a law student and founder of Socio-Legal-Literary.
संविधान संवाद का बारहवां एवं आखिरी एपिसोड “अधिकारों” पर केंद्रित है। लोकतंत्र में नागरिक अधिकार क्या हैं? नागरिक अधिकार क्यों ज़रूरी है? ये अधिकार कौन-कौन से हैं? इन अधिकारों का कार्यक्षेत्र क्या रहा है? अधिकारों के उत्थान में अदालतों का क्या योगदान रहा है?
संविधान संवाद का ग्यारहवां एपिसोड “संघवाद” के सिद्धांत पर आधारित है। संघवाद क्या है? केंद्र-राज्यों के संबंध कैसे हैं? जम्मू कश्मीर एवं पूर्वोत्तर के राज्यों को संघवाद में किस तरह से रखा गया है इसकी पड़ताल करता यह वीडियो। रीडिंग लिंक – https://papers.ssrn.com/sol3/papers.c… पिछले सभी संवाद का लिंक – https://sociolegalliterary.in/?page_i…
संविधान सभा का दसवां एपिसोड “निर्वाचन पद्धति” पर आधारित है। चुनाव प्रणाली की लोकतंत्र में क्या भूमिका होती है? फर्स्ट पास्ट द पोस्ट और समानुपाती निर्वाचन व्यवस्था की क्या खूबियां और खामियां है तथा रैंक आधारित प्रेफ्रेंशल सिस्टम कैसे इन सब के बीच एक बेहतर व्यवस्था साबित हो सकता है इसकी पड़ताल करता यह वीडियो। रीडिंग लिंक- Tarunabh Khaitan Balancing Accountability and Effectiveness: A Case for Moderated Parliamentarism
संविधान संवाद का “नौवा” एपिसोड चौथी शाखा के संस्थाओं पर आधारित है। चुनाव आयोग, समता आयोग, सूचना आयोग, अकादमिक संस्थान जैसी संस्थाओं का लोकतंत्र में क्या भूमिका होती है इसका पड़ताल करता यह वीडियो। रीडिंग लिंक – 1 https://papers.ssrn.com/sol3/papers.c… रीडिंग लिंक – 2 https://www.utpjournals.press/doi/abs… ज्योतिबा फुले पर रीडिंग – https://thesatyashodhak.com/english/
संविधान संवाद का “आठवां” एपिसोड लोकतंत्र उसकी प्रणाली एवम् विपक्षी अधिकारों पर केन्द्रित है। संसदीय लोकतंत्र क्या, राष्ट्रपति प्रणाली क्या है, क्या लोकतंत्र में सत्ता पक्ष ही सबकुछ है? ऐसे सभी सवालों की पड़ताल करता यह वीडियो। रीडिंग लिंक – https://privpapers.ssrn.com/sol3/papers.cfm?abstract_id=3762507 पिछ्ले सभी संवाद का वीडियो लिंक – https://www.sociolegalliterary.in/samvidhan-samvad-with-tarunabh-khaitan/ पिछले सभी संवाद का ऑडियो लिंक- https://anchor.fm/sociolegalliterary
संविधान संवाद का सातवां एपिसोड “नागरिकता” के सिद्धांत पर केन्द्रित है। इसके दूसरे भाग में हमने भारत में हुए नागरिकता आंदोलन, एवम् नागरिक कानूनों में हुए संशोधनों पर चर्चा की है। हमने राष्ट्रवाद और नागरिकता के मुद्दे पर भी विमर्श किया है एवम् टैगोर के नजरिए को भी समझने की कोशिश की है। रीडिंग लिंक – रीडिंग लिंक – 1 – “Kanika Gauba: Forgetting Partition” रीडिंग लिंक – 2 – “Niraja Gopal Jayal: Faith-based Citizenship” रीडिंग लिंक – 3 – “Niraja Gopal Jayal, Citizenship and its Discontents: An Indian History”
संविधान संवाद का सातवां एपिसोड “नागरिकता” के सिद्धांत पर केन्द्रित है। इसके पहले भाग में हमने नागरिक, कौन है? नागरिकता का सिद्धांत क्या हैं? इसे कैसे परिभाषित किया जा सकता है? एवम् संविधान बनने के दौरान बंटवारे के बाद की स्थिति में नागरिकता के सिद्धांत को कैसे परिभाषित किया गया। इस पर विस्तार से बातचीत की है। रीडिंग लिंक – रीडिंग लिंक – 1 – “Kanika Gauba: Forgetting Partition” रीडिंग लिंक – 2 – “Niraja Gopal Jayal: Faith-based Citizenship” रीडिंग लिंक – 3 – “Niraja Gopal Jayal, Citizenship and its Discontents: An Indian History”
संविधान संवाद का छठा एपिसोड “सत्ता विभाजन” के सिद्धांत पर केन्द्रित है। सत्ता के अलग-अलग अंग जैसे कार्यपालिका, विधायिका एवम् न्यायपालिका के बीच सत्ता का विभाजन क्यों जरूरी है, एवम् लोकतंत्र और प्रशासन में इस सिद्धांत की क्या भूमिका है- ऐसे ही सवालों की पड़ताल करता यह वीडियो। रीडिंग लिंक – “Jeremy Waldron: Separation of Powers in Thought and Practice”
संविधान संवाद की पांचवीं कड़ी “उदारवाद” के सिद्धातों पर केन्द्रित है। उदारवाद और संविधानवाद का संबंध क्या हैं? दार्शनिक उदारवाद क्या संविधानिक उदारवाद में बदल पाया है? निजी संपत्ति एवम् स्वतंत्रता का उदारवाद से क्या रिश्ता है। जानिए इस वीडियो में। रीडिंग लिंक – 1. “Massimo Fichera: Liberalism“ रीडिंग लिंक – 2. “Gerald Gaus et al: Liberalism” रीडिंग लिंक -3 – “Dinyar Patel's book on Naroji “
संविधान संवाद की इस कड़ी में हमने लोकतंत्र पर बातचीत की। क्या लोकतंत्र केवल चुनावों से बनता है? लोकतंत्र आख़िर है क्या? और यह क्यों ज़रूरी है? क्या एक जनता के पास लोकतान्त्रिक चुनावों में तानाशाही सरकार चुनने का हक़ है? समझिये इस कड़ी में। रीडिंग लिंक – 1. Andrei Marmor : Are Constitutions Legitimate? रीडिंग लिंक – 2. Ornit Shani : How India Became Democratic
संविधान संवाद का तीसरा एपिसोड rule of law (कानून के शासन) पर केंद्रित है। कानून के शासन और जंगल राज में क्या अंतर है? कानूनी शासन और किसी राजा/तानाशाह के शासन से कैसे भिन्न है तथा कानूनी शासन संविधानवाद के लिए अनिवार्य क्यों है- इस कड़ी में इन सवालों पर चर्चा की गयी है. रीडिंग लिंक – Joseph Raz : The Law's Own Virtue
संविधान संवाद की दूसरी कड़ी भारतीय संविधान की सहमति- प्राप्त करने की कोशिशों पर केंद्रित है। जानिये कैसे भारतीय संविधान ने गैर-उदारवादी तत्वों को भी अपने उदारवादी दृष्टिकोण में जगह दी गई । आखिर संवैधानिक मामलों में समझौते इतने ज़रूरी क्यों हैं रीडिंग लिंक – Tarunabh Khaitan : Directive Principles and the Expressive Accommodation of Ideological Dissenters
संविधान संवाद की पहली कड़ी संविधान बनाने की प्रक्रिया पर केंद्रित है। एक संविधान पर आम सहमति पाना क्यों अत्यधिक मुश्किल है? क्या संविधान पर आम सहमति पाना उसकी सफलता से जुड़ा है? भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान सहमति पाने के क्या तरीके अपनाए गए? इन सवालों को भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्वों पर हुई चर्चा के उदाहरण के ज़रिए समझिये।। (रीडिंग लिंक 1. Jon Elster Forces and mechanisms in the Constitutional making process. रीडिंग लिंक 2. India's Founding moment Madhav Khosla)