सुनिए दिन की बड़ी खबर क्विंट हिंदी के Big Story पॉडकास्ट में
Russia has kept the world on its toes as tensions on the Ukraine border keep escalating, with the reports of the former Soviet Union country adding more troops in preparation for an invasion any day now. The world is uncertain about President Vladimir Puntin's endgame for this crisis – will it be an extensive round of diplomatic talks or are we headed for an unthinkable war? And at the forefront of this entire crisis, in an effort to subdue and judge the Russians, is the United States, with President Joe Biden warning that the US is prepared to respond diplomatically and decisively if Russia attacks Ukraine. The crisis has turned into a dangerous game of charades among three players – Russia claiming that it has pulled back some troops from the border, the US intelligence assessing that Russia is lying about the de-escalation, while Ukraine and the rest of the world left interpreting what these actions mean. In our previous episode on this crisis, we dived into why Russia – pertinently Putin – wants Ukraine and has placed over 150,000 troops at its border. In today's episode, we discuss how the US, being a global superpower, has responded to this crisis so far, what options does it have, and we will also try to answer the big question – how will this all end? Joining me today to discuss this is Dr Georg Löfflmann, a professor in War Studies and US Foreign Policy at the University of Warwick. Host and Producer: Himmat Shaligram Editor: Saundarya Talwar Also listen to: Ukraine-Russia Conflict: In this Game of Chicken, Who Will Yield First? Music: Big Bang Fuzz Listen to The Big Story podcast on: Apple: https://apple.co/2AYdLIl Saavn: http://bit.ly/2oix78C Google Podcasts: http://bit.ly/2ntMV7S Spotify: https://spoti.fi/2IyLAUQ Deezer: http://bit.ly/2Vrf5Ng Castbox: http://bit.ly/2VqZ9ur
30 जनवरी की शाम स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पूनिया को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार करती है, करीब 12 घंटे बीत जाने के बाद तक मनदीप के परिवार, दोस्तों, साथी पत्रकारों को कोई खबर नहीं दी जाती है कि मनदीप कहां है, इस दौरान मनदीप के साथ मार-पिटाई की जाती है, उनका कैमरा, मोबाइल छीन लिया जाता है. उसे एक थाने से दूसरे थाने में घुमाया जाता है. जब मनदीप को कोर्ट में पेश करने की बारी आती है तो दिल्ली पुलिस बिना कानूनी सहायता के ही मनदीप को कोर्ट में पेश कर देती है. और इसके बाद उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया जाता है. लेकिन इस सब के बाद भी मनदीप को जब बाद में जमानत मिलती है तो वो जेल के अंदर से भी अपनी रिपोर्ट अपने शरीर पर लिखकर ले आते हैं. आज के पॉडकास्ट में दिल्ली में चल रहे किसान प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए पत्रकार मनदीप पुनिया से उनके साथ हुई ज्यादती पर खुलकर बात करेंगे.
26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली के हिंसक हो जाने के बाद से किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली पुलिस सख्त हो गई. लेकिन सख्ती ऐसी कि जिसने भी देखा वो बिना कुछ कहे नहीं रह पाया. दिल्ली की सीमाओं की तुलना पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर से होने लगी. ये सब इसलिए हुआ क्योंकि दिल्ली के बॉर्डर पर कई लेयर में बैरिकेडिंग, बैरिकेडिंग के ऊपर और बीच में कंटीली तारें, सड़कों पर सीमेंट से दबाई गईं लंबी कीलें और भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर दिया गया. जिस पर लोगों ने सवाल उठाए कि ये तैयारी किसी दुश्मन के लिए है या फिर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए. आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को रोकने के क्रूर सरकारी तरीकों के बारे में. सरकार ने किसान आंदोलनों की जिस तरह से किलेबंदी की है, आजाद भारत के इतिहास में जितने भी आंदोलन हुए हैं शायद ही इस तरह की तस्वीरें देखने को मिली हैं. पुलिस ने दिल्ली की बॉर्डर्स पर किसानों को रोकने के नाम पर जो भी इंतजाम किए ये किस कानून के तहत आते हैं? क्या पुलिस की ये हरकतें कानून के दायरे में आती हैं? मानव अधिकारों के पैमाने पर ये व्यवस्था कहां खड़ी होती हैं. इन सवालों पर करेंगे बात. पॉडकास्ट में बात करेंगे हमारे ग्राउंड रिपोर्टर शादाब मोइजी से, जो गाजीपुर बॉर्डर गए थे और वहां के हालातों का उन्होंने जायजा लिया. बात करेंगे रिटायर्ड IPS अधिकारी एनसी अस्थाना से, और उनसे समझेंगे कि पुलिस ने जो किया है वो क्यों गलत है और किस तरह कानून के खिलाफ है. इसके अलावा क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से बात करेंगे और जानेगें कि पुलिस के पास ये सब करने के लिए अधिकार किस कानून के तहत आते हैं और इसके मानवीय पहलू क्या हैं
पिछले करीब दो महीने से किसान आंदोलन सुर्खियों में है, फिर चाहे वो नवंबर के महीने में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की धमक हो, या फिर गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा, किसान आंदोलन की चर्चा लगातार होती रही. लेकिन अब किसान आंदोलन ग्लोबल बनता नजर आ रहा है, दुनियाभर के लोग अब इस आंदोलन को अपना समर्थन दे रहे हैं और पूछ रहे हैं कि इस बार आखिर बात क्यों नहीं हो रही है? कुछ छुटपुट आवाजें भले ही विदेशों से उठ रही थीं, लेकिन हॉलीवुड पॉप स्टार रिहाना के एक ट्वीट ने किसानों के मुद्दे को ग्लोबल बनाने का काम कर दिया. रिहाना के बाद किसानों के समर्थन में क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी, मीना हैरिस, पूर्व पॉर्न स्टार मियां खलीफा जैसे तमाम लोगों ने इसी मुद्दे पर ट्वीट किए. अब इस सबके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें ये लिखा था कि कुछ लोग इस विरोध प्रदर्शन का फायदा उठाते हुए भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने की भी कोशिश कर रहे हैं. वो कौन लोग हैं, हालांकि उनके नाम स्टेटमेंट में नहीं थे. इसके बाद बॉलीवुड के कुछ एक्टर भी एक्टिव हुए और उन्होंने सरकार को समर्थन देते हुए विदेशी हस्तियों के ट्वीट्स की अलोचना कर डाली. अब सवाल ये उठता है कि किसी दूसरे देश की पब्लिक फिगर के एक ट्वीट पर भारत सरकार की इस प्रतिक्रिया का क्या मतलब है? इसी पर आज पॉडकास्ट में बात करेंगे.
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया. भारत का ये बजट ऐसे वक्त में आया है जब हम एक वैश्विक महामारी का सामना करके बाहर निकल रहे हैं, अर्थव्यवस्था नेगेटिव ग्रोथ में हैं और हम तकनीकी रूप से मंदी में हैं. दूसरी तरफ कई सारे लोगों की नौकरियां गई हैं, सैलरी कट हुआ है और कई लोग कम सैलरी पर काम करने के लिए मजबूर हैं. वहीं देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. तो सवाल ये है कि क्या ऐसी विपरीत परिस्थितियों में जो बजट वित्त मंत्री ने पेश किया है क्या वो जरूरत के मुताबिक सही है? आज पॉडकास्ट में हम लगातार दूसरी बार बजट पर बात कर रहे हैं. लेकिन आज हम आपको बजट से जुड़ी जानकारियां नहीं देंगे बल्कि आज हमारा जोर होगा बजट से जुड़े विश्लेषण पर. पॉडकास्ट में हम बात करेंगे देश के बड़े अर्थशास्त्री और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के डायरेक्टर रथिन रॉय से. उनसे समझेंगे कि वो कौन सी बातें हैं जो बजट को डिटेल में पढ़ने पर सामने आती हैं और भाषण में जिन पर जोर नहीं दिया जाता. इसके अलावा बात करेंगे द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से और समझेंगे कि सरकार ने कैसे बजट के जरिए राजनीतिक दांव चलने की कोशिश की है. साथ ही संजय जी से महंगाई पर भी बात करेंगे.
केंद्रीय बजट 2021 आ गया है. 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश का पहला पेपरलेस बजट पेश किया. बजट पेश होने के बाद कॉरपोरेट दुनिया और शेयर बाजार ने तो इस बजट को सलामी दी है लेकिन दूसरी तरफ बजट में जो तेज निजीकरण करने की योजना तय की गई है उसकी कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं. बजट में सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर पर खासा फोकस दिया है. लेकिन इसके बदले में सरकार ने एग्री इंफ्रा सेस लगा दिया है, जिसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं. कुछ लोगों का कहना है कि इसकी वजह से महंगाई बढ़ सकती है. आज पॉडकास्ट में बात होगी बजट पर. आपको बताएंगे कि बजट में क्या है आपके काम की बात. क्या-क्या बदलाव हुए हैं. सरकार का बहीखाता कैसा रहने वाला है इस पर करेंगे बात. आपको सुनवाएंगे महिंद्र ग्रुप के चीफ इकनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला की बात. इसके अलावा बात करेंगे क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से. साथ ही दिग्गज निवेशक विजय केड़िया से खास अंदाज में जानेंगे कि क्यों ये बजट है 'सुपरहिट'.
क्या आपको पता है कि मुकेश अंबानी जितना एक सेकंड में कमाते हैं, एक अनस्किल्ड वर्कर को कमाने में 3 साल लगेंगे. ऐसे ही कई दिलचस्प लेकिन सोचने पर मजबूर करने वाले आंकड़े ऑक्सफेम की इनइक्वालिटी रिपोर्ट में निकलकर आए हैं. ऑक्सफेम ने 25 जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने भारत के बिलिनेयर्स और अनस्किल्ड वर्कर्स के बीच आय असमानताओं को बढ़ा दिया है. इसके अलावा कोरोना वायरस संकट से लेकर अब वैक्सीनेशन में भी अमीर और गरीब देशों के बीच का फर्क साफ दिखा है. आज के पॉडकास्ट में बात करेंगे ऑक्सफैम की 'इनिक्वालिटी वायरस रिपोर्ट’ रिपोर्ट पर. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि देश के बिलेनियर्स की संपत्ति लॉकडाउन में करीब 35 फीसदी से बढ़ गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि इसी बीच देश के 84 फीसदी घरों में अलग-अलग तरीके से आय का नुकसान हुआ. बात करेंगे ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर से. इसके अलावा बात करेंगे HSBC की चीफ इकनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी है, प्रांजुल समझाएंगी कि कैसे बड़ी और छोटी कंपनियों के बीच मुनाफे में भी एक बड़ा अंतर है.
आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे आने वाले बजट के बारे में. केंद्रीय वित्त मंत्री 1 फरवरी को संसद में बजट भाषण पढ़ेंगी. इसी बजट भाषण सुनने के लिए सब कान लगाकर खड़े रहते हैं. शेयर बाजार से इंटरनेशनल बाजारों तक बजट का भारी रिएक्शन देखने को मिलता है. आज के पॉडकास्ट में हम आपको बताएंगे कि अलग-अलग सेक्टर्स को बजट से क्या उम्मीदें हैं और आपको सुनवाएंगे एक्सपर्ट्स की बातें. कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एमडी नीलेश शाह से समझेंगे कि सरकार को अपनी आमदनी और खर्चों को कैसे मैनेज करना चाहिए. इसके अलावा क्विंट के फाउंडिंग एडिटर राघव बहल से समझेंगे कि इकनॉमी को बूस्ट देने के लिए उनके पास क्या आइडिया है. साथ ही बात करेंगे HSBC इंडिया की चीफ इकनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी से.
करीब दो महीने से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन पर 26 जनवरी को 'हिंसा का दाग' लग गया. दिल्ली की सड़कों पर हिंसा, उन्माद, तोड़-फोड़, लाठी-डंडे सब कुछ चलता दिखा. ये हंगाम-बवाल तो 10-12 घंटे में खत्म हो गया लेकिन अब इससे जुड़ी कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. जैसे अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस आंदोलन का भविष्य क्या होने जा रहा है? दो संगठनों ने आंदोलन से अलग होने का ऐलान कर दिया है लेकिन इसमें पेच है, उसके बारे में आपको बताएंगे. साथ ही पुलिस ने कहा है कि किसानों ने धोखा किया है और दोषी नहीं बख्शे जाएंगे, कई FIR भी दर्ज कर ली गई हैं. आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दिन हुई हिंसा पर. आपको सुनाएंगे कुछ आंदोलनकारी चश्मदीदों की बात, इसके अलावा आपको कुछ प्रदर्शनकारियों के हमले में घायल पुलिसवालों की भी आंखोंदेखी सुनवाएंगे. पुलिस ने दिल्ली में हुई हिंसा पर क्या कार्रवाई की है आपको वो भी सारा कुछ बताएंगे.
26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को पूरा देश हर साल राजपथ पर होने वाली शानदार परेड देखता है, लेकिन इस बार देश ने राजधानी दिल्ली की सड़कों पर ऐसी तस्वीरें देखीं, जिनकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. किसानों के ट्रैक्टर मार्च ने दिल्ली की सड़कों पर उतरते ही हिंसक रूप ले लिया, कुछ प्रदर्शनकारियों ने लाल किले तक पर चढ़ाई कर दी और वहां तिरंगे की जगह दूसरा झंडा फहरा दिया. दिल्ली की बॉर्डर्स पर कृषि कानूनों के खिलाफ करीब 2 महीनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने तय किया था कि वो गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालेंगे. किसान नेताओं ने इस परेड के लिए पुलिस के साथ मिलकर रूट भी तैयार किए थे. पुलिस ने दावा भी किया कि सुरक्षा के पूरे और पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन ये सारी तैयारी, प्लानिंग धरी की धरी रह गई और कई किसान प्रदर्शनकारी आखिरकार उपद्रवियों में बदल गए, जिसके बाद उन्होंने किसान नेताओं की बात भी नहीं सुनी. उग्र प्रदर्शनकारी रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने ट्रैक्टरों से रौंद देना चाहते थे.
आज बात करेंगे बॉम्बे हाईकोर्ट के एक अटपटे से आदेश की. आदेश में कहा गया है कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के छूना POCSO यानि Protection of Children from Sexual Offences एक्ट के तहत सेक्सुअल असॉल्ट की श्रेणी में नहीं आएगा. हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने आदेश में कहा है कि किसी भी छेड़छाड़ की घटना को यौन शोषण की श्रेणी में रखने के लिए घटना में ‘यौन इरादे से किया गया स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ होना चाहिए. इस मामले में कानून की पेचीदगियों पर बात करेंगे क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से. साथ ही पॉक्सो कोर्ट्स में प्रैक्टिस करने वाली वकील सीमा मिश्रा से जानेंगे कि अब इस केस में आगे क्या हो सकता है.
अगर आपने कोरोना वायरस संकट शुरु होने के वक्त शेयर बाजार में 25 हजार रुपये लगाए होते तो आज वो 50 हजार रुपये हो गए होते. ये कमाल सिर्फ शेयर बाजार में ही हो सकता है. 21 जनवरी को मुंबई के शेयर बाजार सेंसेक्स ने 50 हजार का स्तर छू लिया है. 23 मार्च, 2020 को शेयर बाजार 25,900 के स्तर पर था और 10 महीने के अंदर-अंदर शेयर बाजार दो गुना हो गया है. बाजार की इस रैली ने कई लोगों के खूब पैसे बनवाए हैं. जिन लोगों ने पहले से शेयर बाजार में पैसा लगा रखा है वो तो खुशी के मारे झूम रहे हैं, लेकिन अब इस तेजी के बाद नए निवेशक शेयर बाजार में पैसा लगाने से कतरा रहे हैं. क्यों कि ऐसे महंगे बाजार में पैसा लगाने में रिस्क है, हाल में हर्षद मेहता पर आई वेब सीरीज SCAM 1992 में डायलॉग है 'रिस्क है, तो इस्क है.' लेकिन हां स्मार्ट इन्वेस्टर होने के नाते इश्क में अंधा नहीं होना है. सोचकर, समझकर, बुद्धि लगाकर ही निवेश करना है. सेंसेक्स के 50 हजार के स्तर को छूने के बाद शेयर बाजार में आगे क्या हो सकता है?, अगर शेयर बाजार में निवेश करना है तो क्या स्ट्रेटजी होना चाहिए?, म्यूचुअल फंड सही है या फिर सीधे शेयरों में पैसा लगाएं. आज इन्हीं सवालों पर करेंगे बात.
अमेरिका के इतिहास में बाइडेन-कमला युग की शुरुआत हो चुकी है. शपथ लेने के तुरंत बाद अमेरिका के नए नवेले राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पहला ट्वीट किया. बाइडेन ने अपने ट्वीट में सख्त, कड़े और अहम फैसले लेने के संकेत दिए हैं. ऑफिस में काम संभालते ही 17 कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए हैं. जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के पहले दिन कई अहम फैसलों पर हस्ताक्षर किए, वहीं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई फैसले पलट दिए. जो बाइडेन ने प्रवासियों को राहत दी है, वहीं कई मुस्लिम देशों पर लगे ट्रैवल बैन को खत्म कर दिया है. साथ ही ट्रंप द्वारा WHO से हटने के फैसले को भी बाइडेन ने पलट दिया है. आज बिग स्टोरी में बात करेंगे अमेरिका में हुए राष्ट्रपति- उपराष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह की. जो बाइडेन और कमला हैरिस के पास अब यूनाइडेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका की कमान है. पॉडकास्ट में आपको बाइडेन की शपथ के बाद दिया गया भाषण हिंदी में सुनाएंगे. इसके अलावा जो बाइडेन का राष्ट्रपति बनना अमेरिका के इतिहास में क्यों अहम है इस पर बात करेंगे क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से. साथ ही बाइडेन के फैसलों और आगे की योजना पर भी करेंगे बात.
OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर 15 जनवरी को रिलीज हुई वेब सीरीज तांडव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. रिलीज होने के 24 घंटे भी नहीं बीते कि ट्विटर पर वेब सीरीज को बैन करने की मांग होने लगी. आरोप लगे हैं कि वेब सीरीज के जरिए हिंदू भावनाओं को आहत किया गया है. इसके बाद सीरीज के मेकर्स के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों से कई सारी एफआईआर दर्ज हो गईं. कई सारे बीजेपी नेताओं ने भी इस वेब सीरीज के कुछ सींस को लेकर नाराजगी जाहिर की है. दूसरी तरफ मुंबई में अमेजन प्राइम के दफ्तर के बाहर और एक्टर सैफ अली खान के खिलाफ पुलिस बंदोबस्त बढ़ाया जा रहा है. साथ ही एक बार फिर से OTT प्लेटफॉर्म्स के रेगुलेशन पर चर्चा शुरू हो गई है. आज के पॉडकास्ट में हम आपको समझाएंगे कि ये विवाद असल में क्यों खड़ा हुआ है, वेब सीरीज में ऐसा क्या है जो इतना हंगामा बरपा है. साथ ही हम वेब कंटेट के रेगुलेशन से जुड़े कानूनी ढांचे पर भी बात करेंगे. OTT रेगुलेशन पर हम बात करेंगे उद्भव तिवारी से, उद्भव मोजिला में पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर हैं. इसके अलावा हम आपको फिल्म डायरेक्टर दिबांकर बनर्जी की भी बात सुनाएंगे.
टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया के गाबा मैदान पर आखिरी टेस्ट मैच जीतकर इतिहास रच दिया है. साथ ही भारत ने टेस्ट सीरीज 2-1 से अपने नाम की है. ऑस्ट्रलिया ने इस सीरीज में सही गलत हर हथियार चलाया लेकिन आखिर कुछ काम न आया. किसी भारतीय खिलाड़ी को गाली सुननी पड़ी तो किसी को नस्लीय कमेंट का सामना करना पड़ा. एक के बाद एक अनुभवी खिलाड़ी चोटिल होते गए. ऑस्ट्रेलिया की धरती पर मिली ये जीत कई मायनों में बहुत बहुत खास है. भारत ने गाबा इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच के पांचवें और आखिरी दिन आस्ट्रेलिया के 328 रनों के टारगेट को 7 विकेट खोकर हासिल कर ही लिया. पॉडकास्ट में बात करेंगे जर्नलिस्सट और क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन से. इसके अलावा बात करेंगे क्विंट के मैनेजिंग एडिटर रोहित खन्ना से. रोहित क्रिकेट में खास दिलचस्पी रखते हैं. इसके अलावा आपको कुछ क्रिकेट फैंस का भी मैच देखते वक्त का अनुभव भी सुनाएंगे.
आज पॉडकास्ट में बात करेंगे मुनव्वर फारुकी गिरफ्तारी के मामले की. एक हंसने-हसाने वाला युवा 15 से ज्यादा दिनों से जेल में बंद है. पुलिस उसके खिलाफ सबूत तक नहीं पेश कर पाई और अदालत ने भी उसे जमानत देने से मना कर दिया है. बात करेंगे मध्य प्रदेश के स्वतंत्र पत्रकार काशिफ ककवी से और उनसे इस केस के ताजा अपडेट लेंगे. इसके अलावा क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से समझेंगे कि फारुकी के केस में जमानत याचिका खारिज होना क्यों चौंकाता हो. साथ ही कॉमेडियन संजय रजौरा से समझेंगे कि क्यों आज के दौर में कॉमेडी करना कठिन होता जा रहा है?
कोरोना वायरस संकट की वजह से हमने बीते साल काफी कुछ खोया है लेकिन कोरोना वैक्सीन आने के बाद से उम्मीद की किरण जागी है. भारत में कोरोना वैक्सीनेशन का पहला चरण 16 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. ये दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बनने जा रहा है. लेकिन इसी वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं और शंकाएं हैं. जैसे- वैक्सीन के आम लोगों तक पहुंचने की प्रक्रिया क्या होगी? कोविन एप पर कब रजिस्टर करना होगा? कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी होंगे? आपको किन नियमों का पालन करना है? क्या मार्केट से वैक्सीन खरीद पाएंगे? क्या आपके पास ऑप्शन होगा कि आपको कोविशील्ड और कोवैक्सिन में से चुन सकें कि आपको कौन सी वैक्सीन लगवाना है? कौन सी वैक्सीन बेहतर है?
देश में पिछले कुछ दिनों से लव जिहाद के नाम पर काफी कुछ हो रहा है. लव जिहाद जैसे शब्द का बीजेपी नेताओं पर सबसे ज्यादा असर हुआ है. यहां तक कि अब बीजेपी शासित राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाने की होड़ लग चुकी है. बीजेपी के मुख्यमंत्री लगातार डंके की चोट पर धमकी भरे अंदाज में कानून का पाठ पढाते हुए दिखते हैं. लेकिन इसी बीच अब इंटरफेथ मैरिज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक अहम फैसला आया है. इस फैसले के तहत कोर्ट ने 1954 के स्पेशल मैरिज एक्ट के एक प्रवाधान को अनिवार्य की बजाय वैकल्पिक बना दिया है. इस फैसले से दो अलग-अलग धर्मों के जोड़े के लिए शादी करना आसान हो जाएगा. ये फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कानून के इस नियम को किसी भी भारतीय नागरिक की निजता का हनन बताया है. अब कोर्ट के इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है. आगे आपको बताएंगे कि आखिर स्पेशल मैरिज एक्ट के किस प्रावधान को लेकर ये बदलाव किया गया है और ये कितना बड़ा फैसला है. होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
इस साल की सबसे बड़ी खुशखबरी है- देश के लिए 'कोरोना वैक्सीन' और इस वैक्सीन को देने की प्रक्रिया 16 जनवरी से शुरू होने वाली है. भारत कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़ा इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम शुरू करने के लिए तैयार है. तो वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो उसके पहले कई सारे सवाल है जिनके जवाब आपको जानना ही चाहिए. पहले सवाल सुनिए- वैक्सीन के आम लोगों तक पहुंचने की प्रक्रिया क्या होगी? कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी होंगे? साइट पर कैसे पहुंचेगी वैक्सीन, आपको किन नियमों का पालन करना है? इसके अलवा ये सवाल भी अहम हैं कि वैक्सीनेशन रोलआउट करने के पहले टेस्टिंग और ट्रेसिंग का क्या महत्व है? सरकार को किस रणनीति पर काम करना चाहिए और सबसे अहम ये कि सरकार को वैक्सीन के प्रति भरोसा जगाने के लिए क्या करना चाहिए? होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर म्यूजिक: बिग बैंग फज
किसान कानूनों के खिलाफ देशभर में चल रहे प्रदर्शनों के बीच सुप्रीम कोर्ट में 12 जनवरी को अहम फैसला सुनाया. देश की सबसे बड़ी अदालत ने किसान कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इन कानूनों के लागू होने पर रोक लगा दी है. साथ ही कानूनों पर किसानों की आपत्ति को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाने का भी फैसला किया है. इस कमेटी और इसके सदस्यों के बारे में आगे विस्तार से चर्चा करेंगे. लेकिन अब बात उनकी करें जिनकी वजह से ये सुनवाई और फैसले हो रहे हैं, तो प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि फैसला तो अपनी जगह है लेकिन आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. किसान अपने आंदोलन को उसी अंदाज में जारी रखने वाले हैं और सरकार 15 जनवरी को अगली बातचीत के लिए तैयार हैं. आज के पॉडकास्ट में हम बात करेंगे कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर. और सबसे अहम बात कि क्या अब किसान और सरकार के बीच कोई समझौता निकलेगा? पॉडकास्ट में बात करेंगे क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से. इसके अलावा आपको प्रदर्शनकारी किसानों की भी बातचीत सुनाएंगे. होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
अगर आप भी व्हाट्सएप चलाते हैं तो ये पॉडकास्ट सुनना आपके लिए बहुत अहम है. पिछले कुछ दिनों में व्हाट्सएप यूज करते वक्त आपको एक अपडेट नोटिफिकेशन मिला होगा, जिसमें प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर मैसेज फ्लैश होता दिखा रहा है. दरअसल WhatsApp ने 5 जनवरी को अपने टर्म्स ऑफ सर्विसेज और प्राइवेसी पॉलिसी को अपडेट कर दिया है और यूजर्स को इस बदलाव के बारे में बताने के लिए इन-ऐप नोटिफिकेशन भेजना शुरू कर दिया है. नई टर्म्स और प्राइवेसी पॉलिसी 8 फरवरी 2021 से लागू होगी. लेकिन इस पॉलिसी चेंज से आपके पर्सनल डेटा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है, इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप की नीतियों में आए बदलावों से आपको क्या-क्या संभावित खतरें हैं. इसकी बात करेंगे पॉडकास्ट में विस्तार से. होस्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद प्रोड्यूसर: वैभव पालिनिटकर असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
गाय की भारतीय राजनीति में साख बढ़ती जा रही है. अब तक हम गौ संरक्षण, गौ रक्षा, गायों के लिए विशेष टैक्स जैसी बातें तो सुन चुके हैं. लेकिन अब सरकार गाय के ऊपर अलग से एक विषय ही बना दिया गया है जिसका नाम है ‘गौ विज्ञान’. सरकार इस विषय पर ‘गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा’ आयोजित करवाने वाली है. ये एग्जाम फ्री में होगा, ऑनलाइन होगा और ये 25 फरवरी को लिया जाएगा. आप इस एग्जाम में फेल न हों इसलिए जरूरी है कि आप ध्यान से सुनें. इस एग्जाम के लिए सरकार ने सिलेबस भी जारी किया है. आपको सब कुछ विस्तार से बताएंगे, साथ ही साइंस एडुकेशनिस्ट, अनिकेत सूले इस सिलबस को साइंस की रौशनी में समझने में मदद करेंगे. रिपोर्ट: फबेहा सय्यद सीनियर डेस्क राइटर: वैभव पालिनिटकर म्यूजिक: बिग बैंग फज
अमेरिका के इतिहास का सबसे काला दिन कहे जाने वाली इस 6 जनवरी 2021 की तारीख को जो कुछ हुआ वो आप को बताएंगे. अमेरिका में वाशिंगटन डीसी की कैपिटल बिल्डिंग यानी अमेरिकी संसद में ट्रम्प के समर्थक न सिर्फ घुसे बल्कि सब कुछ तबाह कर देने पर उतारू थे. इस दौरान नेशनल गार्ड तुरंत तैनाती संभाली और उनकी प्रदर्शनकारियों के साथ हिंसक झड़प हुई. सुरक्षाकर्मियों की लाख कोशिशों के बावजूद ट्रंप समर्थक संसद के अंदर घुस गए, यहां तक कि हथियारों से लैस इन लोगों ने स्पीकर की कुर्सी तक को कब्जे में ले लिया. इस दौरान बेकाबू भीड़ को रोकने के लिए अमेरिकी सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां भी चलाईं, जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है. बिलकुल किसी फिल्म का सीन लगा. अमरीका की इस हॉलीवुड फिल्म, डेमोक्रेसी की अग्निपरीक्षा का क्लाइमैक्स होने जा रहा है. और इस में विल्लन का फ़ाइनल एक्ट किस तरह हमने देखा वो आज आपको इस पॉडकास्ट में बताएँगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
साल 2021 की शुरुआत में कोरोना वायरस वैक्सीन के अप्रूवल की खबर सुनकर राहत मिली और ऐसा लगने लगा कि जैसे-जैसे वैक्सीनेशन का काम होगा दुनिया बैक टू नॉर्मल होगी. लेकिन एक और वायरस के फैलने से फिर से चिंता बढ़ने लगी है, ये वाइरस H5N1. इस वायरस से होने वाली बीमारी को एवियन इंफ्ल्यूएंजा कहते हैं, जिसे आम तौर पर बर्ड फ्लू भी कहा जाता है. इस वायरस से अभी तक उत्तर, पश्चिम और दक्षिण भारत के कई राज्यों में हजारों की तादाद में पक्षियों की मौत हो चुकी है. डॉक्टर्स इसे एक ऐसा बर्ड फ्लू बता रहे हैं, जिसने अभी तक इंसानो में म्यूटेट करना शुरू नहीं किया है. यानी ह्यूमन टू ह्यूमन कांटेक्ट से इसके फैलने के केसेस नहीं पाए गए हैं. अगर इंसान इस वाइरस से संक्रमित होते है तो बीमारी के सिम्पटम्स गंभीर होते है और इसका इंसानो में डेथ रेट भी करीब 60 % है. तो ऐसे में क्या किया जाए? पोल्ट्री जैसे चिकन अंडे वगैरा खाने बंद कर दें? एक्चुअली नहीं. और ज्यादा पैनिक की भी जरुरत नहीं है, बस कुछ बेसिक एहतियात बरतें. आज इसी पर तफसील से आपको पॉडकास्ट में बताएंगे, कि ये एवियन वायरस क्या है, परिंदों में कैसे फैलता है, इससे इंसान कैसे इन्फेक्ट हो सकते हैं? इससे होने वाली बीमारी के सिम्पटम्स क्या हैं, और इससे कैसे बचा जाय (https://fit.thequint.com/hindi/1) ? तो प्लीज पॉडकास्ट आखिर तक सुनियेगा. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद सीनियर डेस्क राइटर: वैभव पालिनिटकर म्यूजिक: बिग बैंग फज
मध्य प्रदेश के तीन इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आईं. ये इलाके ज्यादातर वो हैं, जहां मुस्लिम आबादी रहती है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर हिंसा की चिंगारी को कैसे और किसने हवा देने का काम किया. उज्जैन के मुस्लिम बहुल इलाके बेगम बाग में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कुछ कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली और इलाके के लोगों का आरोप है कि उन्होंने आपत्तिजनक नारे लगाए और अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल किया. जिसके बाद पत्थरबाजी शुरू हुई और इसने हिंसक झड़प का रूप ले लिया. लेकिन इस घटना को राज्य सरकार ने जिस तरीके से लिया है, उससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कामकाज के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं. यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की तर्ज पर शिवराज सिंह ने भी कहा है कि अब पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने वालों से ही इसकी कीमत वसूली जाएगी. इसके लिए अलग से कानून बनाने की भी बात कही गई है. एक लाइन में खबर बताएं तो हिंसा के जवाब में जिस जगह हिंसा हुई, वहां शिवराज सिंह चौहान सरकार ने डेमोलिशन ड्राइव चला दी. एक घर गिराया और एक दूसरे घर को भी खस्ता हाल कर दिया. अब राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिन्हे एक मॉडरेट नेता माना जाता था, जिनके सत्ता में होने से अल्पसंख्यक समुदाय को कोई खतरा कभी महसूस नहीं हुआ, उनके तेवर अचानक इतने बदले-बदले नजर आ रहे हैं. लव-जिहाद पर कड़ा रुख हो या फिर हाल के बयानों में सख्ती, क्या चौहान अपनी लिबरल और मॉडरेट इमेज जान बूझ कर बदलना चाह रहे हैं? अगर हाँ तो क्यों? इसी पर आज तफ्सील से बात करें. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
पिछले साल की सबसे बड़ी खबर रही है कोरोनावायरस. हेल्थ केयर से लेकर इकनॉमी तक कोविड-19 ने हमारे सिस्टम को हिलाकर रख दिया. लेकिन अब साल 2021 की शुरुआत उम्मीदभरी खबर के साथ हो रही है. नए साल के शुरुआती दिनों मे ही हमें वो खबर सुनने को मिल गई जिसका हम कई महीनों से इंतजार कर रहे थे. ये खबर है भारत में वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी. अब भारत में दो वैक्सीन के इस्तेमाल को ग्रीन सिग्नल मिल गया है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने Covishield और Covaxin वैक्सीन के लिमिटेड इमरजेंसी यूज की मंजूरी का ऐलान किया है. तो अब अगर कोरोना वायरस से सुरक्षा का कवच पाना है तो लोगों को इन दोनों वैक्सीन में से किसी एक की दो खुराकें लेनी होंगी. लेकिन इस वैक्सीन अप्रूवल में कुछ संशय भी हैं जिस पर सवाल उठ रहे हैं. संशय ये है कि जो भारत बायोटेक की बनाई वैक्सीन कोवैक्सिन है उसे एक बैक-अप वैक्सीन के तौर पर ही अप्रूवल मिला है. 'बैक-अप' वैक्सीन? ये क्या होता है? आप को पॉडकास्ट में इसी के बारे में बतायंगे. इतना ही नहीं, इस वैक्सीन का अभी क्लीनिकल ट्रायल भी पूरा नहीं हुआ है. तो ये सवाल भी दिमाग में आता है कि क्या आम जनता पर सीधे आजमाने के लिए क्या ये वैक्सीन तैयार है? क्या ट्रायल पूरा होने तक का इंतजार नहीं कर सकते? इन सभी सवालो के जवाब आज इस पॉडकास्ट में एक्सपर्ट् से पूछेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद सीनियर डेस्क राइटर: वैभव पालिनिटकर म्यूजिक: बिग बैंग फज
आफत भरा साल 2020 जाने वाला है और नए साल 2021 को लोग नई उम्मीदों के साथ गले लगाने वाले हैं. हम भी उम्मीद करते हैं कि जो दर्दनाक घटनाएं और मंजर आपने इस साल देखे हैं, वो अगले साल या फिर कभी भी देखने को न मिलें. जब कोरोनावायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा था, और भारत में लॉकडाउन इस तरह लगाया गया कि इसे दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन कहा जाने लगा. तब कई न्यूज रिपोर्टर्स अपनी जान की परवाह न करते हुए आप तक खबरें पहुंचाते रहे. पूरे भारत में अगर लॉकडाउन से होने वाली परेशानियां झूझते हुए प्रवासी मजदूरों की बेबसी की कहानियां आप ने देखीं, तो मई के महीने में पश्चिम बंगाल में अम्फान तूफ़ान ने भी जमकर तबाही मचाई. इस साल कोरोना महामारी के चलते प्रवासी मजदूरों का पलायन हो या फिर अम्फान तूफान की तबाही, क्विंट के रिपोटर्स ने ग्राउंड से आप तक हर खबर पहुंचाई. इसीलिए ये एक साल रिपोर्टिंग के लिए कैसा रहा उस पर आज क्विंट के रिपोर्टर्स के अनुभव आप को सुनाएंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
2020 में कोरोना वायरस के अलावा भी काफी कुछ ऐसा हुआ, जिसे आने वाले कई सालों तक याद रखा जाएगा. इंडियन जुडिशियरी में इस साल कई ऐसे चीजें हुईं, जिन्हें लेकर आगे जरूर चर्चा होगी. फिर चाहे वो प्रशांत भूषण के दो ट्वीट्स को लेकर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट वाला मामला हो या फिर ऐसे मामले जिन पर कोर्ट ने उस तरह से काम नहीं किया, जैसी उम्मीद थी. कई मामलों में हाईकोर्ट के फैसले सुप्रीम कोर्ट के फैसलों से बेहतर दिखे और दोनों के किसी भी केस को समझने के तरीकों में फर्क नजर आया. कई जरूरी मामलों पर देरी से सुनवाई हुई और कई गैरजरूरी मामलों को ज्यादा अहमियत दी गई. कुल मिला कर ये साल इंडियन जुडिशियरी के लिए काफी चुनौतीभरा रहा. 2020 में हुए कुछ अहम और बड़े मामलों की रौशनी में आज भारत के कोर्ट्स की परफॉरमेंस पर बात करेंगे. मसलन CAA विरोध प्रदर्शन हो या कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने से सम्बंधित याचिकाएं हों, प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर याचिकाएं हो या नफरत फैलाने वाले टीवी चैनेल्स के खिलाफ कोई लीगल स्टैंड लेना हो. इन केसेस ने भारत की जुडिशियरी के तरीकों को समझने का मौका दिया है. अब ये तरीके सही हैं या ग़लत, इन्ही पर आज इस पॉडकास्ट में बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के सितारे गर्दिश में हैं. खतरा किसी और से नहीं बल्कि अपनी ही सहयोगी पार्टी बीजेपी से है. अरुणाचल प्रदेश से पार्टी को एक बड़ा झटका लगा. अरुणाचल में पार्टी के 7 विधायक थे, जिनमें से 6 विधायकों ने अब बीजेपी का हाथ थाम लिया है. इससे पहले बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी और JDU के बीच तनाव की सुगबुगाहट तो थी ही लेकिन अब अरुणाचल में दल बदलू विधायकों ने इस 'डूम्ड अलायन्स' के भविष्य पर दोबारा सवाल खड़े कर दिए हैं वो सवाल क्या है? उन्हें एक-एक करके आज पॉडकास्ट में समझेंगे लेकिन इस पर भी बात करेंगे कि अरुणाचल में इस प्लाट-ट्विस्ट से क्या बिहार NDA में क्लाइमैक्स दिखेगा? पॉडकास्ट में सुनिए पोलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट और एनालिस्ट अमिताभ तिवारी को. साथ में सुनिए क्विंट के पॉलिटिक्ल एडिटर आदित्य मेनन को भी. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
साल 2020 एक ऐसा साल रहा जिसमें दुनियाभर में तमाम तरह के उतार-चढ़ाव देखे गए. अचानक से दौड़ती भागती दुनिया जैसे कुछ महीनों के लिए थम सी गई थी. अर्थव्यवस्था से लेकर तमाम चीजों के पहिए जाम हो गए. जब लॉकडाउन के बाद फिर से चीजें शुरू हुईं तो काफी कुछ बदल चुका था. वर्क फ्रॉम होम से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क जैसी चीजें न्यू नॉर्मल बन गईं. अब सभी लोग कोरोना महामारी के बीच जीना सीख चुके हैं और ऐसे ही सब कुछ चल रहा है. भारत की अगर बात करें तो इस साल कोरोना महामारी के अलावा भी बहुत कुछ हुआ. जिसे याद रखा जाएगा. साल की शुरुआत ही हिंसा और प्रदर्शनों से हुई. नागरिकता कानून के विरोध में लोग सड़कों पर थे और कई जगहों पर इसे लेकर दंगे भी हुए. सैकड़ों की जान गई. महामारी शुरू होते ही लॉकडाउन तो लगाया गया, लेकिन प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. बिना पैसे के शहरों में दिन गुजार रहे मजदूरों ने पैदल ही अपने गांवों के लिए यात्रा शुरू कर दी. हजारों मजदूरों और उनके बीवी बच्चों की पैदल चलते हुए तस्वीरें कई सालों तक हमारे जहन में रहेंगीं. इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर हुआ तमाशा भी देश ने देखा, वहीं हाथरस में फिर एक लड़की के साथ हैवानियत और पुलिस-प्रशासन की लापरवाही को लेकर जमकर प्रदर्शन हुए. जिसे आखिर में राजनीति का नाम देकर दबा दिया गया. बात राजनीति की हुई है तो आपको बता दें कि सिर्फ यही मामला नहीं बल्कि कई मामलों में जमकर राजनीति हुई. सुशांत सिंह मामले में और बिहार चुनावों में महामारी और वैक्सीन को लेकर भी राजनीति हुई. इसके बाद केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर संसद में हंगामा देखा और अब इसी मामले को लेकर हजारों किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं अब पश्चिम बंगाल चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. तो आज पॉडकास्ट में बात करेंगे 2020 में भारत की राजनीती के बारे में. और अगले साल इससे होने वाले असर के बारे में. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कई चीजें लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हो पाईं, लेकिन इन तमाम विवादों के बाद आखिरकार पहला बड़ा चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ. जिला विकास परिषद यानी डीडीसी चुनावों के नतीजे घोषित हो चुके हैं. इसमें कश्मीर और जम्मू की 280 सीटों पर चुनाव हुए. साथ ही 2,178 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई. मुकाबला बीजेपी और फारूक अब्दुल्लाह के नेतृत्व में बने पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) के बीच था. जहां जम्मू रीजन में बीजेपी बाजी मारने में कामयाब रही, वहीं कश्मीर घाटी में गुपकार गठबंधन का दबदबा कायम रहा. ये तो हो गई डीडीसी चुनाव की खबर लेकिन पूरी पिक्चर इसके मुख्य पहलुओं को समझने के बाद ही साफ होगी. मसलन, एक नई यूनियन टेरिटरी बनने के बाद कश्मीर में इन चुनावों के मायने क्या हैं? गुपकार के लिए कश्मीर में ये चुनाव जीतने का क्या मतलब है? और बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन गठबंधन का मुकाबला उस तरह नहीं कर पाई, क्या ये बीजेपी की जीत है या फिर इसे हार माना जाएगा? इन सभी बातों को समझेंगे आज इस पॉडकास्ट में. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
पिछले साल CAA विरोध प्रदर्शन को लेकर अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के साथ काफी सुर्ख़ियों में रही. इसके बाद नागरिकता कानून के समर्थकों ने AMU को 'मिनी-पाकिस्तान' तक कहा. इस यूनिवर्सिटी की इमेज कुछ इस तरह बनाई गई कि आज तक कई लोग शक की निगाहो से एएमयू को देखते हैं. लेकिन, जिसे कुछ महीने पहले तक मिनी पाकिस्तान नाम दिया जा रहा था, 22 दिसंबर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने AMU की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर इसे 'मिनी-इंडिया' कह डाला. पूरे संबोधन में PM मोदी ने यूनिवर्सिटी की खूब तारीफें की. जिसे मुस्लिम स्कॉलर्स और इंटेलेक्चुअल्स काफी पॉजिटिव बता रहे हैं लेकिन भाषण में कई चीज़ें ऐसी थी, जो मिसिंग थी और मेल नहीं खा रही थीं. एक लाइन में कहें तो एक तरफ तो PM मोदी अपने भाषण में ये कहते हैं की ग़रीबों के लिए उनकी योजनाएं धर्म के आधार पर नहीं हैं, लेकिन जिन एक्सपर्ट्स को आप इस पॉडकास्ट में सुनेंगे, उनका कहना है की मोदी सरकार की धर्म के आधार पर बनी पॉलिसियां एक ही धर्म के लोगों को टारगेट कर रही हैं. तो कथनी और करनी के फर्क को यहां पहचानना बड़ा ज़रूरी है. इसी पर तफ्सील से आज अपने एमिनेंट एक्सपर्ट्स से बात करेंग. पॉडकास्ट में सुनिए पूर्व एमपी और सीनियर पोलिटिकल एनालिस्ट, शाहिद सिद्दीकी को, इतिहासकार सय्यद इरफ़ान हबीब को, और सुनिए लेखक और एनालिस्ट सुधींद्र कुलकर्णी को भी जिन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी के रूप में काम किया है. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
करीब 10 महीने से दुनिया खतरनाक कोरोना वायरस से लड़ रही है, लेकिन वैक्सीन आने की खबर से दुनियाभर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. हर कोई सिर्फ वैक्सीन डोज लेने का इंतजार कर रहा था, क्योंकि लंबे लॉकडाउन और कई अपनों को खोने के बाद आखिरकार इस महामारी का इलाज मिलता दिख रहा था. लेकिन कोरोना वायरस ने लोगों की इस खुशी को ज्यादा देर तक नहीं टिकने दिया, अब इस घातक वायरस ने अपना रूप बदल लिया है और पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो चुका है. ब्रिटेन में इस वायरस के एक ऐसे स्ट्रेन के बारे में पता चला जो काफी तेजी के साथ फैल रहा है. ये खबर सुनते ही तमाम देशों में एक बार फिर हड़कंप सा मच गया है. देशों ने जो गलती पहले की थी, उसे अब दोहराना नहीं चाहते हैं. इसीलिए भारत समेत तमाम देशों ने ब्रिटेन से आने वाली सभी फ्लाइट्स पर बैन लगा दिया है. आखिर कोरोना का ये नया रंग रूप कितना खतरनाक है, और जिस वैक्सीन को बनाने में दुनिया भर की मेडिकल fraternity ने एढ़ी चोटी का जोर लगा दिया, क्या वो इस नए स्ट्रेन के खिलाफ उतनी ही असरदार होगी या फिर इसके लिए कोई नई वैक्सीन तैयार करनी होगी? कोरोना के इस नए स्ट्रेन से जुड़े कुछ ऐसी ही जरूरी सवालों का जवाब आज इस पॉडकास्ट में देंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
जिस कोरोना वैक्सीन का दुनियाभर में इंतजार हो रहा था वो अब आ चुकी है, कई देशों ने इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी भी दे दी है और दुनिया के तमाम देशों में इसका प्रोसेस जारी है. यानी लोगों तक वैक्सीन अब जल्द ही पहुंच सकती है. लेकिन वैक्सीन जल्द आने की उम्मीद के साथ वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर डर बढ़ भी रहा है. वैक्सीन के साइड इफेक्ट की खबरें भी लोगों को परेशान कर रही हैं. वैक्सीन का डोज लेने को लेकर लोगों के मन में सवाल हैं.
पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सियासी घमासान शुरू हो चुका है. ममता बनाम केंद्र की लड़ाई तो काफी पहले से चल रही थी, लेकिन अब चुनाव नजदीक देखकर जोरआजमाइश तेज हो चुकी है. 2021 में होने वाले बंगाल चुनाव कई मायनों में खास हैं. क्योंकि बीजेपी बिहार चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अब पश्चिम बंगाल में अपना झंडा गाड़ना चाहती है.
17 दिसंबर से टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ बॉर्डर गावस्कर सीरीज खेलने जा रही है. ये भले ही टेस्ट मैचों की सीरीज है लेकिन इस सीरीज की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने पिछली सीरीज में मिली जीत को वर्ल्ड कप में विजय से भी बड़ा माना था. जी हां 2018-19 में खेली गई बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया पर भारत की जीत खासी अहम थी. अब फिर से वही मौका आया है और टीम इंडिया ये इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर है. इससे टेस्ट सीरीज से पहले भारत, ऑस्ट्रेलिया के साथ वनडे और टी-20 सीरीज खेल चुका है. जहां वनडे में ऑस्ट्रेलिया भारत पर भारी पड़ता दिखा, वहीं टी-20 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को जमकर आड़े हाथों लिया.
निर्भया के गुनाहगारों को इस साल 20 मार्च को फांसी तो दे दी गई, लेकिन रेप जैसे खौफनाक अपराध के खिलाफ हमारी जंग अब भी जारी है. फांसी की सजा के बाद लगा कि अब ऐसा काम करने वालों के मन में डर पैदा होगा और बालात्कार जैसी हैवानियत के मामले कम होंगे. लेकिन इसके बाद भी लगातार देश के हर हिस्से से ऐसी कई दरिंदिगी की खबरें सामने आईं. इनसे कहीं न कहीं ये तो साबित हो गया कि कड़ी सजा उसका इलाज नहीं है, बल्कि जरूरत समाज को और उसकी सोच को बदलने की है. महिलाओं के खिलाफ अपराध की ये चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र सरकार शक्ति कानून लाने की तैयारी में है. इस प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी भी मिल चुकी है. इसमें महिलाओं के प्रति अपराध के लिए सजा ए मौत जैसी कड़ी सजा का प्रावधान भी है. लेकिन महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने इसका विरोध किया है और कहा है कि शक्ति विधेयक महिलाओं के बारे में पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है, और इसे वर्तमान रूप में पारित नहीं किया जाना चाहिए। क्यूंकि नीतियों और कानूनों में सजा पर फोकस ना करते हुए अगर हम 'मानसिकता' पर फोकस करेंगे तो वो बेहतर होगा. आज शक्ति बिल के लीगल पहलू को समझेंगे और साथ ही भारत में रेप जैसी गंभीर समस्या पर क्या सवाल पूछे जाने चाहिए, उस पर भी बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
CAA कानून को पास हुए एक साल पूरा हो चुका है. इस कानून के तहत पाकिस्ताान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है, जो प्रताड़ित होकर भारत में रह रहे हैं. लेकिन शर्त ये है कि वो मुस्लिम समुदाय के नहीं होने चाहिए. यानी मुस्लिमों को इस कानून के तहत नागरिकता नहीं मिलेगी. इसी बात को लेकर पिछले साल कई प्रदर्शन और हिंसक प्रदर्शन हुए. ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी कानून के तहत नागरिकता देने में धर्म को आधार बनाया गया हो. एक साल बाद इस कानून को याद करने की वजह सिर्फ इतनी नहीं है. हम सीएए को याद इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसी कानून की वजह से सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी, सैकड़ों लोग बेघर हो गए, क्योंकि उनके घर दंगों में जला दिए गए. यानी प्रदर्शन ने कई घरों को बुरी तरह उजाड़कर रख दिया. सैकड़ों लोग इन प्रदर्शनों की वजह से जेल भी गए. आज बिग स्टोरी पॉडकास्ट में CAA के एक साल पूरा होने पर क्विंट की ख़ास कवरेज आप को सुनाएंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज क्विंट की सीरिज जिसका नाम है ‘सीएए: ऐसा न हो कि हम भूल जाएं’ में देखिए CAA के एक साल पूरा होने पर हमारा ख़ास कवरेज: https://bit.ly/3acS4Ho https://bit.ly/2Lzq5HM https://bit.ly/3oWhEop
पीएम किसान योजना (https://hindi.thequint.com/tech-and-auto/pm-kisan-scheme-aadhaar-numbers-riteish-deshmukh-hanuman-pakistan-spy-get-cash-as-farmers) का जिक्र आपने कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के कई बड़े नेताओं से सुना होगा. अब इसी योजना के तहत बॉलीवुड एक्टर रितेश देशमुख, भगवान हुनमान, यानी बजरंगबली और एक पाकिस्तान जासूस को बतौर किसान पैसे ट्रांसफर हुए हैं. रुकिए... रुकिए हम आपको समझाते हैं कि असली माजरा क्या है. दरअसल इन लोगों का आधार कार्ड इस्तेमाल कर पीएम किसान योजना में फर्जीवाड़ा हुआ है. भगवान हनुमान, रितेश देशमुख और पाक जासूस महबूब राजपूत के नाम पीएम किसान योजना के तहत रजिस्टर कराए गए और पैसे ट्रांसफर हुए. क्विंट की एक इन्वेस्टीगेशन से ये पता चला है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आधार कार्ड के साथ बनाए गए फर्जी खातों का उपयोग पीएम किसान योजना तहत मिलने वाली नक़द राशि का फायदा उठाने के लिए किया है. इस मामले की गंभीरता और इस से बचने के उपाय के बारे में आज पॉडकास्ट में बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
गोहत्या को लेकर अब कर्नाटक की सरकार ने विधेयक पास किया है. जिसके बाद अब राज्य में गो हत्या पर पूरी तरह से बैन लग चुका है. वहीं अगर कोई अवैध तौर पर गाय की तस्करी या इधर-उधर ले जाता हुआ पाया गया तो उसे भी कड़ी सजा का प्रावधान है. बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण बिल-2020 विधानसबा में पेश किया था. जिसके बाद इसे पास कर दिया गया. लेकिन इस बिल में जो लिखा है उसे कानूनी भाषा में कैसे समझें, और जानवरों को बचाने के लिए बनाया गया ये कानून कहीं किसी ह्यूमन राइट्स का तो उल्लंघन नहीं कर रहा? आज बिग स्टोरी पॉडकास्ट में इस कानून के लीगल पहलुओं को तफ्सील से समझेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
यूं तो दिल्ली में सैर सपाटे के लिए कई अच्छी जगह हैं, लेकिन एक ऐसा वीवीआईपी इलाका है जहां पर सुबह 5 बजे से लेकर रात 12 बजे तक आपको भीड़ नजर आएगी. इंडिया गेट से लेकर राजपथ के पूरे इलाके में मॉर्निंग वॉक से लेकर साइकिलिंग, पिकनिक, फोटोग्राफी और तमाम तरह की चीजें होती हैं. ये सेंट्रल दिल्ली का सबसे खूबसूरत और साफ सुथरा इलाका है. संसद भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक इसी इलाके में आते हैं. लेकिन अब ये पूरा इलाका सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा में है. सेंट्रल विस्टा राजपथ के दोनों तरफ के इलाके को कहते हैं. राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के करीब प्रिंसेस पार्क का इलाका इसके अंतर्गत आता है. इस पूरे इलाके को नए तरीके से बनाने के प्रोजेक्ट को ही सेंट्रल विस्टा नाम दिया गया है. जिसमें संसद की नई इमारत बनाने का भी प्रस्ताव है. लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर कुछ लोगों ने विरोध जताया है और मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है. पर्यावरण एक्टिविस्ट, इतिहासकार, हेरिटेज एक्सपर्ट्स की शिकायत है कि नेशनल कैपिटल की शनाख्त बदली जायेगी और दिल्ली ही के लोगों से मश्वरा नहीं किया जाएगा? तो ये कहां की डेमोक्रेसी है? साथ ही कई पेड़ों के काटे जाने को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. फिलहाल प्रोजेक्ट के शिलान्यास की इजाज़त सुप्रीम कोर्ट ने दे दी है, और 10 दिसम्बर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस सपने को शुरू करने के लिए फाउंडेशन स्टोन रखेंगे। आज पॉडकास्ट में बात करेंगे कि सेंट्रल विस्टा आखिर क्या है और दिल्ली में सेंट्रल विस्टा का बनना इसकी हेरिटेज पर किस तरह का खतरा है. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद गेस्ट: सुहैल हाशमी, इतिहासकार, हेरिटेज एक्सपर्ट असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
केंद्र की मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने भारत बंद बुलाया. देशभर के कई राज्यों के किसानों ने इस बंद को अपना समर्थन दिया था और इसका असर भी देखने को मिला. कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी तमाम राज्यों में कहीं न कहीं बंद का असर दिखा. हर तरफ अपने-अपने तरीकों से विरोध जताया गया और सरकार तक आवाज पहुंचाने की कोशिश हुई. कहीं सड़को पर नारे लगते दिखे तो कहीं स्टेज पर किसानों के लिए कविताएं पढ़ी गईं और कहीं सड़कों पर औरतें कीर्तन करती दिखी. जब ये सब चल रहा था तब लंगर खिलाते हुए प्रदर्शनकारियों का सेवाभाव भी नजर आया. इस बीच क्विंट के रिपोर्टर देश भर के भारत बंद की तसवीरें भेजते रहे, कहानियां जमा करते रहे. और इन्ही सबको मिला कर आज आप को पॉडकास्ट में सुनाएंगे की किसानो के इस भारत बंद में क्या माहौल रहा. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
दुनिया में सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन तो कई होते हैं, लेकिन इनमें से ज्यादा प्रदर्शनों को सरकार समर्थक ताकतें नए-नए रूप देकर दबाने की कोशिश में जुटी रहती हैं. भारत में भी हर प्रदर्शन की तरह देश के अन्नदाता किसानों के प्रदर्शन को नए रंग देने की खूब कोशिश हुई और हो रही है. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन को झूठा साबित करने के लिए कई तरह के प्रोपेगेंडा चलाए गए. ए्क्टर कंगना रनौत ने भी एक ऐसी ही फेक तस्वीर को शेयर किया था, जिसमें उन्होंने एक महिला किसान को शाहीन बाग की दादी बता दिया. हालांकि इसके बाद पंजाबी स्टार दिलजीत दोसांझ ने कंगना को जमकर आड़े हाथों लिया. लेकिन ऐसी खबरें फैलाने में सिर्फ सोशल मीडिया की ही भूमिका नहीं है, बल्कि मेन स्ट्रीम मीडिया ने भी जमकर किसान आंदोलन को लेकर ऐसी खबरें चलाईं, जिनमें कभी इसे खालिस्तानी आतंकियों से जोड़कर बताया गया तो कभी विपक्ष का प्लांट किया गया आंदोलन करार दिया गया. इसीलिए कुछ किसानों ने मेनस्ट्रीम मीडिया का बायकॉट भी किया और सवाल पूछा कि वो ऐसी खबरें क्यों दिखाते हैं? किसानों को ये पहले से ही पता था कि सरकार विरोधी हर आंदोलन की तरह उनके इस आंदोलन को भी नया अमलीजामा पहनाने का काम जरूर होगा. इसीलिए किसान नेताओं ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनके मंच पर कोई भी राजनीतिक दल का नेता नहीं आएगा. अब भारत बंद को लेकर भी किसानों ने कहा है कि नेताओं के समर्थन का तो वो स्वागत करते हैं, लेकिन उनसे गुजारिश है कि वो अपने झंडे घर पर ही छोड़कर आएं. हम बात कर रहे थे, लोगों तक सूचना पहुंचाने वाले मीडिया की, कि कैसे उसने किसानों के इस आंदोलन में भी सेंध लगाने की कोशिश की. लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया का काम इस दौरान कई छोटे यूट्यूबर और सोशल मिडिया इन्फ्लुएंसर्स कर रहे हैं. आज इसी पर पॉडकास्ट में बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
आज हैदराबाद मुनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनावों के नतीजे आ गए हैं. आप पहली बार GHMC चुनाव की राष्ट्रीय स्तर पर इतनी चर्चा होती देख रहे होंगे, राज्यों के चुनाव नतीजों की तरह एक मुनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव की मीडिया कवरेज हो रही है. इस मीडिया कवरेज की वजह है बीजेपी का जबरदस्त चुनावी प्रचार. बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में लगा दी. अब जब रुझान और नतीजे आने लगे हैं तो बीजेपी की मेहनत भी आंकड़ों में झलक रही है. 4 सीट जीतने वाली बीजेपी इस बार 40 सीट के करीब जीतने की स्थिति में आ गई है. शाम 6:40 बजे तक की काउंटिंग के हिसाब से ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में TRS सबसे आगे चल रही है, दूसरे नंबर पर चल रही है बीजेपी. वहीं तीसरे नंबर पर आ गई है औवेसी की पार्टी AIMIM. लेकिन बीजेपी और AIMIM के बीच तगड़ी टक्कर है, कोई भी आगे पीछे हो सकता है. और कांग्रेस का ज्यादातर चुनावों की तरह इस बार भी फिसड्डी प्रदर्शन रहा है. भले ही बीजेपी पहले नंबर पर नहीं है लेकिन फिर भी बीजेपी खेमे में जश्न का सा माहौल लग रहा है. आखिर क्यों? इसको ऐसे समझिये कि इन चुनावों में जीत किसी की भी हो. लेकिन बीजेपी ने औवेसी के गढ़ माने जाने वाले हैदराबाद में अपना मजबूत कदम जमा दिया है. आज पॉडकास्ट में बात करेंगे हैदराबाद मुनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव नतीजों के बारे में. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद सीनियर डेस्क राइटर: वैभव पालिनिटकर म्यूजिक: बिग बैंग फज
पुलिस की कस्टडी में मौत या फिर (कोट अनकोट) हत्या के कई गंभीर मामले हमने पिछले कई सालों में देखे. इसी साल तमिलनाडु के तूतीकोरन में एक बाप और बेटे की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई. 59 साल के जयराज और उनके 31 साल के बेटे का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने कोरोना लॉकडाउन में तय समय के हिसाब से अपनी दुकान का शटर नहीं गिराया था. इसी आरोप में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया और थाने में रातभर जमकर पिटाई की गई. जिससे दोनों की मौत हो गई. इस मामले के बाद कई ऐसे ही मामले सामने आए और हमेशा की तरह कुछ दिनों तक सोशल मीडिया में क्रांति चलाई गई. फिर हमेशा की तरह सब शांत हो गए. लेकिन अब कस्टोडिन डेथ के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है. जिस में राज्यों और केंद्र शासित राज्यों को कहा गया है कि पुलिस थानों में हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, साथ ही इन कैमरों में नाइट विजन और ऑडियो रिकॉर्डिंग की भी सुविधा होनी जरूरी है. SC ने कहा कि ये आदेश संविधान के आर्टिकल 21 को ध्यान में रखते हुए दिया गया है जो लोगों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित रखता है. लेकिन सवाल है कि क्या कैमरे लगाने से क्या पुलिस की सख्ती में कमी आएगी? क्या मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर इस बात की इजाज़त देता है? आज पॉडकास्ट में इन सभी पॉइंट्स पर एक एक करके बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
खेतों में काम करने वाला आज किसान दिल्ली की सड़कों पर है. मोदी सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक हफ्ते से हजारों किसान दिल्ली के अंदर और बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. देश-विदेश से हो रही किरकिरी के बीच केंद्र सरकार ने 1 दिसंबर को किसानों को बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन बात नहीं बन पाई. केंद्र ने किसानों से कहा कि वो 3 दिसंबर को बिंदुवार तरीके से अपनी बात को लिखित तौर पर लाएं. जिस पर चर्चा होगी. साथ ही किसान नेताओं ने बैठक के बाद चेताया कि आंदोलन को और तेज किया जाएगा. किसान इस बार लंबे आंदोलन के मूड में हैं और उनका साफ कहना है कि वो 4 महीने तक दिल्ली में रह सकते हैं. जिसके बाद अब किसानों के गुस्से को शांत कर पाना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है. आज पॉडकास्ट में इस आंदोलन को मिल रहे समर्थन की भी बात करेंगे जो ना सिर्फ नेशनल है, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर मिल रहा है. इस का मतलब क्या है? और अंतराष्ट्रीय स्तर पर ये समर्थन भारत सरकार के लिए क्या सन्देश देता है, इसी पर आज तफ्सील से बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
बिहार के विधानसभा चुनावों में तमाम राजनीतिक दलों की जोर आजमाइश हम सबने देखी. लेकिन इन चुनावों के बाद अचानक हैदराबाद चर्चा में आ गया. हैदराबाद नगर निगम चुनावों में कुछ ऐसा दिखा जो शायद ही पहले किसी लोकल चुनाव में नजर आया हो. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के चुनावों के लिए बीजेपी ने जिस तरीके से प्रचार किया वो काफी चौंकाने वाला था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर स्मृति ईरानी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे राजनीतिक दिग्गजों ने इस चुनाव की गर्मी को और बढ़ा दिया. ओवैसी की एआईएमआईएम, रूलिंग पार्टी टीआरएस और बीजेपी के बीच खूब जुबानी जंग भी चली. लेकिन लोकल चुनाव में बीजेपी की इस एग्रेसिव बैटिंग को अब एक्सपर्ट पार्टी का मिशन साउथ बता रहे हैं. आखिर एक नगर निगम चुनाव पर इतना जोर क्यों है? बीजेपी इस पर क्यों ज़ोर दे रही है, और राज्य की रूलिंग पार्टी, टीआरएस, के लिए ये इलेक्शन जीतना क्यों ज़रूरी है, उनके लिए दांव पर क्या लगा है? इस सब को आज इस पॉडकास्ट में आसान भाषा में समझेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज हो चुका है. 26 नवंबर को दिल्ली चलो आंदोलन से इस प्रदर्शन की शुरुआत हुई और अब किसान पूरी दिल्ली को घेरने की तैयारी में हैं. किसान किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उनकी मांग है कि बिना किसी शर्त केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लेकर उनसे बातचीत करे. पिछले करीब 6 दिनों में किसानों ने दिल्ली आने के लिए काफी कुछ झेला. कई किसान लाठियां खाकर दिल्ली पहुंचे तो सैकड़ों ने पानी की ठंडी बौझारों को झेला. वहीं आंसू गैस के गोलों ने भी किसानों की आंखों को दर्द दिया. कई प्रदर्शनकारी किसानों पर संगीन धाराओं में मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं. अब कई किसान संगठन दिल्ली के बुराड़ी में निरंकारी ग्राउंड पर प्रदर्शन कर रहे हैं और अब वहीं डटे रहने की बात कर रहे हैं. अब केंद्र सरकार की बात करें तो एक तरफ तो गृहमंत्री अमित शाह अपने बाकी नेताओं के बरअक्स ये कह रहे हैं कि ये आंदोलन पोलिटिकल नहीं है. वहीं प्रधान मंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री ने विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया. आज के इस पॉडकास्ट में किसान आंदोलन को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ उसे आसान भाषा में आपको समझाएंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज ये भी सुनिए: https://bit.ly/3mdCZIF https://bit.ly/3laQesj https://bit.ly/2HIWxWD
आंसू गैस के गोले, लाठी चार्ज, पत्थरबाज़ी और ठण्ड में किसानो पर वाटर कैनन से पड़ती पानी की बौछारें, दिल्ली से सटे राज्यों की सीमाओं पर किसान प्रदर्शन के दौरान कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. 26 नवंबर की सुबह से लेकर 27 नवंबर की दोपहर तक जवान और किसानों का कई बार आमना-सामना होता रहा. तमाम आलोचनाओं के बाद आखिरकार किसानों को दिल्ली में घुसने की इजाजत दे दी गई और अब दिल्ली में प्रदर्शन जारी है. कृषि कानूनों को लेकर देश के कई राज्यों के किसान ये प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि ये कानून उनके हित में नहीं हैं और केंद्र सरकार को इन्हें वापस लेना होगा. ये तो हो गया मुद्दा, लेकिन आज पॉडकास्ट में पुलिस और किसानों के बीच जो संघर्ष देखने को मिला, उस पर बात करेंगे. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज ये भी सुनिए: https://bit.ly/3mdCZIF https://bit.ly/3laQesj https://bit.ly/2HIWxWD
26/11/ 2008, ये एक ऐसा दिन था जिसने भारत की मॉडर्न हिस्ट्री में एक काला पन्ना जोड़ दिया, इस आतंकी घटना के बारे में आज 12 साल बाद भी सोचकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं. भारत की मैक्सिमम सिटी, मुंबई में एक ऐसा दिन जब लगातार 4 दिन तक गोलियां चलीं, बम धमाके सुनाई दिए, और लगातार चार दिन तक भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के मीडिया चैनलों की नजर होटल ताज पैलेस पर टिकी रही. वो दिन भुलाया नहीं जा सकता है जब पूरा देश टीवी पर लगातार 4 दिन तक ये आतंक का खतरनाक मंजर देख रहा था, लेकिन पल-पल की खबर लोगों तक पहुंचाने वाले रिपोर्टर्स के जहन में उस काले दिन की यादें आज भी ताजा हैं. ऐसे ही दो महिला रिपोर्ट्स से आज पॉडकास्ट में जानेंगे कि उस दिन की भयानक तस्वीर उनके ज़ेहनो में आज भी कैसे बसी है. पॉडकास्ट में सुनिए मुंबई अटैक को Times Now के लिए उस वक़्त कवर करने वाली रिपोर्टर माहरुख इनायत को. और साथ ही सुनिए शाई वेंकटरमन को भी जो NDTV के लिए 26/11 का अटैक उस दिन कवर कर रहीं थी. रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई म्यूजिक: बिग बैंग फज
'लव जिहाद' पर छिड़ी चर्चा अब कानूनी शक्ल लेने लगी है. मध्य प्रदेश में कानून बनाए जाने के बाद अब यूपी में भी कथित रूप से अपराध बताए जाने वाले 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून बनाने के लिए अध्यादेश पास हो चुका है. मध्य प्रदेश में 5 साल की सजा की बात कही गई थी, लेकिन यूपी में 10 साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है. लेकिन पॉडकास्ट में पहले ही डिसक्लेमर के तौर पर बता दिया जाना चाहिए कि लव जिहाद एक ऐसा शब्द है जिसकी कानूनी तौर पर कोई न तो परिभाषा है न ही कोई प्रमाणित सबूत या आंकड़े हैं. परिभाषा और आंकड़ों को लेकर हमने पिछले हफ्ते भी पॉडकास्ट किया था. आज भी इस पॉडकास्ट में लव जिहाद पर फिर से बात करेंगे, लेकिन आज इसके कानूनी पक्ष पर जोर रहेगा. रिपोर्ट: फबेहा सय्यद सीनियर डेस्क राइटर: वैभव पालिनिटकर म्यूजिक: बिग बैंग फज