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    • May 12, 2024 LATEST EPISODE
    • monthly NEW EPISODES
    • 7m AVG DURATION
    • 212 EPISODES


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    मदर्स डे

    Play Episode Listen Later May 12, 2024 15:11


    मदर्स डे, माताओं के सम्मान में छुट्टी है जो दुनिया भर के देशों में मनाया जाता है। अपने आधुनिक रूप में छुट्टी की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई, जहां यह मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। कई अन्य देश भी इस तिथि पर छुट्टी मनाते हैं, जबकि कुछ वर्ष के अन्य समय में छुट्टी मनाते हैं। मध्य युग के दौरान उन लोगों को अनुमति देने की प्रथा विकसित हुई जो लेंट के चौथे रविवार, लातेरे रविवार को अपने घर के पारिशों और अपनी माताओं से मिलने की अनुमति देते थे। यह ब्रिटेन में मदरिंग संडे बन गया, जहां यह आधुनिक समय तक जारी रहा, हालांकि इसे बड़े पैमाने पर मदर्स डे से बदल दिया गया है। Tag #mothersday #mothersdaygift #love #happymothersday #mom #mother #family #motherhood #giftideas #gift #handmade #fathersday #momlife #mothers #mothersdaygifts #flowers #mothersdaygiftideas #shoplocal #mama #birthday #gifts #smallbusiness #instagood #supportsmallbusiness #mum #shopsmall #fashion #happy #stayhome #giftsforher मदर्स डे किसने बनाया? मदर्स डे किसने बनाया? 10 मई, 1908 को अमेरिकी कार्यकर्ता अन्ना जार्विस ने पहला मातृ दिवस समारोह आयोजित किया था। इस लेख के लिए सभी वीडियो देखें फिलाडेल्फिया की अन्ना जार्विस, जिनकी माँ ने दोस्ती और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए महिला समूहों का आयोजन किया था, ने मातृ दिवस की शुरुआत की। 12 मई, 1907 को, उन्होंने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन में अपनी दिवंगत मां के चर्च में एक स्मारक सेवा आयोजित की। पाँच वर्षों के भीतर लगभग हर राज्य इस दिन को मनाने लगा, और 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति। वुडरो विल्सन ने इसे राष्ट्रीय अवकाश बना दिया। हालाँकि जार्विस ने अपनी मां को श्रद्धांजलि देने के लिए सफेद कार्नेशन पहनने को बढ़ावा दिया था, लेकिन जीवित मां का प्रतिनिधित्व करने के लिए लाल या गुलाबी कार्नेशन या मृत मां के लिए सफेद कार्नेशन पहनने का रिवाज विकसित हुआ। समय के साथ इस दिन का विस्तार किया गया और इसमें अन्य लोगों को भी शामिल किया गया, जैसे दादी और चाची, जिन्होंने माँ की भूमिका निभाई। जो मूल रूप से मुख्य रूप से सम्मान का दिन था, वह कार्ड भेजने और उपहार देने के साथ जुड़ गया, और, इसके व्यावसायीकरण के विरोध में, जार्विस ने अपने जीवन के आखिरी साल उस छुट्टी को खत्म करने की कोशिश में बिताए जिसे वह अस्तित्व में लेकर आई थी। . व्हिस्लर की माँ कैसे अमेरिकी आइकन बन गईं? व्हिस्लर की माँ कैसे अमेरिकी आइकन बन गईं? अमेरिकी कलाकार जेम्स मैकनील व्हिस्लर ने 1871 में ग्रे और ब्लैक नंबर 1 में अरेंजमेंट चित्रित किया, जिसे व्हिस्लर्स मदर के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख के लिए सभी वीडियो देखें माताओं और मातृ देवियों का सम्मान करने वाले त्यौहार प्राचीन काल से चले आ रहे हैं। फ़्रीजियंस ने देवताओं की महान माता साइबेले के लिए एक उत्सव आयोजित किया, जैसा कि यूनानियों ने देवी रिया के लिए किया था। इसी तरह, रोमनों ने इस प्रथा को अपने पंथ के अनुसार अनुकूलित किया। कुछ देशों ने प्राचीन त्योहारों को मनाना जारी रखा है; उदाहरण के लिए, देवी दुर्गा का सम्मान करते हुए, दुर्गा-पूजा, भारत में एक महत्वपूर्ण त्योहार बना हुआ है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Important Days in May 2024

    Play Episode Listen Later Apr 30, 2024 15:07


    < marquee h1 > International and National Dates in May मई 2024 में आने वाले महत्वपूर्ण दिन जो की आपके लिए काम आ सकते है 1 मई: महाराष्ट्र दिवस, गुजरात दिवस, 3 मई - प्रेस स्वतंत्रता दिवस, 4 मई - कोयला खनिक दिवस 4 मई - अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस महाराणा प्रताप जयंती का अवसर चित्तौड़ के पहले जन्मदिन के शानदार और बहादुर शासन का सम्मान करता है। वह एक महान योद्धा, राजस्थान का गौरव और डरने वाली ताकत थे। वह मेवाड़ राजा राणा उदय सिंह द्वितीय के पुत्र थे। 12 मई - अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन के उपलक्ष्य में हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में समाज में नर्सों द्वारा किये गये योगदान का भी जश्न मनाता है। इस दिन इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज संगठन हर साल एक अलग थीम के साथ विश्व स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को शिक्षित और सहायता करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय नर्स किट का उत्पादन करता है। हिंदी भाषा का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड 30 मई को प्रकाशित हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को कलकत्ता से साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में इसकी शुरुआत की थी। 31 मई - तम्बाकू विरोधी दिवस लोगों को स्वास्थ्य पर तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने और शिक्षित करने के लिए हर साल 31 मई को दुनिया भर में तंबाकू विरोधी दिवस या विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, जो हृदय रोगों, कैंसर, दांतों की सड़न, दांतों में दाग आदि का कारण बनता है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव 'चेटीचंड'

    Play Episode Listen Later Apr 5, 2024 2:56


    चाहे वह दीपावली हो, ईद हो, क्रिसमस हो या भगवान झूलेलाल जयंती। यहाँ अनेकता में एकता के दर्शन होते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों, समुदायों और जातियों का समावेश है। इसलिए यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है कि यहाँ सभी धर्मों के त्योहारों को प्रमुखता से मनाया जाता है भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव 'चेटीचंड' के रूप में सिंधी समुदाय का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस त्योहार से जुड़ी हुई वैसे तो कई किवंदतियाँ हैं सिंधी समुदाय व्यापारिक वर्ग रहा है सो ये व्यापार के लिए जब जलमार्ग से गुजरते थे तो कई विपदाओं का सामना करना पड़ता था। जैसे समुद्री तूफान, जीव-जंतु, चट्टानें व समुद्री दस्यु गिरोह जो लूटपाट मचाकर व्यापारियों का सारा माल लूट लेते थे। परंतु प्रमुख यह है कि चूँकि इसलिए इनके यात्रा के लिए जाते समय ही महिलाएँ वरुण देवता भगवान झूलेलाल जल के देवता हैं अतः ये सिंधी लोग के आराध्य देव माने जाते हैं की स्तुति करती थीं व तरह-तरह की मन्नते माँगती थीं। चूँकि जब पुरुष वर्ग सकुशल लौट आता था। मन्नतें पूरी की जाती थी व भंडारा किया जाता था। तब चेटीचंड को उत्सव के रूप में मनाया जाता था। सन् 1952 में प्रोफेसर राम पंजवानी ने सिंधी लोगों को एकजुट करने के लिए अथक प्रयास किए। वे हर उस जगह गए जहाँ सिंधी लोग रह रहे थे पार्टीशन के बाद जब सिंधी समुदाय भारत में आया तब सभी तितर-बितर हो गए। तब । उनके प्रयास से दोबारा भगवान झूलेलाल का पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा जिसके लिए पूरा समुदाय उनका आभारी है। आज भी समुद्र के किनारे रहने वाले जल के देवता भगवान झूलेलाल जी को मानते हैं। इन्हें अमरलाल व उडेरोलाला भी नाम दिया गया है। भगवान झूलेलाल जी ने धर्म की रक्षा के लिए कई साहसिक कार्य किए जिसके लिए इनकी मान्यता इतनी ऊँचाई हासिल कर पाई। जिन मंत्रों से इनका आह्वान किया जाता है उन्हें लाल साईं जा पंजिड़ा कहते हैं। वर्ष में एक बार सतत चालीस दिन इनकी अर्चना की जाती है जिसे 'लाल साईं जो चाली हो' कहते हैं। इन्हें ज्योतिस्वरूप माना जाता है अतः झूलेलाल मंदिर में अखंड ज्योति जलती रहती है, शताब्दियों से यह सिलसिला चला आ रहा है। ज्योति जलती रहे इसकी जिम्मेदारी पुजारी को सौंप दी जाती है। संपूर्ण सिंधी समुदाय इन दिनों आस्था व भक्ति भावना के रस में डूब जाता है। अखिल भारतीय सिंधी बोली और साहित्य ने इस दिन 'सिंधीयत डे' घोषित किया है। आज भी जब कोई सिंधी परिवार घर में उत्सव आयोजित करता है तो सबसे पहले यही गूँज उठती है। 'आयोलाल झूलेलाल' बेड़ा ही पार अर्थात इनके नाम का जयघोष करने से ही सब मुश्किलों से पार हो जाएँगे। सभी को झूलेलाल महोत्सव चेटीचंड की हार्दिक शुभकामनाएँ। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    होली कुंभ 2024

    Play Episode Listen Later Mar 22, 2024 3:52


    होली कुंभ 2024 होली कुंभ 2024' में जयपुर की सबसे बड़ी ओपन-एयर होली पार्टी की भव्यता का अनुभव करें! 25 मार्च को पोलो ग्राउंड में रंगों के ऐसे विस्फोट के लिए गुलाबी शहर में सबसे विशाल उत्सव के लिए तैयार रहें, जो पारंपरिक उत्सवों से परे एक अविस्मरणीय अनुभव का वादा करता है। आनंद और उल्लास के जीवंत कैनवास के लिए तैयार हो जाइए!" जी हाँ एक नया अनुभव 50 से अधिक प्रसिद्ध कलाकार: 50 से अधिक प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ संगीत शैलियों के मिश्रण में डूब जाएं और अपने गतिशील प्रदर्शन से मंच पर आग लगा दें। राजस्थान के शीर्ष डीजे: राजस्थान के शीर्ष डीजे नवीनतम ट्रैक घुमाते हुए धुनों को गूंजने दें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भीड़ पूरे दिन थिरकती रहे। लाइव संगीत और नृत्य प्रदर्शन: लाइव संगीत और मनमोहक नृत्य प्रदर्शन के जादू का अनुभव करें जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    world consumer day

    Play Episode Listen Later Mar 14, 2024 5:01


    विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व वैसे तो विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च को मनाया जाता है, लेकिन भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस 24 दिसंबर को मनाया जाता है। क्योंकि भारत के राष्‍ट्रपति ने उसी दिन ऐतिहासिक उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1949 के अधिनियम को स्वीकारा था। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी से शुरू होता है। 15 मार्च, 1962 को उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस को एक विशेष संदेश भेजा, ऐसा करने वाले वे पहले नेता थे। उपभोक्ता आंदोलन इस प्रकार 1983 में शुरू हुआ और हर साल इस दिन, संगठन उपभोक्ता अधिकारों के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दों और अभियानों पर कार्रवाई करने का प्रयास करता है। बता दें, कोई भी आधिकारिक साइट से दुनिया भर में आयोजित विभिन्न घटनाओं और अभियानों की जांच कर सकता है। उपभोक्ता वे लोग हैं जो वस्तुएं या सेवाएं खरीदते और उपयोग करते हैं। उपभोक्ताओं को उनके द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी सेवा या सामान के लिए शिकायत दर्ज करने का अधिकार है- सामान और सेवाओं को खरीदने व उपयोग करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता में ऐसा कोई भी व्यक्ति शामिल होता है जो वस्तुओं और सेवाओं को खरीदता है, साथ ही उनका उपयोग करने वाला व्‍यक्ति भी इसमें शामिल होता है। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो सिनेमा का टिकट खरीदने के बाद फिल्म देखता है वह उपभोक्ता है, और इसी तरह, जो व्यक्ति किसी और से उपहार में उपहार वाउचर पाकर उसका उपयोग करता है, वह भी उपभोक्ता है। स्वरोज़गार के लिए सामान का उपयोग करने वाला व्यक्ति, न कि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून उन लोगों पर लागू नहीं होता है जो वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए वस्तुओं व सेवाओं का उपयोग करते हैं। हालांकि, इसके कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो अपने व्यवसाय में उपयोग करने के लिए बड़ी मशीनें खरीदता है, वह ‘उपभोक्ता' नहीं है। हालांकि, जो लोग स्वरोज़गार के लिए माल का उपयोग करते हैं उन्हें उपभोक्ता माना जाता है। उदाहरण के लिए, वे कलाकार जो अपने काम के लिए कला सामग्री खरीदते हैं या सौंदर्य उत्पाद खरीदने वाले ब्यूटीशियन भी उपभोक्ता हैं। ऑनलाइन सुविधाओं का उपयोग करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता में वह व्यक्ति भी शामिल होता है जो ऑनलाइन सामान या सेवाएं खरीदता या किराए पर लेता है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी कपड़े की वेबसाइट से ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, तो आप एक उपभोक्ता हैं। भोजन से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे लोग उपभोक्ताओं में वे लोग भी शामिल हैं जो खाद्य पदार्थों संबंधी मुद्दों का सामना कर रहे हैं, जैसे कि मिलावट, खराब गुणवत्ता, सेवा की कमी, आदि। उदाहरण के लिए, भोजन से संबंधित मुद्दों में उत्पादों की विविध समस्याएं आ सकती हैं-जूसों जैसी चीज़ों के उत्पादन में उपयोग होने वाले पानी के साथ-साथ चिकन, मटन आदि की बिक्री में जो स्पष्‍ट रूप से मानव उपभोग के लिए हैं। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Valentine's Day

    Play Episode Listen Later Feb 14, 2024 4:32


    Hello, and welcome to Pinkcity podcast, where we delve into matters of the heart, relationships, and everything in between. I'm Sisodia and today's episode is all about Valentine's Day – a day dedicated to love, romance, and connection. बुतपरस्त त्योहार था जो हर साल 15 फरवरी को रोम में आयोजित किया जाता था। हालांकि वेलेंटाइन डे का नाम एक शहीद ईसाई संत के साथ साझा होता है, लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह छुट्टी वास्तव में लुपरकेलिया की एक शाखा है। हालाँकि, वैलेंटाइन डे के विपरीत, लुपरकेलिया एक खूनी, हिंसक और यौन रूप से आरोपित उत्सव था, जो बुरी आत्माओं और बांझपन से बचने की आशा में जानवरों की बलि, बेतरतीब मंगनी और जोड़े से भरा हुआ था। संत वैलेंटाइन के करुणा और अवज्ञा के कृत्य अंततः उनकी शहादत का कारण बने। 14 फरवरी को कैथोलिक चर्च द्वारा सेंट वेलेंटाइन डे के रूप में मान्यता दी गई, और समय के साथ, यह उस छुट्टी के रूप में विकसित हुआ जिसे हम आज जानते हैं। सह-मेजबान: वर्तमान समय में तेजी से आगे बढ़ते हुए, वेलेंटाइन डे प्यार और स्नेह का एक वैश्विक उत्सव बन गया है। हालाँकि इसकी जड़ें ईसाई परंपराओं में हैं, लेकिन अब इसे सभी संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों ने अपना लिया है --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    RAm Lalla Ke swagat ko taiyar He jaipur shahar

    Play Episode Listen Later Jan 22, 2024 6:00


    22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जाएगा। एक ओर जहां अयोध्या में रामलला गर्भगृह में विराजित होंगे। वहीं, दूसरी तरफ जयपुर में भी दीपोत्सव मनाया जाएगा। इस खास दिन अल्बर्ट हॉल परिसर में 300 ड्रोन से हवा में भगवान श्रीराम का स्वरूप बनाया जाएगा। अलबर्ट हॉल परिसर में भी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के जैसा 35 फीट ऊंचा भव्य राम मंदिर का स्वरूप बनाया जाएगा। बंगाल से आए 150 कारीगर इसका निर्माण कर रहे हैं। मंदिर की यह झांकी लोगों के लिए 3 दिन तक रहेगी। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    ram mandir ke pran pratishta ko taiyar he jaipur

    Play Episode Listen Later Jan 21, 2024 6:00


    ram mandir ke pran pratishta ko taiyar he jaipur 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया जाएगा। एक ओर जहां अयोध्या में रामलला गर्भगृह में विराजित होंगे। वहीं, दूसरी तरफ जयपुर में भी दीपोत्सव मनाया जाएगा। इस खास दिन अल्बर्ट हॉल परिसर में 300 ड्रोन से हवा में भगवान श्रीराम का स्वरूप बनाया जाएगा। अलबर्ट हॉल परिसर में भी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के जैसा 35 फीट ऊंचा भव्य राम मंदिर का स्वरूप बनाया जाएगा। बंगाल से आए 150 कारीगर इसका निर्माण कर रहे हैं। मंदिर की यह झांकी लोगों के लिए 3 दिन तक रहेगी। रामलला के स्वागत में गुलाबी नगरी को अयोध्या सा सजाया जा रहा है। शहर के मंदिर सजकर तैयार है। बाजारों में सजावट का काम आज पूरा हो जाएगा। आज शाम से शहर के बाजार रोशनी से जगमग हो रहे है। वहीं घर—घर दीपदान शुरू हो चुका है।रामलला की प्राण—प्रतिष्ठा को लेकर शहर के मंदिर जगमग हो चुके है। प्रथम पूज्य मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर, चांदपोल के श्रीरामचन्द्रजी मंदिर, आदर्श नगर का श्रीराम मंदिर, गोविंददेवजी मंदिर में रोशनी से जगमग हो रहे है। वहीं मंदिरों में हवन—अनुष्ठान, सुंदरकांड के पाठ, हनुमान चालीसा पाठ शुरू हो चुके है। आप अपने विचार nysisodia@gmail.com मेल पर भिजवाए --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    guru govind singh

    Play Episode Listen Later Jan 17, 2024 3:42


    गुरु गोविंद का जन्म 22 दिसंबर सन 1666 में बिहार के पटना में हुआ था। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी थी। गुरु गोविंद जी के पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। गुरु जी को बाल्यावस्था में गोविंद कहकर पुकारा जाता था। गुरु गोविंद सिंह के अनमोल विचार सत्कर्म कर्म के द्वारा सच्चा गुरु प्राप्त होता है और गुरु के मार्गदर्शन से भगवान मिलते हैं। हमें महान सुख और स्थायी शांति तभी प्राप्त हो सकती है जब हम अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देते हैं। अपने द्वारा किये गए अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। अच्छे कर्म करने वालों की ईश्वर सदैव सहायता करता है। किसी भी व्यक्ति की चुगली और निंदा करने से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय अपने कर्म पर ध्यान दें। ईश्वर ने हमें इसलिए जन्म दिया हैं, ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराइयों को दूर करें। एक सुंदर जीवन के लिए आहार और व्यायाम ही काफी नहीं है, बल्कि गरीब और बेसहारा लोगों की सेवा भी जरूरी है। मनुष्य अनंत जीवन का एक भाग है इस जीवन का कोई अंत नहीं है। इसे अपने कर्मों से सुंदर बनाएं। घर आये अतिथि, दिव्यांग, जरूरतमंद और दुखी व्यक्तियों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहें। अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं। अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Makar Sankranti

    Play Episode Listen Later Jan 13, 2024 5:08


    मकर संक्रान्ति (मकर संक्रांति) भारत के प्रमुख पर्वों में से एक है। मकर संक्रांति (संक्रान्ति) पूरे भारत और नेपाल में भिन्न रूपों में मनाया जाता है। पौष मास में जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है उस दिन इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में जाना जाता हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं। बिहार के कुछ जिलों में यह पर्व 'तिला संक्रांत' नाम से भी प्रसिद्ध है। मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं। 14 जनवरी के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर अग्रसर (जाता हुआ) होता है। इसी कारण इस पर्व को 'उतरायण' (सूर्य उत्तर की ओर) भी कहते है। वैज्ञानिक तौर पर इसका मुख्य कारण पृथ्वी का निरंतर 6 महीनों के समय अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर वलन कर लेना होता है। और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। मकर संक्रांति पर, स्नान दान का महत्व मकर संक्रांति का उत्सव भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है. भक्त इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई शुरू होती है. मकर संक्रांति पर भक्त यमुना, गोदावरी, सरयू और सिंधु नदी में पवित्र स्नान करते हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इस दिन यमुना स्नान और जरूरतमंद लोगों को भोजन, दालें, अनाज, गेहूं का आटा और ऊनी कपड़े दान करना शुभ माना जाता है. भक्त इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई शुरू होती है. मकर संक्रांति पर भक्त यमुना, गोदावरी, सरयू और सिंधु नदी में पवित्र स्नान करते हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इस दिन यमुना स्नान और जरूरतमंद लोगों को भोजन, दालें, अनाज, गेहूं का आटा और ऊनी कपड़े दान करना शुभ माना जाता है. मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व मकर संक्रान्ति के अवसर पर भारत के विभिन्न भागों में, और विशेषकर गुजरात में, पतंग उड़ाने की प्रथा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं ] मकर संक्रान्ति और नये पैमान अन्य त्योहारों की तरह लोग अब इस त्यौहार पर भी छोटे-छोटे मोबाइल-सन्देश एक दूसरे को भेजते हैं ]इसके अलावा सुन्दर व आकर्षक बधाई-कार्ड भेजकर इस परम्परागत पर्व को और अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। विभिन्न नाम भारत में मकर संक्रांति (संक्रान्ति) : छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू • तमिलनाडु ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल : • गुजरात, उत्तराखण्ड उत्तरायण • जम्मू उत्तरैन माघी संगरांद : • शिशुर सेंक्रात : कश्मीर घाटी • माघी : हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब • भोगाली बिहु : असम • उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार खिचड़ी : पश्चिम बंगाल पौष संक्रान्ति : कर्नाटक मकर संक्रमण विभिन्न नाम भारत के बाहर • बांग्लादेश : Shakrain/ पौष संक्रान्ति • नेपाल : माघे संक्रान्ति या 'माघी संक्रान्ति' 'खिचड़ी संक्रान्ति' • थाईलैण्ड : สงกรานต์ सोंगकरन • लाओस : पि मा लाओ • म्यांमार : थिंयान • कम्बोडिया : मोहा संगक्रान • श्री लंका : पोंगल, उझवर तिरुनल --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Pinkcityfm (Trailer)

    Play Episode Listen Later Dec 31, 2023 0:59


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    "2023 Unveiled: Cricketing Thrills and Beyond"

    Play Episode Listen Later Dec 28, 2023 5:20


    And there you have it, a whirlwind tour of the cricket T20 matches, sporting events, and cultural celebrations that defined the year 2023. As we bid farewell to this extraordinary year, we look forward to another year of excitement, unity, and global camaraderie. --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    हरिवंश राय बच्चन

    Play Episode Listen Later Nov 26, 2023 8:33


    हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक, कवि और शिक्षक हरिवंश राय बच्चन Harivansh Rai Bachchan जन्म - 27 नवंबर, 1907 मृत - 18 जनवरी 2003 (95) हरिवंश राय बच्चन एक भारतीय हिंदी भाषा के कवि और 20वीं सदी के शुरुआती हिंदी साहित्य के नई कविता साहित्यिक आंदोलन के लेखक थे। उनका जन्म ब्रिटिश भारत में आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत में, प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी गांव में एक हिंदू श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में हुआ था। बच्चन अपने शुरुआती काम मधुशाला के लिए प्रसिद्ध हैं, जो 1935 में प्रकाशित हुआ था। वह मेगा सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के पिता और अभिनेता अभिषेक बच्चन के दादा हैं। 1 --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    guru Nanak dev

    Play Episode Listen Later Nov 25, 2023 2:48


    पिंकसिटी ऍफ़ एम् में आपका स्वागत हे आज हम आपको गुरु नानक जी के बारे में बता रहे है गुरु नानक , (जन्म तलवंडी अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान], लाहौर के पास, भारत - मृत्यु 1539, करतारपुर, पंजाब), भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक जो सिख धर्म के पहले गुरु थे , एक एकेश्वरवादी धर्म को जोड़ती है हिंदू और मुस्लिम प्रभाव. उनकी शिक्षाएँ, भक्ति भजनों के माध्यम से व्यक्त की गईं, जिनमें से कई अभी भी जीवित हैं, उन्होंने दिव्य नाम पर ध्यान के माध्यम से पुनर्जन्म से मुक्ति पर जोर दिया। आधुनिक सिखों के बीच उन्हें उनके संस्थापक और पंजाबी भक्ति भजन के सर्वोच्च गुरु के रूप में विशेष स्नेह प्राप्त है । ज़िंदगी गुरु नानक के जीवन के बारे में जो थोड़ी बहुत जानकारी है वह मुख्यतः किंवदंतियों और परंपरा के माध्यम से दी गई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनका जन्म 1469 में राय भोई दी तलवंडी गांव में हुआ था। उनके पिता व्यापारिक खत्री जाति की एक उपजाति के सदस्य थे । खत्रियों का अपेक्षाकृत उच्च सामाजिक पद नानक को उस काल के अन्य भारतीय धार्मिक सुधारकों से अलग करता है और हो सकता है कि इसने उनके अनुयायियों की प्रारंभिक वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद की हो। उन्होंने एक खत्री की बेटी से शादी की, जिससे उन्हें दो बेटे पैदा हुए। कई वर्षों तक नानक ने एक अन्न भंडार में काम किया, जब तक कि उनके धार्मिक व्यवसाय ने उन्हें परिवार और रोजगार दोनों से दूर नहीं कर दिया, और भारतीय धार्मिक भिक्षुओं की परंपरा में, उन्होंने एक लंबी यात्रा शुरू की , संभवतः भारत के मुस्लिम और हिंदू धार्मिक केंद्रों की यात्रा की । कि नानक उन हमलों में मौजूद थे जो बाबर (एक हमलावर मुगल शासक) ने सैदपुर और लाहौर पर किए थे, इसलिए यह निष्कर्ष निकालना सुरक्षित लगता है कि 1520 तक वह अपनी यात्रा से लौट आए थे और पंजाब में रह रहे थे। उनके जीवन के शेष वर्ष यहीं व्यतीत हुएकरतारपुर, मध्य पंजाब का एक और गाँव। परंपरा यह मानती है कि यह गाँव वास्तव में नानक के सम्मान में एक धनी प्रशंसक द्वारा बनाया गया था। संभवतः इसी अंतिम अवधि के दौरान नए सिख समुदाय की नींव रखी गई थी। इस समय तक यह मान लिया जाना चाहिए कि नानक को एक गुरु, धार्मिक सत्य के प्रेरित शिक्षक के रूप में मान्यता दी गई थी, और भारत की परंपरा के अनुसार, उन्हें अपने गुरु के रूप में स्वीकार करने वाले शिष्य करतारपुर में उनके आसपास एकत्र हुए थे। कुछ संभवतः गाँव के स्थायी निवासी बने रहे; कई अन्य लोगों ने उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समय-समय पर दौरा किया। इन दो संभावनाओं में से, बाद वाला अधिक संभावित प्रतीत होता है। उनके एक शिष्य,अंगद को नानक ने अपने आध्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में चुना था, और नानक की मृत्यु के बाद उन्होंने गुरु अंगद के रूप में युवा सिख समुदाय का नेतृत्व नानक द्वारा आकर्षित किए गए अनुयायियों के आकार को देखते हुए, गुरु के कार्यों से संबंधित कई किस्से उनकी मृत्यु के तुरंत बाद समुदाय के भीतर प्रसारित होने लगे। इनमें से कई वर्तमान हिंदू और मुस्लिम परंपराओं से उधार लिए गए थे, और अन्य नानक के स्वयं के कार्यों द्वारा सुझाए गए थे। इन उपाख्यानों को साखी , या "गवाही" कहा जाता था , और जनम-साखी स. जनम-साखियों के वर्णनकर्ताओं और संकलनकर्ताओं की रुचिकाफी हद तक नानक के बचपन और सबसे बढ़कर उनकी यात्राओं पर केंद्रित है। पहले की परंपराओं में बगदाद और मक्का की उनकी यात्राओं की कहानियाँ हैं। श्रीलंका बाद में जोड़ा गया है, और बाद में भी कहा जाता है कि गुरु ने पूर्व में चीन और पश्चिम में रोम तक की यात्रा की थी। आज जनम-साखियाँ भौगोलिक सामग्री का एक बड़ा संग्रह पेश करती हैं, और इन संग्रहों में से सबसे महत्वपूर्ण संग्रह गुरु नानक की "जीवनी" का आधार बना हुआ है। सिद्धांत गुरु नानक के संदेश को संक्षेप में एक सिद्धांत के रूप में संक्षेपित किया जा सकता हैईश्वरीय नाम पर अनुशासित ध्यान के माध्यम से मुक्ति । मुक्ति को मृत्यु के पारगमन दौर से बचने और पुनर्जन्म के साथ ईश्वर के साथ एक रहस्यमय मिलन के संदर्भ में समझा जाता है। दिव्य नाम ईश्वर की संपूर्ण अभिव्यक्ति को दर्शाता है , एक एकल अस्तित्व, जो सृजित दुनिया और मानव आत्मा दोनों में व्याप्त है। ध्यान पूरी तरह से आंतरिक होना चाहिए, और सभी बाहरी सहायता जैसे कि मूर्तियाँ, मंदिर, मस्जिद, धर्मग्रंथ और निर्धारित प्रार्थनाएँ स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दी जाती हैं। मुस्लिम प्रभाव अपेक्षाकृत मामूली है; हिंदू रहस्यमय और भक्ति संबंधी मान्यताओं का प्रभाव कहीं अधिक स्पष्ट है। हालाँकि, गुरु नानक की अपनी अभिव्यक्ति की सुसंगतता और सुंदरता हमेशा प्रारंभिक सिख धर्मशास्त्र पर हावी रही है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    किंग कोहली

    Play Episode Listen Later Nov 5, 2023 7:19


    5 नवंबर, 1988 को जन्मे इस शख्स दुनिया के हर क्रिकेट स्टेडियम में छा रहा है । जी हाँ आज हम 3 साल की उम्र में पहली बार बल्ला पकड़ने वाला चीकू आज 35 साल का विराट है…जिसे दुनिया किंग कोहली बुलाती है। विराट को 9 साल की उम्र में पिता ने पश्चिमी दिल्ली क्रिकेट एकेडमी में दाखिल करा दिया था। सचिन को खेलते देख बड़ा हुआ ये बच्चा आज रिकॉर्ड्स और नेटवर्थ दोनों में ही लगभग सचिन के बराबर है। साल 2006: फरवरी में लिस्ट ए क्रिकेट में डेब्यू करने वाले विराट दिसंबर में रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे। 18 दिसंबर…कर्नाटक के खिलाफ मैच के दौरान विराट के पिता का देहांत हो गया। विराट घर नहीं गए…मैदान पर उतरे और 90 रन बनाए। एक दशक बाद जब एक पत्रकार ने उनसे इस बारे में पूछा तो विराट बोले, “मुझे अभी भी वो रात याद है। लेकिन पापा की डेथ के बाद सुबह खेलने का डिसीजन मेरा अपना ही था। क्योंकि मेरे लिए क्रिकेट का खेल पूरा नहीं करना, पाप है…" साल 2008: साल की शुरुआत में ही विराट की कप्तानी में इंडिया ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता और इसी के चलते कोहली सीनियर वनडे टीम का हिस्सा बन गए। साल 2011: विराट ने वर्ल्ड कप टीम में एंट्री ली और अपने पहले ही मैच में शतक मारा। इसी साल टीम इंडिया भी दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन। साल 2013: चैंपियंस ट्रॉफी में जीत के बाद कोहली ब्रांड्स के लिए फेवरेट चेहरा बन गए थे। इसी साल एक ऐड की शूटिंग के दौरान अनुष्का शर्मा से पहली मुलाकात हुई। नोक-झोंक से शुरु हुई बातचीत, दोस्ती और डेटिंग तक पहुंच गई साल 2016: कोहली ने आईपीएल में रिकॉर्ड 973 रन बनाए। इसी साल कोहली फोर्ब्स की 30 अंडर 30 लिस्ट में पहली बार शामिल किए गए। साल 2017: दिसंबर में कोहली ने अनुष्का शर्मा से शादी कर ली। इसी साल प्यूमा ने 8 साल के लिए कोहली को 110 करोड़ रुपए में बतौर ब्रांड एंबेसडर साइन किया। साल 2021: कभी, मैच बीच में छोड़ने को पाप बताने वाले कोहली ने ऑस्ट्रेलिया टूर बीच में छोड़ दिया। वजह थी, पहले बच्चे का जन्म। 11 जनवरी, 2021 को कोहली की बेटी का जन्म हुआ। मगर खराब फॉर्म के चलते पहले कोहली ने टी-20 की कप्तानी छोड़ी और फिर ओडीआई की कप्तानी भी गंवा दी। साल 2022: आखिरकार अफगानिस्तान के खिलाफ टी20 मैच से शतकों का सूखा खत्म हुआ। 1 हजार 22 दिन बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में विराट ने सेंचुरी मारी। फिर 1 हजार 212 दिन बाद बांग्लादेश के खिलाफ वनडे में सेंचुरी लगाई। और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2023 में 1 हजार 203 दिन बाद टेस्ट में सेंचुरी लगाई। वर्ल्ड कप में कोहली रन मशीन से शतक मशीन में कन्वर्ट हो गए। उनके वर्क-लाइफ बैलेंस ने उन्हें रिलेशनशिप गुरु का स्टेटस दिला दिया। और कोहली नाम का ये ब्रांड…आज 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। लेकिन फैंस मानते हैं कि ये विराट का बेस्ट नहीं है…अभी तो पारी शुरू हुई है…   --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    austrila V/S sri lanka

    Play Episode Listen Later Oct 16, 2023 1:53


    Australia vs sri lanka video वर्ल्ड कप 2023 में आज ऑस्ट्रेलिया vs श्रीलंका:दोनों टीमों के पास जीत का खाता खोलने का मौका वनडे वर्ल्ड कप 2023 में आज ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका बीच मुकाबला खेला जाएगा। मुकाबला लखनऊ के भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी क्रिकेट स्टेडियम (इकाना) में दोपहर 2 बजे से खेला जाएगा। टॉस आधे घंटे पहले यानी 1:30 बजे होगा। ऑस्ट्रेलिया बनाम श्रीलंका मार्नस लाबुशेन इस साल ऑस्ट्रेलिया के टॉप रन स्कोरर मेंडिस को चुन सकते है कप्तान Today in the ODI World Cup 2023, the match will be played between Australia and Sri Lanka. The match will be played at Bharat Ratna Shri Atal Bihari Vajpayee Cricket Stadium (Ikana), Lucknow from 2 pm. The toss will take place half an hour earlier i.e. at 1:30 pm. In this story, we will know the head-to-head record of both the teams, results of World Cup matches, pitch report, weather conditions and possible playing eleven... Sri Lankan captain Shanaka out of World Cup The Sri Lankan team has suffered a big setback before this match. Team captain Dasun Shanaka has been ruled out of the World Cup due to injury. Shanaka was injured in the match played against Pakistan on 10 October. All-rounder Chamika Karunaratne has been included in his place in the team. According to the report, Kusal Mendis will captain the team in Shanaka's absence. Third match of both teams This will be the third match of both the teams in this World Cup. Five-time champions Australia and Sri Lanka have suffered defeat in both their opening matches. The Kangaroo team was defeated by India in the first match and South Africa in the second. On the other hand, Sri Lanka lost to New Zealand in the first match and Pakistan in the second. --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    MUNSHI PREM CHAND

    Play Episode Listen Later Oct 9, 2023 2:07


    प्रारंभिक जीवन प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के पास स्थित एक गाँव लमही में हुआ था और उनका नाम धनपत राय ("धन का स्वामी") था। उनके पूर्वज एक बड़े कायस्थ परिवार से थे, जिनके पास आठ से नौ बीघे ज़मीन थी। [12] उनके दादा, गुरु सहाय राय, एक पटवारी (ग्राम भूमि रिकॉर्ड-रक्षक) थे, और उनके पिता, अजायब लाल, एक डाकघर क्लर्क थे। उनकी मां करौनी गांव की आनंदी देवी थीं, जो शायद उनके "बड़े घर की बेटी" के किरदार आनंदी के लिए भी उनकी प्रेरणा थीं। [13] धनपत राय अजायब लाल और आनंदी की चौथी संतान थे; पहली दो लड़कियाँ थीं जो शिशु अवस्था में ही मर गईं, और तीसरी सुग्गी नाम की लड़की थी। [14]उनके चाचा, महाबीर, जो एक अमीर ज़मींदार थे, ने उन्हें " नवाब " उपनाम दिया, जिसका अर्थ है बैरन। "नवाब राय" धनपत राय द्वारा चुना गया पहला उपनाम था। [15] भारतीयों को राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष में प्रेरित करने की कोशिश करती थीं। [32] देश दिया, जहाँ सोज़-ए-वतन की लगभग पाँच सौ प्रतियां जला दी गईं। [34] इसके बाद मुंशी दया नारायण निगम उर्दू पत्रिका ज़माना के संपादक रहे, जिन्होंने धनपत राय की पहली कहानी "दुनिया का सबसे अनमोल रतन" प्रकाशित की थी, ने छद्म नाम "प्रेमचंद" की सलाह दी। धनपत राय ने "नवाब राय" नाम का प्रयोग बंद कर दिया और प्रेमचंद बन गये। प्रेमचंद को अक्सर मुंशी प्रेमचंद कहा जाता था। सच तो यह है कि उन्होंने कन्हैयालाल मुंशी के साथ मिलकर हंस पत्रिका का संपादन किया था। क्रेडिट लाइन में लिखा था "मुंशी, प्रेमचंद"। इसके बाद से उन्हें मुंशी प्रेमचंद कहा जाने लगा। 1914 में, हिंदी में लिखना शुरू किया ( हिंदी और उर्दू को एक ही भाषा हिंदुस्तानी के अलग-अलग रजिस्टर माना जाता है , हिंदी अपनी अधिकांश शब्दावली संस्कृत से लेती है और उर्दू फ़ारसी से अधिक प्रभावित होती है )। इस समय तक, वह पहले से ही उर्दू में एक कथा लेखक के रूप में प्रतिष्ठित थे। [16] सुमित सरकार का कहना है कि यह बदलाव उर्दू में प्रकाशकों को ढूंढने में आ रही कठिनाई के कारण हुआ। [35] उनकी पहली हिंदी कहानी "सौत" दिसंबर 1915 में सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई थी , और उनका पहला लघु कहानी संग्रह सप्त सरोज जून 1917 में प्रकाशित हुआ था। गोरखपुर मुंशी प्रेमचंद की कुटिया में उनकी स्मृति में एक पट्टिका जहां वह 1916 से 1921 तक गोरखपुर में रहे थे। अगस्त 1916 में, प्रेमचंद को पदोन्नति पर गोरखपुर स्थानांतरित कर दिया गया। वह नॉर्मल हाई स्कूल, गोरखपुर में सहायक मास्टर बन गए । [36] गोरखपुर में, उन्होंने पुस्तक विक्रेता बुद्धि लाल से दोस्ती विकसित की, जिसने उन्हें स्कूल में परीक्षा की किताबें बेचने के बदले में पढ़ने के लिए उपन्यास उधार लेने की अनुमति दी। [17] प्रेमचंद अन्य भाषाओं की क्लासिक कृतियों के उत्साही पाठक थे और उन्होंने इनमें से कई रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया। 1919 तक प्रेमचंद के लगभग सौ पृष्ठों के चार उपन्यास प्रकाशित हो चुके थे। 1919 में प्रेमचंद का पहला प्रमुख उपन्यास सेवा सदन हिंदी में प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास मूल रूप से बाज़ार-ए-हुस्न शीर्षक के तहत उर्दू में लिखा गया था, लेकिन इसे हिंदी में सबसे पहले कलकत्ता स्थित एक प्रकाशक ने प्रकाशित किया था, जिसने प्रेमचंद को उनके काम के लिए ₹450 की पेशकश की थी। लाहौर के उर्दू प्रकाशक ने प्रेमचंद को ₹250 का भुगतान करके बाद में 1924 में उपन्यास प्रकाशित किया । [37] उपन्यास एक दुखी गृहिणी की कहानी कहता है, जो पहले एक वैश्या बनती है, और फिर वैश्या की युवा बेटियों के लिए एक अनाथालय का प्रबंधन करती है। इसे आलोचकों द्वारा खूब सराहा गया और प्रेमचंद को व्यापक पहचान दिलाने में मदद मिली। 1919 में प्रेमचंद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की । [38] 1921 तक, उन्हें स्कूलों के उप निरीक्षकों के रूप में पदोन्नत किया गया था। 8 फरवरी 1921 को, उन्होंने गोरखपुर में एक बैठक में भाग लिया, जहां महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन के हिस्से के रूप में लोगों से सरकारी नौकरियों से इस्तीफा देने के लिए कहा । प्रेमचंद, हालांकि शारीरिक रूप से अस्वस्थ थे और उनके दो बच्चे और एक गर्भवती पत्नी थी, उन्होंने पांच दिनों तक इस बारे में सोचा और अपनी पत्नी की सहमति से अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया। बनारस को लौटें अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, प्रेमचंद 18 मार्च 1921 को गोरखपुर छोड़कर बनारस चले गए और अपने साहित्यिक करियर पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। 1936 में अपनी मृत्यु तक, उन्हें गंभीर वित्तीय कठिनाइयों और दीर्घकालिक खराब स्वास्थ्य का सामना करना पड़ा। [39] --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Teja ji maharan

    Play Episode Listen Later Sep 24, 2023 2:03


    Hello Welcome to Pink City FM Today we are giving information about Ramdev Baba. Ramdev Baba appeared in the house of Ajmalji, the ruler of Runicha in 1409. Baba may have belonged to a family of kings but he devoted his entire life to the welfare of the people and helping the poor. Baba Ramdev was the first to oppose untouchability. There is a very interesting story about Ramdev Baba becoming Pir Baba Ramdev. Today Baba is a symbol of faith for both Hindus and Muslims. story of becoming a pir When the stories of Baba Ramdev's miracles reached Mecca, five pirs from there came to Rajasthan to test him. When the Peers arrived, Baba Ramdev made them sit with respect to feed them food. As soon as they started pouring the food, a peer said that he had forgotten his bowl in Mecca and we could not eat without it. Ramdev Baba said, okay, you will be fed food in your bowls only. As soon as he said this, Baba revealed everyone's bowls there. Seeing the miracle, all the priests bowed before him. Five Pirs gave the title of Pir to Baba. --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Hindi Divas

    Play Episode Listen Later Sep 13, 2023 3:20


    आज के वैश्वीकृत विश्व में हिंदी भाषा का महत्व हिंदी भाषा दुनिया भर में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। यह भारत की राजभाषा है और दुनिया केवल अँग्रेज़ी बोलीने के बाद यही सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा का महत्व आज के वैश्वीकृत विश्व में बहुत ही महत्वपूर्ण है। पहले तो, हिंदी भाषा एक व्यापकता और संवेदनशीलता की भाषा है। हमारा देश एक विशाल विभाजित देश है जहाँ कई भाषाएँ बोली जाती हैं। हिंदी भाषा केवल भारत में ही प्रचलित नहीं है, बल्कि यह अलग-अलग राज्यों की भाषाओं का एक सारांशिक रूप है। इसलिए, हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देती है। दूसरे तो, हिंदी भाषा आधिकारिक रूप से भारतीय सरकार की राजभाषा है। यह सभी सरकारी कार्यों में उपयोग होती है और सभी अपराधी तथा कचहरी की पाठशालाओं में शिक्षा दी जाती है। इसलिए, हिंदी भाषा एक सार्वजनिक उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में भी काम करती है। --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    सबसे रोमांचक अंतरिक्ष कार्यक्रम का खुलासा

    Play Episode Listen Later Aug 30, 2023 2:10


    भारत ने 14 जुलाई को तीसरी बार चांद पर अपना यान भेजा हैं। यह चांद पर जाने की भारत की तीसरी कोशिश है। यह मिशन 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। जिसमें भारत ने अपना सैटेलाइट चांद पर भेजा। यह सैटेलाइट कई दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्टली लैंड हुआ। इसीलिए प्रधानमंत्री द्वारा हर वर्ष 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने की घोषणा की गई है, वही  इससे पहले भी भारत दो बार चांद पर पहुंचने की कोशिश का चुका है, लेकिन वे मिशन सफल नहीं हो सके। भारत अपने मून मिशन को पूरा करने के लिए 15 सालों से मेहनत कर रहा है। इस बार यह मिशन पूरा होता हुआ दिखाई दे रहा है। इस मिशन में एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल है। इस लैंडर का नाम विक्रम है और यह 1752 किलोग्राम वजनी है। जबकि रोवर का नाम प्रज्ञान है और यह 26 किलोग्राम वजनी है। चंद्रयान-3 मिशन में ऑर्बिटर चांद की परिक्रमा करेगा और चांद की सतह एवं उसके वातावरण का अध्ययन करेगा। लैंडर और रोवर चांद की सतह पर वैज्ञानिक परीक्षण करेंगे। जिसमें चांद के साउथ पोल पर बर्फ की उपस्थिति के बारे में परीक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही चांद की सतह और उसकी संरचना, चांद गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र और वायुमंडल के बारे में अध्ययन किया जाएगा। भारतीय अनुसंधान संस्थान केंद्र (ISRO) द्वारा 14 जुलाई 2023 को chandrayaan-3 को लॉन्च किया गया है। चंद्रयान 2 की बाद भारत ने करीब 3 महीने 10 महीने के प्रयास के बाद चंद्रयान-3 को लांच किया है। यह यान 40 दिन की यात्रा के बाद 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंड कराया गया। यह दिन भारत के लिए ऐतिहासिक दिन में शामिल हो गया है क्योंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना सैटेलाइट लैंड करने वाला भारत पहला देश बन गया है जबकि इससे पहले भी कई देशों ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना सैटेलाइट लैंड करने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें असफल रहे। भारत ने अब तक चांद पर पहुंचने के लिए तीन मिशन लॉन्च किए हैं जिसमें से चंद्रयान-1 मिशन 22 अक्टूबर 2008 को एवं चंद्रयान-2 मिशन 22 जुलाई 2019 को लांच किया गया था।  चंद्रयान-3 कैसे काम करेगा? चंद्रयान-3 में मुख्य रूप से तीन मॉड्यूल प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर शामिल है। चंद्रायणी तीन की लैंडिंग के बाद वहां विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स और रोवर पर दो पेलोड्स अलग-अलग काम करेंगे। विक्रम लैंडर द्वारा चंद की सतह का तापमान भूकंपीय गतिविधियों की जांच, चांद के डायनामिक को समझने का प्रयास एवं चांद की सतह पर सूर्य से आने वाले प्लाज्मा कानों का घनत्व उसकी मात्रा और बदलाव की जांच की जाएगी। जबकि प्रज्ञान रोवर द्वारा चांद की सतह पर मौजूद रसायनों की मात्रा और उसकी गुणवत्ता के साथ खनिजों की खोज की जाएगी। इसके अलावा यहां मैग्नीशियम, सिलिकॉन, कैल्शियम टीन, आयरन, पोटेशियम और अल्युमिनियम एलिमेंट की कंपोजिशन की स्टडी करेगा। चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यों उतारा? विशेषज्ञों के अनुसार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद है। चंद्रमा के इस रहस्य पर 23 अगस्त से लेकर 5 सितंबर तक सूर्य की रोशनी रहेगी जिससे चंद्रमा की सतह और वहां के वायुमंडल का अध्ययन करने में मदद प्राप्त हो सकेगी। लैंडर विक्रम और प्रज्ञान लोअर दोनों ही मिलकर चांद पर मौजूद खनिज वहां की मिट्टी, वातावरण और सतह का अध्ययन कर इसकी जानकारी इसरो को देंगे जो की वैज्ञानिक परीक्षण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण होगा। इससे वैज्ञानिकों को चांद के बारे में और वहां पर जीवन की संभावना के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकेगी। Chandrayaan-3 की भूमिका अंतिम का विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद पर लैंड करने के बाद करीब 14 से 15 दिन तक काम करेंगे। यह दिन धरती के समय के हिसाब से बताए गए हैं क्योंकि 23 अगस्त से लेकर अगले 14 15 दिनों तक चांद पर सूरज की रोशनी पड़ती रहेगी। जहां पर सैटेलाइट को लैंड करवाया गया है वहां पर 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच पर्याप्त सूर्य की रोशनी पड़ेगी। चांद के उसे हिस्से से जैसे ही सूरज की रोशनी हटेगी विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर काम करना बंद हो जाएंगे लेकिन दोबारा रोशनी पढ़ने पर लैंडर और रोमन फिर से कम कर सकते हैं। चंद्रयान 3 का महत्व (Importance of Chandrayaan-3) चंद्रयान-1 भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मिशनों में से एक है।  चंद्रयान 3 रोचक तथ्य (Chandrayaan-3 Interesting Facts) National Space Day चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग पर पीएम मोदी ने बेंगलुरु में स्थित इसरो कमांड सेंटर में ISRO वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए बड़ी घोषणा की है। इस घोषणा में पीएम मोदी ने 23 अगस्त को National Space Day के तौर कर घोषित कर दिया है। अब से हर साल इस दिन  National Space Day के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन की घोषणा के पीछे देश बच्चों और युवाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति उनका रुझान बढ़ाना है, ताकि वे वैज्ञानिक अनुसंधान और परीक्षण में रुचि लें और इस क्षेत्र में आगे बढ़ें। मोदीजी जी जी ने अपने भाषण में बताया की कैसे प्राचीन समय में भारत के ऋषि-मुनि वैज्ञानिक खोजों में जुटे हुए थे। उस समय दुनियां को  वैज्ञानिक खोजों के बारे में पता भी नहीं था। इसके साथ ही सूर्य सिद्धान्त जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में अंतरिक्ष से जुड़े रहस्यों की खोज के बारे में बताया गया है। लेकिन मुगलों के आक्रमण और 200  में सालों की गुलामी की गुलामी चलते भारत अपनी ताकत को भूल गया था। लेकिन भारत ने आज एक बार फिर अपने गौरव को प्राप्त कर लिया है।   --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    Important Days in August

    Play Episode Listen Later Aug 6, 2023 2:01


    Important Days in August 1 August  - National Mountain Climbing Day,  Yorkshire Day 4 August  - U.S. Coast Guard Day 6 August -  Hiroshima Day       Friendship Day 7 August- National Handloom Day 8 August - Quit India Movement Day 9 August - Nagasaki Day, International Day of the World's Indigenous Peoples                        12 August - International Youth Day , World Elephant Day 13 August - International Lefthanders Day , World Organ Donation Day 15 August -  Independence Day in India , National Mourning Day (Bangladesh)                        Day of the Assumption of the Virgin Mary 16 August -  Parsi New Year, Bennington Battle Day 17 August -  Indonesian Independence Day,  Parsi New Year, 19 August -  World Humanitarian Day,  Janmashtami 20 August - Indian Akshay Urja Day, World Mosquito Day, Sadbhavna Diwas 23 August - International Day for the Remembrance of the Slave Trade and its Abolition                     European Day of Remembrance for Victims of Stalinism and Nazism 26 August  -  Women's Equality Day 29 August  -  National Sports Day 30 August - Small Industry Day , Raksha Bandhan 31 August  - Hari Merdeka (Malaysia National Day)         --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pinkcityfm/message

    सुबह हल्दी का पानी कैसे पिया जा सकता है?

    Play Episode Listen Later Jun 18, 2023 1:57


    सुबह हल्दी का पानी कैसे पिया जा सकता है? हल्दी का पानी पीने के क्या फायदे हैं और इसका सेवन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?   सुबह हल्दी वाला पानी पीने के लिए इन चरणों का पालन करें: एक कप पानी उबालें। उबलते पानी में 1/2 से 1 चम्मच हल्दी पाउडर या कद्दूकस की हुई ताजी हल्दी की जड़ डालें।  इसे 10 मिनट तक उबलने दें। पानी को छान लें और ठंडा होने दें। इसे गर्म या कमरे के तापमान पर पिएं। हल्दी का पानी पीने के लाभों में इसके संभावित विरोधी भड़काऊ गुण, एंटीऑक्सिडेंट प्रभाव और पाचन और प्रतिरक्षा समारोह के लिए संभावित समर्थन शामिल हैं। हल्दी में कर्क्यूमिन नामक एक यौगिक होता है, जो इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जिम्मेदार होता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हल्दी का पानी एक जादुई इलाज नहीं है-सब कुछ, और अलग-अलग परिणाम भिन्न हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ लोगों को हल्दी से हल्की पाचन संबंधी परेशानी या एलर्जी का अनुभव हो सकता है। यदि आपके पास कोई मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति है या दवाएँ ले रहे हैं, तो हल्दी के पानी को अपनी दिनचर्या में शामिल करने से पहले स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।

    गरीब होने पर कैसा महसूस होता है

    Play Episode Listen Later May 28, 2023 6:04


    गरीब होने पर केसा महसूस होता है आपने भी महसूस किया होगा आर्थिक विषमताओ में रहने वाले आपनी फीलिंग व्यक्त करते हे

    ज्यतिमी क्या है

    Play Episode Listen Later Apr 1, 2023 1:17


    ज्यामिति के बारे में जानकारी

    Gangour festival

    Play Episode Listen Later Mar 25, 2023 5:24


    गणगौर मनाते हुए गणगौर राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में भी मनाया जाता है। जैसा कि अपेक्षित था, राजस्थान में कोई भी त्योहार उज्ज्वल और रंगीन होता है, लेकिन सुंदर और पारंपरिक रूप से राजस्थानी महिलाओं द्वारा देवी गौरी की पूजा करने के लिए मनाया जाने वाला यह त्योहार एक पर्याप्त सांस्कृतिक उपचार है। गणगौर की उत्पत्ति गणगौर महोत्सव ईश्वरीय जोड़े शिव और गौरी की एकजुटता का उत्सव है, साथ ही फसल के मौसम का भी। गणगौर नाम शिव और गौरी या पार्वती के लिए गण का एक संयोजन है, जो दोनों की पूजा को दर्शाता है। यह त्योहार क्षेत्र की हिंदू परंपराओं के अनुसार सदियों से चला आ रहा है। यह स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार मामूली बदलाव के साथ राज्य के सभी हिस्सों में मनाया जाता है। गणगौर कथा या गणगौर कथा के अनुसार, देवी पार्वती भक्ति का अवतार हैं, और अपनी लंबी तपस्या और भक्ति के द्वारा, वह भगवान शिव से विवाह करने में सक्षम थीं। गणगौर के दौरान, वह आशीर्वाद लेने के लिए अपने माता-पिता के घर जाती है और अपने माता-पिता, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ खुशी का समय बिताती है। प्रवास के अंतिम दिन, उसे पूरी तरह से तैयार किया जाता है और अपने पति के पास लौटने के लिए भव्य विदाई दी जाती है। इस संदर्भ में, इस क्षेत्र में गौरी पूजा मनाई जाती है। विवाह तय करने के लिए भी यह एक शुभ समय है। आदिवासी इलाकों में भी ऐसा किया जाता है जब लड़कियां अपना साथी चुनती हैं। गणगौर का उत्सव यह शुभ त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास, शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन होली से दूसरे दिन मनाया जाता है और 16 दिनों तक चलता है। पहला दिन उपवास का दिन होता है, जिसे महिलाएं धार्मिक रूप से रखती हैं। उसके बाद, अविवाहित और विवाहित सभी महिलाएं पूजा करती हैं। यह वैवाहिक सुख और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगती हैं, और अविवाहित महिलाएं उपयुक्त पति पाने के लिए पूजा करती हैं। देवी पार्वती की मूर्तियाँ आमतौर पर मिट्टी की बनी होती हैं। कुछ लोग ताजा चित्रित लकड़ी की छवियों का उपयोग कर सकते हैं, या कुछ पूजा के लिए देवी की तस्वीरों का उपयोग कर सकते हैं। महिलाएं अपने हाथों में मेंहदी लगाकर पिछली रात से ही तैयारी शुरू कर देती हैं। फिर, वे त्योहार की सुबह जल्दी उठते हैं, तेल से स्नान करते हैं, नए रेशमी कपड़े पहनते हैं और पूजा के लिए तैयार होते हैं। फिर, पूजा के सभी सामान जैसे फूल, हल्दी, कुमकुम, फल, नारियल, कपूर, अगरबत्ती, और अन्य तैयार किए जाते हैं। पूजा के अंतिम चरण में, विशेष त्यौहार व्यंजन, जो देवी के पसंदीदा व्यंजन हैं, उन्हें निवेद्यम के रूप में चढ़ाया जाता है और फिर प्रसादम के रूप में ग्रहण किया जाता है। गणगौर उत्सव जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, नाथद्वारा और बीकानेर में अपने उत्सव के लिए उल्लेखनीय है। ये सभी शहर राजस्थान रोडवेज की आरएसआरटीसी बसों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। उदयपुर में पिछोला झील के तट पर इस त्योहार को मनाने के लिए गणगौर घाट मुख्य घाट है। यह उत्सवों की सांस्कृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए इस शहर में आने वाले पर्यटकों के लिए एक खूबसूरत जगह है। इस त्यौहार के मौसम में यह स्थान स्थानीय लोगों और पर्यटकों से भरा रहता है। साथ ही, घाट से सूर्योदय और सूर्यास्त देखने लायक दिव्य दृश्य हैं। गणगौर के अंतिम दिन, शहर की आकर्षक पोशाक में महिलाएं पिछोला झील में विसर्जन के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती की सजी हुई मूर्तियों के साथ जुलूस में जाती हैं। इस मौसम में पूरे शहर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है और रोशनी की जाती है। यह इस शहर में मेवाड़ उत्सव के साथ मेल खाता है। महोत्सव की मुख्य विशेषताएं गणगौर तीज के 16 दिनों तक चलने वाले उत्सव के दौरान, सभी शहरों और मोहल्लों में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। देवी पार्वती को राजस्थान के कई हिस्सों और अन्य जगहों पर तीज मठ के रूप में भी जाना जाता है। महिलाएं एक-दूसरे के घर जाती हैं और मीठे व्यंजनों और उपहारों का आदान-प्रदान करती हैं। यह एक उत्सव का माहौल है जिसके दौरान महिलाएं रंगीन कपड़े पहनती हैं। नवविवाहित जोड़े इस अवधि के दौरान आधे दिन का उपवास रखते हैं, देवी पार्वती से अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं। सातवें दिन, युवा अविवाहित लड़कियां गीत गाती हैं और दीपक जलाकर अपने सिर पर मिट्टी के बर्तन ले जाती हैं। उन्हें अपने माता-पिता और बड़ों से प्यारे उपहार मिलते हैं। अंतिम दिन, विवाहित महिलाओं को उनके पति के घर लौटने से पहले उनके माता-पिता और भाइयों द्वारा उपहार दिए जाते हैं। इसे सिंजारा के नाम से जाना जाता है, और उपहार में बेटी और उसके परिवार के लिए गहने, कपड़े और अन्य सामान शामिल हो सकते हैं। त्योहार का आखिरी दिन उत्सव की लंबी अवधि की परिणति को देखता है। भगवान की मूर्तियों को विसर्जन या मूर्तियों के विसर्जन के लिए एक सार्वजनिक स्थान, एक झील, या एक कुएं में जुलूस के रूप में ले जाया जाता है। कुछ लोग इसे अपने घरों में कर सकते हैं यदि उनके पास विसर्जन की कोई सुविधा हो। पर्यटक उत्सव के माहौल का आनंद ले सकते हैं, जिसमें शानदार खरीदारी और पाक कला का अनुभव शामिल है। प्रसिद्ध राजस्थानी मिठाइयों सहित कई व्यंजन हर जगह उपलब्ध होंगे। घेवर सबसे प्रसिद्ध स्व में से एक है

    Happy Holi 2020 tips

    Play Episode Listen Later Mar 4, 2023 2:05


    होली खेलने जा रहे हैं तो पहले यह जान लें कि किस तरह हम होली का आनंद दुगुना करें और प्रकृति का भी ध्यान रखें। जल ही जीवन है अत: होली के त्योहार पर पानी बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। तो फिर देर किस बात की? होली खेलने से पहले इन टिप्स को अपनाएं और पानी को व्यर्थ बहने से बचाएं। * प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें। वे आसानी से साफ हो जाते हैं। * सूखे रंगों का अधिक प्रयोग करें। * गुब्बारों में पानी भरकर न खेलें। * जब होली खेलना पूरा हो जाए तभी नहाने जाएं। बार-बार नहाने से पानी बरबाद होता है। * घर के बाहर होली खेलें। घर में होली खेलने से घर गन्दा होगा तथा उसे धोने में अतिरिक्त पानी खर्च होगा। * पुराने व गहरे रंगों वाले कपड़े पहनें ताकि आसानी से धोया जा सके। * खेलने से पहले अपने बालों में तेल लगा लें। इसकी वजह से चाहे जितना भी रंग बालों में लगा हो एक ही बार धोने पर निकल जाता है। * इसके बाद साफ पानी वाले स्पंज से उस जगह को साफ कर लें। * अंत में साफ पानी से उस जगह को धोकर सूखे कपड़े अथवा वाइपर से जगह को सुखा लें। * बालों में तेल और त्वचा पर क्रीम लगाना भूल भी गए हों तो होली खेलने के तुरन्त बाद रंग लगी त्वचा और बालों पर थोड़ा नारियल तेल हल्के मलें, रंग निकलना जाएगा। * अपनी त्वचा पर भी कोई क्रीम या लोशन लगाकर बाहर निकलें, इससे आपकी त्वचा रासायनिक रंगों के प्रभाव से खराब नहीं होगी। * अपने नाखूनों पर भी नेलपॉलिश अवश्य कर लें ताकि रंगों और पानी से वे खराब होने से बचें। * दो बाल्टी पानी लें, एक में डिटर्जेंट का पानी लें, दूसरी में सादा पानी लें। दो स्पंज के बड़े-बड़े टुकड़े लें। जिस हिस्से में रंग लगे हों वहां साबुन वाले स्पंज से धीरे-धीरे साफ करें। Holi Festival of India चारों तरफ युवा वर्ग होली मनाने के लिए रोमांचित है। बिना रंग के होली की कल्पना ही नहीं की जा सकती है, लेकिन मुश्किल यह है कि इन रंगों में जो केमिकल पाए जाते हैं, वे हमारी त्वचा और आंखों के लिए हानिकारक होते हैं। हम आपको प्राकृतिक रंग बनाने की विधि बता रहे हैं जिससे आप आकर्षक व चटकीले रंग घर पर ही बना सकते हैं और होली का खूब मजा ले सकते हैं। पढ़ें 15 टिप्स... 1. गुलमोहर की पत्तियों को सुखाकर, महीन पावडर कर लें, इसे आप हरे रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। 2. जासवंती के फूलों को सुखाकर उसका पावडर बना लें और इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए आटा मिला लें। सिन्दूरिया के बीज लाल रंग के होते हैं, इनसे आप सूखा व गीला लाल रंग बना सकते हैं। 3. दो छोटे चम्मच लाल चंदन पावडर को पांच लीटर पानी में डालकर उबालें। इसमें बीस लीटर पानी और डालें। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर भी लाल रंग बनाया जा सकता है। 4. बुरांस के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर भी लाल रंग बनाया जा सकता है, लेकिन यह फूल सिर्फ पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। 5. पलिता, मदार और पांग्री में लाल रंग के फूल लगते हैं। ये पेड़ तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। फूलों को रातभर में पानी में भिगो कर बहुत अच्छा लाल रंग बनाया जा सकता है। 6. सूखे मेहंदी पावडर को आप हरे रंग की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। सूखी लगाने पर इसे यूं ही हाथ से साफ किया जा सकता है। गीली मेहंदी से त्वचा पर रंग रह जाने का डर रहता है, इसलिए इसे बालों पर लगाने से ज्यादा फायदा होगा। इसे बेझिझक किसी के बालों पर भी लगा सकते हैं। 7. सूखे लाल चंदन को आप लाल गुलाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। यह सुर्ख लाल रंग का पावडर होता है और त्वचा के लिए अच्छा होता है। 8. दो चम्मच मेहंदी को एक लीटर पानी में मिलाकर अच्छी तरह से हिलाएँ। पालक, धनिया और पुदीने की पत्तियों का पेस्ट पानी में घोलकर गीला हरा रंग बनाया जा सकता है। 9. चुकन्दर को किस लें और इसे एक लीटर पानी में भिगो दें। बहुत ही अच्छा गुलाबी रंग तैयार हो जाएगा। गहरे गुलाबी रंग के लिए इसे रातभर भिगोएं। 10. टेसू (पलाश) के फूलों को रातभर पानी में भिगो कर बहुत ही सुन्दर नारंगी रंग बनाया जा सकता है। कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण भी टेसू के फूलों से होली खेलते थे। टेसू के फूलों के रंग को होली का पारम्परिक रंग माना जाता है। हरसिंगार के फूलों को पानी में भिगो कर भी नारंगी रंग बनाया जा सकता है। 11. जामुन को बारीक पीस लें और पानी मिला लें। इससे बहुत ही सुंदर नीला रंग तैयार हो जाएगा। 12. अमलतास, गेंदा व पीले सेवंती के फूलों से भी पीला रंग बनाया जा सकता है। फूलों की पंखुड़ियों को छांव में सुखाकर महीन पीस लें। इसमें बेसन मिला सकते हैं या सिर्फ ऐसे ही उपयोग कर सकते हैं। 13. एक चम्मच हल्दी को दो लीटर पानी में मिलाकर अच्छे से मिला लें। गाढ़े पीले रंग के लिए आप इसे उबाल भी सकते हैं। पचास गेंदे के फूलों को दो ल

    26 January

    Play Episode Listen Later Jan 26, 2023 12:26


    The Constitution of India is the supreme law of the country and was adopted by the Constituent Assembly on 26th November, 1949 . It declares India a sovereign, socialist, secular, and democratic republ and guarantees its citizens justice, equality, and lib . The Constitution also provides six fundamental rights to its people: right to freedom, right to equality, right to cultural and educational rights, right against exploitation, right to constitutional remedies and right to freedom of rel . It frames the fundamental principles of politics, practices, procedures, powers, rights and duties of government instit . The preamble of the Indian Constitution states that it is 'Of the people, for the people and by the people' Republic Day is the day when India marks and celebrates the date on which the Constitution of India came into effect on 26 January 1950. This replaced the Government of India Act 1935 as the governing document of India, thus turning the nation into a republic separate from British Raj.[1] The constitution was adopted by the Indian Constituent Assembly on 26 November 1949 and came into effect on 26 January 1950. 26 January was chosen as the daIndia achieved independence from the British Raj on 15 August 1947 following the Indian independence movement. The independence came through the Indian Independence Act 1947 (10 & 11 Geo 6 c 30), an Act of the Parliament of the United Kingdom that partitioned British India into the two new independent Dominions of the British Commonwealth (later Commonwealth of Nations).[2] India obtained its independence on 15 August 1947 as a constitutional monarchy with George VI as head of state and the Earl Mountbatten as governor-general. The country, though, did not yet have a permanent constitution; instead its laws were based on the modified colonial Government of India Act 1935. On 29 August 1947, a resolution was moved for the appointment of Drafting Committee, which was appointed to draft a permanent constitution, with Dr B R Ambedkar as chairman. While India's Independence Day celebrates its freedom from British Rule, the Republic Day celebrates the coming into force of its constitution. A draft constitution was prepared by the committee and submitted to the Constituent Assembly on 4 November 1947.[3] The Assembly met for 166 days in public sessions spanning two years, 11 months, and 18 days before adopting the Constitution. The 308 members of the Assembly signed two handwritten copies of the document (one in Hindi and one in English) on 24 January 1950, after much deliberation and some changes.[4] Two days later which was on 26 January 1950, it came into effect throughout the whole nation. On that day, Dr. Rajendra Prasad's began his first term of office as President of the Indian Union. The Constituent Assembly became the Parliament of India under the transitional provisions of the new Constitution.[5] On the eve of Republic Day, the President addresses the nation.[6] On November 25, 1949, in his final speech to the Constituent Assembly, Dr B R Ambedkar remarked about the potential and pitfalls of life after January 26, 1950, On the 26th of January 1950, we are going to enter into a life of contradictions. In politics we will have equality and in social and economic life we will have inequality. In politics we will be recognising the principle of one man one vote and one vote one value. In our social and economic life, we shall, by reason of our social and economic structure, continue to deny the principle of one man one value. How long shall we continue to live this life of contradictions? How long shall we continue to deny equality in our social and economic life? If we continue to deny it for long, we will do so only by putting our political democracy in peril. We must remove this contradiction at the earliest possible m

    Netaji subhash chandra bose

    Play Episode Listen Later Jan 22, 2023 6:33


    आप सभी को मेरा प्रणाम। आज हम यहां देश की आजादी की लड़ाई के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाने के लिए जुटे हैं। आज के दिन पूरा देश पराक्रम दिवस भी मना रहा है। भारत सरकार ने वर्ष 2021 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। करिश्माई नेतृत्व वाले सुभाष चंद्र बोस के नारों ने स्वतंत्रता आंदोलन और जनता में जबरदस्त जान फूंकी थी। 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा....!', और जय हिन्द! ऐसे नारे थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई को तेज किया और उसे धार दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। बचपन से ही वह पढ़ाई के काफी तेज थे। स्कूल के दिनों से उनका राष्ट्रवादी स्वभाव सबको नजर आता था। स्कूलिंग के बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन उग्र राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण उन्हें निकाल दिया गया। इसके बाद वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। नेताजी ने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय सिविल सेवा की आरामदेह नौकरी ठुकरा दी। भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में उनकी रैंक 4 थी। किसी भी भारतीय के लिए सिविल सेवक का पद बेहद प्रतिष्ठित होता है लेकिन नेताजी ने अपना शेष जीवन भारत को ब्रिटिश औपनिवेशक शासन से मुक्त कराने में समर्पित करने का फैसला किया। 1919 में हुए जलियांवाला बाग कांड ने उन्हें इस कदर विचलित कर दिया कि वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्हें कई बार जेल में डाला गया लेकिन देश को आजाद कराने का उनका निश्चय और दृढ़ होता चला गया। अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।' नेताजी भारत की आजादी को लेकर बेचैन थे। उन्होंने जन-जन में आजादी के संघर्ष की अलख जगा दी। अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 1943 में 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना करते हुए 'आजाद हिंद फौज' का गठन किया। जर्मनी, इटली, जापान, आयरलैंड, चीन, कोरिया, फिलीपींस समेत 9 देशों की मान्यता भी इस सरकार को मिल गई थी। इसके बाद सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 4 जुलाई 1944 को बर्मा (अब म्यांमार) पहुंचे। यहां उन्होंने नारा दिया 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।' उन्होंने एक नए हौसले के साथ ‘दिल्ली चलो' का नारा दिया और हिंदुस्तान को आजाद कराने के लिए कूच कर दिया। इसके आलावा उन्होंने आजाद हिंद रेडियो स्टेशन भी जर्मनी में शुरू किया और पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया था। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों की यात्रा की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा। साथियों, आज के युवा सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेते हैं। उनके विचार और उनके कथन आज भी भारतीय जनता के दिलों में बसे हुए हैं। उनके ऊर्जावान नारे आज भी प्रासंगिक हैं। जय हिंद का नारा लगाते ही माहौल देशभक्ति से भर जाता है। साथियों, आज का दिन नेताजी के जीवन और त्याग व बलिदान से सीख लेना का दिन है। आज हमें उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। विश्व इतिहास में 23 जनवरी 1897 (23rd January 1897) का दिन स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावती देवी के यहां हुआ था। उनके पिता ने अंगरेजों के दमनचक्र के विरोध में 'रायबहादुर' की उपाधि लौटा दी। इससे सुभाष के मन में अंगरेजों के प्रति कटुता ने घर कर लिया। अब सुभाष अंगरेजों को भारत से खदेड़ने व भारत को स्वतंत्र कराने का आत्मसंकल्प ले, चल पड़े राष्ट्रकर्म की राह पर। आईसीएस की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया। इस बात पर उनके पिता ने उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- 'जब तुमने देशसेवा का व्रत ले ही लिया है, तो कभी इस पथ से विचलित मत होना।' दिसंबर 1927 में कांग्रेस पार्टी (Congress) के राष्ट्रीय महासचिव (National secretary General) के बाद 1938 में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) चुना गया। उन्होंने कहा था- मेरी यह कामना है कि महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के नेतृत्व में ही हमें स्वाधीनता की लड़ाई लड़ना है। हमारी लड़ाई केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद से नहीं, विश्व साम्राज्यवाद से है। धीरे-धीरे कांग्रेस से सुभाष का मोह भंग होने लगा। 16

    bose subhash subhash chandra bose
    MRI स्कैन करवाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान,

    Play Episode Listen Later Nov 24, 2022 4:38


    शरीर की अंदरूनी बीमारियों का पता लगाने के लिए आजकल लोग सिटी स्कैन, MRI मशीन और एक्स-रे का सहारा लेते है। इससे शरीर के अंदर की सभी रोगों के बारे में पता चल जाता है लेकिन बीमारियों का पता लगाने वाली यह मशीन भी खतरनाक हो सकती है। हाल ही में बेहद दर्दनाक हादसे में एमआरआई मशीन में फंसकर एक युवक की जान चली गई। आइए जानते है इस मशीन के बारे में कुछ ओर बातें। क्या है MRI स्कैन? MRI का मतलब मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग स्कैन है। 1970 के दशक में बनी यह मशीन रेफ्रिजरेटर के मैग्नेट से 200 गुना अधिक शक्तिशाली है। इसलिए इसमें किसी भी लापरवाही के कारण व्यक्ति की जान भी जा सकती है। यह मशीन रेडिएशन की बजाए मैग्नेटिक फील्ड पर काम करती है। इसलिए इसके पास किसी भी चुवंकीए धातु को ले जाना मना है।सावधानियां MRI स्कैन करवाने से पहले मरीज 4 घंटे पहले ही कुछ खाने के लिए कहा जाता है। कभी-कभी अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती है। अगर आप MRI स्कैन करवाने जा रहें है तो घड़ी, ज्वैलरी जैसे झुमके या नेकलेस, पियर्सिंग, नकली दांत, सुनने की मशीन और विग आदि उतार दें। क्योंकि यह मशीन मैग्नेटिक फील्ड पैदा करती है और किसी भी मेटल की इसके संपर्क में आना खतरनाक हो सकता है। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    Rajasthani comedy

    Play Episode Listen Later Nov 4, 2022 2:57


    दो सीनियर डॉ की आपसी बातचीत --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    गोवेर्धन पूजा

    Play Episode Listen Later Oct 25, 2022 3:57


    दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की। गोवर्धन पूजा की झलक जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।[1] कबीर साहेब जी अपनी वाणी में कहते है: कबीर, गोवर्धन कृष्ण जी उठाया, द्रोणागिरि हनुमंत। शेष नाग सब सृष्टी उठाई, इनमें को भगवंत।।[2] गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की उपज होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहँकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए। लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरम्भ कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गयी। इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियन्त्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें। इन्द्र निरन्तर सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे लगा कि उनका सामना करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं। ब्रह्मा जी के मुख से यह सुनकर इन्द्र अत्यन्त लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहँकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रङ्ग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है। गोवर्धन पूजा की विधि इस दिन प्रात: काल शरीर पर तेल मलकर स्नान करने का प्राचीन परम्परा है. इस दिन आप सवेरे समय पर उठकर पूजन सामग्री के साथ में आप पूजा स्थल पर बैठ जाइए और अपने कुल देव का, कुल देवी का ध्यान करीये पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत पूरी श्रद्धा भाव से बनाएँ। इसे लेटे हुये पुरुष की आकृति में बनाया ज --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    हिन्दू आस्था के 10 मंदिर

    Play Episode Listen Later Sep 7, 2022 5:16


    स्वर्ण मंदिर अमृतसर भारत (श्री हरिमंदिर साहिब अमृतसर) न केवल सिखों का एक केंद्रीय धार्मिक स्थान है, बल्कि मानव भाईचारे और समानता का प्रतीक भी है। हर कोई, जाति, पंथ या जाति के बावजूद बिना किसी बाधा के आध्यात्मिक शांति और धार्मिक पूर्ति की तलाश कर सकता है। यह सिखों की विशिष्ट पहचान, गौरव और विरासत का भी प्रतिनिधित्व करता है। श्री गुरु अमर दास जी (तीसरे सिख गुरु) की सलाह के अनुसार, श्री गुरु राम दास जी (चौथे सिख गुरु) ने 1577 ई. 15 दिसंबर, 1588 को श्री गुरु अर्जन देव जी (पांचवें सिख गुरु) और उन्होंने श्री हरमंदिर साहिब का निर्माण भी शुरू किया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब (सिखों का ग्रंथ), इसके संकलन के बाद, पहली बार 16 अगस्त, 1604 ई. को श्री हरमंदिर साहिब में स्थापित किया गया था। एक धर्मनिष्ठ सिख, बाबा बुद्ध जी को इसका पहला प्रधान पुजारी नियुक्त किया गया था मीनाक्षी सुन्दरेश्वरर मन्दिर या मीनाक्षी अम्मां मन्दिर या केवल मीनाक्षी मन्दिर (तमिल: மீனாக்ஷி அம்மன் கோவில்) भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई नगर, में स्थित एक ऐतिहासिक मन्दिर है। यह हिन्दू देवता शिव (“‘सुन्दरेश्वरर”' या सुन्दर ईश्वर के रूप में) एवं उनकी भार्या देवी पार्वती (मीनाक्षी या मछली के आकार की आंख वाली देवी के रूप में) दोनो को समर्पित है। हिन्दु पौराणिक कथानुसार भगवान शिव सुन्दरेश्वरर रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरई नगर में आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इस मन्दिर को देवी पार्वती के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

    अंग दान क्यों करे

    Play Episode Listen Later Aug 28, 2022 7:26


    अंगदान द्वारा दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को न केवल बचाया जा सकता है बल्कि उसकी जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। एक मृत देह से करीब 50 जरूरतमंद लोगो की मदद की जा सकती है। भारत में हर वर्ष करीब दो लाख गुर्दे दान करने की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष 7000 से 8000 गुर्दे ही मिल पाते है अंगदान- किसी जीवित या मृत व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्ति को कोई ऊतक या अंगदान करना अंगदान कहलाता है। दाता द्वारा दिया गया अंग ग्राही के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। अंगदान द्वारा दूसरे व्यक्ति की जिंदगी को न केवल बचाया जा सकता है बल्कि उसकी जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है। एक मृत देह से करीब 50 जरूरतमंद लोगो की मदद की जा सकती है। भारत में हर वर्ष करीब दो लाख गुर्दे दान करने की आवश्यकता है जबकि मौजूदा समय में प्रतिवर्ष 7000 से 8000 गुर्दे ही मिल पाते है। इसी प्रकार करीब 50,000 लोग हर वर्ष ह्रदय प्रत्यारोपण की आस में रहते है परन्तु उपलब्धता केवल 10 से 15 की ही है। प्रत्यारोपण के लिए हर वर्ष भारत में 50,000 यकृत की आवश्यकता है परन्तु केवल 700 व्यक्तियों को ही यह मौका प्राप्त हो पाता है। कमोबेश यही स्थिति सभी अंगो के साथ है। एक अनुमान के हिसाब से भारत में हर वर्ष करीब पाँच लाख लोग अंगो के खराब होने तथा अंग प्रत्यारोपण ना हो पाने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते है। अतः अंगदान एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।अंगदान कौन कर सकता है और इसके मापदंड क्‍या हैं? कोई भी व्‍यक्ति मृत्यु के बाद ऑर्गन डोनर बन सकता है. यह फैसला लेने के लिए कोई आयु सीमा नहीं है. हालांकि, शरीर के अंग दान करने के लिए इस्‍तेमाल हो सकते हैं या नहीं, इसका आखिरी फैसला अस्‍पताल में होता है, क्‍योंकि यह तय करना होता है कि अंग दान के लिए सही हैं या नहीं. आमतौर पर अंगदान के तीन तरीके होते हैं, जो इस प्रकार हैं: अंगदान के तीन तरीके ब्रेन डेथ: इस मामले में इनफार्क्‍ट/ब्‍लीडिंग/ ट्रॉमा यानी आघात के कारण ब्रेन स्‍टेम में खून की आपूर्ति रुक जाती है. ब्रेन स्‍टेम ही शरीर के महत्‍वपूर्ण केन्‍द्रों को नियंत्रित करता है. इसमें व्‍यक्ति सांस लेने या सचेत रहने की क्षमता खो देता है. ब्रेन डेथ और कोमा में अंतर है. कोमा में ब्रेन चोटिल हो सकता है, लेकिन उसके द्वारा खुद को ठीक करने की संभावना रहती है. हालांकि, ब्रेन डेथ के मामले में ठीक होने की संभावना नहीं रहती है और ब्रेन फिर से काम नहीं कर पाता है. ऐसे मामलों में व्‍यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है और अगर उसका परिवार चाहे, तो उसके अंग ज़रूरतमंदों को दान किए जा सकतेसर्कुलेटरी डेथ: इसमें हार्ट अटैक के बाद सर्कुलेशन (परिसंचरण) का काम रुक जाता है और व्‍यक्ति को पुनर्जीवित या सक्रिय नहीं किया जा सकता. ऐसा तब भी हो सकता है, जब इंटेंसिव केयर यूनिट या इमरजेंसी डिपार्टमेंट के भीतर मरीज को जीवित बनाए रखने वाले उपचार को उसके ठीक होने की उम्‍मीद न रहने पर बंद कर दिया जाए. सर्कुलेटरी डेथ के मामले में मरीज पर करीब से नज़र रखी जाती है और अंगदान तभी होता है, जब सर्कुलेशन ऐसा रुके कि फिर शुरू न हो सके. सर्कुलेटरी डेथ के मामले में समय बहुत कम मिलता है, क्‍योंकि ऑक्‍सीजन वाले खून के बिना अंग शरीर के बाहर ज्‍यादा समय तक ठीक नहीं रह सकते. लिविंग डोनेशन: दान के उपरोक्‍त दो प्रकार व्‍यक्ति की मौत के बाद के लिए होते हैं, जबकि लिविंग डोनेशन व्‍यक्ति के जीवित रहते हो सकता है. व्‍यक्ति अपने परिजन या किसी ज़रूरतमंद के लिए किडनी, लिवर के एक छोटे हिस्‍से या नितंब या घुटने बदलने के बाद बेकार की बोन का दान कर सकता है. क्‍या ऐसा व्‍यक्ति, जिसका परिवार न हो, ऑर्गन डोनर के तौर पर रजिस्‍टर हो सकता है? यह संभव है और इसे प्रोत्‍साहित भी किया जाता है. अगर किसी व्‍यक्ति के परिजन नहीं हैं, तो वह अपने सबसे करीबी दोस्‍तों या सहकर्मियों को मरने के बाद अपने अंगदान करने का फैसला बता सकता है. वह विभिन्‍न समूहों के साथ भी अंगदान के लिए ‘साइन अप' कर सकता है. --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    कृष्ण-कर्ण संवाद

    Play Episode Listen Later Aug 6, 2022 2:46


    प्रशन करने का अधिकार सबका है कुछ प्रशन जायज होते है मानव का स्वाभाव ऐसा है जो प्रशन करता है मन में अनेक प्रशन उठाते हे एसी प्रशन जो महाभारत में कर्ण ने कृष्णा से पूछे आप समक्ष प्रस्तुत है महाभारत में कर्ण ने भगवान कृष्ण से पूछा- “मेरी मां ने मुझे जन्म दिया था। क्या यह मेरी गलती है कि मैं एक अवैध बच्चा पैदा हुआ था? मुझे द्रोणाचार्य से शिक्षा नहीं मिली क्योंकि मुझे क्षत्रिय नहीं माना गया था।परशुराम ने मुझे सिखाया लेकिन फिर मुझे सबकुछ भूलने का अभिशाप दिया जब उसे पता चला कि मैं क्षत्रिय कुंती का पुत्र हूँ। एक गाय को गलती से मेरा तीर लग गया और उसके मालिक ने मुझे मेरी गलती के बिना श्राप दिया। मैं द्रौपदी के स्वयंवर में अपमानित था।यहां तक कि कुंती ने अंततः मुझे अपने अन्य बेटों को बचाने के लिए सच्चाई भी बताया। जो भी मैं प्राप्त किया दुर्योधन के दान के माध्यम से किया। तो मैं उनका पक्ष लेने में गलत कैसे हूं! ” --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    sawan mass

    Play Episode Listen Later Jul 17, 2022 9:18


    Shravan Maas: श्रावण मास, 1 of 5 हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवां महीना होता है। - Shravan Maas: आज से श्रावण मास आरंभ हो गया है। हिन्दू धर्म में श्रवण मास का बहुत ही महत्व है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवां महीना होता है। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जो भक्त सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं। सावन महीने के सोमवार को पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके अगर व्रत रखा जाए तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस बार श्रावण का पवित्र महीना 14 जुलाई से आरंभ हो रहा है, जो 12 अगस्त तक चलेगा। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं। सावन के सोमवार कुंवारी लड़कियां के लिए काफी खास माने जाते हैं। कहते है कि सावन में भगवान शिव की उपासना करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। आइए जानते हैं सावन के महीने में क्यों की जाती है भगवान शंकर की पूजा और इस महीने में किन चीजों से परहेज करना चाहिए। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    woh papa the

    Play Episode Listen Later Jun 19, 2022 4:48


    हम कितने भी बड़े हो जाये लेकिन पापा के लिए हम लिटिल चाइल्ड ही है आज हम सब आपने पापा को स्मरण करते हुए आपनी बचपन में पापा के त्याग को नहीं जाना मम्मी के लाडले होने पर भी पापा के दुलारे थे हमारी ख्वाशियो को अगर किसी ने समझा तो वोह पापा होते है भले हमारे पापा की ग्रेट पर्सनालिटी न हो लेकिन हमारे लिए तो हमारे हीरो होते है अक्सर में ही नहीं (1) मेरी ताकत, मेरी पूंजी, मेरी पहचान है पिता..! (2) पिता की छांव, मकान की ... (3) जिसकी डांट में भी प्यार छुपा होता है, ... (4) मेरे हिस्से के गम खरीद लिए, ... (5) जिंदगी की धूप में बादल के जैसे है पिता ... (6) तूफानों से लड़ना, किसी के आगे नहीं झुकना ... (7) मैं तब तक अमीर था ... (8) मंजिल दूर और सफ़र बहुत है, कहे जो भी, कहता रहे जमाना मैने मेने पापा से सीखा है.. दर्द में भी मुस्कुराना अपनी किस्मत को खुद, जला देते है, जो लोग माँ बाप की बात, बिल्कुल भी नहीं मानते है || --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    yaden

    Play Episode Listen Later Jun 12, 2022 7:37


    ham aapane vatan es dur rah kar bhi aapani mitti ko nahi bhul pate जब भी मौका मिलाता है आपनी जमीं को चूमने तथा यहाँ ले निकल पड़ते है यह कहानी भी एक इसे व्यक्ति की है जो किसी कम से आता हे और आपनी धरती को देख कर आपना कम छोड़ कर आपनी जनम भूमि के This story is of such a person, whenever he gets a chance, he goes out to kiss his land and take it here, who comes from someone less and after seeing his earth, he leaves his land for his birth land. --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    विश्व पोषण दिवस 2022

    Play Episode Listen Later May 29, 2022 12:15


    विश्व पोषण दिवस 2022: महामारी के बाद के युग में हम में से अधिकांश के लिए स्वास्थ्य और पोषण एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बन गया है। हम क्या खाते हैं और हम जो आहार का पालन करते हैं वह अब हमारे दैनिक जीवन का उपेक्षित हिस्सा नहीं है, बल्कि प्राथमिक चिंता है। हमने सीखा है कि हम जो भोजन करते हैं वह हमारे दैनिक जीवन और बीमारियों और समग्र स्वास्थ्य के प्रति हमारी सहनशीलता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। सही प्रकार के पोषण का अर्थ है सभी पांच आवश्यक पोषक तत्व - कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, खनिज और वसा संतुलित अनुपात में प्राप्त करना। विश्व पोषण दिवस 2022 जागरूकता फैलाने और इसी पहलू को सामने लाने के लिए है। विश्व भर में 28 मई 2022 को विश्व पोषण दिवस मनाया जा रहा है। यह एक ऐसा दिन है जिसे हर साल स्पेनिश फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज ऑफ न्यूट्रिशन, फूड एंड डायटेटिक्स (FESNAD) जैसे संस्थानों द्वारा चिह्नित किया जाता है। वे इस अवसर को स्पेनिश में 'Dia Nacional de la Nutricion' भी कहते हैं। आहार विशेषज्ञ बनाम पोषण विशेषज्ञ एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ पोषण विशेषज्ञ (आरडी या आरडीएन) भोजन, पोषण और आहार विज्ञान का अध्ययन करता है। एक पंजीकृत आहार विशेषज्ञ बनने के लिए, एक व्यक्ति को एक मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में भाग लेने, एक अनुमोदित पाठ्यक्रम का पालन करने, एक कठोर इंटर्नशिप पूरा करने, एक लाइसेंस परीक्षा पास करने और हर 5 साल में 75 या अधिक सतत शिक्षा घंटे पूरा करने की आवश्यकता होती है। आहार विशेषज्ञ निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कॉर्पोरेट कल्याण, अनुसंधान और खाद्य उद्योग में काम करते हैं। एक पोषण विशेषज्ञ स्व-अध्ययन या औपचारिक शिक्षा के माध्यम से पोषण के बारे में सीखता है, लेकिन वे आरडी या आरडीएन शीर्षकों का उपयोग करने की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं। पोषण विशेषज्ञ अक्सर खाद्य उद्योग और खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में काम करते हैं। सारांश पोषण भोजन का अध्ययन है और यह शरीर को कैसे प्रभावित करता है। पोषक तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला प्राप्त करने के लिए लोगों को विविध आहार लेने की आवश्यकता होती है। कुछ लोग एक विशिष्ट आहार का पालन करना चुनते हैं, जिसमें वे कुछ खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और दूसरों से बचते हैं। जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक विटामिन प्राप्त करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता हो सकती है। एक आहार जो पौधे आधारित खाद्य पदार्थों में समृद्ध है और जो पशु वसा, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, और अतिरिक्त चीनी और नमक को सीमित करता है, किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकता है। यहां विभिन्न आहारों के बारे में जानें: पौधे आधारित आहार भूमध्य आहार डैश आहार शाकाहारी आहार कच्चा भोजन आहार पालियो आहार ग्लूटन मुक्त भोजन कीटो डाइट मैक्रोन्यूट्रिएंट वे पोषक तत्व हैं जिनकी लोगों को अपेक्षाकृत बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। कार्बोहाइड्रेट चीनी, स्टार्च और फाइबर कार्बोहाइड्रेट के प्रकार हैं। शर्करा साधारण कार्ब्स हैं। शरीर जल्दी से टूट जाता है और शर्करा और संसाधित स्टार्च को अवशोषित करता है। वे तेजी से ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं, लेकिन वे एक व्यक्ति को पूर्ण महसूस नहीं होने देते हैं। वे रक्त शर्करा के स्तर में स्पाइक का कारण भी बन सकते हैं। बार-बार शुगर स्पाइक्स से टाइप 2 डायबिटीज और इसकी जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। फाइबर भी एक कार्बोहाइड्रेट है। शरीर कुछ प्रकार के फाइबर को तोड़ता है और उन्हें ऊर्जा के लिए उपयोग करता है; दूसरों को आंत बैक्टीरिया द्वारा चयापचय किया जाता है, जबकि अन्य प्रकार शरीर से गुजरते हैं। फाइबर और असंसाधित स्टार्च जटिल कार्ब्स हैं। जटिल कार्ब्स को तोड़ने और अवशोषित करने में शरीर को कुछ समय लगता है। फाइबर खाने के बाद व्यक्ति अधिक देर तक भरा हुआ महसूस करेगा। फाइबर मधुमेह, हृदय रोग और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकता है। कॉम्प्लेक्स कार्ब्स शर्करा और रिफाइंड कार्ब्स की तुलना में अधिक स्वास्थ्यप्रद विकल्प हैं। फाइबर के बारे में यहां और जानें। प्रोटीन प्रोटीन में अमीनो एसिड होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिक हैं। 20 अमीनो एसिड होते हैं। इनमें से कुछ आवश्यक हैं, जिसका अर्थ है कि लोगों को उन्हें भोजन से प्राप्त करने की आवश्यकता है। शरीर दूसरों को बना सकता है। कुछ खाद्य पदार्थ पूर्ण प्रोटीन प्रदान करते हैं, जिसका अर्थ है कि उनमें शरीर के लिए आवश्यक सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। अन्य खाद्य पदार्थों में अमीनो एसिड के विभिन्न संयोजन होते हैं। अधिकांश पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों में पूर्ण प्रोटीन नहीं होता है, इसलिए एक व --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    story of Amitabh Bachchan

    Play Episode Listen Later May 15, 2022 5:34


    अमिताभ बच्चन के बारे में कोन नहीं जानता इस सदी के महानायक और फिल्म इंडस्ट्री इनके दम पर चलती है आज कुछ नए तथ्य प्रस्तुत कर रहे है जो की आपके लिए नए होगे अमिताभ बच्चन (जन्म-11 अक्टूबर, 1942) भारतीय फिल्म जगत बॉलीवुड के अभिनेता और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र हैं। 1970 के दशक के दौरान उन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की[12] और तब से भारतीय सिनेमा के इतिहास में प्रमुख व्यक्तित्व बन गए। अमिताभ ने अपने करियर में अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सम्मिलित हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है। अभिनय के अलावा बच्चन ने पार्श्वगायक, फ़िल्म निर्माता, टीवी प्रस्तोता और भारतीय संसद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में 1984 से 1987 तक भूमिका निभाई है। भारतीय टीवी का लोकप्रिय शो "कौन बनेगा करोड़पति" में कई वर्षों से मेजबान की भूमिका भी ये निभाते आए हैं। इस शो में उनके द्वारा किया गया 'देवियों और सज्जनों' संबोधन बहुचर्चित रहा। अमिताभ बच्चन का विवाह अभिनेत्री जया भादुड़ी से हुआ और इनकी दो संतानें हैं, श्वेता नंदा और अभिषेक बच्चन। अभिषेक बच्चन सुप्रसिद्ध अभिनेता हैं, जिनका विवाह पूर्व विश्वसुन्दरी और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय से हुआ है। बच्चन पोलियो उन्मूलन अभियान के बाद अब तंबाकू निषेध परियोजना पर काम करेंगे। अमिताभ बच्चन को अप्रैल 2005 में एचआईवी/एड्स और पोलियो उन्मूलन अभियान के लिए यूनिसेफ के द्वारा सद्भावना राजदूत नियुक्त किया गया था।आरंभिक जीवन इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन के पिता, डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन अविभाजित भारत के कराची शहर से सम्बन्ध रखती थीं जो कि अब पाकिस्तान में है।[14] आरंभ में अमित जी का नाम इंकलाब रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग किए गए प्रेरक वाक्यांश 'इंकलाब जिंदाबाद' से लिया गया था। लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने इनका नाम 'अमिताभ' रखा। 'अमिताभ' का अर्थ है, "शाश्वत प्रकाश"। यद्यपि इनका उपनाम श्रीवास्तव था व वह कायस्थ जाति से सम्बन्ध रखते हैं फिर भी इनके पिता ने इस उपनाम को अपने कृतियों को प्रकाशित करने वाले बच्चन नाम से उद्धृत किया। यह उनका उपनाम ही है जिसके साथ उन्होंने फ़िल्मों में एवं सभी सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया। अब यह उनके परिवार के समस्त सदस्यों का उपनाम बन गया है। अमिताभ, हरिवंश राय बच्चन के दो बेटों में सबसे बड़े हैं। उनके दूसरे बेटे का नाम अजिताभ है। इनकी माता तेजी बच्चन की थिएटर में गहरी रुचि थी और उन्हें फ़िल्म में रोल की पेशकश भी की गई थी किंतु इन्होंने गृहणी बनना ही पसंद किया। अमिताभ के करियर के चुनाव में इनकी माता का भी कुछ योगदान था क्योंकि वे हमेशा इस बात पर भी जोर देती थी कि उन्हें सेंटर स्टेज को अपना करियर बनाना चाहिए।[15] बच्चन के पिता का देहांत २००३ में हो गया था जबकि उनकी माता की मृत्यु २१ दिसंबर २००७ को हुई थीं। बच्चन ने दो बार एम. ए. की उपाधि ग्रहण की है। मास्टर ऑफ आर्ट्स (स्नातकोत्तर) इन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल (बीएचएस) तथा उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की जहाँ कला संकाय में प्रवेश दिलाया गया। अमिताभ बाद में अध्ययन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां इन्होंने विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अपनी आयु के २० के दशक में बच्चन ने अभिनय में अपना कैरियर आजमाने के लिए कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी छोड़ दी। ३ जून, १९७३ को इन्होंने बंगाली संस्कार के अनुसार अभिनेत्री जया भादुड़ी से विवाह कर लिया। इस दंपती को दो बच्चों: बेटी श्वेता और पुत्र अभिषेक पैदा हुए। --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    लू लगने से मृत्यु क्यों होती है ?

    Play Episode Listen Later Apr 30, 2022 1:51


    हम सभी धूप में घूमते हैं फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है ?

    ipl ki kahani

    Play Episode Listen Later Apr 9, 2022 6:59


    Indian Premier League (IPL) Story, The Indian Premier League, officially Vivo Indian Premier League for sponsorship reasons, is a professional Twenty20 cricket league in India contested during April and May of every year by teams representing Indian cities. table, th, td { border:2px solid black; } Indian Premier League (IPL) IPL 2022 Schedule! There is a total of 74 T20 matches to be played in IPL 2022 as we know that there are 10 teams in IPL 2022. Here is the IPL full schedule for 2022 considering the current 8 and 2 new teams. Defending champion Chennai Super Kings will take on Kolkota Knight Riders in the opening match on 26 March 2022 in Mumbai. The final match of the tournament is likely to be played on 29 May 2022. IPL 2022 Schedule! There is a total of 74 T20 matches to be played in IPL 2022 as we know that there are 10 teams in IPL 2022. Here is the IPL full schedule for 2022 considering the current 8 and 2 new teams. Defending champion Chennai Super Kings will take on Kolkota Knight Riders in the opening match on 26 March 2022 in Mumbai. The final match of the tournament is likely to be played on 29 May 2022. table, th, td { border:2px solid black; } A basic HTML table S.No Date Match Centre Venue Time (IST) 1 March 26 Chennai Super Kings vs Kolkata Knight Riders 7:30PM Wankhede Stadium 2 March 27 Delhi Capitals vs Mumbai Indians 3:30PM Brabourne - CCI 3 March 27 Punjab Kings vs Royal Challengers Bangalore 7:30PM DY Patil Stadium, Mumbai 4 March 28 Gujarat Titans vs Lucknow Super Giants 7:30PM Wankhede Stadium, Mumbai 5 March 29 Sunrisers Hyderabad vs Rajasthan Royals 7:30PM MCA Stadium, Pune 6 March 30 Royal Challengers Bangalore vs Kolkata Knight Riders 7:30PM DY Patil Stadium, Mumbai 7 March 31 Lucknow Super Giants vs Chennai Super Kings 7:30PM Brabourne - CCI 7 March 31 Lucknow Super Giants vs Chennai Super Kings 7:30PM Brabourne - CCI 8 April 1 Kolkata Knight Riders vs Punjab Kings 7:30PM Wankhede Stadium, Mumbai 9 April 2 Mumbai Indians vs Rajasthan Royals 3 :30PM DY Patil Stadium 10 April 2 Gujarat Titans vs Delhi Capitals 7:30PM MCA Stadium, Pune 11 April 3 Chennai Super Kings vs Punjab Kings 7:30PM Brabourne - CCI 12 April 4 Sunrisers Hyderabad vs Lucknow Super Giants 7:30PM DY Patil Stadium 13 April 5 Rajasthan Royals vs Royal Challengers Bangalore 7:30PM Wankhede Stadium, Mumbai 14 April 6 Kolkata Knight Riders vs Mumbai Indians 7:30PM 15 April 7 Lucknow Super Giants vs Delhi Capitals 7:30PM DY Patil Stadium 16 April 8 Punjab Kings vs Gujarat Titans 7:30PM Brabourne - CCI 17 April 9 Chennai Super Kings vs Sunrisers Hyderabad --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    Mehu

    Play Episode Listen Later Mar 19, 2022 16:38


    A story of girl who lost her eye in accident of holi --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    shiv ki 108 Nam

    Play Episode Listen Later Mar 1, 2022 4:31


    This is a heading This is a paragraph.भगवान शिव के 108 नाम १- ॐ भोलेनाथ नमः २-ॐ कैलाश पति नमः ३-ॐ भूतनाथ नमः ४-ॐ नंदराज नमः ५-ॐ नन्दी की सवारी नमः ६-ॐ ज्योतिलिंग नमः ७-ॐ महाकाल नमः ८-ॐ रुद्रनाथ नमः ९-ॐ भीमशंकर नमः १०-ॐ नटराज नमः ११-ॐ प्रलेयन्कार नमः १२-ॐ चंद्रमोली नमः १३-ॐ डमरूधारी नमः १४-ॐ चंद्रधारी नमः १५-ॐ मलिकार्जुन नमः १६-ॐ भीमेश्वर नमः १७-ॐ विषधारी नमः १८-ॐ बम भोले नमः १९-ॐ ओंकार स्वामी नमः २०-ॐ ओंकारेश्वर नमः २१-ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः २२-ॐ विश्वनाथ नमः २३-ॐ अनादिदेव नमः २४-ॐ उमापति नमः २५-ॐ गोरापति नमः २६-ॐ गणपिता नमः ८९-ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः २७-ॐ भोले बाबा नमः २८-ॐ शिवजी नमः २९-ॐ शम्भु नमः ३०-ॐ नीलकंठ नमः ३१-ॐ महाकालेश्वर नमः ३२-ॐ त्रिपुरारी नमः ३३-ॐ त्रिलोकनाथ नमः ३४-ॐ त्रिनेत्रधारी नमः ३५-ॐ बर्फानी बाबा नमः ३६-ॐ जगतपिता नमः ३७-ॐ मृत्युन्जन नमः ३८-ॐ नागधारी नमः ३९- ॐ रामेश्वर नमः ४०-ॐ लंकेश्वर नमः ४१-ॐ अमरनाथ नमः ४२-ॐ केदारनाथ नमः ४३-ॐ मंगलेश्वर नमः ४४-ॐ अर्धनारीश्वर नमः ४५-ॐ नागार्जुन नमः ४६-ॐ जटाधारी नमः ४७-ॐ नीलेश्वर नमः ४८-ॐ गलसर्पमाला नमः ४९- ॐ दीनानाथ नमः ५०-ॐ सोमनाथ नमः ५१-ॐ जोगी नमः ५२-ॐ भंडारी बाबा नमः ५३-ॐ बमलेहरी नमः ५४-ॐ गोरीशंकर नमः ५५-ॐ शिवाकांत नमः ५६-ॐ महेश्वराए नमः ५७-ॐ महेश नमः ५८-ॐ ओलोकानाथ नमः ५४-ॐ आदिनाथ नमः ६०-ॐ देवदेवेश्वर नमः ६१-ॐ प्राणनाथ नमः ६२-ॐ शिवम् नमः ६३-ॐ महादानी नमः ६४-ॐ शिवदानी नमः ६५-ॐ संकटहारी नमः ६६-ॐ महेश्वर नमः ६७-ॐ रुंडमालाधारी नमः ६८-ॐ जगपालनकर्ता नमः ६९-ॐ पशुपति नमः ७०-ॐ संगमेश्वर नमः ७१-ॐ दक्षेश्वर नमः ७२-ॐ घ्रेनश्वर नमः ७३-ॐ मणिमहेश नमः ७४-ॐ अनादी नमः ७५-ॐ अमर नमः ७६-ॐ आशुतोष महाराज नमः ७७-ॐ विलवकेश्वर नमः ७८-ॐ अचलेश्वर नमः ७९-ॐ अभयंकर नमः ८०-ॐ पातालेश्वर नमः ८१-ॐ धूधेश्वर नमः ८२-ॐ सर्पधारी नमः ८३-ॐ त्रिलोकिनरेश नमः ८४-ॐ हठ योगी नमः ८५-ॐ विश्लेश्वर नमः ८६- ॐ नागाधिराज नमः ८७- ॐ सर्वेश्वर नमः ८८-ॐ उमाकांत नमः ९०-ॐ त्रिकालदर्शी नमः ९१-ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः ९२-ॐ महादेव नमः ९३-ॐ गढ़शंकर नमः ९४-ॐ मुक्तेश्वर नमः ९५-ॐ नटेषर नमः ९६-ॐ गिरजापति नमः ९७- ॐ भद्रेश्वर नमः ९८-ॐ त्रिपुनाशक नमः ९९-ॐ निर्जेश्वर नमः १०० -ॐ किरातेश्वर नमः १०१-ॐ जागेश्वर नमः १०२-ॐ अबधूतपति नमः १०३ -ॐ भीलपति नमः १०४-ॐ जितनाथ नमः १०५-ॐ वृषेश्वर नमः १०६-ॐ भूतेश्वर नमः १०७-ॐ बैजूनाथ नमः १०८-ॐ नागेश्वर नमःv --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    Rajiv Gandhi Scholarship for Academic Excellence or Scheme

    Play Episode Listen Later Feb 13, 2022 4:50


    Study Abroad under Rajiv Gandhi Academic Excellence Scholarship (TRI) scheme for students 1. OR OBJECTIVES OF THE PROJECT This program provides financial assistance to students selected for pursuing higher studies abroad in specified disciplines for undergraduate level, postgraduate level, PhD and post-doctoral research programmes. . For undergraduate level courses, only subjects related to Humanities (External Affairs) will be considered. This scholarship will be provided for 200 students per year. Although 30 percent of the awards (60) are earmarked for girl students, however, in case the identified award remains vacant, these awards will be allotted to other categories of students. The scholarship will be given only to those applicants who have already received the admit card from the foreign university/institution concerned before applying for the scholarship. During the deadline of the scholarship or after the end of the scholarship period, this scheme has no qualms with respect to the employment opportunities of the recipient of the scholarship. 2. Subjects covered by or under the scheme The subject and the list of awards related to them for award of scholarship are as follows:- Field of study Number of slots Category 1Humanities 2. Social Science 3. Agriculture and forest science 4.Nature and Environmental science 5.Law 6.Management and Business administration 7. Economics and Finance 25 II 8. Pure Science 9. Public Health 25 10. Engineering and related science 11. Medicine 12. Applied Science (15 ) * IV * Scholarship Duration and Financial Aid Note that this or the scheme will provide financial assistance for the duration of the course/research as specified by the University/Institute or till the duration of the course mentioned below, whichever is earlier: Post-doctoral research - 1 (one) year. The PhD - 3 (three) years. Master's degree - 1 (one) to 2 (two) years, depending on the duration of the course. K. Bachelor's Degree - Based on the duration of the course. Stay abroad of the student for a period exceeding the stipulated period for a certain course can be considered without any financial assistance. To this effect, the student will have to submit a recommendation letter issued by the competent authority of the concerned educational institution/university, certifying that the longer stay of the said period for completing the course is for the candidate. It is absolutely necessary. However, the final decision in this regard will rest with the Government of Rajasthan. 4. Eligibility Criteria minimum or qualification Pt Rajiv Gandhi Academic Excellence Scholarship: Only those candidates will be eligible who have applied for the scholarship in any of the 50 prescribed Universities/Institutions listed at Annexure-I before applying for the scholarship. The admit card has been obtained from the institute. iii) Persons working in any field are not eligible for the scholarship. 5. Age Below 35 years of age as on July 01 in the year relating to the scholarship allotment. (i) The candidate will have to provide an authentic certificate of domicile of Rajasthan. 6. Income Limit The total income of the candidate's family should not exceed Rs.8,00,000/-(Eight lakh per annum). A copy of the updated tax assessment should also be attached with the application. In the event of not filling all the 200 awards under clause 6(1) of the income limit, the applications of those candidates whose total family income is more than Rs.8.00 lakh per annum, their applications will also be considered. Will go

    भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है संविधान

    Play Episode Listen Later Jan 22, 2022 9:53


    भारतीय संविधान title>

    salasar balaji ki mahima

    Play Episode Listen Later Jan 16, 2022 3:40


    सालासर के बाला ji के किस्से बहुत प्रचलित हे --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    jiy kab tAK ULJHga

    Play Episode Listen Later Dec 31, 2021 9:26


    ek bhajan naye sal नये वर्ष के उपलक्ष्य में भजन से शुरू आत करते है --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    नाश्ते में क्या लें

    Play Episode Listen Later Dec 26, 2021 8:03


    नाशता करना स्वास्थ के लिए जरुरी है नाश्ता हमारी दिन भर की आवशकता की पूर्ति का कर्ता है उर्जा का स्त्रोत होने के साथ window.dataLayer = window.dataLayer || []; function gtag(){dataLayer.push(arguments);} gtag('js', new Date()); gtag('config', 'G-Z0J3C99WPR'); > i { color:#f06414; } input[type=name], select { width: 100%; padding: 12px 20px; margin: 4px 0; display: inline-block; border: 1px solid #ccc; border-radius: 4px; box-sizing: border-box; } .footerbtn { display: block; line-height: 15px; position: fixed; left:0px; bottom:0px; height:40px; border-radius: 15px; box-sizing: border-box; padding: 5px; background:#34af23; color: #ffffff; font-size: 18px; text-align: center; text-decoration: none; width:95%; margin-left:10px; margin-right:30px; box-shadow: 0 4px 12px 0 rgba(0, 0, 0, .3); animation: footer infinite linear 1s; -webkit-transform: translate3d(30%,0,0); transform: translate3d(30%,0,0); position: fixed; } .footerbtn :active { box-shadow: none } @-webkit-keyframes footer { from { -webkit-transform: rotateZ(0) } 25% { -webkit-transform: rotateZ(1.5deg) } 50% { -webkit-transform: rotateZ(0deg) } 75% { -webkit-transform: rotateZ(-1.5deg) } to { -webkit-transform: rotateZ(0) }} @-webkit-keyframes jello { from, 11.1%, to { transform: none; } 22.2% { transform: skewX(-12.5deg) skewY(-12.5deg); } 33.3% { transform: skewX(6.25deg) skewY(6.25deg); } 44.4% { transform: skewX(-3.125deg) skewY(-3.125deg); } 55.5% { transform: skewX(1.5625deg) skewY(1.5625deg); } 66.6% { transform: skewX(-0.78125deg) skewY(-0.78125deg); } 77.7% { transform: skewX(0.390625deg) skewY(0.390625deg); } 88.8% { transform: skewX(-0.1953125deg) skewY(-0.1953125deg); }} .jello { -webkit-animation: jello 3s infinite; transform-origin: center; -webkit-animation-delay:6s} @-webkit-keyframes hue { from { -webkit-filter: hue-rotate(0deg); } to { -webkit-filter: hue-rotate(-360deg); }} .m1{position:fixed;left:1%; width:auto;height:100%;top:1%;color:#000;} .m2{position:fixed;right:1%; width:auto;height:100%;top:1%;color:#000;} .bubbles { font-family: arial; } .bubbles hi { font-family: 'Luckiest Guy', cursive; color: black; } hi { font-size:2.5em; user-select:none; } hi span { display:inline-block; animation:float .2s ease-in-out infinite; } @keyfra --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    Bhakti

    Play Episode Listen Later Dec 20, 2021 11:17


    भक्ति क्या है यह हम नहीं जानते सिर्फ रात दिन भजन पूजन में लगे रहते हे संत ज्ञानेश्वर एक बड़े ज्ञानी थे उनकी भक्ति के आगे बड़े बड़े संत शीश नवाते थे संत ज्ञानेश्वर की गणना भारत के महान् संतों एवं मराठी कवियों में होती है। संत ज्ञानेश्वर का जन्म 1275 ई. में महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले में पैठण के पास आपेगांव में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इनके पिता का नाम विट्ठल पंत तथा माता का नाम रुक्मिणी बाई था। संत ज्ञानेश्वर की जयंती 24 अगस्त को मनाई जाती है। योगी और कृष्णभक्त ज्ञानेश्वर पंद्रह वर्ष की उम्र में ही ज्ञानेश्वर कृष्णभक्त और योगी बन चुके थे। बड़े भाई निवृत्तिनाथ के कहने पर उन्होंने एक वर्ष के अंदर ही भगवद्गीता पर टीका लिख डाली। ‘ज्ञानेश्वरी' नाम का यह ग्रंथ मराठी भाषा का अद्वितीय ग्रंथ माना जाता है। यह ग्रंथ दस हजार पद्यों में लिखा गया है। यह भी अद्वैत-वादी रचना है और यह योग पर भी बल देती है। 28 अभंगों (छंदों) की इन्होंने 'हरिपाठ' नामक एक पुस्तिका लिखी है, जिस पर भागवतमत का प्रभाव है। मराठी संतों में संत ज्ञानेश्वर प्रमुख माने जाते हैं --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    भक्ति क्या है

    Play Episode Listen Later Dec 12, 2021 11:17


    bhakti भक्ति क्या है ? भक्ति क्या है यह हम नहीं जानते --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

    Sardar Patel

    Play Episode Listen Later Nov 21, 2021 8:17


    निज़ाम हैदराबाद को पाकिस्तान में मिलाना चाहता था लेकिन सरदार पटेल द्वारा किस तरह भारत में मिलाया एक झलsardar Patel --- Send in a voice message: https://anchor.fm/pinkcityfm/message

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