Relationships that matter
F: कल चाय की प्याली में फ़िर एक मुआ मच्छर आकर कुर्बान हो गया मेरे होठों पर मुस्कान सी खेल उठी नहीं मुझे चाय में पड़ा शहीद मच्छर देखना कुछ ख़ास पसंद नहीं पसंद है हर वो पल जो तुम्हारे साथ जिया है M : माज़ी की तरल सतह पर जब मन तैरता है ख़ुद ब ख़ुद एक मुस्कान सी कूद पड़ती है लबों पर आज भी मुस्कानों का एक सिरा आज तक तुमसे जो जुड़ा है आईना झूठ नहीं कहता आज भी मुझे आईने में मैं नहीं, तुम दिखती हो ये जो तमाम बिंदियां तुमने इस आईने पर चिपका छोड़ी थीं आज भी चिपकी हैं जस की तस इनके आस पास अपना चेहरा एडजस्ट करके देखता हूँ यूँ जैसे नसीब भी घुल मिल गए हैं तमाम उम्र के लिए तुम्हारा न होना भी तुम्हारे होने जितना ही हसीन है F: मैंने भी तो तुम्हारी हर निशानी हाथ की मुट्ठी में आज तक भींच रखी है तुम्हारी लिखाई मेरे दिल पर, ज़हन पर, डायरी के कवर पर, खिड़की के पल्ले पर, किचन में रखे flower pot पर मेरी जीन्स पर, दुपट्टे पर कहाँ कहाँ तो तुमने लिख छोड़े हैं नाम, दस्तख़त, ज़ज्बात अहसासात M: तुम्हें याद है जब हम पहली बार मिले थे तुम मेरी मौजूदगी से अंजान बतिया रही थी अपने दोस्तों से ठहाके लगा रही थी उसी खनक पर तो दिल हार दिया था मैने तुम्हारा खिलखिलाना जैसे खुला खुला, धुला धुला, बहते पानियों सा F: तुम्हें बता दिए दूँ आज कि मुझे खूब पता था कि कनखियों से तुम मुझे किस तरह देख रहे थे अंजान होने का नाटक भर कर रही थी मैं भीतर ही भीतर सिहर रही थी मैं कहते हैं लम्हा ग़र इतना ख़ूबसूरत हो तो नज़र लग जाती है उस लम्हे की मन ही मन नजर उतारी थी मैने M : काश तुमने कहा होता उस रोज़ उतना समय न लगा होता कुछ समय और मिला होता F: काश तुमने बिन कहे ही समझ लिया होता कोई शिकवा न रहा होता कोई गिला न होता M: वो जो तुम मर मिटी थी 'इजाज़त' के इन्दर पर माया की सी शरारतें तुम्हारी मेल जो खाती थी किरदार से मैं मन ही मन जल उठा था कि शायद मुझसे ज्यादा उस किरदार से प्यार था और डर भी गया था कि कहीं माया की तरह तुम भी… F: तुमने कभी बताया होता तो मैने शायद ठीक से जताया होता M: एक बार तो कहती यूँ रूठ जाने का भी क्या था F: तुमसे कभी रूठने का दिल न चाहा सच रूठी तो ख़ुद से थी ख़ुद ही को मना न पायी बहुत बार हूक उठी तुम्हारे नाम की चिंगारियां उठी कितनी ही मर्तबा अरमानों की राख तले मैं किसी चिंगारी को फ़िर सुलगा न पाई M: एक बार, बस एक बार, किसी बारिश में भीगती चली आओ कुछ न कहो कुछ न कहने को कहो बालों की चांदी में सब सबब छुपा रखो बस एक चाय gas के चूल्हे पर चढाओ अदरक से खौल जाएँ हम तुम भी महक जाएं उसी इश्क़ वाली खुशबु में और हाँ तुम्हारी पसंदीदा नेचर थीम वाले Coasters रखें हैं किचन स्लैब पर, चाय ढक कर लाना फिर एक मुआ मच्छर कुर्बान न हो जाए नहीं, मुझे चाय में पड़ा शहीद मच्छर देखना कुछ ख़ास पसंद नहीं पसंद है हर वो पल जो तुम्हारे साथ जिया है ©माया
It was an unearthly hour I dreamt, I was running around in circles till my legs wobbled and head felt dizzy I heaved myself off the bed My clothes stuck to my body like my second skin It was freezing cold Dawn, still a long way off. My voice, trembling, wafted over to you, in the kitchen where you were making frothy strong coffee and some potato crisps taking your own sweet time. You dropped the threads swooped me in your arms playing with my unkempt locks sat me down and kissed my head. Fears vanished we sauntered on to the terrace with mugs of fuming coffee stood lost, in each other's eyes catapulting into adolescence. There dawned a sunny day out of the sea picking up the signs of life trees breezed by birdies joined in the festivities of love.
हुआ आज साँझ यूँ के कुछ रीता रीता सा लग रहा था साँझ ढले अक्सर मन संध्या पूजा के बाद कुछ उदास सा हो उठता है बड़ा ख़ाली ख़ाली सा लगा सच अनमने कद़म कमरे की अलमारी तक ले गए यादों का बक्सा खोला साथ बिताए पलों की पोटली खुली वो सूर्योदय, वो सूर्यास्त वो साग़र की लहरें वो बुलबुले उड़ते हवा में वो Purse में से घुली घुली सी मोगरे की माद़क गंध वो jeans के pockets से निकलती साग़र की रेती दिनों दिन वो तुम्हारा पहला प्रेम पत्र वो सूखे गुलाब पहली बारीश की वो कुछ बूंदे जो अभी तलक ठहरी थी तुम्हारे अधरों पर वो आँखों की कशिश जो आज भी धधकती है मेरी देह पर वो movie के tickets वो chocolate का wrapper वो प्यार का ताबीज़ रीता रीता? ख़ाली ख़ाली? हाँ 'शाम से आँख में नमी सी है ' हाँ 'नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है' पर मुझे कोई कमी नहीं तुम्हारी तुम मेरे पोर पोर में हो मन यूँ तृप्त हुआ जाता है सच जबसे तुम्हारे इश्क़ में हूँ कोई कोना रीता न रहा ©Maya
सुनो ना वो जो सर्दी में खाना खाने के बाद देहात के गुड़ की कसक बची रह जाती है न या भर गर्मी में जब जीभ फिरती हो होठों पर और कोई थमा दे गिलास भर नींबु पानी और बरसात में जब मन डूबा डूबा सा हो और हवा के परों पर बहता सा आए कोई भूला बिसरा सा नगमा वही तुम हो बोलो ना क्या तासीर है तुम्हारी सर्द या गर्म सर्दी में तुम्हारी बाहों की गरमाइश तुम्हारे अधरों की नरमी और कलेजे में क़तरा क़तरा कर उतरती ठंडक बोलो ना क्या तासीर है तुम्हारी देखो ना तुम कहते हो न तुम मुझे इसलिए प्यार नहीँ करते क्योंकि मैं भली सी दिखती हूँ तो एक बार फ़िर उसी तरह जी भर कर देखो जैसे देखा था उस रोज़ पहली बार और बताओ निगाहों को, निगाहों से क्यों करते हो प्यार? ©Maya ❤️
Togetherness is the crux of any good relationship, not necessarily looking at each other while together but looking at the world at the same time together.
Certain uncertainties are beautiful- kind of divine secrets travelling in the air, ready to overtake us in their sweep.
It's a beautiful night, with us, lying under the canopy of the silvery sky, bathed in the moonlight. The world has gone berserk with its values upside down. Let's be true to each other, love optimum for its love that can save us.
Time, the greatest of the thieves of all things beautiful, can't really lay its hands on love for 'love alters not, when alterations find...'
शीत की ठिठुरन में आम नहीं बौराएंगें, यौवन की ऊष्मा के पात पात झर जायेंगे
It's a kaleidoscope of desires propelled by some special moments, on replay, in my mind.
Falling in love is easy- an attractive frame, dimpled cheeks, rosy lips, peach complexion, lustrous hair, spark in the eyes, the perfect gait...anything...could make one fall for these...staying in love however...needs much more than just physical attraction. It's deeper, it's more subtle, it's more of a soul thing, it's not just having fallen in love, it's...staying in love...despite all odds...
When the aroma of earth is intensified by a rain shower and all that your heart yearns for, is, just melt away into nothingness.
When nostalgia has you in its grip, you are a happy captive,feeding on the cud of memories that balm your weary heart.
Love is all consuming a passion. It rebuilds, it refreshes, it ennobles, and it elevates your entire being.
छोटी छोटी खुशियों से ही तो ज़िंदगी का असल ज़ायका है, वर्ना कहाँ मिल्कियतें साथ चला करती हैं? सुनो न! बरसात क्या कहती है...
पुष्पा, वो तीखे नैन नक्श वाली सीधी सी, भली सी लड़की जो ख़ुद अनपढ़ होकर हमको ज़िंदगी के वो पाठ पढा गई जो किताबों से नहीं पढ़े जा सकते थे।
बारिश, बादलों का जमघट, पहली मुलाकात, अनछुए से नाज़ुक, रोमानी पल। ज़िंदगी हर लम्हा खूबसूरत है।
Mansi is restricted to the four walls of home, now that her bonding with this guy called Aditya, exposed to her family. She has been living in an imaginary world with him for years. The pain of separation is intense. She recalls how once they had stolen a meet out of the otherwise lack lustre a middle class life.
बचपन की यादें मानो तिजोरी में रखे चांदी के सिक्के जिसे खर्च भी नहीं किया जाए और दोस्तों से बांटे बिना भी न रखा जाए।